20.05.2023 : सिंगापुर इंटरनेशनल स्कूल, मुंबई के 2023 वर्ग के दीक्षांत समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस का संबोधन
सिंगापुर इंटरनेशनल स्कूल, मुंबई के 2023 वर्ग के दीक्षांत समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस का संबोधन
श्री गोपाल शेट्टी, माननीय, सांसद
श्रीमती मनिषा चौधरी, सम्मानित विधायक
श्रीमती शारोनी मल्लिक, निदेशक, सिंगापुर इंटरनेशनल स्कूल, मुंबई
श्री ग्रीम केसलेक, प्राचार्य
श्री एब्लोलोम मुसेवे, आईबी प्रमुख, सिंगापुर इंटरनेशनल स्कूल
स्कूल प्रिफेक्ट
निदेशक मंडल के सदस्य
अध्यापक गण
कर्मचारी
माता-पिता, और
मेरे प्यारे छात्र – छात्राएं,
सिंगापुर इंटरनेशनल स्कूल मुंबई के 2023 वर्ग के दीक्षांत समारोह के आनंदमय अवसर पर आपके बीच आकर बहुत प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं।
आपके साथ आजका दिन आपके शिक्षकों, आपके माता-पिता और आपके भाई-बहनों के लिये भी खुशी का दिन है। आपने स्कूल ग्रेज्युएशन पुरा करके आपने जीवन के पहले प्रमुख मील के पत्थर को पार कर लिया है।
विश्व के बेहतरीन ‘सिंगापुर इंटरनेशनल स्कूल’ जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बोर्डिंग स्कूल से स्नातक होना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है, ऐसा मै मानता हूँ।
स्कूल ने इन सभी वर्षों में लगातार शिक्षा और खेल-कूद जैसे सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों में उत्कृष्टता बनाए रखी है।
मैं इस अवसर पर स्कूल के ट्रस्टी, निदेशक, प्रमुखों, अध्यापकों, कर्मचारियों, स्नातक छात्रों और उनके माता-पिता को दीक्षांत समारोह के अवसर पर बधाई देता हूं।
आज आपके सामने खड़ा हूं, और मुझे मेरे स्कूल में बिताए सबसे अच्छे वर्षों की याद आ रही हैं। स्कूल के दिन जिंदगी के सबसे यादगार दिन होते हैं।
मैं जिस स्कूल में पढ़ता था वह रायपुर का एक साधारण सा स्कूल था।
वह एक अच्छी बिल्डींग में जरूर था, लेकिन वहां बिना पंखे या बिजली के बल्ब जैसी लग्जरी नही थी। मैं खेलों में अच्छा था।
एक युवा के रूप में, मैं सशस्त्र बलों के लिए चुना गया था, लेकिन नियति ने चाहा कि मैं राजनीति में शामिल हो जाऊं !!
मुझे अपने कई सहपाठियों का प्रथम नाम तक याद है।
प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाने वाला हर एक शिक्षक भी याद है।
शिक्षक हमारा खयाल करते हैं, चरित्र का विकास करते हैं, महत्वाकांक्षा और मूल्यों को स्थापित करते हैं, मित्रता करते हैं और हमारे भीतर आत्मविश्वास का निर्माण करते हैं।
सचमुच शिक्षक, छात्रों के पूरे जीवन को बदलते हैं और हमें अपने शिक्षकों पर उनके प्रयास, समर्पण और प्रतिबद्धता के लिए बहुत गर्व होना चाहिए।
आप वास्तव में भाग्यशाली हैं कि आप दुनिया के, बेहतरीन स्कूलों में से एक, माने जाने वाले एसआईएस में पढ़ रहे हैं।
आपको दुनिया के विभिन्न देशों के बेहतरीन शिक्षक मिले हैं। यहां सुंदर कॅम्पस है और आपके लिये अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं।
एसआईएस स्कूल के वेबसाईट से पता चला कि आप 26 से अधिक देशों के विद्यार्थीयों के साथ अध्ययन कर रहे हैं। विभिन्न संस्कृतियों, जातीयताओं से आ रहे, विभिन्न भाषाएं बोल रहे और विभिन्न धर्मों का पालन कर रहे सहपाठीयों के साथ अध्ययन करना आपने आप में एक शिक्षा है।
भारतीय शास्त्र ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बात करते हैं, जिसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक छोटे से गाँव की तरह है। मुझे लगता है कि आपकी SIS स्कूल ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का एक उदाहरण है।
मित्रों,
भारत सरकार द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इंटर डीसिप्लीनरी अध्ययन और विषयों के स्वतंत्र चुनाव की पुरजोर वकालत करती है।
गणित और विज्ञान का विद्यार्थी संगीत, कला, योग या अपनी पसंद का कोई भी विषय सीख सकता है।
इस संबंध में सिंगापुर इंटरनेशनल स्कूल निश्चित रूप से पारंपरिक स्कूलों से बहुत आगे है।
मुझे यह जानकर खुशी हुई कि सिंगापुर इंटरनेशनल स्कूल का प्रत्येक छात्र पहले से ही अपने मनचाहे विषयों का चयन कर रहा है।
निदेशक शारोनी ने मुझे बताया कि स्कूल में एक फिल्म और संगीत स्टूडियो भी है जहां छात्रों को इस फिल्म मेकिंग के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करने का भी मौका मिलता है।
