16.11.2025: प्रशासकीय अधिकाऱ्यांनी नैसर्गिक शेतीला चालना द्यावी: राज्यपाल आचार्य देवव्रत
रसायनांच्या अति वापरामुळे शेतजमीत ओसाड झाली आहे
विषमुक्त अन्न निर्मितीसाठी नैसर्गिक शेतीला पर्याय नाही
प्रशासकीय अधिकाऱ्यांनी नैसर्गिक शेतीला चालना द्यावी: राज्यपाल आचार्य देवव्रत
एक एक एकर शेतजमिनीवर १३ – १३ बॅग युरिया टाकला जात आहे. जमीन पंढऱीफट्ट होत आहे. त्यामुळे फळे, भाज्या, अन्नधान्य विषयुक्त होत आहेत. देशातील लाखो एकर शेत जमीन ओसाड झाली असून कॅन्सर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप अनेक पटींनी वाढत आहे. आज देशाला नैसर्गिक शेतीशिवाय तरणोपाय नाही. राष्ट्रनिर्माण कार्यात प्रशासकांची भूमिका महत्वाची असते. त्यामुळे प्रशासकीय अधिकारी व प्रबुद्ध समाजाने आपल्या स्तरावर नैसर्गिक शेतीचे महत्व शेतकऱ्यांना पटवून द्यावे असे कळकळीचे आवाहन महाराष्ट्र व गुजरातचे राज्यपाल आचार्य देवव्रत यांनी आज येथे केले.
‘संकल्प फाउंडेशन’ या प्रशासकीय अधिकारी घडवणाऱ्या सेवाभावी संस्थेतर्फे प्रशासकीय अधिकारी तसेच विविध क्षेत्रातील प्रतिष्ठित लोकांसाठी ‘नैसर्गिक कृषी : अनुपम भारतीय वारसा’ या विषयावर राजभवन मुंबई येथे आयोजित चर्चासत्रामध्ये संवाद साधताना राज्यपाल बोलत होते.
देशात अडीच लाख कोटी रुपये खर्च करून युरिया व रासायनिक खाते आयात केली जात आहेत. एकाअर्थी आपणच आपल्या पैशाने आपली शेतजमीन नापीक करीत आहोत. एका कृषी विद्यापीठामधील संशोधनानुसार आज मातेच्या दुधात देखील डिटर्जंट, कीटकनाशक, युरिया आदी रसायने आढळून आली आहेत. गहू व तांदूळ यातील पोषणमूल्य कमी झाले आहे. भावी पिढ्यांची अन्नधान्य व जलसुरक्षा सुनिश्चित करण्यासाठी नैसर्गिक शेती आवश्यक आहे असे त्यांनी सांगितले.
नैसर्गिक व जैविक शेतीमध्ये मोठा फरक आहे असे सांगून रासायनिक तसेच जैविक शेती पेक्षा नैसर्गिक शेती मानव तसेच सूक्ष्म जीव कल्याणाची आहे असे राज्यपालांनी सांगितले.
धर्म, अर्थ व काम यांच्या माध्यमातून मोक्षप्राप्तीसाठी निरामय आरोग्य आवश्यक आहे व आरोग्यासाठी दिनचर्या, भोजन यांसह पर्यावरण महत्वाचे आहे असे राज्यपालांनी सांगितले. आज जागतिक तापमानवाढ जगापुढे मोठे संकट आहे. त्याचा थेट परिणाम शेतीवर पडत आहे. त्यामुळे सर्वांनी नैसर्गिक शेतीला चालना द्यावी व नैसर्गिक उत्पादने खरेदी करावी असे आवाहन राज्यपालांनी केले.
संकल्प फाउंडेशनचे अध्यक्ष संतोष कुमार तनेजा यांनी आपल्या प्रास्ताविकात संकल्प फाउंडेशनने आजवर हजारो प्रशासकीय अधिकारी घडवले असून ते भारतीय सांस्कृतिक विचार पुढे नेत असल्याचे सांगितले.
कार्यक्रमाला रा. स्व. संघाचे मुंबई येथील संघचालक सुरेश भगेरिया, संकल्पचे महासचिव संतोष पाठक, सचिव राजू चौहान तसेच इतर निमंत्रित उपस्थित होते.
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रसायनों के अत्यधिक उपयोग से खेतों की जमीन बंजर हो रही है
विषमुक्त भोजन के उत्पादन के लिए प्राकृतिक खेती ही एकमात्र विकल्प है
प्रशासनिक अधिकारी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें : राज्यपाल आचार्य देवव्रत
एक-एक एकड़ खेत में 13–13 बोरी यूरिया डाली जा रही है। इसकी वजह से मिट्टी सफेद राख जैसी होती जा रही है और फलों, सब्जियों व अनाज में ज़हर की मात्रा बढ़ रही है।
देश के लाखों एकड़ खेत बंजर हो चुके हैं और कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियाँ कई गुना बढ़ गई हैं।
ऐसे समय में देश के लिए प्राकृतिक खेती ही एकमात्र समाधान है। राष्ट्रनिर्माण में प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, इसलिए अधिकारियों और प्रबुद्ध समाज को अपने स्तर पर किसानों को प्राकृतिक खेती का महत्व समझाना चाहिए। यह भावपूर्ण आवाहन महाराष्ट्र और गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज यहाँ किया।
राज्यपाल देवव्रत राजभवन मुंबई में ‘संकल्प फ़ाउंडेशन’ द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों एवं विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के लिए आयोजित “प्राकृतिक कृषि : अनुपम भारतीय विरासत” विषयक चर्चासत्र में संवाद कर रहे थे।
देश में हर वर्ष ढाई लाख करोड़ रुपये खर्च कर यूरिया और रासायनिक उर्वरक आयात किए जा रहे हैं।
एक प्रकार से हम अपने ही धन से अपनी खेती को नष्ट कर रहे हैं।
एक कृषि विश्वविद्यालय के शोध में माँ के दूध में भी डिटर्जेंट, कीटनाशक और यूरिया जैसे रसायनों के अंश पाए गए हैं।
गेहूँ और चावल का पोषण स्तर भी घट गया है।
आने वाली पीढ़ियों की खाद्य और जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्राकृतिक खेती अनिवार्य है, यह बात राज्यपाल ने जोर देकर कही।
उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती और जैविक खेती में बड़ा अंतर है।
रासायनिक और जैविक खेती की तुलना में प्राकृतिक खेती मनुष्य और सूक्ष्मजीव—दोनों के कल्याण के लिए सर्वोत्तम है।
राज्यपाल ने कहा कि धर्म, अर्थ और काम के मार्ग से मोक्ष प्राप्ति के लिए निरामय स्वास्थ्य आवश्यक है, और स्वास्थ्य के लिए दिनचर्या, भोजन के साथ-साथ पर्यावरण भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
आज वैश्विक तापमानवृद्धि दुनिया के सामने बड़ी चुनौती बनकर खड़ी है और इसका सीधा प्रभाव कृषि पर पड़ रहा है।
इसलिए सभी को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना चाहिए और प्राकृतिक उत्पादों को अपनाना चाहिए।
संकल्प फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष संतोष कुमार तनेजा ने अपने प्रास्ताविक भाषण में बताया कि फ़ाउंडेशन ने अब तक हजारों प्रशासनिक अधिकारियों को तैयार किया है और भारतीय सांस्कृतिक विचारों को आगे ले जाने का कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुंबई महानगर संघचालक सुरेश भगेरिया, संकल्प फ़ाउंडेशन के महासचिव संतोष पाठक, सचिव राजू चौहान तथा अन्य आमंत्रित अतिथि उपस्थित थे।