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    29.03.2023 : श‍िवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापूर का ५९ वा वार्षिक दीक्षांत समारोह, कोल्हापूर

    प्रकाशित तारीख: March 29, 2023

    श‍िवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापूर का ५९ वा वार्षिक दीक्षांत समारोह, कोल्हापूर

    IIT कानपूर के भूतपूर्व निदेशक डॉ. संजय धांडे जी,

    शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर के कुलगुरु डॉ. दिगम्बर शिर्के जी,

    परीक्षा एवं मूल्यमापन मंडल के निदेशक डॉ. अजितसिंह जाधव जी,

    वित्त एवं लेखाधिकारी श्री. अजित चौगुले जी,

    उपस्थित सम्मानित सांसद, विधायक, महापौर, पार्षद,

    विश्वविद्यालय की अधिसभा, विद्या परिषद तथा प्रबंधन परिषद के सदस्य,

    अधिकारी, प्रशासनिक कार्मिक, संलग्न महाविद्यालयों के प्रबंधक, प्राचार्य, प्राध्यापक, स्नातक छात्र-छात्राएँ तथा उनके अभिभावक,

    विभिन्न माध्यमों के प्रतिनिधि तथा उपस्थित सभी भाइयों और बहनों,

    माँ अंबाबाई महालक्ष्मी जी के पावन भूमि को नमन करता हूँ तथा जिनका नाम विश्वविद्यालय के नाम से जुड़ा है ऐसे हिंदवी स्वराज के संस्थापक छत्रपती शिवाजी महाराज को अभिवादन करता हूँ।

    आज के शिवाजी विश्वविद्यालय के वार्षिक दीक्षांत समारोह में आप के बीच उपस्थित रहने की अभिलाषा थी। किंतु कुछ कारण वश आपके मध्य में उपस्थित होना संभाव नही हो पाया इसका खेद है।

    महाराष्ट्र राज्य भारतवर्ष का प्रागतिक एवं अग्रगण्य राज्य हैं। ऐसे राज्य के सार्वजनिक विश्वविद्यालयों का ‍कुलाधिपति होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

    कुलाधिपति का पदभार ग्रहण करने पश्चात यह मेरा किसी नान एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय का पहला दीक्षान्त समारोह है।

    आज के इस दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले सभी स्नातकों को बधाई देता हूँ और उनके उज्जवल एवं मंगल भविष्य की कामना करता हूँ।

    भाइयों और बहनों,

    करवीर नगरी भारतवर्ष के लोगों के लिए दक्षिण काशी है।

    माता अंबाबाई का यह पावन तीर्थ श्रद्धालुओं के लिए पवित्र धाम है।

    राजर्षि छत्रपति शाहू जी महाराज का यह संस्थान अपने प्रागतिक एवं प्रजा हित के कार्यों के लिए समूचे देश में मशहूर हैं।

    मुझे यह जानकर आनंद हुआ कि इस वर्ष राजर्षि छत्रपति शाहू जी महाराज का स्मृति शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है।

    इस उपलक्ष में विश्वविद्यालय द्वारा स्मृति संग्रहालय निर्माण करने का निर्णय प्रशंसनीय है। यह संग्रहालय सभी लोगों के लिए खुला हो, ताकी लोग राजर्षि शाहू महाराज के जीवन कार्य से अवगत हो और प्रेरणा ले सके।

    मेरे संज्ञान में लाया गया है कि श‍िवाजी विश्वविद्यालय ने हाल ही में अपनी स्थापना का हीरक महोत्सव मनाया है। इस अवसर पर मैं विश्वविद्यालय का हार्दिक अभिनंदन करता हॅूं।

    जानकर प्रसन्नता हुई कि शिवाजी विश्वविद्यालय को UGC द्वारा कैटेगरी-1 रँक हासिल हुआ है। ISO 9001:2015 प्रमाणीकरण भी प्राप्त हुआ है। NIRF एवं QS वर्ल्ड रैंकिंग में विश्वविद्यालय ने अपना स्थान सुधारा है।

    मुझे बताया गया है कि अपने स्थापना वर्ष-1962 में शिवाजी विश्वविद्यालय ने मात्र 34 महाविद्यालयों को लेकर कार्य की शुरुआत की थी। उस समय केवल पाँच विभाग थे और छात्र संख्या मात्र 14000 थी।
    अत्यंत गर्व की बात है कि हीरक महोत्सवी विकास यात्रा के बाद आज विश्वविद्यालय कॅम्पस में विभिन्न संकायों के 34 विभाग कार्यरत है। संलग्न महाविद्यालय 286 है। और छात्र संख्या ढाई लाख तक पहुँच गई है।

    कोल्हापुर, सांगली एवं सातारा जिलों के अनेक परिवारों में विश्वविद्यालय ने परिवार का पहला स्नातक निर्माण कर के प्रदेश के सामाजिक आर्थिक विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया है।

