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    14.08.2023 : डॉ. डी. वाई. पाटील विश्वविद्यालय, पुणे का १४ वा दीक्षांत समारोह

    प्रकाशित तारीख: August 14, 2023

    डॉ. डी. वाई. पाटील विश्वविद्यालय, पुणे का १४ वा दीक्षांत समारोह, १४ अगस्त, २०२३

    डॉ. पी. डी. पाटील, कुलाधिपति, डॉ. डी. वाई.पाटील विश्वविद्यालय

    डॉ. (श्रीमती) भाग्यश्री पी. पाटील, प्र-कुलाधिपति,

    डॉ. एन. जे. पवार, कुलगुरु, डॉ. डी. वाय. पाटील विश्वविद्यालय, पुणे,

    विश्वविद्यालय के प्रबंधन बोर्ड और अकादमिक परिषद के सदस्य,

    प्रसिद्ध उद्योगपति, श्री अरुण फिरोदिया जी, अध्यक्ष, कायनेटिक ग्रुप पुणे

    डॉ प्रमोद चौधरी, संस्थापक और अध्यक्ष, प्रज इंडस्ट्रीज

    डॉ पी एन राझदान, प्रमुख सलाहकार, क्वालिटी अशुरन्स अँड एक्सलन्स सेल, रमैया ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स, बेंगलोर,

    डीन और संकाय सदस्य

    स्वर्ण पदक विजेता छात्र – छात्राएं,

    माता-पिता और प्रिय स्नातक,

    डॉ. डी. वाई. पाटील विश्वविद्यालय के चौदहवें दीक्षांत समारोह के अवसर पर, आपके बीच उपस्थित रहना, वास्तव में मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है।

    सबसे पहले मैं सभी स्नातक छात्र-छात्राओं को डिग्री प्राप्त करने पर हार्दिक बधाई देता हूं।

    मैं सभी अभिभावकों को भी विशेष बधाई देता हूं, जिन्होंने, आपके बेहतर भविष्य के लिए, अपने संसाधनों का निवेश किया।

    आपके सभी अध्यापक गण भी अभिनंदन के पात्र है।

    मैं विशेष रूप से आज के स्वर्ण पदक विजेताओं की सराहना करूंगा। आपकी शानदार उपलब्धि के लिए हमें आप पर गर्व है।

    आज हमारे देश के ३ प्रतिष्ठित हस्तियों को ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ की मानद उपाधि प्रदान की गयी है। राष्ट्र-निर्माण के कार्य में उनका योगदान अनुपम है। उनकी सफलता, सभी स्नातकों को उनके शानदार पदचिन्हों पर, चलने के लिए प्रेरित करेंगे।

    मै, डॉ अरुण फिरोदिया, डॉ प्रमोद चौधरी और डॉ पी एन राझदान का इस सम्मान के लिये हार्दिक अभिनंदन करता हूं।

    शिक्षा के माध्यम से, विकसित, प्रबुद्ध, और उन्नत भारत निर्माण करने की परिकल्पना से इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी।

    मैं विश्वविद्यालय के संस्थापक तथा त्रिपुरा और बिहार के पूर्व राज्यपाल डॉ. डी.वाई. पाटील जी, कुलाधिपति डॉ. पी. डी. पाटील जी, प्रो चान्सलर डॉ श्रीमती भाग्यश्री पाटील तथा कुलपति डॉ एन. जे. पवार जी को उनके दूरदर्शीता और निरंतर प्रयासों के लिए के लिए बधाई देता हूं।

    आज के अवसर पर हमें छत्रपती शिवाजी महाराज, धर्मवीर संभाजी महाराज, महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, लोकमान्य तिलक, राजर्षी छत्रपती शाहू महाराज, महात्मा गांधी और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को याद करना चाहिए। उनका जीवन और आदर्श, स्नातकों के लिए सम्मान, सेवा और अनुशासन का जीवन जीने के लिए मार्गदर्शक बनें।

    आज का दिन, आपके जीवन में एक यादगार और खुशी का दिन है। आप इस विद्यापीठ के पवित्र द्वार से बाहर निकल कर, आशा और संभावनाओं की एक नई दुनिया में, कदम रख रहे है।

    यह ख़ुशी की बात है कि, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा की गुणवत्ता वृद्धि के लिए, यह विश्वविद्यालय N.A.A.C. द्वारा A++ grade के साथ, प्रमाणित किया गया है।

    विश्वविद्यालय ने, शिक्षा मंत्रालय द्वारा स्थापित NIRF- 2023 रैंकिंग, के तहत डेंटल श्रेणी में तीसरी रैंक, मेडिकल श्रेणी में 15वीं रैंक और विश्वविद्यालय श्रेणी में 46वीं रैंक हासिल की है। इसे प्रतिष्ठित डायमंड ‘QS I – गेज’ इंडियन यूनिवर्सिटी रेटिंग से भी सम्मानित किया गया है, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मानकों की एक पहचान है। मैं विश्वविद्यालय को उसके शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई देता हूं।

    मित्रों,

    स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पहली बार हम एक क्रांतिकारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अपना रहे हैं। यह नीति, अतीत के अवशेषों को त्यागने, और हमारे अध्ययन में नई गतिशीलता, लाने का प्रयास करती है।

    इसने भारत में उच्च शिक्षा के मानकों को और बढ़ाया है और छात्रों के सम्पूर्ण विकास के लिए एक अवसर प्रदान किया है।

