28.04.2024 : नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज द्वारा ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ पर आयोजित मध्यावधि कॉन्फरन्स का उद्घाटन
नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज द्वारा ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ पर आयोजित मध्यावधि कॉन्फरन्स का उद्घाटन। बॉम्बे हॉस्पिटल, मुंबई, 28 अप्रैल 2024
डॉ. शिव सरीन, अध्यक्ष, नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज
डॉ. अशोक गुप्ता, कॉन्फरन्स के सह-अध्यक्ष
डॉ. राजकुमार पाटिल, मेडिकल डिरेक्टर, बॉम्बे हॉस्पिटल
डॉ. अनिल शर्मा, विभागाध्यक्ष, कार्डियोलॉजी, बॉम्बे हॉस्पिटल
डॉ. सतीश खाडिलकर, चर्चासत्र समिति के अध्यक्ष
प्रतिष्ठित डॉक्टर, विशेषज्ञ, रेजिडेंट डॉक्टर,
कॉन्फरन्स में उपस्थित प्रतिनिधि
नमस्कार, गुड आफ्टरनून
नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज द्वारा ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ पर आयोजित मिड टर्म कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में आपके बीच उपस्थित रहकर प्रसन्नता हो रही है।
मुंबई में कॉन्फ्रेंस की मेजबानी के लिए मै बॉम्बे हॉस्पिटल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को बधाई देता हूं।
मैं डॉ शिव सरीन, डॉ अशोक गुप्ता, डॉ अनिल शर्मा और इस सम्मेलन के आयोजन में जिन्होने सहयोग किया उन सभी को विशेष रूप से बधाई देता हूं।
प्रिय डॉक्टर और प्रतिनिधियों,
मुंबई शहर के निर्माण का इतिहास हमें बताता है कि 17 वीं शताब्दी में लोग विशेषकर व्यापारी वर्ग, मुंबई में आकर रहने से कतराते थे। मुंबई में बिमारीया, विशेष रूप से कॉलरा, मलेरिया बहुत आम बात हुआ करती थी।
इतिहासकार लिखते हैं कि कोई मुंबई में रहता है तो उसका जीवन दो मानसून के भीतर समाप्त हो जाता है, ऐसी लोगो की धारणा बन गई थी।
यह सभी के लिए गर्व की बात है की चिकित्सा के क्षेत्र में प्रगति और जीवन की गुणवत्ता में समग्र सुधार के कारण, मुंबई आज देश में एक पसंदीदा हेल्थकेअर डेस्टिनेशन, मेडिकल टुरिझम डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है। आज पुरे देश से तथा अनेक बाहरी देशो से लोग मुंबई में अच्छी स्वास्थ्य चिकित्सा के लिए आते है।
कोविड-19 महामारी ने दुनिया को दिखाया है कि भारत कम समय में न केवल अपना टीका विकसित कर सकता है और अपनी पूरी जनसंख्या का टीकाकरण कर सकता है बल्कि हम पुरी दुनिया भर में मानवता को बचाने के लिए मुफ्त टीके भी प्रदान कर सकते है।
पिछले दो शताब्दियों के भीतर हुए नवाचार और वैज्ञानिक प्रगति देखने से पता चलता है की, चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी नवाचार किए गए थे। इनमें टीके, एनेस्थीसिया, मेडिकल इमेजिंग, एंटीबायोटिक्स, अंग प्रत्यारोपण, एंटी वायरल दवाएं, स्टेम सेल थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी शामिल हैं। इससे मनुष्य के जीवन का स्तर बढ़ाया है।
इसी महीने 4 अप्रैल को मुझे राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी के साथ आयआयटी, बॉम्बे तथा टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल द्वारा विकसित कार टी – सेल थेरपी का शुभारंभ देखने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
भारत में पहली बार इस तरह की जीन थेरपी विकसित की गई है जीससे कई प्रकार के कैन्सर का इलाज थेरपी की माध्यम से किया जाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि यह थेरपी अन्य देशों की तुलना में भारत में, बहुत कम खर्च पर उपलब्ध कराई जा रही है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इसी प्रकार, एक क्रांतिकारी नवाचार के रूप में उभरा है जो दुनिया में चिकित्सा परिदृश्य को बदलने जा रहा है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण मोड़ पर आ गया है।
भारत ने 2047 तक विकसित भारत बनने का लक्ष्य रखा है।
