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    27.03.2023 : महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय तथा शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था (आयटीआय) के मुख्य भवन का भूमिपूजन समारोह, स्थान : प्लॉट नंबर ३०५ / ३०६, फॉरेस्ट कॉलनी रोड , पनवेल, नवी मुंबई

    प्रकाशित तारीख: March 27, 2023

    महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय तथा शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था (आयटीआय) के मुख्य भवन का भूमिपूजन समारोह, स्थान : प्लॉट नंबर ३०५ / ३०६, फॉरेस्ट कॉलनी रोड , पनवेल, नवी मुंबई

    सम्मानित मुख्यमंत्री श्री एकनाथजी शिंदे,

    सम्मानित उप-मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस,

    कौशल विकास मंत्री श्री मंगल प्रभात लोढा

    श्रीमती मनिषा वर्मा, प्रधान सचिव, कौशल विकास, रोजगार, स्वयंरोजगार और नवाचार विभाग

    महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय की कुलगुरू डॉ अपूर्वा पालकर,

    व्यावसाय शिक्षा और प्रशिक्षण विभाग के संचालक श्री दिगंबर दलवी,

    भूमिपूजन समारोह में उपस्थित जनप्रतिनिधि

    देवियो और सज्जनो,

    गुडी पाडवा से महाराष्ट्र में नववर्ष का आरंभ हुआ है । बडी ख़ुशी की बात है की नववर्ष के पहले सप्ताह में ही महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय का भूमिपूजन संपन्न हो रहा है।

    इस अवसर पर मै विश्वविद्यालय का, और विशेषकर विश्वविद्यालय की प्रथम कुलगुरू डॉ अपूर्वा पालकर का हृदय से अभिनंदन करता हूँ।

    देवियो और सज्जनो,

    सैमुअल हंटिंगटन की पुस्तक ‘द क्लैश ऑफ सिविलाइजेशन’ के अनुसार, वर्ष 1750 में विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत थी।

    कपास, ऊन, लिनेन और रेशम में हमारा कपड़ा माल दुनिया भर में प्रसिद्ध था ।

    एक छोटे से माचिस बॉक्स में भी समा जाये ऐसी सिल्क की साड़ियां यहाँ, हमारे देश में तैयार होती थी ।

    हम गहनों, जेम स्टोन्स, मिट्टी के बर्तनों, चीनी मिट्टी के बरतन और हर तरह की गुणवत्ता और मिट्टी के पात्र के लिए भी जाने जाते थे।

    भारत देश धातु विज्ञान में अग्रणी था, जो लोहे, स्टील, चांदी और सोने के बेहतरीन कामों के लिए जाना जाता था ।

    भारत में वास्तुकला और इंजीनियरिंग चरम सीमा पर विकसित हो चुकी थी।

    भारत न केवल सबसे बड़ा जहाज निर्माण करने वाला देश था, बल्कि इसके पास भूमि और समुद्र के द्वारा महान वाणिज्य और व्यापार भी था, जो सभी ज्ञात सभ्य देशों तक फैला हुआ था ।

    कहने का तात्पर्य, हमारा देश तीन शताब्दी पहेले ही दुनिया का स्किल कैपिटल रहा है। उन ऊंचाइयों को फिर एक बार हासिल करके देश को दुनिया का स्किल कैपिटल बनाना, इस दिशा में हमारा प्रयास होना चाहिए।

    इसी लक्ष्य के मद्देनजर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 15 जुलाई 2015 को स्किल इंडिया मुहिम की घोषणा की जिसमें उन्होंने पूरे भारत के चालीस करोड़ जनता को इस मुहिम के अंतर्गत कुशल बनाने का प्रण लिया है।

    आज भारत दुनिया का सबसे युवा देश बन कर उभर आया है। कुछ ही वर्षो में भारत की जनसंख्या चीन की जनसंख्या को पार करेगी।

    युवा जनसंख्या के मामले में भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा भंडार है।

    आज भारत में लोगों की औसत आयु मात्र २९ साल है। दुनिया के अनेक देश के लोग हमारी युवा जनसंख्या की अपेक्षा में बुढे हो रहे है। जनसांख्यिकीय विभाजन – डेमोग्राफिक डिव्हिडंड – आज निश्चितही हमारे पक्ष में है।

    इस परिप्रेक्ष्य में पुरी दुनिया को स्कील्स मॅनपॉवर देने की क्षमता और तैयारी हमें विकसित करनी होगी और हमारे युवाओं को कौशल-युक्त बनाना होगा।

    यह वास्तव है कि, हमारे अधिकतर युवा अपने घर के पास अपने गांव के समीप, या अपने शहर में ही नौकरी करना पसंद करते है।

