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    26.12.2023 : ५० वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी का उद्घाटन

    प्रकाशित तारीख: December 26, 2023

    ५० वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी का उद्घाटन, स्थल: पुणे, सुबह ११ बजे, दि. २६ दिसंबर २०२३

    श्री अजित पवार जी, उपमुख्यमंत्री महाराष्ट्र राज्य

    श्री चंद्रकांत पाटील जी, उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री

    श्री दीपक केसरकर जी, शालेय शिक्षा मंत्री

    श्री रणजीत सिंह देओल, प्रधान सचिव, पाठशाला शिक्षा विभाग

    श्री श्रीधर श्रीवास्तव, संयुक्त निदेशक, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद

    श्री सूरज मांढरे, शिक्षा आयुक्त

    श्री अमोल येडगे, निदेशक, राज्य शैक्षिक अनुसंधान तथा प्रशिक्षण परिषद, पुणे

    भारत देश से यहा पर उपस्थित बाल वैज्ञानिक, शिक्षक गण, विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि और सहभागी होने वाले सभी का महाराष्ट्र की इस भूमि में हार्दिक स्वागत है।

    महाराष्ट्र संतों और वीरों की भूमि है। इस में पुणे को संस्कृति और शिक्षा का मुख्य केंद्र माना जाता है। मुझे आशा है कि इस पवित्र भूमि में आप सभी को एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त होगा।

    डॉ. वसंत गोवारीकर, डॉ. जयंत नारलीकर, डॉ. विजय भटकर, डॉ. अनिल काकोडकर, डॉ. रघुनाथ माशेलकर जैसे विख्यात वैज्ञानिकों ने विज्ञान के क्षेत्र में महाराष्ट्र के साथ-साथ पूरे देश का नाम विश्व में उजागर किया है।

    हर व्यक्ति में कोई ना कोई कला छिपी होती है और वह समय व इच्छा शक्ति से उभरती है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का उदाहरण लीजिए। बचपन में घर-घर समाचार पत्र पहुँचाते थे, स्ट्रीट लाईट पे पढ़ाई करते थे। किसीने सोच भी नहीं होगा की यह व्यक्ति देश के ‘मिसाईल मेन’ बन सकते है। उनकी इच्छा शक्ति व आत्मविश्वास के कारण वे अपनी मंजिल तक पहुँच सके।

    बाल वैज्ञानिकों से संबंधित ऐसे प्रदर्शनों के माध्यम से ही देश में इस तरह के भविष्यकालीन वैज्ञानिक निर्माण होंगे।

    यह राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी हर साल अलग-अलग राज्यों में आयोजित की जाती हैं। ५० वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी २०२३ की यजमानपद का सम्मान महाराष्ट्र राज्य को मिला है यह निश्चित ही गर्व की बात है।

    इस प्रदर्शनी में राष्ट्र के विभिन्न शिक्षा मंडलों से संलग्न पाठशालाओं ने भाग लिया है। साथ ही विभिन्न सरकारी, गैर-सरकारी संस्थान भी सहभागी हुए है। इस कारण यह केवल विज्ञान से संबंधित प्रदर्शनी न रहकर एक विज्ञान उत्सव होने जा रहा है।

    हजारों छात्र तथा नागरिक इस प्रदर्शनी को भेंट देंगे। परिणामस्वरूप ‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण’ दर्शाता यह तूफान हर घर तक अवश्य ही पहुंचेगा इस का मुझे पूरा विश्वास है।

    मेरे बाल वैज्ञानिक मित्रों द्वारा पेश किए जाने वाले प्रयोग निश्चित ही छोटे होंगे लेकिन यह भी एक सत्य है कि इन में से ही आगे चलकर विभिन्न पेटेंट दर्ज किए जाएंगे।

    बाल अवस्था के बीज आगे चलकर महाकाय वृक्षों में परिणत होते है, बस जरूरत होती है उन्हे पनपने में सहायता करने की। इस प्रकार की विज्ञान से संबंधित प्रदर्शनियां राष्ट्र के वैज्ञानिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी इसमें कोई संदेह नहीं।

    इन बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनियों का आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि पाठशाला में शिक्षा ग्रहण करते समय ही विज्ञान विषय को लेकर छात्रों में रुचि निर्माण हो और उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा मिले। शालेय छात्रों और बाल वैज्ञानिकों को अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करने के लिए यह एक मंच प्रदान करती है।