‘विकसित भारत’ का उद्देश्य तब पूरा होगा जब हमारे पास ‘विकसित शिक्षा’ और ‘विकसित स्वास्थ्य’ होगा।
इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम आगे बढ़ें और देश में बीमारी और मृत्यु के बोझ को कम करने, कुपोषण को कम करने, शिशु मृत्यु दर को कम करने, मातृ मृत्यु दर को कम करने और लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शक्ति का उपयोग करें।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बीमारियों का पता लगाने, पूर्वानुमान लगाने, निदान और इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का वादा करता है।
यह फेफड़ों के कैंसर और स्तन कैंसर के निदान में मदद कर सकता है। एआई सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
स्क्रीनिंग में एआई के कार्यान्वयन से निदान सटीकता में सुधार हो सकता है और उपचार को अनुकूलित किया जा सकता है।
एंडोस्कोपी में एआई भी तेजी से विकसित हुआ है।
कैंसर के निदान और उपचार के अलावा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से गैर-कैंसर वाले क्षेत्रों – जैसे कार्डियोलॉजी, त्वचा रोग, नेत्र विज्ञान, दंत चिकित्सा आदि – के निदान और उपचार में भी परिवर्तनकारी सुधार की संभावना है।
भारत में डायबिटिज से प्रभावित लोगों की संख्या 10 करोड़ से अधिक है जो विश्व में सर्वाधिक है। हमें यह पता लगाना होगा कि मधुमेह और अन्य जीवनशैली संबंधी बीमारियों के बोझ को हम एआय की मदद से कैसे कम कर सकते हैं।
हमने देखा है कि, टेलीफोन संचार के क्षेत्र में आयी क्रांति ने फोन कॉल करने की लागत को काफी कम कर दिया। आज हम व्हाट्सएप कॉल के जरिये दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी से भी मुफ्त में बात कर सकते है। कितनी क्रांति हुई है, देखिये।
उसी तरह, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को निदान की लागत और उसके बाद उपचार की लागत को कम करने में मदद करनी चाहिए।
लेकिन कोई भी टेक्नोलोजी हो, वह पेशंट के साथ अच्छा संवाद और मानवीय स्पर्श का विकल्प नहीं हो सकती।
इसलिये रोगियों के प्रति आपके मन में सहानुभूति होनी चाहिये।
इसलिए मैं आप सभी से आह्वान करूंगा कि प्रौद्योगिकी को जरूर अपनाएं, लेकिन जिन व्यक्तियों और मरीजों से आपका संपर्क है, उनसे संपर्क कम न करें।
एआई को डॉक्टरों, नर्सों को अपना ज्ञान बेहतर बनाने में मदद करनी चाहिए।
साथियों,
जबकि एआई के कई लाभ हैं, प्रौद्योगिकी के साथ चुनौतियां भी आएंगी।
हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि एआई का विकास और उपयोग जिम्मेदारी से किया जाए।
मरीज की गोपनीयता बरकरार रखी जानी चाहिए। नैतिक दिशानिर्देश और नियम पहले से ही विकसित किए जाने चाहिए।
जो मरीज बहुत साधन सम्पन्न होते हैं, उनके पास अनेक विकल्प होते हैं। लेकिन, आपके पास जो सामान्य मरीज आता है, उसके लिए आप ही सबसे बड़ा सहारा होते हैं।
इसलिए, मेरा अनुरोध है कि आप सब, विशेष प्रयास करके, पूरी संवेदना और करुणा के साथ कमजोर वर्गों के लोगों की सेवा में तत्पर रहें।
चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में बहुत तेज गति से परिवर्तन हो रहे हैं। परिवर्तन की यह गति बढ़ती ही रहेगी। इसलिए, आप सब हमेशा कुछ नया सीखने और कुछ नया करने का उत्साह बनाए रखें।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर मध्यावधि कॉन्फ्रेंस एक उत्कृष्ट पहल है जिसके लिए सभी संयोजक बधाई के पात्र हैं। मेरा मानना है कि अनुभवों और सफलता की कहानियों को साझा करने के लिए ऐसे सम्मेलन नियमित आधार पर आयोजित किए जाने चाहिए।
मैं नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज और बॉम्बे हॉस्पिटल के उन सभी वरिष्ठ फेलो को बधाई देता हूं जिन्हें आज सम्मानित किया गया।
मैं आप सभी को बधाई देता हूं और आपके भविष्य के प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।
धन्यवाद।
जय हिन्द। जय महाराष्ट्र।।