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    19.06.2023 : ONLINE : डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय लोनेरे का २५ वाँ वार्षिक दीक्षांत समारोह

    प्रकाशित तारीख: June 19, 2023

    ONLINE : डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय लोनेरे का २५ वाँ वार्षिक दीक्षांत समारोह

    श्री. चंद्रकांत दादा पाटिल जी, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री

    श्री. उदय सामंत जी, पालक मंत्री, रायगड

    डॉ. कारभारी काले, कुलपति, डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

    कार्यकारी परिषद और विद्या परिषद के सदस्य,

    आमंत्रित अतिथि गण,

    स्नातक छात्र छात्राएं, और उनके माता-पिता,

    शिक्षक और कर्मचारी गण,

    देवियों और सज्जनों,

    डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय का कुलाधिपति होने के नाते विश्व विद्यालय के पचीसवें दीक्षांत समारोह में आपका हार्दिक अभिनंदन करते हुए अत्यंत हर्ष का अनुभव कर रहा हूं।

    इस अवसर पर आप सभी को बधाई देता हूं और स्वर्ण पदक विजेता छात्रों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।

    सभी छात्र – छात्राओं के माता पिता तथा अभिभावकों का भी हार्दिक अभिनंदन करता हॅूं।

    यह विश्व विद्यालय महाड और रायगड ऐसे दो ऐतिहासिक स्थानों के समीप है।

    यह दोनो स्थान हम सभी के लिए प्रेरणा दायक हैं।

    रायगड वह स्थान है जहाँ हिंदवी स्वराज के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराजजी का राज्याभिषेक हुआ था।

    भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी ने इसी जिले के महाड से चवदार तालाब से समानता के अपने कार्य का आरंभ किया था।

    यह अत्यंत गर्व की बात है कि इस विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखा गया है।

    मैं भारत माता के इन दोनों महान और क्रांतिकारी सपूतों को नमन करता हूं।

    बड़े ही सौभाग्य की बात है कि पंडित नेहरू की कैबिनेट में वित्त मंत्री रहे डॉ. सी. डी. देशमुख, आचार्य विनोबा भावे, क्रांतिवीर श्री वासुदेव बलवंत फड़के, महामहोपाध्याय दत्तो वामन पोतदार, श्री पांडुरंग शास्त्री आठवले जी, श्री नानासाहेब धर्माधिकारी आदि समाज सुधारकों की जन्मभूमि रायगड जिले में है।

    कुलपति डॉ कारभारी काले जी की रिपोर्ट से विश्वविद्यालय के कार्य तथा भावी संकल्पना ओं के बारे में जानकारी मिली।

    आशा करता हॅूं की आने वाले वर्षो में, विश्वविद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और संशोधन में देश के एक श्रेष्ठ संस्थान के रूप में उत्कृष्टता प्राप्त करने का भरसक प्रयास करेगा।

    राष्ट्र निर्माण कार्य मे इंजिनिअर्स, टेक्नॉलॉजिस्ट, आर्किटेक्ट्स, फार्मेसी वैज्ञानिक आदि का योगदान अनुपम है।

    इंजीनियरों ने स्वास्थ्य सेवा, कृषि, शिक्षा, बैंकिंग, विपणन और दूरसंचार सहित विभिन्न क्षेत्रो में बहुत योगदान दिया है।

    इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी एक दुसरे से जुड़े हुए हैं।

    कंप्यूटर, चिकित्सा उपकरण, इंटरनेट, स्मार्ट डिवाइस और डिजिटल भुगतान प्रणाली सहित तकनीकी प्रगति में इंजीनियरिंग ने बड़ी भूमिका निभाई है।

    आज भारत को विश्व में आईटी गुरु माना जाता है। यह नई पहचान भी हमे इंजीनियरों ने दी है।

    किसी और चीज से ज्यादा, इंजीनियरिंग शिक्षा आपको विभिन्न समस्याओं को हल करने के कौशल से लैस करती है।

    दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने वाले वे विश्वकर्मा है।

    आपके द्वारा खोजे जाने वाले समाधान और भविष्य में आपके द्वारा बनाई जाने वाली प्रौद्योगिकियां, जन-उन्मुख और पर्यावरण के अनुकूल होनी चाहिए।

    आज हम अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त कर रहे हैं और उनका उन्नयन कर रहे हैं।

    हम अक्षय ऊर्जा, ई-गतिशीलता, इथेनॉल-मिश्रित ईंधन और हरित हाइड्रोजन में नई पहल कर रहे हैं।

    कोविड महामारी ने दिखाया है कि लोग नई तकनीकों को काफी तेजी से अपना सकते हैं और सीख सकते हैं।

    हमने दुनिया को समयबद्ध तरीके से कोविड टीकों का विकास कर दिखाया है और दुनिया को मुफ्त में मुहैया कराया है। यह हमारे अनुसंधान और प्रौद्योगिकी का ही चमत्कार है।

    प्रिय स्नातक विद्यार्थियों,

    आज की दुनिया में प्रौद्योगिकी के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षिक, पर्यावरण और भू-राजनीतिक आयाम हैं। यह लगातार विकसित हो रहा है और हर क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है।

    मुझे उम्मीद है कि आप बड़े पैमाने पर जनता के लाभ के लिए नवीन तकनीकों के साथ सामने आएंगे और लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करेंगे।

    आपको विशेष तौर पर वंचित वर्गों, वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों और विशेष सहायता की आवश्यकता वाले अन्य लोगों के लिए इंजीनियरिंग समाधानों के बारे में भी सोचना चाहिए।

    महिलाओं ने इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में महान योगदान दिया है। हालाकी महिलाओंकी संख्या पुरुषों के अनुपात में कम दिखती है।

