13.02.2024 : ऑनलाइन : महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलाधिपति का भाषण
ऑनलाइन : महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलाधिपति का भाषण। 13 फरवरी 2024
प्रोफेसर डॉ. ए के श्रीवास्तव, कुलपति, पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान मथुरा
डॉ. नितीन पाटिल, कुलपति, माफसू
कार्यकारी एवं विद्या परिषद के सम्मानित सदस्य,
सभी अतिथिगण, माफसू के अधिकारी एवं कर्मचारी,
स्नातक छात्रों के माता-पिता एवं अभिभावक,
सभी पदक विजेता, स्नातक छात्रों,
देवियों और सज्जनों
मेरे लिए यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि, मुझे पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय के 11 वें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति के रूप में सम्मिलित होने का सुअवसर प्राप्त हुआ है।
आज उपाधि प्राप्त कर रहे सभी पशु चिकित्सा, डेयरी और मत्स्य पालन के क्षेत्र स्नातक छात्र – छात्राओं का मै हार्दिक अभिनंदन करता हूं।
दीक्षांत समारोह के अवसर पर, मैं आपके माता-पिता और अभिभावकों को भी बधाई देता हूं। उन्होंने जीवन के हर मोड़ पर आपका साथ दिया है और आपकी सफलता में भूमिका निभाई है।
मैं विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों और यहां की पूरी टीम को भी बधाई देता हूं, जिनकी कड़ी मेहनत के फल स्वरुप आज आप अपने लक्ष्य को हासिल कर पाए हैं।
आज विशेष रूप से मैं आचार्य पदवी प्राप्त कर रहे स्नातक, पदक विजेताओं और पदवि प्राप्तकर्ताओं को बधाई देता हूं।
सरकार ने पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य पालन क्षेत्र में विकास की विशाल अप्रयुक्त संभावनाओं को देखते हुए इस विश्वविद्यालय की स्थापना का बहुत ही सही निर्णय लिया था।
इस विश्वविद्यालय को बनाने के पीछे का उद्देश्य केंद्रित तरीके से पशु विज्ञान और मत्स्य पालन के अध्ययन, अनुसंधान और विस्तार को बढ़ावा देना है।
कृषि एवं पशुपालन हमारे देश की बहुसंख्यक ग्रामीण आबादी की आजीविका से सीधे जुड़े हुए हैं।
हमारे किसानों की आय बढ़ाने में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन की भूमिका महत्वपूर्ण है।
भारत में एक रंगीन इंद्रधनुष क्रांति हुई है जिसमें कृषि में हरित क्रांति, दूध उत्पादन में श्वेत क्रांति, तिलहन के उत्पादन में पीली क्रांति, मछली उत्पादन में नीली क्रांति और मांस उत्पादन में लाल क्रांति शामिल है। इन क्रांतियों ने मिलकर खाद्य उत्पादन में स्थिरता और आत्मनिर्भरता ला दी, जिससे हमारा देश खाद्य अधिशेष देश में बदल गया।
मुझे बताया गया है कि पशु चिकित्सा स्नातकों ने 2022 के दौरान महाराष्ट्र में लंपी त्वचा रोग के प्रकोप को खत्म करके अनेक पशुओ की जान बचाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। महापशुधन एक्सपो 2023 तथा अन्य सामाजिक विकास कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
इस विश्वविद्यालय के अध्यापक राष्ट्रीय गोकुल मिशन के माध्यम से स्वदेशी गायों के उत्पादन प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए प्रयासरत है, जो वाकई सराह्नीय है। मुझे अवगत कराया गया है कि इस तकनीक के माध्यम से 24 बछड़े पैदा किये गये हैं और 34 गायों का गर्भाधान किया गया है। मुझे विश्वास है कि भविष्य में अधिक बछड़े उत्पन्न किए जाएंगे तथा यह तकनीक किसानों की आय बढ़ाने में अग्रसर होगी।
विश्वविद्यालय वन्यजीवों की सेवा में भी उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। दो महिने पहले, मैंने गोरेवाड़ा में वन्यजीव बचाव और प्रशिक्षण केंद्र का निरीक्षण किया, जो संकटग्रस्त वन्यजीवों को पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने में वन विभाग के साथ मिलकर सराहनीय कार्य कर रहा है। यह केंद्र वन्यजीवों से जुड़े महत्वपूर्ण अनुसंधान पर भी कार्य कर रहा है। हमे मानव वन्यजीव संघर्ष कम करने के लिये बहुत प्रयास करने की आवश्यकता है।
एक विश्वविद्यालय के रूप में, अध्यापकों को प्रशासनिक और शिक्षा प्रणाली में उन्नति और सार्थक परिवर्तन हेतु निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए।
निकट भविष्य में, आप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2023 को अपनाने के साथ कृषि शिक्षा प्रणाली में एक बड़े बदलाव का अनुभव कर सकते हैं।
नई शिक्षा नीति के मूलभूत सिद्धांतों में से एक बहु-विषयकता है जो विज्ञान और सामाजिक विज्ञान का समग्र रूप है, तथा यह समस्त ज्ञान की एकजुटता को सुनिश्चित करता है।
