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    25.12.2023 : ऑनलाईन कार्यक्रम: गोंडवाना विश्वविद्यालय, गडचिरोली, द्वारा आयोजित ‘आव्हान २०२३’ उद्घाटन समारोह

    प्रकाशित तारीख: December 25, 2023

    ऑनलाईन कार्यक्रम: गोंडवाना विश्वविद्यालय, गडचिरोली, द्वारा आयोजित ‘आव्हान २०२३’ उद्घाटन समारोह, दिनांक २५ डिसंबर २०२३

    श्री अशोक नेते जी, संसद सदस्य

    श्री कृष्णा गजबे, विधायक

    डॉ. प्रशांत बोकारे, कुलपति, गोंडवाना विश्वविद्यालय

    डॉ. श्रीराम कावले, प्रति-कुलपति, गोंडवाना विश्वविद्यालय

    डॉ. निलेश पाठक, राज्य समन्वयक, एन.एस.एस.

    राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के अधिकारी,

    प्रबंधन परिषद के सदस्य और विश्वविद्यालय के विभिन्न निकायों के अधिकारी,

    महाविद्यालय के प्राचार्य, संकाय सदस्य और कर्मचारी,

    राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए एनएसएस स्वयंसेवक,

    कार्यक्रम अधिकारी, छात्र, मीडिया के सदस्य,

    देवियो और सज्जनो

    आज अटल बिहारी वाजपेयी जी कि जयंती है मै उनको सर्वप्रथम अभिवादन करता हूं।

    ख्रिसमस कि तथा नववर्ष कि आप सभी को शुभकामानाये देता हूं।

    मैं वास्तव में ‘आव्हान-२०२३’ के इस गरिमामय उद्घाटन समारोह में आपके साथ रहकर और सभी प्रतिभागियों से प्रत्यक्ष मिलना चाहता था। परंतु, व्यक्तिगत कारणों से न आ सकने के कारण ऑनलाईन उपस्थित हुं। मुझे खुशी है कि अगले १० दिनों में, महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से आने वाले सभी एन. एस. एस. के स्वयंसेवक आपदा तैयारियों और विभिन्न आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए एन. डी. आर. एफ. के अधिकारियों से प्रशिक्षण लेंगे।

    मुझे यकीन है, आप में से सभी के लिए यह एक यादगार और समृद्ध अनुभव होगा, इससे हमारे समाज एवं राज्य को अत्यधिक लाभ होगा। मैं उन सभी युवाओं को बधाई देता हूं जिन्हें ‘आव्हान-२०२३’ के लिए चुना गया है।

    मैं राज्य एन. एस. एस. समन्वयक, कार्यक्रम अधिकारियों और एन. डी. आर. एफ. के सभी अधिकारियों को भी बधाई देता हूं जो युवाओं को प्रशिक्षण देंगे।

    मुझे बेहद खुशी है कि गोंडवाना विश्वविद्यालय आपदा तैयारियों में इस राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है।

    देवियों और सज्जनों,

    गोंडवाना एक ऐतिहासिक भूमि है, शहीद बिरसा मुंडा, वीर बाबुराव शेडमाके और बाबा आमटे जैसे कई असाधारण व्यक्तित्वों की भूमि है, जिनके कार्यों और योगदान ने भारत के इतिहास को गौरवान्वित किया है। गोंडवाना विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में समृद्ध वनों, जनजाती संस्कृति और खनिजों से संपन्न अद्वितीय विशेषताएं हैं।

    इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य मुख्य रूप से समग्र मानव विकास के लिए शैक्षणिक ज्ञान, पेशेवर कौशल, नैतिक मूल्यों और खेल संस्कृति के माध्यम से युवाओं की क्षमता को बढ़ाना और विकसित करना है। मुझे खुशी है कि बहुत कम समय में गोंडवाना विश्वविद्यालय ने विकास के विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति की है। मुझे आशा है कि आने वाले दस दिनों में गोंडवाना विश्वविद्यालय मे आयोजित आपका प्रशिक्षण भी सार्थक होगा।

    प्रिय मित्रों और एनएसएस स्वयंसेवकों,

    देश में बार-बार होने वाली आपदाओं की समस्या से निपटने के लिए, राष्ट्र ने २३ दिसंबर, २००५ को आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 को अपनाया है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने आपदाओं के प्रति अपनी प्रतिक्रिया में, विशेष रूप से पूर्व-आपदा न्यूनीकरण में महत्वपूर्ण प्रगति की है। हालांकि, अभी बहुत काम किया जाना बाकी है और सरकार हर तरह की आपदाओं से निपटने के लिए तैयार है। आपदा प्रबंधन में विद्यार्थी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। छात्र आपदा तैयारियों और प्रतिक्रिया के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद कर सकते हैं। वे किसी आपदा के लिए तैयार रहने के महत्व के बारे में अपने दोस्तों, परिवार और समुदाय के सदस्यों से महत्वपूर्ण संवाद कर सकते है।