    दूसरे राज्य या दूसरे प्रदेश में अच्छे करियर के अवसर हो, तो भी वे घर छोडना पसंद नहीं करते। यह मानसिकता हमें बदलनी होगी।

    श्रम ब्यूरो की 2014 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में औपचारिक रूप से कुशल कार्यबल का वर्तमान आकार केवल 2 प्रतिशत है।

    कई बार हम देखते है, हमारे इंजिनिअरिंग कॉलेज के ग्रॅज्युएट्स भी पुरी तरह से रोजगार सक्षम नहीं बनते।

    अनेक विश्वविद्यालय आज केवल शिक्षित बेरोजगार युवक निर्माण कर रहे है। यह चित्र बदलने की सख्त जरूरत है।

    हाल ही में दावोस वैश्विक निवेशक सम्मेलन में महाराष्ट्र सरकार ने १ लाख ३७ हजार करोड़ रुपयों के निवेशन के लिए १९ कंपनियों के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये है।

    इसके तहत राज्य में आने वाले अधिकतर रोजगार के अवसर हमारे युवाओं को मिले इसके लिए हमें युवाओं को पर्याप्त स्किल्स प्रदान करने होंगे।

    सॉफ्ट स्किल्स विकास की तरफ भी हमें विशेष तौर पे ध्यान देने की जरुरत है।

    सरकार द्वारा आरंभ किए गए स्किल इंडिया मिशन का लक्ष्य कौशल प्रदान करते हुए रोज़गार के लिए कुशल कार्य बल तैयार करना है।

    मिशन का लक्ष्य 40 करोड़ से अधिक लोगों को कौशल प्रदान करना तथा उनकी पसंद के कौशलों का प्रशिक्षण देते हुए उनकी रोजगार संबंधी योग्यता को बढ़ाना है।

    समावेशी वृद्धि के लिए सभी स्तरों पर कुशल मानव संसाधन अनिवार्य है। सरकारी एजेंसियां और व्यवस्था अकेले यह काम पूरा नहीं कर सकते।

    कौशल प्रदान करने की प्रक्रिया में निजी क्षेत्र, उद्योग जगत, कॉर्पोरेटस, गैर सरकारी संगठन, कौशल प्रशिक्षण के अनुभव वाले शिक्षण संस्थानों को भी साझेदारी करनी होगी।

    हमारे आदिवासी – वनवासी भाइयों के पास अनेक कला कौशल है। खेल कुद के कौशल है।

    आज दुनिया में बांबू से बने उत्पादन, बांबू फर्निचर, शहद, जैसे उत्पादनों की मांग बढ़ रही है।

    आदिवासी लोगों को प्रशिक्षण देने की तथा उनके बनाए गये उत्पादनों के मार्केटिंग, ब्रॅण्डिंग और पैकेजिंग की आवश्यकता है। इस क्षेत्र में भी कौशल विश्व विद्यालय ने पहल करनी चाहिये। इससे उन्हे जंगल उत्पादनों से अच्छी आमदनी होगी।

    आज कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है।

    विश्वविद्यालयों में अधिकतर गोल्ड मेडल्स हमारी बहनें और बेटियां जीत रही है।

    मेरा आग्रह है, कौशल विश्वविद्यालय महिलाओं और वर्किंग विमेन के लिए अभिनव कोर्सेस डिझाईन करें, ताकि कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी और भी बढे।

    प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्किल, रिस्कील और अप-स्किल पर बल दिया है।

    सरकारी संस्थान, विश्वविद्यालय, प्राइवेट सेक्टर में हर तीन वर्षों के बाद कर्मचारियों को नये प्रशिक्षण, स्किल अपग्रेडेशन की आवश्यकता होती है। कौशल विश्वविद्यालय ने स्कील अपग्रेडेशन के लिये भी कार्यक्रम बनाने चाहिये।

    कौशल विकास जन आंदोलन बने इसके लिए हम सबको प्रयास करने होंगे।

    महाराष्ट्र राज्य स्किल विश्वविद्यालय राज्य के हर शहर, हर गांव तक पहुंचे, सभी किसानों तक पहुंचे। कॉलेज ड्रॉप आउट्स और अन्य लोगों को भी विश्वविद्यालय से जुडने का अवसर मिले और हम अधिक से अधिक लोगों के आर्थिक उत्थान में योगदान दे।

    हमारे आयटीआय में अत्याधुनिक प्रशिक्षण के अवसर निर्माण हो और हमारे युवा ग्लोबली कम्पिटिटिव्ह बने इस अपेक्षा के साथ फिर एक बार महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय का अभिनंदन करता हूँ।

    महाराष्ट्र में कौशल क्रांति लाने में यह विश्वविद्यालय मील का पत्थर साबित होगा ऐसी उम्मीद और विश्वास के साथ आप सभी को शुभकामना देता हूँ।

    जय हिंद । जय महाराष्ट्र ।।