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    29.02.2024 : कवयित्री बहिनाबाई चौधरी उत्तर महाराष्ट्र विद्यापीठ, जलगांव का 32 वां दीक्षांत समारम्भ

    प्रकाशित तारीख: February 29, 2024

    कवयित्री बहिनाबाई चौधरी उत्तर महाराष्ट्र विद्यापीठ, जलगांव का 32 वां दीक्षांत समारम्भ। 29 फरवरी, 2024

    डॉ. (श्रीमती) पंकज मित्तल, महासचिव, एसोसिएशन ऑफ इंडिअन युनिवर्सिटीज

    प्रो. विजय माहेश्वरी, कुलपति, कवयित्री बहिनाबाई चौधरी उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय

    प्रो. सोपान इंगले, प्रति कुलपति

    डॉ. विनोद पाटील, कुलसचिव

    प्रो. योगेश पाटील, निदेशक, परीक्षा एवं मूल्यांकन बोर्ड

    विभिन्न विभागों के अधिष्ठाता

    अध्यापक

    स्नातक छात्र – छात्राएं,

    अभिभावक

    बहनो और भाईयों,

    जलगांव, धुले और नंदुरबार इन तीन जिलों के शैक्षिक विकास के लिए बनाये गये, कवयित्री बहिणाबाई चौधरी उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।

    वास्तव में ऑनलाइन उपस्थित रहने के बजाय प्रत्यक्ष रूप से विश्वविद्यालय का दौरा करने की मंशा थी।

    पर समयाभाव और अन्य व्यस्तता ओं के कारण आज आपसे ऑन लाइन के जरिये ही बात कर रहा हूं।

    आज अपनी डिग्री प्राप्त कर रहे हैं, ऐसे सभी स्नातक छात्र- छात्राओं को मै हार्दिक बधाई देता हूं।

    दीक्षांत समारोह का दिन आपके माता-पिता और सभी प्राध्यापकों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।

    आज उन सभी का भी मै अभिनंदन करता हूं और उन्हे बधाई देता हूं।

    पदक विजेता छात्र- छात्राएं, तथा पीएचडी उपाधि प्राप्त कर्ता विशेष बधाई के हकदार है क्योंकि इनसे प्रेरणा लेकर अन्य छात्र छात्राएं भी आगे बढ़ेंगे।

    यह प्रसन्नता की बात है कि डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओंकी संख्या निरंतर बढ रही है। इस वर्ष की स्वर्ण पदक सूची से पता चला कि 121 स्वर्ण पदकों में से 79 स्वर्ण पदक लड़कियों ने जीते हैं। जो वास्तव में सराहनीय है।

    वर्ष 1990 में स्थापित इस विश्वविद्यालय ने विगत 34 वर्षो में तीनो जिलो में उच्च शिक्षा का प्रचार प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

    यह बड़े गर्व और संतुष्टि की बात है कि विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान हैं।

    नंदुरबार के ‘रावला पानी’ में हमारे जनजाति क्रांति नायकों ने अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन किया था, जिसमे हुए फायरिंग में, हमारे अनेक जनजाति भाई बहन शहीद हुए थे।

    नंदुरबार, धुले तथा जलगाव की अपनी अपनी विशेषता है। तीनो जिलो ने देश को अनेक जाने माने सुपुत्र दिए है जिन्होने देश विदेश में गौरव प्राप्त किया है।

    उत्कृष्टता की इस परंपरा को हमें निरंतर आगे बढ़ाना होगा।

    देवियों और सज्जनों,

    महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में, मेरे पास राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों के उत्थान विकास की देखभाल करने के लिए अनुसूची पांच के तहत संवैधानिक अधिकार है।

    इसलिए मुझे बहुत खुशी है कि विश्वविद्यालय आदिवासी बहुल नंदुरबार, धुले और जलगांव जिले में उच्च शिक्षा का लाभ हमारे जनजाति लोगों तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है।

    विश्वविद्यालय का नाम महान कवयित्री बहिनाबाई चौधरी के नाम पर रखा गया है।

    बहिनाबाई चौधरी को स्कूल या कॉलेज जाने का कोई अवसर नहीं मिला। लेकिन उनके विचार, जीवन दर्शन और उनकी कविताओं के कारण उनके लेखन पर कई पीएचडी हुईं है, जिससे उनकी विद्वत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता।

    मित्रो,

    हम ज्ञान को मात्र बेहतर भविष्य, बेहतर नौकरी और आर्थिक समृद्धि का प्रवेश द्वार मानते हैं। लेकिन, ज्ञान उससे भी परे है। ज्ञान का उद्देश्य मोक्ष या मुक्ति पाना है; और फिर, मुक्ति के बाद ज्ञान प्राप्त करना है।

