बंद

    24.07.2023 : ‘इन्कम टॅक्स दिवस’ की १६४ वीं वर्षगांठ, स्थल : यशवंतराव चव्हाण सेंटर, नरीमन पॉइंट, मुंबई

    प्रकाशित तारीख: July 24, 2023

    ‘इन्कम टॅक्स दिवस’ की १६४ वीं वर्षगांठ, स्थल : यशवंतराव चव्हाण सेंटर, नरीमन पॉइंट, मुंबई

    श्रीमती गीता रविचन्द्रन, प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त, मुंबई

    श्री एन चंद्रशेखरन, अध्यक्ष, टाटा सन्स

    श्री आशीष कुमार चौहान, अध्यक्ष, नॅशनल स्टॉक एक्स्चेंज

    श्रीमती अनिता डोंगरे, फैशन डिजाइनर

    श्री डी. के. श्रीनिवास, प्रधान मुख्य आयुक्त, जी एस टी

    श्री देबदत्त चंद, अध्यक्ष, बँक ऑफ बडोदा

    करदाता व्यापारी संस्था के प्रतिनिधि

    विशिष्‍ट अतिथिगण

    आयकर विभाग के सभी अधिकारी गण

    बहनों और भाईयों

    आज ‘आयकर दिवस’ के अवसर पर यहां उपस्थित, आयकर विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों तथा कर दाताओं का मै हार्दिक अभिनंदन करता हूं और उन्हे बधाई देता हूं।

    यह दिन हमारे देश की समृद्धि और विकास में आयकर के परिवर्तनकारी प्रभाव की याद दिलाता है।

    राजस्व वह ऊर्जा है जो देश को चलाने के लिए ईंधन देती है। राजस्व शासन का मूल आधार है।

    राष्ट्र निर्माण में हमारे देश के वित्तीय हित को संरक्षित रखने में आयकर के उल्लेखनीय योगदान की ओर अक्सर हमारा ध्यान नहीं जाता है।

    अत्‍यावश्‍यक जनसेवाओं, आधारभूत सुविधाओं के साथ-साथ सामाजिक समानता को बढ़ावा देने में आयकर विभाग का योगदान अनुपम रहा है।

    कर देना केवल एक वित्तीय व्यवहार नहीं है, बल्कि यह एक मजबूत और समृद्ध देश के निर्माण में योगदान देने की हर किसी की जिम्मेदारी का भी प्रतीक है।

    महान दार्शनिक, अर्थशास्त्री आर्य चाणक्य के अर्थशास्त्र में इस विषय पर व्यावहारिक ज्ञान है।

    चाणक्य कहते हैं, “कर देना, लोगों के लिए एक दर्दनाक प्रक्रिया नहीं होनी चाहिए। कर संरचना तय करते समय उदारता और सावधानी बरतनी चाहिए। सरकार को मधुमक्खी की तरह कर एकत्र करना चाहिए, जो फूल से सही मात्रा में शहद चूसती है ताकि दोनों बच सकें”।

    आयकर विभाग का लक्ष्य प्रगतिशील कराधान के सिद्धांत के अनुसार राजस्व एकत्र करना है। जिनके पास अधिक संसाधन हैं उन्हें, जिनके पास सीमित साधन है उनकी जिम्मेदारी उठानी चाहिए। सबसे चौड़े कंधों को सबसे भारी बोझ उठाना चाहिए।

    पिछले ९ वर्षों के दौरान भारत सरकार ने देश में आयकर को बहुत अधिक सरल बनाने के प्रयास किए गए हैं। साथ ही करदाताओं के आधार को भी व्यापक करने का प्रयास किया गया है।

    इन्कम टॅक्स विभाग द्वारा तकनीकी प्रगति और सरलीकृत प्रक्रियाओं को अपनाने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है।

    आज आपको रिटर्न फाइल करने के लिये सीए के पास जाने की आवश्यकता नहीं। आप स्वयं बिना किसी की मदद लिये, समय सीमा के पूर्व रिटर्न फाइल कर सकते है।

    अब कर अनुपालन को आसान बना दिया है, व्यक्तिगत करदाताओं और व्यवसायों को सशक्त बनाया गया है।