    छात्रों में स्वभाव से ही सामूहिक दृष्टि से बहुत साहस और सहनशक्ति होती है। उनका संयुक्त प्रयास समाज के लिए अत्यंत आवश्यकता पड़ने पर बहुत मददगार होता है। यदि छात्रों को ठीक से प्रशिक्षित किया जाता है, तो वे आपदा स्थल पर पहुंच सकते हैं और बाढ़, भूकंप तथा सूखे आदि के समय पीड़ितों के त्वरित पुनर्वास और उसके लिए आपदा प्रबंधन टीम की मदद कर सकते हैं। वे बढ़ती जाने वाली सावधानियों के बारे में जागरूकता भी फैला सकते हैं।

    इसी दृष्टीकोन से कुलाधिपति कार्यालय द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रमों की श्रृंखला में ‘आव्हान’ एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना के रूप से उभरकर आया है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान, हजारों युवाओं, विशेष रूप से प्रारंभिक वर्षों में एनसीसी कॅडेट और एनएसएस स्वयंसेवकों को आपदा तैयारी के कार्य में प्रशिक्षित किया गया है। मैं समझता हूं कि ऐसे मौके आए थे जब आपातकालीन स्थितियों के दौरान नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए ‘चांसलर ब्रिगेड’ के सदस्यों को बुलाया गया था और मुझे यह जानकर खुशी हुई कि प्रशिक्षित स्वयंसेवक उस समय के दौरान इस अवसर पर आगे आए हैं।

    मुझे बहुत खुशी है कि आपका प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद चांसलर ब्रिगेड में एक हजार से अधिक एनएसएस स्वयंसेवक जुड़ेंगे।

    प्रिय मित्रों,

    दुनिया भर मे, जहाँ आर्थिक विकास मानव जीवन का अनिवार्य पहलू बन गया है, वहीं प्राकृतिक संतुलन अस्तित्व संरक्षण हेतु अपरिहार्य माना जा रहा है। देखा जाए तो अधिकतम तमाम प्राकृतिक आपदाएँ मानवजनित गतिविधियों के कारण उत्प्रेरित और उत्पन्न हो रही हैं, जिनसे व्यापक रूप से जन-धन की हानि होती है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु में बदलाव, तापमान में वृद्धि, कृषि पर बुरा प्रभाव, मृत्यु दर में वृद्धि, प्राकृतिक आवास का नुकसान जैसे हानिकारक दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं।

    इसे देखते हुए स्थायी शाश्वत विकास को अपनाया जाना आवश्यक हैं, शाश्वत विकास एक ऐसी प्रक्रीया है जिसमें संसाधनों के उपयोग, निवेश की दिशा, तकनीकी विकास के झुकाव और संस्थागत परिवर्तन का तालमेल वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकताओं के साथ बैठाया जाता है।

    तथापि, शाश्वत विकास के मार्ग मे बहुत सारी चुनौतियाँ उभरकर आ रही हैं, आपदा उनमें से एक है। आपदा और विकास के बीच घनिष्ठ संबंध है क्योंकि आपदा विकास की पहल को नष्ट करती है। इसलिए राष्ट्र के भविष्य के लिए छात्रों को आपदा और विकास के बीच संबंध के बारे में जागरूक होना चाहिए और उन्हें आपदाओं को कम करने के लिए सिखाना और प्रशिक्षित करना चाहिए, इसी उद्देश्य से ‘आव्हान’ कार्यक्रम तैयार किया गया है।

    प्रिय मित्रों,

    इसी संदर्भ में, भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ‘विकसित भारत @2047: युवाओं की आवाज’ इस कार्यशाला का ११ दिसंबर २०२३ को शुभारंभ किया। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि भारत में अभी अमृतकाल चल रहा है और यह भारत के इतिहास का वह कालखंड है, जब देश एक लंबी छलांग लगाने जा रहा है।

    वर्ष २०४७ तक देश को विकसित बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने इस अभियान से युवाओं को जुड़ने का आवाहन करते हुए ‘भारत के लिए, यही समय है, सही समय है और इसमे युवा की भूमिका महत्व पूर्ण है, युवा शक्ति परिवर्तन की वाहक भी है और परिवर्तन की लाभार्थी भी है’ यह संदेश दिया है।

    जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री ने सपना देखा है कि छात्रों में समाज को आकार देने की क्षमता है और देश के सामने आने वाली हर चुनौतियों जैसे आपदाओं से लड़ने का साहस है, मैं आप सभी से भारत को हर आपदा से सुरक्षित और विकसित बनाने के लिए इस कार्यक्रम में पूर्ण समर्पण के साथ भाग लेने के लिये आवाहन करता हूं।

    इन शब्दों के साथ, मैं गोंडवाना विश्वविद्यालय और सभी भाग लेने वाले एनएसएस स्वयंसेवकों और कार्यक्रम अधिकारियों को बधाई देता हूं क्योंकि वे आपदा प्रतिक्रिया में अपने प्रशिक्षण शिबीर की शुरुआत कर रहे हैं और उनके प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।

    जय हिन्द ! जय महाराष्ट्र !!