    वर्तमान युग में टेक्नालाजी, विज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सांख्यिकी विज्ञान, अवकाश, संरचना जैसे अनेक विषयों का महत्व बढ गया है ।

    इसके मद्देनजर शिवाजी विश्वविद्यालय अपने पाठक्रम में नैनो साइंस एवं टेक्नालाजी, मटेरियल साइंस, ग्रीन केमिस्ट्री, VLSI तंत्रज्ञान, प्रक्रिया नियंत्रण, इंटरनेट ऑफ थिंग्ज, डाटा माइनिंग, डाटा अॅनालिसीस, एनर्जी टेक्नालाजी, स्पेस साइंस, कृषि आधारित अर्थशास्त्र, प्रदूषण नियंत्रण, न्यूट्रास्युटिकल फूड्स, जिओ-इन्फरमैटिक्स, ई-कामर्स जैसे विषय सम्मिलीत किए है, जो सराहनीय है।

    सेंटर फॉर नॅनो फिजिक्स, सेंटर फॉर VLSI डिजाइन्स जैसे सेंटर ऑफ एक्सलन्स इस विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दे सकते है।

    साइबर सिक्युरिटी और डाटा साइन्स के फैकल्टी डेव्हलपमेंट सेंटर, सेंटर फॉर इनोव्हेशन अँड इन्क्यूबेशन, सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज स्टडीज्, राजर्षि शाहू लोककला केंद्र हमारे आस्था के परिचायक केंद्र रहे हैं।

    प्रिय छात्र तथा छात्राएं,

    ज्ञान धन है, और यह धन के सभी रूपों में सबसे अच्छा है।

    एक प्रसिद्ध कहावत है कि “ज्ञान चोरों द्वारा चुराया नहीं जा सकता, राजाओं द्वारा जब्त नहीं किया जा सकता है। इसे भाइयों में विभाजित नहीं किया जा सकता है, और इसे साथ में ले जाना भी भारी नहीं होता है।”

    इसे जितना खर्च किया जाता है, उतना ही बढता है, फलता-फूलता है। इसलिए ज्ञान का धन सभी प्रकार के धन में सबसे श्रेष्ठ कहा गया है।

    ज्ञान वह नींव है जिस पर प्रत्येक व्यक्ति का चरित्र निर्मित होता है। शिक्षा जीवनभर चलनेवाली प्रक्रिया है। आपको जीवनभर सिखनेवाला विद्यार्थी बनना चाहिए।

    शिक्षा परिवर्तन का उत्प्रेरक है और युवा सामाजिक परिवर्तन का सबसे शक्तिशाली एजेंट है। शिक्षित युवकों को सही दिशा दी जाए तो वे इतिहास की धारा में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं।

    स्वामी विवेकानंद ने कहा था “हमे ऐसी शिक्षा चाहिए, जिससे चरित्र बने, मानसिक विकास हो, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके।”

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य यही है।

    इस वर्ष से राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन किया जा रहा है। नया अकॅडेमिक सत्र जून – जुलाई से आरंभ हो रहा है। जिसके लिए बहुत कम समय बचा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बेहतरीन क्रियान्वयन करके विश्वविद्यालय अन्य सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक मिसाल खड़ी करेगा ऐसा मुझे विश्वास है।

    उद्योग और व्यापार में स्टार्ट-अप विश्वविद्यालय में गतिमान है। कोल्हापुर तथा पश्चिम महाराष्ट्र गन्ने की खेती और उस पर आधारित उत्पादों के लिए परिचित है। विश्वविद्यालय ने ‘गुड अनुसंधान’ में दिखाई सतर्कता प्रशंसनीय है।

    मेरे कुछ सुझाव है :

    १. विश्वविद्यालय अगले 25 वर्षो के लिए विश्वविद्यालय विकास की ब्लू प्रिंट तैयार करें।

    २. कुछ विभाग को ‘सेंटर ऑफ एक्सलन्स’ बनाने का प्रयास करें।

    ३. सभी क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा दे और पेटेंट हासिल करे।

    ४. क्रीडा विकास का ठोस कार्यक्रम बनाए । और अंत में

    ५. एन आय आर एफ रैंकिंग बेहतर बनाने का प्रयास करें।

    शिवाजी विश्वविद्यालय इस दिशा में निरंतर कार्य करता रहेगा इस अपेक्षा के साथ मैं पुनः सभी स्नातक छात्र – छात्राओं का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ और राष्ट्र निर्माण कार्य में अपना योगदान देने का आवाहन करता हूं।

    नववर्ष की सभी को शुभाकामनाएं देता हुँ और विश्वविद्यालय के मंगल भविष्य की कामना करता हूँ।

    धन्यवाद
    जय हिंद । जय महाराष्ट्र ।।