    मुझे आपकी यूनिवर्सिटी का गाना बहुत पसंद आया क्योंकि यह इसी विचार को व्यक्त करता है।

    कुलपति की रिपोर्ट से जानकर अच्छा लगा कि यह विश्वविद्यालय नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में महाराष्ट्र में अग्रणी है।

    नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप, विश्वविद्यालय ने चार वर्षों कें चार डिग्री पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। स्थानीय भाषा में शिक्षा देने की विश्वविद्यालय की पहल भी सराहनीय है।

    NEP का उद्देश्य सकल छात्र नामांकन (GER) वर्तमान नामांकन लगभग 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना है।

    इसी महीने में राजभवन में हमने आदिवासी कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।

    मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि कई आदिवासी लड़कियाँ दसवीं कक्षा के बात उच्च शिक्षा के लिए जा नहीं पाती।

    ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें किसी ऐसे कॉलेज या यूनिवर्सिटी में दाखिल होने के लिए घर छोडना पड़ता है जो अक्सर गांव से दूर होता है।

    भले ही जनजाति बेटियाँ प्रतिभाशाली हों, लेकिन सुरक्षा और वित्तीय बोझ जैसे मुद्दों के कारण उन्हें शिक्षा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

    मैं कवयित्री बहिणाबाई चौधरी विश्वविद्यालय से महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों में रहने वाली ऐसी लड़कियों तक पहुंचने, और उन्हें उच्च शिक्षा धारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित का आह्वान करूंगा।

    हमारी अधिकांश युवा आबादी कौशल, कौशल उन्नयन और पुनः कौशल सहायता में सहायता प्राप्त करने के इच्छुक है। तो यह एक और क्षेत्र है जिस पर आप को विचार करना चाहिये।

    भारत का दुनिया की तीसरी प्रमुख अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ना इस बात पर निर्भर करता है कि विश्वविद्यालय, शिक्षक, शोधकर्ता और छात्र अनुसंधान, नवाचार, उद्यमशीलता और व्यवसायों को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका कैसे निभाते हैं।

    मैं स्नातक करने वाले छात्रों से नवप्रवर्तक, स्टार्टअप के प्रवर्तक और नौकरी देने वाले बनने का आह्वान करूंगा।

    आपको उद्यमी बनने के लिए अपने जिलों की क्षमताओं को पहचानना होगा और उनका दोहन करना होगा।

    यह जानकर ख़ुशी हुई कि इस विश्वविद्यालय के इन्क्यूबेशन सेंटर के माध्यम से लगभग 64 स्टार्टअप शुरू किए गए हैं।

    मैं विश्वविद्यालय से महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम करने की भी अपील करूंगा। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम अपने से स्नातक होने वाले प्रत्येक छात्र को कौशल आधारित प्रशिक्षण प्रदान करें।

    इस दीक्षांत समारोह में आने से पहले मेरी एक दर्जन से अधिक अमेरिकी विश्वविद्यालयों के प्रमुखों के साथ बैठक हुई।

    वे हमारे विश्वविद्यालयों के साथ शैक्षणिक और अनुसंधान आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के इच्छुक हैं।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति विश्वविद्यालयों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करती है।

    अतः मैं विश्वविद्यालय से अच्छे विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी करने की अपील करूंगा ताकि हमारे छात्रों को अंतरराष्ट्रीय शिक्षण अनुभव प्रदान किया जा सके।

    हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के युग में रह रहे हैं। A I शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन लाने जा रहा है। हमें अपने स्नातकों को A I के लाभों और नुकसानों से परिचित कराना और शिक्षित करना चाहिए।

    मैं कवयित्री बहिणाबाई चौधरी उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय से अपील करूंगा कि :

    1. ‘विकसित भारत’ उद्देश्य के मद्देनजर, अगले 10 वर्षों में विश्वविद्यालय को भारत के शीर्ष दस विश्वविद्यालयों में पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित करें।

    2. राज्य सरकार के प्रयासों के अनुरूप छोटे छोटे समूह विश्वविद्यालय निर्मिती को बढ़ावा दे।

    3. अपने छात्रों को उद्यमी और नवप्रवर्तक बनने के लिए प्रोत्साहित करें।

    4. जनजाति छात्र और छात्राओं को उच्च शिक्षा की मुख्यधारा में लाने का निरंतर प्रयास करें।

    5. ग्राम गोद लेने की परियोजनाओं के माध्यम से छात्रों को सामाजिक उपक्रमों में शामिल करें।

    6. सभी पूर्व छात्रों तक पहुंचे और उन्हें विश्वविद्यालय के विकास और विस्तार में शामिल करें।

    मैं एक बार फिर सभी स्नातक छात्र- छात्राओं को बधाई देता हूं और उनसे अपील करता हूं कि वे अपनी उपलब्धियों से विश्वविद्यालय और देश को गौरवान्वित करें।

    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।