    मैं बडे अभिमान के साथ कहना चाहता हुं, की भारतवर्ष में विश्व की अतिप्राचीन विज्ञान परंपरा पायी जाती है। भारत के वैज्ञानिक आज भी हमे वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संवर्धन में दीपस्तंभवत मार्गदर्शक तथा प्रेरक लगते है। आर्यभट्ट, कपिलमुनी, धन्वंतरी, विश्वकर्मा, सुश्रुत, चरक, वाग्भट, नागार्जुन, कणाद, भास्कराचार्य, वराहमिहीर जैसे भारतीय वैज्ञानिक भारत के ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के अभिमान बिंदू कहलाते है।

    भारत चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पहुँचने वाला विश्व का पहला देश है और इसमे भी हमारे विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान सिद्ध हो गया है। आज हम भारत के प्रधानमंत्री मा. नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में आदित्य यान, मंगल यान, चांद्रयान जैसे अभियानों के माध्यम से स्वयंपूर्ण भारतीय वैज्ञानिक विकास के आधार पर छुने जा रहे है।

    स्वामी विवेकानंद कहते है, उठो, आगे बढो और निरंतर प्रयास करते हुये ध्येय प्राप्त होने तक बिना रुके चलते रहो।

    चरैवेति चरैवेति…..

    “जांच करें तथा विवेक संतुष्ट हो तो स्वीकार करें” इस प्रकार का विचार प्राचीन भारतीय विश्लेषणात्मक विचारधारा के अनेक वैज्ञानिक तथा तत्त्ववेत्ताओं ने दिया है। वास्तविक रूप से देखा जाए तो वैज्ञानिक दृष्टिकोण विचार करने की एक प्रक्रिया है, काम करने की एक पद्धति है, सत्य की खोज है, जीवन जीने का एक तरीका है तथा स्वतंत्र मानव का एक दृष्टिकोण भी है। इसी लिये विवेक से विज्ञानवादी दृष्टिकोण अपनाना चाहीये।

    इस राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी के उपलक्ष्य में हमने राज्य में विज्ञान पखवाड़े के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया है जिसको लेकर महाराष्ट्र में ‘विज्ञानमय’ वातावरण का निर्माण हुआ है।

    प्रदर्शनी का इस वर्ष का विषय ‘प्रौद्योगिकी तथा खिलौने’ सुनिश्चित किया गया है। विगत एक-दो वर्षों में भारत में स्थानीय खिलौने के उद्योग को बड़े पैमाने पर विकसित होते हुए देखा गया है। अगर यह खिलौने विज्ञान पर आधारित होंगे तो, वह विकास की दिशा में एक अभूतपूर्व और महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। खिलौने के साथ खेलते – खेलते बच्चे विज्ञान को भी समझ सकते है और उनमे रुची निर्माण हो सकती है। इसी विज्ञान के साथ आगे चलते हुए हमारा देश एक विकसित राष्ट्र होगा, विश्वगुरु पद पर पुनःश्च विराजित होगा और इसके लिए ‘सबका का साथ, सबका का विकास’ इस मंत्र के अनुसार आगे चलते हैं।

    पाठशालओं में विज्ञान प्रदर्शनी का निरंतर आयोजन होना चाहिए जिससे बच्चों की रचनात्मक तथा वैज्ञानिक सृजनशीलता को विकसित करने में मदद होगी। इससे बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ेगी और सृजनात्मक चिंतनशीलता का भी विकास होगा।

    प्रिय छात्रों,

    मुझे पूरा विश्वास है की आप के सहयोग से भारत का भविष्य सुनहरे यशोपथ पर आगे बढेगा। बस आप को जो पाना है उसे हासिल किये बिना कदम न रोकना, आप में वो सारे गुण निहित है जिनसे आपको विश्वविजयी होने में कोई नहीं रोक सकता।

    अनजान राह की डर से रुक जाओगे तो ठुठ बन कर रह जाओगे, लेकिन जिधर तुम चलोगे रास्ता वहीं बनेगा।

    जब मन को आशाओं के पंख,
    हृदय में ध्येय का तूफान,
    आकांक्षाओ का पथ,
    विचारो में जिद,
    फुलों को भावनाओं का गंध हो न बच्चो,
    तो सारा आसमां मुठ्ठी में होगा ।।

    यशस्वी भव इतना कह कर मै आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं और अपनी वाणी को विराम देता हुं।

    धन्यवाद।
    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।