मुझे यह जानकर खुशी हुई कि स्कूल के कई स्नातक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ आइवी लीग (Ivy League) विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
मुझे यकीन है कि आप में से हर एक स्नातक अपने चुने हुए क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेगा और अपनी उपलब्धियों से अपनी ‘अल्मा मेटर’ का गौरव बढाएगा।
प्रिय मित्रों,
अपने बेटे के स्कूल शिक्षक को संबोधित, अपने सबसे प्रसिद्ध पत्र में, अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने कहा था और मैं उद्धृत करता हूं:
“स्कूल में, मेरे बेटे को अपने विचारों में विश्वास करना सिखाएं, भले ही हर कोई उसे बताए कि वे गलत हैं।”
अब्राहम लिंकन द्वारा शिक्षक को पत्र लिखे जाने के डेढसौ से अधिक वर्षों के बाद, आज स्वतंत्र सोच का महत्व फिरसे बढ गया है।
विदेशी वर्चस्व के लंबे समय के दौरान, भारत ने अपनी खुद की शिक्षा प्रणाली खो दी और औपनिवेशिक शासकों द्वारा हम पर थोपी गई शिक्षा प्रणाली का स्वीकार किया।
मेरा आपसे अनुरोध है कि अपने विचारों पर विश्वास करे, विश्वास के साथ परिश्रम कारे और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करे।
प्रिय मित्रों,
दुनिया में एक बड़ा जनसांख्यिकीय परिवर्तन हो रहा है।
चीन को पछाड़कर भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बनकर उभरा है।
साथ ही, भारत अपनी विशाल युवा आबादी को देखते हुए दुनिया के सबसे युवा राष्ट्र के रूप में भी उभरा है।
यदि हम उच्च शिक्षा और कौशल के माध्यम से अपनी युवा शक्ति को उत्पादक मानव संसाधन में बदल सकते हैं तो भारत एक वैश्विक महासत्ता बन सकता है।
मित्रों,
ऐसा देखने में आता है कि, प्रत्येक विकसित राष्ट्र, खेलों में भी विकसित होता है। खेलों में प्रगत राज्य विश्व आर्थिक शक्तियाँ हैं।
विकासशील राष्ट्रों में से एक देश होने के नाते, भारत को खेल और खेलों के कॉम्पिटीशन्स में भी अपने प्रदर्शन को सुधारना चाहिए।
मेरा सपना है कि भारत एक दिन ओलंपिक खेलों और वर्ल्ड कॉम्पिटीशन्स की मेजबानी करेगा।
आज मैं माता-पिता और छात्रों, दोनों के विचार के लिए एक मुद्दे को चिन्हित करना चाहता हूं।
ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में, हमें बड़ी संख्या में इंजीनियरों, प्रबंधकों, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कंपनी सचिवों, अधिकारियों और तकनीकी रूप से कुशल व्यक्तियों की आवश्यकता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें अच्छे शिक्षकों की आवश्यकता है जो अच्छे छात्रों को राष्ट्र के लिए अच्छे नागरिक बनाएंगे।
आज दुनिया के कई देश अच्छे शिक्षकों की कमी का सामना कर रहे हैं।
भारत पूरे विश्व के लिए टीचर्स निर्माण करके ‘विश्व गुरु’ बन सकता है। मेरा आग्रह होगा कि आपमे से अच्छे छात्र, उच्च शिक्षा पूरी होने की बाद अच्छा शिक्षक बनने पर भी विचार करें।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था: “शिक्षा मनुष्य के भीतर पहले से मौजूद पूर्णता की अभिव्यक्ति है।”
मुझे निदेशक श्रीमती शारोनी मल्लिक से यह जानकर खुशी हुई कि स्कूल के स्नातक वर्तमान में हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, कोलंबिया, व्हार्टन, येल, प्रिंसटन, कॉर्नेल, यूसी बर्कले में अध्ययन कर रहे हैं। यह अत्यंत प्रशंसनीय है।
हमारे देश के महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, लोकमान्य तिलक, डॉ बी आर अंबेडकर सहित कई महान नेताओं ने विदेश में अध्ययन किया। लेकिन वे देश के लिए आजादी हासिल करने के लिए भारत वापस आ गए।
यदि आप अपनी उच्च शिक्षा के बाद देश की सेवा करने के लिए भारत वापस आते हैं तो मुझे अत्याधिक खुशी होगी।
मैं आपसे यह भी आग्रह करूंगा कि आप भारत के सामने मौजूद चुनौतियों को समझें और इनमें से कुछ चुनौतियों को अपने तरीके से दूर करने में अपनी भूमिका निभाएं।
मुझे सिंगापुर इंटरनेशनल स्कूल और आप में से प्रत्येक से बहुत उम्मीदें हैं।
आने वाले वर्षों में हमें ग्लोबल क्लायमेटीक चेंज, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए काम करना होगा।
हमें मिलकर अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
मैं आपको फिर एक बार बधाई देता हूं और ईश्वर से आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।
जय हिन्द ! जय महाराष्ट्र !!