29.04.2023 : अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के उपलक्ष में आयोजित ‘ईट राइट मिलेट मेला’, वॉकथॉन और ‘क्लीन स्ट्रीट फूड हब’, स्थल : गवदेवी मैदान, ठाणे
अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के उपलक्ष में आयोजित ‘ईट राइट मिलेट मेला’, वॉकथॉन और ‘क्लीन स्ट्रीट फूड हब’
श्री मनोज कोटक, सांसद
श्री रवींद्र चव्हाण, विधायक
श्री कमला वर्धन राव, CEO, FSSAI,
श्री सौरभ विजय, सचिव, FDA
श्रीमती प्रीती चौधरी, क्षेत्रीय निदेशक, पश्चिम क्षेत्र, भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण
श्रीमती शुभप्रदा निश्टला, निदेशक, ITC FSAN, FSSAI
श्री उमेश काम्बले, एसोचाम (ASSOCHAM)
‘ईट राइट मिलेट मेला’ में आपके बीच उपस्थित होकर मुझे खुशी हो रही है।
‘मिलेट मेला’, वॉकथॉन और क्लीन स्ट्रीट फूड हब के क्रियान्वयन में सम्मिलित FSSAI पश्चिम क्षेत्र, ठाणे महानगरपालिका, ऐसोचैम तथा अन्य सभी संगठनों को इस आयोजन के लिये मै हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
हमारे शास्त्रों में अन्न को ब्रह्म कहां गया है।
भोजन के पूर्व लोग मंत्र कहते थे..
ॐ सह नाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विना वधीतमस्तु।
मा विद्विषा वहै ॥
भोजन ब्रह्म है और मिलेट्स पूर्ण ब्रह्म है।
भारत सरकार की, और विशेष कर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की पहल पर ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ द्वारा वर्ष २०२३ को अंतर्राष्ट्रीय मिलेटस वर्ष घोषित किया गया है।
प्रधान मंत्री जी की आह्वान पर आज विश्व के अनेक देश अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहे है। मुझे विश्वास है ‘मिलेटस वर्ष’ का भी दुनिया की ओर से स्वागत होगा।
मिलेट्स का मनुष्यों द्वारा सबसे पहले उगाई जाने वाली फसलों में होने का गौरवशाली इतिहास रहा है।
वे अतीत में एक महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत रहे हैं।
समय की मांग है कि उन्हें भविष्य के लिए भोजन का विकल्प बनाया जाए!
मिलेट्स उपभोक्ता और किसान दोनों के लिए अच्छा विकल्प है।
यह उपभोक्ताओं के लिए संतुलित पोषण का एक समृद्ध स्रोत हैं।
यह खेती करने वालों और हमारे पर्यावरण को लाभ पहुंचाते हैं क्योंकि उन्हें कम पानी की आवश्यकता होती है और यह खेती के प्राकृतिक तरीकों के अनुकूल होते हैं।
हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने जिस प्रकार ‘दीव्यांग’ शब्द देश को दिया है, उसी प्रकार मिलेटस या मोटे अनाज को उन्होने ‘श्री अन्न’ यह सुंदर संज्ञा दी है।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित ज्वार, बाजरा, रागी, साम, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू जैसे श्री अन्न का हिस्सा है।
भारत जैसे देश में जहां कृषि बड़े पैमाने पर वर्षा आधारित है,श्रीअन्न यानि कम पानी में ज्यादा फसल की पैदावार, श्रीअन्न यानि केमिकल मुक्त खेती का बड़ा आधार, श्रीअन्न यानि क्लाइमेट चेंज की चुनौती से निपटने में मददगार।
हमारे यहा राजभवन में गेस्ट आते है, तो हम उन्हे चाय – कॉफी के साथ ‘रागी’ के बिस्किट्स ही देते है, जो सेहत के लिये बेहतर है।
राज्यपाल होने के नाते मै राज्य के २६ विश्वविद्यालयों का कुलाधिपती हूं। इसमें चार कृषि विश्वविद्यालय भी शामिल है।
हमारे कृषि विश्वविद्यालयों में ‘श्री अन्न’ पर काफी अनुसंधान हुआ है।
इन विश्वविद्यालयों से हर साल हजारों ग्रेजुएट्स निर्माण होते है। यदी वे ‘श्री अन्न’ फार्मिंग में आते है, ‘श्री अन्न’ स्टार्टअप्स शुरू करते है, तो इससे उन्हे अच्छी आय मिलेगी।
हमारे छोटे किसानों को श्री अन्न उत्पादन करने के लिये अधिक से अधिक अनुदान देने की जरूरत है। साथ ही उत्पादित फसल की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग के लिये भी आवश्यक प्रबंध करने की आवश्यकता है।
महाराष्ट्र में पानी पुरी फेस्टिवल, खिचड़ी फेस्टिवल, मैंगो फेस्टिवल होते है। वैसे ही हमें बडे पैमाने पर ‘श्री अन्न महोत्सव’ का हर जिले में आयोजन करना चाहिये।
भारत इस समय जी..20 का प्रेसिडेंट भी है।
भारत के नेतृत्व में ‘श्री अन्न’ को पुरे विश्व में बढ़ावा दिया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय ‘श्री अन्न’ वर्ष हमारे किसानों को, महिलाओं को तथा युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिद्ध होंगे इस विश्वास के साथ मै फिर एक बार ‘श्री अन्न’ मेला के आयोजकों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं और आज के कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी प्रतियोगिता प्रतिभागियों, बच्चों, कॉलेज के छात्रों, खाद्य व्यवसायों, स्वयं सहायता समूहों, स्ट्रीट वेंडर्स को शुभकामना देता हूं।
जय हिन्द। जय महाराष्ट्र।।