26.07.2024 : सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट का 16 वां स्थापना दिवस समारोह
सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट का 16वां स्थापना दिवस समारोह। 26 जुलाई, 2024
डॉ जितेंदर अगरवाल, संस्थापक एवं सीईओ ‘सार्थक’
श्री लव वर्मा, पूर्व सचिव, भारत सरकार
श्री संदीप वर्मा, CEO, स्माल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (SIDBI)
श्री विजय कलंत्री, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के अध्यक्ष
श्री क्रिशन कालरा, सलाहकार बोर्ड सदस्य ‘सार्थक’
सलाहकार बोर्ड के सदस्य
कॉर्पोरेट जगत तथा NGO के प्रतिनिधि
दिव्यांग भाइयों और बहनों
सबसे पहले, मैं सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट को 16वें स्थापना दिवस के अवसर पर हार्दिक बधाई देता हूँ।
आज पुरे देश में २५ वां ‘कारगिल विजय दिवस’ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर मै हमारे सैन्य दलो के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं।
‘सार्थक’ यह डॉ जितेंदर अगरवाल के सपनों की अभिव्यक्ति है, जिन्होंने विकलांग व्यक्तियों को सशक्त बनाने के लिए खुद का जीवन समर्पित कर दिया है।
डॉ जितेंदर अगरवाल एक क्वालिफाईड दंत चिकित्सक हैं। वर्ष 2004 में अपनी दृष्टि खोने से पश्चात चार साल के अंदर उन्होंने दिव्यांग व्यक्तियों की शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और सक्षमी करण का महान कार्य आरंभ किया।
यकीनन, कोई भी व्यक्ति अचानक दृष्टि खोने के बाद आत्मविश्वास खो बैठता। लेकिन डॉ जितेंदर अगरवाल ने अपने ऊपर बीती गंभीर आपदा को देश के सभी दिव्यांगो के लिए अवसर में बदल दिया।
दंत चिकित्सक बने रहते, तो संभवता डॉ अगरवाल सौ-हजार लोगों को सेवा दे पाते। लेकिन उन्होंने सभी बाधाओं को पार करके दिव्यांगों के लिए भारत का सबसे बडा NGO संगठन निर्माण कर दिखाया।
पिछले 16 वर्षों में सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट एक विशाल बरगद के पेड़ की तरह विकसित हुआ है।
जैसे की बताया गया है कि ‘सार्थक’ के आज 20 राज्यों में 25 केंद्र हैं। संस्था ने अब तक बीस लाख लोगों तक पहुँच बनाई है, 70,000 से अधिक दिव्यांग व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया है और हजारो दिव्यांग उम्मीदवारों को नौकरी दिलाई है। यह एक असाधारण उपलब्धि है।
मेरा सौभाग्य रहा की मैं उस संसदीय समिति का अध्यक्ष था जिसने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार विधेयक 2016 का मसौदा तैयार किया था।
समिति ने देश के विभिन्न प्रदेशों में जाकर दिव्यांग लोगों के लिये कार्य कर रहे संस्थानों का दौरा किया था तथा दिव्यांगों से उनकी समस्या की जानकारी ली थी।
आप कल्पना भी नही कर पाओगे, इतने प्रकार की दिव्यांगता हमारे देश में है।
समिति ने विकलांगता के प्रकारों को 7 से बढ़ाकर 40 से अधिक कर दिया था। संभाषण और भाषा विकलांगता और विशिष्ट अधिगम विकलांगता को पहली बार जोड़ा गया।
एसिड अटैक पीड़ितों को भी दिव्यांग श्रेणी में शामिल किया गया है। बौनापन, मांसपेशियों की दुर्बलता को निर्दिष्ट विकलांगता की अलग श्रेणी के रूप में दर्शाया गया है।
विकलांगता की नई श्रेणियों में रक्त विकार, थैलेसीमिया, हीमोफीलिया और सिकल सेल रोग भी शामिल किये गये।
मुझे यह जानकर खुशी हुई कि ‘सार्थक’ संस्था ‘सिडबी’ के साथ सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर अपना I P O – ‘जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल’ लॉन्च कर रहा है।
यह एक ऐतिहासिक पहल है, और यह जानकर खुशी हो रही है कि ‘सार्थक’ इस प्रयास में अपने NGO भागीदारों को शामिल करने जा रहा है।
हर साल मुंबई में मैराथन का आयोजन होता है। इसी जनवरी में मैंने मैराथन को झंडी दिखाकर रवाना किया था।
आपको आश्चर्य होगा, देश के सैकड़ों NGO इस मैराथन के मंच का उपयोग करके विभिन्न नेक सामाजिक कार्यों के लिए करोड़ों रुपयों का धन जुटाते हैं।
महाराष्ट्र के लोग बहुत उदार हैं। अगर आप उनके पास सही प्रस्ताव लेकर जाते हैं, तो वे निश्चित ही मनोयोग से सहयोग करेंगे।
बहनो और भाइयों,
संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार पूरे विश्व में सौ करोड़ से अधिक दिव्यांगजन है।
यानि विश्व में लगभग हर आठवां व्यक्ति किसी न किसी रूप में दिव्यांगजन है।
भारत की लगभग 2.21 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या दिव्यांग है।
जनगणना के इतिहास में पहली बार इस वर्ष भारत में ‘डिजिटल जनगणना’ होने जा रही है। मुझे विश्वास है कि इससे हमें देश में दिव्यांग व्यक्तियों की सही संख्या जानने में मदद मिलेगी।
भारत को आत्मनिर्भर बनाना है और देश को ‘विकसित राष्ट्र’ बनाना है तो यह जानकारी दिव्यांग व्यक्तियों के लिए विभिन्न कल्याणकारी नीतियों को डिजाइन करने में मदद करेगी।
सभी दिव्यांग जन स्वतंत्र रूप से एक गरिमापूर्ण और क्रियाशील जीवन व्यतीत कर सकें, यह हमें सुनिश्चित करना होगा।
आने वाले भविष्य में दिव्यांग लोगों के जीवन में टेक्नोलॉजी बहुत बदलाव लाने वाली है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लोगों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने जा रहा है। मुझे विश्वास है की, विकलांगता केवल एक असुविधा होगी, बाधा नहीं।
मुझे ख़ुशी है की ‘सार्थक’ ने अपनी सहायक कंपनी, ‘नेशनल एबिलीम्पिक एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया’ के माध्यम से, अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में उल्लेखनीय सफलता भी हासिल की है।
सामान्य और सक्षम व्यक्ति विकलांगता प्रमाण पत्र गलत तरीके से प्राप्त करके विभिन्न सेवाओं में प्रवेश न करे इस दृष्टी से हमें सजग रहना होगा। फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र देने वाले और लेने वाले – दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
मुझे सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट से बहुत उम्मीदें हैं। मैं आशा और कामना करता हूँ कि सार्थक दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण में वैश्विक मानक स्थापित करेगा।
स्थापना दिवस के अवसर पर मैं फिर एक बार आप सभी को बधाई देता हूँ और आपके सफल विचार-विमर्श की कामना करता हूँ।
धन्यवाद।
जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।