    हमारे पास प्रेरणादायक महिलाओं के उदाहरण हैं जो बड़ी कंपनियों का नेतृत्व कर रही हैं, स्टार्ट-अप शुरू कर चुकी हैं और दूरसंचार, आईटी, विमानन, मशीन डिजाइन, निर्माण कार्य, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य सभी क्षेत्रों में प्रमुख रूप से योगदान दे रही हैं।

    इस वर्ष के सिव्हिल सर्व्हिस परीक्षा में पहिले दस टॉपर्स में ६ महिलाएँ हैं।

    प्रिय मित्रों,

    कई भारतीय छात्र उन्नत देशों को उच्च शिक्षा के लिए चुनते हैं। हमारे छात्र बड़ी संख्या में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, रूस और कई अन्य देशों में उच्च अध्ययन के लिए जाते हैं।

    कुछ लोग अनुसंधान करना जारी रखते हैं और अपने नए गोद लिए गए देश में बसने का सपना भी देखते हैं। यह विशाल प्रतिभा पलायन – ब्रेन ड्रेन – का कारण बनता है।

    हमारे कई आईआईटियन दूसरे देशों में जाकर बस जाते हैं। हमें अपने स्नातकोत्तर विभाग और अनुसंधान संस्थानों को विकसित करने की आवश्यकता है। हमें उद्योग और विश्वविद्यालयों के बीच मजबूत बंधन बनाने की भी जरूरत है।

    हमें अपने इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थानों के विकास में पूर्व छात्रों को भी शामिल करने की आवश्यकता है। इस दिशा में, मैं वाइस चांसलर से ‘बाटू के पूर्व छात्रों के ‘पूर्व छात्र संघ’ बनाने के लिए कहूंगा।

    विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर पूर्व छात्रों को आमंत्रित करें और विश्वविद्यालय के विकास के लिए उनके सुझाव लें।

    दोस्तो,

    पूरी दुनिया में, भारत को अपने कुशल मानव संसाधन के लिए पहचाना जा रहा है। यह हमारे डीएनए के लिए सराहनीय बात है कि हम भारतीय, बहुत तेजी से, किसी भी कौशल को अपनाते हैं।

    आज दुनिया के कई देश, खासकर अधिक उम्रदराज आबादी वाले देश, कुशल मानव संसाधन की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत की ओर देख रहे हैं।

    अकेले जर्मनी को भारत से लगभग 4 लाख कुशल जनशक्ति की आवश्यकता है। मैं वाइस चांसलर से आग्रह करूंगा कि वे नियोक्ताओं से यह जानने की कोशिश करें कि वे किस तरह के कौशल की तलाश कर रहे हैं।

    इसके बाद विश्वविद्यालय को अपने स्वयं के कार्यक्रम डिझाईन करने चाहिए। यह हमारे छात्रों के लिए 100 प्रतिशत प्लेसमेंट सुनिश्चित करेगा।

    मुझे नहीं लगता कि दुनिया को हर जगह हाई एंड स्किल्स की जरूरत है। वे स्मार्ट कौशल की तलाश कर रहे हैं जो प्रयासों और श्रम को बचाएगा।

    कई वर्षों तक, हमने ऐसे स्नातक तैयार किए जो नौकरियों में रुचि रखते थे। देश को अब एंटरप्रेन्योर्स, स्टार्ट अप लीडर्स और इनोवेटर्स की जरूरत है। तभी हम आर्थिक महाशक्ति बन सकते हैं।

    मैं अक्सर लोगों से कहता हूं कि जब मैं एक छात्र था, तो दुनिया ‘मेड इन जर्मनी’ उत्पादों का इस्तेमाल करती थी। फिर वह दौर आया जब ‘मेड इन जापान’ गुणवत्ता का पर्याय बन गया।

    हाल के वर्षों में, बाजार ‘मेड इन चाइना’ उत्पादों से भर गए थे। मेरा मानना है कि 21वीं सदी भारत की है। हम दुनिया को बेहतरीन उत्पाद और सेवाएं दे सकते हैं जो ‘मेड इन इंडिया’ होंगे।

    सशक्त बनिए और दूसरों को भी सशक्त बनाइए। केवल अपनी सफलता और प्रसन्नता से संतुष्ट न हों। आपका, राष्ट्र और संपूर्ण मानवता के प्रति कर्तव्य है। आपको अपनी प्रतिभा और तकनीकी क्षमताओं का उपयोग व्यापक भलाई के लिए करना चाहिए।

    प्रौद्योगिकी का लाभ दूर-दराज के क्षेत्रों और गरीब से गरीब व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए।

    सामाजिक, आर्थिक और डिजिटल विभाजन को दूर करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए।

    आप के माध्यम से हम एक समावेशी, पर्यावरण के अनुकूल, स्मार्ट और प्रौद्योगिकी-संचालित भविष्य में छलांग लगा सकते हैं। संक्षेप में, प्रौद्योगिकी का उपयोग सामाजिक न्याय के साधन के रूप में किया जाना चाहिए।

    मैं आप सभी के उज्ज्वल और सफल भविष्य की कामना करता हूं।

    स्वच्छ भारत, डिजिटल भारत, स्किल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, मेक इन इंडिया से लेकर आत्मनिर्भर भारत तक सरकार की पहलों में आपके हितों और लक्ष्यों को प्राप्त करने के अपार अवसर हैं।

    मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई है कि यह देश का पहला विश्वविद्यालय है जिसने एनईपी 2020 के तहत अधिकांश पहलों को अपनाने के लिए प्रयास किए हैं और उन्हें अपनाया है।

    इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपना वक्तव्य समाप्त करता हूं और आपको आपके सुनहरे भविष्य के लिए फिर से शुभकामनाएं देता हूं।

    धन्यवाद।
    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।