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    14.02.2024 : ऑनलाइन डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय अकोला का 38 वां दीक्षांत समारोह

    प्रकाशित तारीख: February 14, 2024

    ऑनलाइन डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय अकोला का 38 वां दीक्षांत समारोह

    श्री धनंजय मुंडे, कृषि मंत्री तथा प्रति – कुलाधिपती, डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय

    डॉ. Z P पटेल, कुलपति, नवसारी कृषी विद्यापीठ, नवसारी

    डॉ. शरद गडाख, कुलपति, डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय

    विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के सदस्य

    संकाय सदस्य,

    स्नातक छात्र- छात्राएं

    भाईयों और बहनो,

    मेरे लिए यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि, मुझे डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय अकोला के 38 वें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति के रूप में सम्मिलित होने का सुअवसर प्राप्त हुआ है।

    आज उपाधि प्राप्त कर रहे सभी कृषि स्नातक छात्र – छात्राओं का मै हार्दिक अभिनंदन करता हूं।

    दीक्षांत समारोह के अवसर पर, मैं आपके माता-पिता और अभिभावकों को भी बधाई देता हूं। उन्होंने जीवन के हर मोड़ पर आपका साथ दिया है और आपकी सफलता में निर्णायक भूमिका निभाई है।

    मैं विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों और यहां की पूरी टीम को भी बधाई देता हूं, जिनकी कड़ी मेहनत के फल स्वरुप आज आप अपने लक्ष्य को हासिल कर पाए हैं।

    आज विशेष रूप से मैं आचार्य पदवी प्राप्त कर रहे स्नातक, पदक विजेताओं और पदवी प्राप्तकर्ताओं को बधाई देता हूं।

    मैं विश्वविद्यालय के कुलपति, संकाय सदस्यों, अनुसंधान वैज्ञानिकों और पूर्व छात्रों को भी बधाई देता हूं।

    मित्रों,

    अपनी स्थापना से विगत ५५ वर्ष में विश्वविद्यालय ने कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य किया हैं।

    विश्वविद्यालय ने कृषि विश्वविद्यालयों की अखिल भारतीय (ICAR) रैंकिंग में 26 वीं रैंक प्राप्त की है, जो वाकई सराहनीय है।

    यह बहुत गर्व की बात है कि विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।

    मुझे यह जानकर ख़ुशी हुई कि, विश्वविद्यालय का 19 कृषि अनुसंधान स्टेशनों, कृषि और कृषि इंजीनियरिंग संकाय के 19 विभागों और 24 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के माध्यम से अनुसंधान जारी है।

    अभी तक 1578 से अधिक कृषि-प्रौद्योगिकियों, 181 फसल किस्मों और 52 कृषि उपकरणों को पंजीकृत और पेटेंट कराने के साथ, डॉ. PDKV कृषक समाज की सेवा में कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं, जिसके लिए आप सभी अभिनंदन के पात्र है।

    अत्यंत प्रसन्नता हुई कि, विश्वविद्यालय ने विभिन्न केंद्रों पर 23 ‘PDKV बिक्री काउंटर’ शुरू किए हैं। जिनके माध्यम से विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बीज, रोपण सामग्री, जैव-उर्वरक जैव-कीटनाशक, वर्मीकम्पोस्ट, सूक्ष्म पोषक तत्व, खाद्य तेल, प्रसंस्कृत उत्पाद, उपयोगकर्ता के अनुकूल छोटी वस्तु एवं उपकरण, बेकरी उत्पाद, प्रकाशन आदि बिक्री की व्यवस्था की गयी। इन बिक्री काउंटरों के माध्यम से प्राप्त 4 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।

    मैं PDKV को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनते देखना चाहता हूं।

    मित्रों,

    दिनांक 15 अगस्त 1947 के दिन देश स्वतंत्र हुआ।

    मैं भाग्यशाली था कि मेरा जन्म उसी महीने में, 13 दिन पहले हुआ।

    एक तरह से, आप कह सकते हैं, मैं पिछले 76 वर्षों से भारत की यात्रा का साक्षी रहा हूं।

    स्वतंत्रता बहुत सारी कठिनाई और समस्याओं के साथ आई थी।

    लगभग 3 शताब्दियों तक आर्थिक शोषण झेलने के बाद, भारत दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक बन गया था।

    हमारा कृषि क्षेत्र खंडहर हो गया था।

    1960 के दशक में अनाज की स्थिति और भी खराब हो गई।

    हमें PL 480 योजना के तहत गेहूं मिलता था।

    कभी-कभी गेहूँ इतना ख़राब होता था कि उसे मानव उपभोग के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता था।

    भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम ने कृषि वैज्ञानिक डॉ एम एस स्वामीनाथन के साथ हरित क्रांति कार्यक्रम की शुरुआत की।

    संयोगवश, सी सुब्रमण्यम महाराष्ट्र के राज्यपाल बने और उस पद पर होने के नाते, आपके विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में भी कार्य किया।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने डॉ एम एस स्वामीनाथन को पिछले सप्ताह ही भारत रत्न घोषित किया है।

    पहली हरित क्रांति ने भारत को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने में मदद की।