    मैं कामना करता हूं और आशा करता हूं कि, डॉ डी वाई पाटिल विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के, बेहतर कार्यान्वयन के लिए, एक उदाहरण स्थापित करेगा। मुझे विश्वास है कि 2035 तक राष्ट्र 50% सकल नामांकन अनुपात (GER) के वांछित लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा, जिसकी नीति दस्तावेज में परिकल्पना की गई है।

    मुझे यह जानकर खुशी हुई कि स्वास्थ्य विज्ञान से जुडे, दंत चिकित्सा, जैव प्रौद्योगिकी, जैव सूचना विज्ञान, संबद्ध चिकित्सा विज्ञान, नर्सिंग, आयुर्वेद और होम्योपैथी के स्नातक, अन्य नियमित पाठ्यक्रमों के साथ अपनी डिग्री प्राप्त कर रहे हैं।

    हमारे अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानो में काम करते समय, आप जो क्लिनिकल अनुभव अर्जित करते हैं, वह आपको एक बेहतर स्वास्थ्य कर्मी बनाता है।

    भारत के, दुनिया में सबसे युवा राष्ट्र के रूप में उभरने के साथ, कई देश, अपनी कुशल जनशक्ति की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, भारत की ओर देख रहे हैं।

    वे डॉक्टर, नर्स, इंजीनियर, कुशल श्रमिक, उपलब्ध कराने के लिए, भारत की ओर देख रहे हैं।

    हमें इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए और दुनिया के किसी भी हिस्से में, काम करने के लिए, तैयार होना चाहिए।

    आप जिस नये समाज में, कदम रख रहे हैं, वह एक उद्यमशील समाज है। इसका मतलब यह नहीं है कि हर कोई उद्यमी है। लेकिन इसका मतलब यह है कि आप जहां भी खड़े हों या नौकरी करते हो, आपको उद्यमशीलता की भावना से काम करना होगा। आपको एक टीम लीडर और एक प्रवर्तक बनना होगा। उद्यमिता विकास की कुंजी है।

    आप भाग्यशाली है कि इनोवेशन और स्टार्टअप के प्रवर्तक, डॉ अरुण फिरोदिया जी, स्वयं आपके सम्मुख विराजमान है।

    आज समय आ गया है, जब पूरी दुनिया हमारा कार्यस्थल बने। प्रत्येक युवा, कम से कम विश्व की एक भाषा सीखे। अपने आप को, केवल पुणे, मुंबई या महाराष्ट्र तक ही सीमित न रखें। भारत के किसी भी राज्य और दुनिया के किसी भी छोर तक, जाने के लिये तैयार हो जाइए।

    मित्रों,

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (A I) और मशीन लर्निंग के, उद्भव की पृष्ठभूमि में, संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में, आमूल-चूल परिवर्तन आना तय है। आज केवल साक्षर होना ही पर्याप्त नहीं है। आपको AI साक्षर होना जरूरी है।

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में, महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। यह सीखने और सिखाने के तरीके तथा रोग निदान और उपचार, दोनों को प्रभावित करने वाला है। यह शिक्षकों को प्रशासनिक कार्यों से मुक्त कर सकता है, जिससे उन्हें छात्रों के साथ समय बिताने के अधिक अवसर मिलेंगे।

    मैं आपको सावधान करना चाहता हूं कि हम पहले ही दुनिया के अन्य देशों की तुलना में AI के विषय में कई साल पीछे हैं।

    अच्छी बात यह है कि, भारतीय तेजी से सीखने वाले होते हैं और नए तकनीकी बदलावों को, बहुत सहजता से अपना लेते हैं।

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के, आने वाले युग में, आजीवन और निरंतर सीखना होगा। हमें आगे बने रहने के लिए, अपने लोगों को स्कील, रिस्कील और अपस्कील के लिये, तैयार रहना होगा।

    मैकिन्से एंड कंपनी का अनुमान है कि, मशीन लर्निंग, 2030 तक, 40 से 80 करोड़ नौकरियों को विस्थापित कर देगा, जिससे 37.5 करोड लोगों को, पूरी तरह से नौकरी की श्रेणियां बदलने की, आवश्यकता होगी।

    लेकिन, एक से अधिक कौशल सीखने से, भारतीयों को AI और मशीन लर्निंग से, उत्पन्न खतरों से, बचने में मदद मिलेगी।

    मेरा विश्वविद्यालय से आग्रह होगा, हम अपनी शिक्षा को AI और मशीन लर्निंग के अनुरूप कैसे ढाल सकते है, इसपर चिंतन और पहल करे। AI व्यवस्था से लाभ उठाने के लिए हमे रणनीति बनाने की आवश्यकता है।

    दोस्तों, मानव बुद्धि किसी भी एआई सिस्टम से कहीं अधिक प्रभावशाली है। एआई में सहानुभूति नहीं है, आपके पास है। एआई प्रेम भावना को नहीं जानता, आप जानते हैं। इसी भावना से आप समाज और देश की सेवा कर सकते है।

    हम विश्व गुरु थे और मुझे विश्वास है, भारत एक बार फिर विश्व गुरु बनेगा।

    मैं डॉ डी वाई पाटिल विश्वविद्यालय को, उसके भविष्य के प्रयासों में, सफलता की कामना करता हूं। एक बार फिर, सभी स्नातक छात्रों को बधाई देता हूं और मानव जाति की सेवा के लिए, कृत संकल्प होने का आह्वान करता हूं।

    कल भारत अपनी स्वतंत्रता की 76 वीं वर्षगांठ मना रहा है। मैं इस अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूं।

    धन्यवाद।
    जय हिन्द ! जय महाराष्ट्र !