इस समग्र और बहु-विषयक शिक्षा प्रणाली से देश के कृषि क्षेत्र में भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए कृषि-आपूर्ति श्रृंखला में मानव संसाधनों की गुणवत्ता में वृद्धि होने की आशा है।
प्रिय स्नातकों, आपके पास महाराष्ट्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था, रोजगार सृजन एवं सामान्य आबादी की आजीविका को विकसित करने की असीम संभावनाएं हैं। अतः आप पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन एवं संबंधित व्यवसायों को लाभदायक उद्यमों में बदलने हेतु स्वयं को समर्पित करें और नवीन विचारों को नियोजित करें।
मेरी जानकारी के अनुसार, पशु चिकित्सा विज्ञान में कई प्रकार के विषय सम्मिलित हैं, जिनमें पशु रोगों का अध्ययन, उनका निदान, नियंत्रण, रोकथाम और उपचार शामिल है। इसमें पशु पोषण, प्रबंधन, कल्याण और देखभाल का ज्ञान भी शामिल है।
मुझे जानकर ख़ुशी हुई कि, इस विश्वविद्यालय में डेयरी प्रौद्योगिकी के अध्यापक दूध के उत्पादन और प्रसंस्करण से लेकर इसकी खपत तक के प्रबंधन के लिए समर्पित है।
इसमें प्रसंस्करण, भंडारण, पैकेजिंग, परिवहन और वितरण जैसे विभिन्न पहलू शामिल हैं। मुख्य उद्देश्य दूध को खराब होने से रोकना, इसकी गुणवत्ता को बढ़ाना और मानव उपभोग के लिए इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
वैश्विक दूध उत्पादन में 24 प्रतिशत का योगदान देकर भारत को शीर्ष दूध उत्पादक देश होने का गौरव प्राप्त है। डेयरी उद्योग की वृद्धि और विस्तार ने देश में रोजगार के प्रचुर अवसर पैदा किए हैं। डेयरी प्रौद्योगिकी आज अभियांत्रिकी का एक उभरता हुआ क्षेत्र है जो डेयरी उद्योग में दूध और दूध आधारित उत्पादों के समग्र उत्पादन और प्रसंस्करण पर केंद्रित है।
अगर मैं मत्स्य पालन के विषय में बात करूं तो भारत में मत्स्य पालन उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विदेशी मुद्रा आय में महत्वपूर्ण योगदान देता है तथा लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, यह आर्थिक रूप से वंचित आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए आजीविका के साधन के रूप में कार्य करता है। प्राथमिक स्तर पर, मत्स्य पालन क्षेत्र 280 लाख से अधिक मछुआरों को रोजगार और उद्यमशीलता की संभावनाएं प्रदान करता है।
भारत देश वर्तमान में तीसरे सबसे बड़े मछली उत्पादक देश की श्रेणी में है, जो विश्व के कुल उत्पादन का 8 प्रतिशत है। सितंबर 2020 में प्रारम्भ की गई प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएसवाई) का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2024-25 तक मत्स्यपालनो की आय को दोगुना करना है, जो मत्स्य पालन क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति के अवसर दर्शाता है। मछली पोषक तत्वों से परिपूर्ण प्रोटीन, विटामिन तथा खनिजों का एक अच्छा स्रोत है।
लेकिन हमारे सामने चुनौतिया भी है।
भारत दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश बनकर उभरा है। इससे हमारे सीमित संसाधनों पर भारी दबाव पड़ रहा है। कृषि का क्षेत्रफल घट रहा है। हमारे सामने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती है।
आज, पशुपालन क्षेत्र निवेशकों के लिए पशुधन क्षेत्र में निवेश करने का अवसर प्रस्तुत करता है, जिससे यह क्षेत्र मूल्यवर्धन, कोल्ड चेन और डेयरी, मांस, पशु चारा इकाइयों की एकीकृत इकाइयों से लेकर तकनीकी रूप से सहायता प्राप्त पशुधन और पोल्ट्री फार्म, पशु अपशिष्ट तक एक आकर्षक क्षेत्र बन जाता है। मैं आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं देखता हूं।
स्वतंत्रता के अमृत काल में हो रहा यह 11 वां दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। आप सभी स्नातक भारत को विकसित भारत बनाने में अपना योगदान देने जा रहे है। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है।
सभी स्नातको से आवाहन है कि आप अपनी उपलब्धियों पर रुके नहीं बल्कि इससेभी बड़े लक्ष्यों के लिए प्रयास करते रहें।
मैं सभी स्नातकों को सलाह देना चाहता हूँ कि अपने विश्वविद्यालय की गरीमा को हमेशा ऊंचा बनाए रखने के लिए शिक्षकों और सलाहकारों के साथ हमेशा संपर्क में रहें।
मैं एक बार पुनः विश्वविद्यालय का अभिनंदन करता हू तथा इस दीक्षांत समारोह में पदवि तथा पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को हार्दिक बधाई देता हूं।
जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।