    अब, करदाताओं को कर कार्यालयों में व्‍यक्‍तिगत रूप से जाने और अधिकारीयों से मिलने की कोई आवश्यकता नहीं है। फेसलेस कार्रवाई से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है।

    विश्वास-आधारित कराधान प्रणाली के परिणाम स्वरूप कर-संग्रह में सुधार हुआ है और रिटर्न दाखिल करने की संख्या में भी वृद्धि हुई है।

    मुझे ज्ञात किया गया है कि वित्त वर्ष २०१३-१४ और २०२२-२३ के बीच केवल ९ वर्ष में कर-संग्रहण में १६७ प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

    इस अवधी में पूरे देश में दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या २.९६ करोड़ से बढ़कर ७.६३ करोड़ हो गई है।

    वर्ष २०२५ तक भारत सरकार ने ५ ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प किया है। महाराष्ट्र सरकार ने भी अपने सामने १ ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने में आपकी भूमिका भी अहम होगी। हम सब के लिये गर्व की बात है कि अकेले मुंबई का आयकर में योगदान पुरे देश की तुलना में एक तिहाई है।

    पुरे देश के १६ लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर संग्रह में अकेले मुंबई का हिस्सा ५ लाख करोड रुपये है, जो लगभग ३० प्रतिशत है।

    राजस्व संग्रह में वृद्धि के परिणामस्वरूप, महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उच्च निवेश होगा, जिससे सरकार को “आत्मनिर्भर भारत” के दृष्टिकोण को साकार करने में भी सहयोग मिलेगा।

    यह एक स्वीकृत तथ्य है कि भारत में कर संस्कृति का अभाव है।

    इसके लिए कई कारण हैं। कई भारतीय इतनी वार्षिक आय नहीं अर्जित करते हैं कि वे आयकर का भुगतान करने के योग्य भी हो सके। लेकिन एक बड़ा कारक भारत की विशाल ग्रामीण और भूमिगत अर्थव्यवस्थाओं से भी जुड़ा है।

    सरकार ने आयकर रिटर्न की तेजी से प्रसंस्करण के लिए नई प्रणालियाँ भी लागू की हैं। इसके परिणामस्वरूप रिफंड तीव्रता से जारी करना सुनिश्चित किया जा रहा है।

    उपरोक्त सभी कर-पहले, अमृत काल में, देश की अर्थव्यवस्था को एक और समावेशी मजबूत आधार की ओर ले जाने के लिए कटिबद्ध हैं।

    आज राष्ट्रों के वैश्विक समुदाय में भारत का स्थान काफी ऊंचा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की आवाज को ज्यादा महत्व दिया जाता है। हम चाहते हैं कि भारत, व्यवसायों और निवेशकों की स्वाभाविक पहली पसंद बने। ऐसा तब होगा जब भारत एक बिजनेस फ़्रेंडली देश बन कर उभरेगा। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर प्रशासकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी। हममें से प्रत्येक की जिम्मेदारी है कि हम अपनी ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता और प्रतिबद्धता के माध्यम से ‘ब्रांड इंडिया’ का निर्माण करें।

    महाभारत के एक प्रसंग में युधिष्ठिर राजकाज पर सलाह लेने के लिए भीष्म पितामह के पास गए। ऐसा कहा जाता है, भीष्म पितामह ने उन्हें कहा था, “किसी को भी कर देना पसंद नहीं है, लेकिन राजा को उन्हें राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से अवगत कराना चाहिए जिसके लिए धन की आवश्यकता है”।

    इस सलाह के अनुसार हमें भी कर-साक्षरता और जागरूकता फैलाने का कार्य, निष्ठा से करना आवश्यक है। आयकर विभाग को युवाओं के बीच कर कानूनों और प्रक्रियाओं की समझ बढ़ाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना जारी रखना चाहिए।

    मैं पुन: ‘आयकर दिवस’ के अवसर पर, आयकर विभाग के सभी अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ-साथ करदाताओं को भी हार्दिक बधाई देता हूं। एक बार फिर मैं आपको आयकर दिवस की शुभकामनाएं देता हूं।

    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।