18.05.2023 : अंतरराष्ट्रीय एबिलिम्पिक्स में पदक जीतने पर बाल कल्याण संस्थान पुणे के दिव्यांग छात्रों का सम्मान, स्थल : राजभवन, मुंबई
अंतरराष्ट्रीय एबिलिम्पिक्स में पदक जीतने पर बाल कल्याण संस्थान पुणे के दिव्यांग छात्रों का सम्मान, स्थल : राजभवन, मुंबई
श्री प्रतापराव पवार जी, अध्यक्ष, बाल कल्याण संस्था पुणे
श्रीमती अपर्णा पानसे, प्रबंधक, बाल कल्याण संस्था
एबिलिम्पिक्स के पदक विजेता,
मेरे प्यारे युवा मित्रों तथा उनके माता-पिता
राजभवन में आप सभी का स्वागत करते हुए मुझे अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है।
आपके चेहरे की मुस्कान बताती है कि आपने कुछ अविश्वसनीय, कुछ असंभव कर दिखाया है।
मुझे खुशी है कि फ्रांस में हुए इंटरनेशनल एबिलिम्पिक्स में भारत से गये 13 प्रतिभागियों में से 4 दिव्यांग प्रतिभागी बाल कल्याण संस्था से थे।
विशेष रूप से आज मैं पेंटिंग ॲन्ड वेस्ट रियुज स्पर्धा मे गोल्ड मेडलिस्ट चेतन पाशिलकर, एम्ब्रायडरी स्पर्धा मे सिल्वर और उत्कृष्टता ऐसे दो मेडल प्राप्त करनेवाली प्रियंका दबड़े, टेलरिंग मे चौथा स्थान प्राप्त करनेवाली भाग्यश्री नडीमेटला और पोस्टर डिझायनिंग ऑन कम्प्युटर मे सातवाँ स्थान प्राप्त करनेवाले ओंकार देवरुखकर का एबिलिम्पिक्स में सफलता प्राप्त करने पर हार्दिक अभिनंदन करता हूं।
विशेषकर आपके प्यारे माता-पिता और हर एक गुरु और मार्गदर्शक की सराहना करता हूं जिन्होंने आपको सफलता हासिल करने में मदद की।
बाल कल्याण, जैसा कि मैं समझता हूं, दिव्यांग छात्रों के समग्र विकास के लिए काम करने वाली एक अनोखी संस्था है।
यहां कोई कक्षाएं नहीं होती हैं। लेकिन दिव्यांग छात्रों को हैंडीक्राफ्ट, ड्राइंग, सिंगिंग, इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक, डांस, ड्रामा, स्पोर्ट्स, पॉटरी और कंप्यूटर ट्रेनिंग दी जाती है।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि विभिन्न प्रकार की विकलांगता से पीड़ित 100 से अधिक विद्यालयों के छात्र बाल कल्याण संस्था परिसर में आते हैं और निःशुल्क दी जाने वाली विभिन्न सुविधाओं का लाभ उठाते हैं।
यहाँ मोबाइल रिपेयरिंग, लॉन्ड्री, ज्वैलरी मेकिंग, पेपर बैग मेकिंग, टेलरिंग आदि जैसे व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदान किए जाते हैं।
इससे कई दिव्यांग छात्रों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद मिली है।
मुझे ज्ञात किया गया कि महाराष्ट्र के राज्यपाल की धर्मपत्नी इस संस्था की पदेन अध्यक्ष हैं।
श्री प्रतापराव पवार लगभग 4 दशकों से संस्था के साथ मजबूती से खड़े हैं।
मैं श्री प्रतापराव पवार जी को और संस्था से जुड़े सभी पदाधिकारियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
भाईयों और बहनों,
यह सुनिश्चित करना हम सबका, पूरे समाज का दायित्व बनता है कि सभी दिव्यांग जन स्वतंत्र रूप से एक गरिमापूर्ण और क्रियाशील जीवन व्यतीत कर सकें।
सभी दिव्यांगजनों को अच्छी शिक्षा प्राप्त हो, वे अपने घर और समाज में सुरक्षित रहें, उन्हें अपना करियर चुनने की स्वतंत्रता हो, रोजगार के समान अवसर हो, यह सुनिश्चित करना भी हमारा दायित्व है।
भारतीय संस्कृति और परम्परा में डिसेबिलिटी को ज्ञान-अर्जन और उत्कृष्टता प्राप्त करने में कभी भी बाधा नहीं माना गया है।
ऋषि अष्टावक्र महान ज्ञानी थे। उन्हें अष्टावक्र इसलिए कहा जाता था क्योंकि उनका शरीर आठ जगह से टेढ़ा था।
ऋषि अष्टावक्र ने अनेक चुनौतियों के बावजूद, अपने ज्ञान और दर्शन से समाज को प्रकाशित किया।
महान संत कवि सूरदास जी ने नेत्रहीन होते हुए भी राधा-कृष्ण के रंग-रुप, श्रृंगार और सौन्दर्य का सजीव चित्रण किया है।
बल्ब की खोज करने वाले थॉमस अल्वा एडिसन उम्र के १२ वें वर्ष से कर्णबधिर हो गये थे।
विश्व के जाने माने वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग लगभग पूरे पेरलाइज थे।
दिव्यांग होने के बावजूद स्टीफन हॉकिंग ने अपने असाधारण ज्ञान से विज्ञान जगत को नई दिशा प्रदान की है।
प्राय:, यह देखा गया है की दिव्यांगजन दिव्य-गुणों से युक्त होते हैं।
ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जिसमें हमारे दिव्यांग भाइयों-बहनों ने अपने अदम्य साहस, प्रतिभा और दृढ़ संकल्प के बल पर अनेक क्षेत्रों में प्रभावशाली उपलब्धियां हासिल की हैं।
आज तकनीकी प्रगति और बाल कल्याण संस्था जैसे संगठनों के निरंतर प्रयास से, दिव्यांगता महज एक असुविधा रही है।
दिव्यांग अपने चुने हुए क्षेत्रों के माध्यम से समाज की बहुत अच्छी सेवा कर रहे हैं।
सामाजिक न्याय मंत्रालय की संसदीय समिति के अध्यक्ष के रूप में हमने दिव्यांगों और ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए कुछ अच्छे निर्णय लिये।
बाल कल्याण संस्था पुणे में राजभवन के पड़ोस में ही खड़ी है। पुणे की अपनी अगली यात्रा के दौरान, मैं संस्था का दौरा अवश्य करूंगा और आप सबसे मिलने आऊंगा।
इसी क्रम में मैं अंतरराष्ट्रीय पदक प्राप्त करने वाले सभी लोगों को बधाई देता हूं और बाल कल्याण संस्था के भविष्य के प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।
धन्यवाद
जय हिन्द। जय महाराष्ट्र ।।