    लेकिन हरित क्रांति के बाद कृषि क्षेत्र में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले।

    पिछले 10 वर्षों के दौरान, भारत सरकार ने किसान सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी।

    किसानों की आय दोगुनी करना, उन्हें और उनके प्रयासों को सुरक्षित करना, उन्हें टेक्नॉलॉजी – फ्रेंडली बनाना, कृषि अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा देना और कृषि से संबंधित बुनियादी ढांचे का निर्माण करना आदी कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों के कल्याण के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।

    प्रौद्योगिकी से लेकर फसल बीमा तक, आसान ऋण पहुंच से लेकर आधुनिक सिंचाई विधियों तक, सरकार किसानों को सशक्त बनाने के लिए एक व्यापक कार्य योजना लागू कर रही है।

    खेती कोई ऐसी गतिविधि नहीं है जो अकेले में होती हो।

    हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि किसानों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले विभिन्न संबद्ध क्षेत्रों से लाभ हो।

    कृषि की बात करें तो भारत में कुछ बहुत अच्छी उपलब्धि हुई हैं।

    भारत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है।

    किसान जैविक उर्वरकों का विकल्प चुन रहे हैं और सिंथेटिक उर्वरकों या कीटनाशकों से परहेज कर रहे हैं।

    कई किसान अपने खेतों में सौर ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं।

    लोग मृदा स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक हैं।

    कई विश्वविद्यालयों ने पोषक तत्वों का छिड़काव करने और अपनी फसलों की निगरानी के लिए ड्रोन विकसित किए हैं।

    वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया गया।

    बाजरा या श्री अन्न किसानों की आय बढ़ाने में मदद कर रहा है क्योंकि फसल को कम पानी और उर्वरक की आवश्यकता होती है।

    हॉर्टिकल्चर एक और उच्च विकास वाला क्षेत्र है जिस पर उचित ध्यान और प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

    महाराष्ट्र में बागवानी के साथ-साथ फूलों की खेती की भी जबरदस्त संभावनाएं हैं।

    कल ही मैं पशु विज्ञान एवं मत्स्य विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुआ।

    हमें पशुधन, जलीय कृषि जैसे संबद्ध क्षेत्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि उनमें मजबूत विकास क्षमता है और वे बेहतर कृषि आय अर्जित करते हैं।

    भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 में 175.45 लाख टन का रिकॉर्ड मछली उत्पादन हासिल किया है, जिससे हमारा देश, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश बन गया है।

    मै समझता हूं, अकेले महाराष्ट्र खाद्य प्रसंस्करण में कई स्टार्टअप को बढ़ावा दे सकता है।

    खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र भारत के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उद्योग और कृषि के बीच मजबूत संबंधों और अंतःक्रियाओं को बढ़ावा देता है।

    हमें मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान देने की जरूरत है।

    हमें खेती को सक्षम बनाने के लिए सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले बीज विकसित करने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

    बढ़ती जनसंख्या और भूजल के गिरते स्तर को देखते हुए जल प्रबंधन के विषय को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

    अब समय आ गया है कि हम पानी के संरक्षण, वाटर शेड योजनाओं की तैयारी, वर्षा जल संचयन और बार-बार पानी के पुनर्चक्रण के लिए एक समग्र जल प्रबंधन योजना बनाएं।

    मित्रों,

    आने वाले वर्षों में हमें आसन्न चुनौतियों के लिए खुद को तैयार रखना होगा:

    नंबर एक : भारत दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बनकर उभरा है।

    हमारे पास खेती के लिए जनशक्ति और खेती की जानकारी है।

    हालाँकि खेती का रकबा लगातार घट रहा है।

    हमें अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर और चयनित क्षेत्रों में खाद्य अधिशेष बनने के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की शक्ति की आवश्यकता होगी।

    नंबर दो : जलवायु परिवर्तन अब कोई दूर का ख़तरा नहीं है – यह एक वास्तविकता है जिससे दुनिया भर के किसान रोज़ जूझ रहे हैं।

    बढ़ते तापमान, अनियमित मौसम पैटर्न, कीटों और बीमारियों का बढ़ता दबाव और वर्षा के बदलते पैटर्न ने कृषि को पहले से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

    विश्वविद्यालय को किसानों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पूरी जानकारी देकर तैयार रखना होगा।

    प्रिय स्नातक छात्रों,

    मुझे आपसे बहुत उम्मीदें हैं।

    वर्ष 2047 में जब भारत एक विकसित राष्ट्र होगा, आप सभी अपने करियर के शिखर पर होंगे।

    आपके पास भारत को कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और देश को दुनिया की ‘फूड बास्केट’ में बदलने में अपनी भूमिका निभाने का अनूठा अवसर है।

    आज जब आप, आत्मविश्वास और आशावाद के साथ अपनी भविष्य की यात्रा शुरू कर रहे हैं, हमारे आशीर्वाद और शुभकामनाएं आपके साथ हैं। पुनः एक बार आपका हार्दिक अभिनंदन !!

    मैं एक बार फिर विश्वविद्यालय को बधाई देता हूं और उसके भविष्य के प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।

    धन्यवाद।
    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।