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    29.01.2024 : प्रधानमंत्री की छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ ‘परीक्षा पे चर्चा’

    प्रकाशित तारीख: January 29, 2024

    प्रधानमंत्री की छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ ‘परीक्षा पे चर्चा’। राजभवन मुंबई। 29 जनवरी 2024

    प्रिय छात्र, शिक्षक तथा अभिभावक गण

    देवियो और सज्जनों,

    मैं माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी को सभी छात्रो से ‘परीक्षा पे चर्चा’ करने के लिए धन्यवाद देता हूं।

    कुछ वर्ष पहले प्रधानमंत्री ने स्वयं ‘एग्जाम वॉरियर्स’ पुस्तक लिखी थी और परीक्षा ओं को किस प्रकार धैर्य और आत्मविश्वास के साथ फेस करना चाहिये इस पर छात्रो से चर्चा की थी।

    आज की चर्चा इससे और अधिक उपयुक्त मोड़ पर नहीं हो सकती थी।

    SSC तथा HSC बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं।

    स्कूल और कॉलेज और लाखों छात्र विभिन्न परीक्षाओं के लिए / प्रैक्टिकल एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं।

    ऐसे अवसर पर हमारे प्रधानमंत्री जी ने सोचा कि हमें छात्रों को उन चिंताओं, तनाव और घबराहट के बंधनों से मुक्त करना होगा, जो अक्सर परीक्षाओं से जुड़ी होती हैं।

    महाभारत में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भगवत गीता के रूप में ज्ञान की सलाह दी थी।

    भगवत गीता सुनाते समय, भगवान कृष्ण ने न केवल निराश अर्जुन का मनोबल बढ़ाया, बल्कि उन्होंने अर्जुन को साहस और आत्मविश्वास के साथ युद्ध का सामना करने के लिए सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया।

    आज हजारों वर्षों के बाद भी, हमें भगवान कृष्ण के शब्द प्रासंगिक और प्रेरणादायी लगते हैं।

    शिक्षा को एक सुखद अनुभव बनाना होगा।

    मैने अमरिका, इंग्लंड और नीदरलैंड में रहने वाले अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से समझा है कि वहा छात्रों को बहुत कम होमवर्क दिया जाता है। सभी अध्ययन, स्वयं अध्ययन स्कुल में ही होता है।

    अनेक देशों में शिक्षा गतिविधि आधारित है। हमें भी शिक्षण को अधिक प्रयोग आधारित और इंटरैक्टिव बनाने के लिए अपने शिक्षकों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

    विद्यार्थियों के लिए गृहकार्य कम करना उनके तनाव को कम करने का पहला कदम हो सकता है।

    दूसरे, खेल का समय और अवकाश बढ़ाया जाना चाहिए।

    फ़िनलैंड में छात्रों को प्रत्येक 45 मिनट की कक्षा के बाद 15 मिनट का अवकाश दिया जाता है।

    शिक्षा जितनी कक्षा के अंदर होती है, उतनी ही कक्षा के बाहर होती है।

    इसलिए अवकाश को वेस्ट ऑफ टाइम नहीं मानना चाहिए ।

    दूसरी बात, हमें स्कूलों में असमानताओं को कम करना होगा।

    ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों के स्कूलों के बीच भारी असमानता है।

    हमें एक ‘लेवल प्लेइंग फील्ड’ बनाना होगा जहां छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा मिल सके, चाहे उसका स्कूल गांव में हो या शहर में स्थित हो।

    आज, भारत सूचना प्रौद्योगिकी में अग्रणी है।

    हमें देश भर के छात्रों को सर्वोत्तम शिक्षण अनुभव प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए।

    स्कूलों में ऑनलाइन और ऑफलाइन कक्षाओं का अच्छा मिश्रण होना चाहिए।

    शिक्षकों को सशक्त बनाना होगा और उनके लिए नियमित रूप से मध्यावधि प्रशिक्षण का आयोजन करना होगा।

    जापान में, शिक्षा स्थान इतने साफ-सुथरे हैं कि छात्र बड़े होकर जिम्मेदार नागरिक बनते हैं जो अपने परिवेश को साफ-सुथरा रखते हैं।

    मैं स्कूल प्राधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान करूंगा कि स्कूल अत्यंत साफ-सुथरे हों। वहा अच्छी स्वच्छता सुविधाएं, अच्छी संख्या में शौचालय हों।

    छात्रों की सीखने की प्रक्रिया में माता-पिता की भागीदारी महत्वपूर्ण है।

    बच्चों की शिक्षा को आनंददायक और सार्थक बनाने के लिए माता-पिता और शिक्षकों को मिलकर काम करना चाहिए।

    बच्चों को अच्छा नागरिक बनाने पर अधिक जोर देने की जरूरत है।

    भारत में वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और जल प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक है।

    दूसरे देशों में गाड़ियों द्वारा हॉर्न नहीं बजाया जाता।

    भारत में आप हवाईअड्डे पर पहुंचते ही सबसे ज्यादा हॉर्न सुनाई देते हैं।

    अंत में, नैतिकता और नैतिक मूल्यों पर भी जोर देने की जरूरत है।

    स्वामी विवेकानन्द चाहते थे कि शिक्षा मनुष्य का निर्माण करे।

    मैं छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से हमारे माननीय प्रधान मंत्री के संदेश को जीवन में उतारने का आग्रह करता हूं। छात्र छात्राओं को सभी परीक्षाओं को आत्मविश्वास के साथ सामना करने का आह्वान करूंगा।

    सभी को परीक्षा के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

    धन्यवाद।
    जय हिंद। जय महाराष्ट्र ।।