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    16.01.2024 : अजिंक्य डी. वाय. पाटील विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह, पुणे

    प्रकाशित तारीख: January 16, 2024

    अजिंक्य डी. वाय. पाटील विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह। पुणे। १६ जनवरी २०२४

    श्री विवेक रंजन अग्निहोत्री जी,

    श्री जे. साई दीपक जी,

    श्री भरत अमलकर जी,

    श्री रॉबर्ट वोल्टन जी,

    ले. जन. विनोद खंदारे जी,

    डॉ. अजिंक्य डी. वाय. पाटील

    श्री हृदयेश देशपांडे, कुलपति

    श्रीमती पूजा पाटील, अध्यक्ष, अजिंक्य डी. वाय. पाटील ग्रुप,

    श्री विनय कोल्हे जी,

    डीन और विभाग प्रमुख

    जनप्रतिनिधि

    संकाय सदस्य एवं कर्मचारीगण

    डि.लीट. प्राप्त कर्ता, स्नातक छात्र और सभी टॉपर्स,

    ऑनलाइन और ऑफलाइन उपस्थित अभिभावक,

    आपके जीवन के इस विशेष दिन के मौके पर, आपके बीच उपस्थित रहकर बहुत ख़ुशी हो रही है।

    आज उपाधि प्राप्त कर रहे सभी स्नातक छात्र – छात्राओं को बधाई देता हूं।

    मैं आपके माता-पिता, शिक्षकों और सभी प्रियजनों को भी विशेष रूप से बधाई देता हूं जिनके लिए भी यह उपलब्धि का दिन है।

    सबसे पहले मैं अजिंक्य डी वाई पाटिल विश्वविद्यालय को शिक्षा के क्षेत्र में उसकी सेवाओं के लिए बधाई देता हूं। यदि पुणे को पूर्व का ऑक्सफोर्ड माना जाता है, तो यह आपके विश्वविद्यालय सहित विभिन्न उच्च शैक्षणिक संस्थानों के समर्पित प्रयासों के कारण है।

    पिछले महिने भारत के माननीय प्रधान मंत्री ने विकसित भारत @2047 युवाओं की आवाज की थीम पर राष्ट्र को संबोधित किया।

    मैं आपसे 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अपने विचार साझा करने की अपील करूंगा।

    प्रिय मित्रों,

    इस वर्ष स्नातक होने वाले सभी छात्र वर्ष 2047 में अपने प्रोफेशनल करियर के शिखर पर होंगे।

    नियति ने आपको भारत को एक विकासशील राष्ट्र से विकसित राष्ट्र में परिवर्तित होते देखने का, तथा इसमें योगदान देने का एक अनूठा मौका दिया है।

    दुनिया के कई देशों ने अलग-अलग समय पर एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए लंबी छलांग लगाई है।

    हिरोशिमा – नागासाकी परमाणु बमबारी के बाद, जापान राख से उठकर विनिर्माण क्षेत्र में अग्रणी देश बन गया। जर्मनी भी मेनू फेक्चरिंग क्षेत्र में विश्व का प्रबल देश बन गया।

    दक्षिण कोरिया, चीन, सिंगापुर, मलेशिया और अन्य देशों ने भी ऐसी परिवर्तनकारी छलांग लगाई हैं, जिससे उनके विकास के इतिहास की दिशा बदल गई है।

    आज समय आ गया है कि हम में से प्रत्येक को परिवर्तनकारी यात्रा में अपनी भूमिका निभाने का निर्णय लेना चाहिए।

    हमारे कई आईआईटीयन और प्रबंधन स्नातक दूसरे देशों में आकर्षक पैकेज पर नौकरियां चुन रहे हैं।

    यह बड़े पैमाने पर प्रतिभा पलायन का कारण बन रहा है।

    अभी समय आ गया कि भारत में रिवर्स माइग्रेशन होगा।

    मैं एक ऐसे दिन का सपना देखता हूं जब हमारे मेनेजमेंट स्नातक, हमारे इंजिनिअर्स, हमारे समाज वैज्ञानिक, हमारे बिझनेस लीडर्स अपने विश्वस्तरीय फर्म्स का निर्माण करेंगे, कंसल्टेंसी फर्म का निर्माण करेंगे, स्टार्ट अप्स खडे करेंगे।

    चंद्रयान मिशन, सौर मिशन की सफलता और एशियाई खेलों तथा अन्य खेल आयोजनों में भारत की सफलता ने भारतीयों का आत्मविश्वास बढ़ाया है और उनमें ‘हम भी कर सकते हैं – की भावना पैदा की है।

    मैं चाहता हूं कि आप ‘हम कर सकते हैं’ की लौ अपने दिलों में रखें और धन संपदा के निर्माता और स्टार्टअप के प्रवर्तक बनें।

    मैं आपसे नवप्रवर्तक और जोखिम लेने वाले उद्यमी बनने का आह्वान करूंगा।

    अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट और स्विगी ये मूलतः आयडिया ही थे जिन्हें सफलतापूर्वक वास्तविकता में बदल दिया गया।

    समय आ गया है कि भारत अपने खुद के नव उद्यमी पैदा करे।

    क्या पता, कोई तुम्हारे भीतर भी कोई मार्क जुकरबर्ग छिपा हो, या जैक मा छिपा हो, जो उभरने का इंतज़ार कर रहा हो।

    भारत आज महानता के शिखर पर खड़ा है।

    भारत द्वारा जी-20 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी ने भारत के प्रति दुनिया की धारणा बदल दी है। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने विश्वास जताया है कि अगले चार – पांच वर्षो में भारत विश्व की तिसरी सबसे बडी आर्थिक महासत्ता बनकर उभर कर आएगी।

    वैश्विक स्तर पर भारत के विचारों और राय का सम्मान किया जाता है।

    दुनिया के कई देश व्यापार और निवेश के लिए चीन का एक बड़ा विकल्प तलाश रहे हैं।

    हम अभूतपूर्व जनसांख्यिकीय लाभांश के दौर से गुजर रहे हैं जिससे भारत को काफी लाभ होने की संभावना है।

    दुनिया के कई देश अपनी कुशल जनशक्ति की आवश्यकता को पूरा करने के लिए भारत की ओर देख रहे हैं।

    हम इस मांग का कितना लाभ उठा सकते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपने युवाओं को किस प्रकार कौशल प्रदान करते हैं, रि-स्किलिंग करते है और उन्हें उन्नत बनाते हैं।

    भारत की राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि हमारे पास वास्तव में ‘समावेशी’ विकास हो – ऐसा विकास जो देश के प्रत्येक नागरिक को लाभान्वित करे, विशेषकर उन लोगों को जो समाज के आखिरी स्तर पर हैं और सामाजिक-आर्थिक पिरामिड के सबसे निचले स्तर पर हैं।

    हमारे देश में कृषि 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या को रोजगार प्रदान करती रही है।

    कृषि, पशु चिकित्सा, डेयरी, मत्स्य पालन और बागवानी क्षेत्र में रोजगार के जबरदस्त अवसर हैं, जिनका दोहन होने का इंतजार है।

    आज भारत को जमीनी स्तर के नेताओं की ज़रूरत है जो लोगों और उनकी समस्याओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विमर्श के केंद्र में रखें।

    इस संबंध में मैं अजिंक्य डी वाई पाटिल विश्वविद्यालय से कुछ गांवों को गोद लेने और उन्हें बदलने में छात्रों को शामिल करने की अपील करूंगा।

    इस तरह के जुड़ाव से उनकी समझ बढ़ेगी और वे भारत के संवेदनशील नागरिक बनेंगे।

    हम कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व की बात करते है। हमें संस्थागत सामाजिक उत्तरदायित्व का एक अच्छा उदाहरण रखना चाहिये है और इसके लिये आपका संस्थान मिसाल रख सकता है।

    यह ऐसी पहल होगी जिसे अन्य कॉलेज और संस्थान भी दोहराएंगे ।

    प्रिय स्नातक छात्रों,

    दुनिया भर के अग्रणी विश्वविद्यालयों के विकास में पूर्व छात्रों द्वारा निभाई गई भूमिका को अच्छी तरह से स्वीकार किया गया है।

    मुझे आशा है कि आप सभी, जो आज इस संस्थान से उत्तीर्ण हो रहे हैं, अपने मातृ संस्थान के साथ जुड़ेंगे और इसके विकास में सार्थक और महत्वपूर्ण तरीके से योगदान देंगे।

    आप सभी अजिंक्य है और अजिंक्य रहेंगे इस विश्वास के साथ आपका फिरसे हार्दिक अभिनंदन करता हूं और आपके भविष्य के सभी प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।

    संस्थान के प्रबंधन और संकाय को आने वाले वर्षों में सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

    धन्यवाद।
    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।