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    13.04.2023 : राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपूर विश्वविद्यालय का ११० वां दीक्षांत समारंभ

    प्रकाशित तारीख: April 13, 2023

    राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपूर विश्वविद्यालय
    ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के मानक स्थापित करे

    महाराष्ट्र के एक महान समाज सुधारक, संत तुकड़ोजी महाराज का नाम इस विश्वविद्यालय से जुड़ा है।

    तुकड़ोजी महाराज एक महान देशभक्त,दार्शनिक संत थे जिन्होंने अंधविश्वास को दूर करने, नागरिक भावना जगाने, नैतिक मूल्यों को स्थापित करने और हमारे गांवों को आदर्श गांव बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

    तुकडोजी महाराज द्वारा गाए हुए सरल और सार्थक भजनों के माध्यम से, उन्होंने समाज को सुधारने और लोगों में नैतिक मूल्यों को स्थापित करने का प्रयास किया।

    सच्चा धरम नहीं जाना तूने रे भाई ।
    सच्चा धरम नहीं जाना !!

    अपनी – अपनी नेकिसे चलना,यही तो ना धर्म सिखाता ?
    तुकड्यादास कहे फिर दिन दिन, क्यों पाप सिर पे उठाता।।

    अनेक शतको पूर्व नागपूर गोंड राजाओं के राजधानी का शहर था । इसे गोंडवाना प्रदेश के नाम से जानते थे ।

    आज आदिवासी समाज मुख्य धारा से दूर सामाजिक आर्थिक विपरीत परिस्थिती में जी रहा हैं । एक समय राजकर्ता रहा समाज आज आर्थिक विपन्नता में जी रहा है ।

    कलोनियल शक्तियाँ प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण चाहती थीं। इससे आदिवासियों के शक्तिहीन होने की प्रक्रिया को बढ़ावा मिला।

    मध्य भारत देश का एक जैव विविधता क्षेत्र था। ब्रिटिश शासकों के लिए शिकार मात्र एक स्पोर्ट था | उससे प्रदेश का काफी नुकसान हुआ ।

    हमारे आदिवासियों को सशक्त बनाने और क्षेत्र की जैव विविधता को बहाल करने का प्रयास करने की चुनौती हमारे सामने है ।

    नागपुर विश्वविद्यालय ने देश को शीर्ष न्यायविद, वकील, सांसद, सामाजिक कार्यकर्ता और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोग दिए हैं।

    नागपुर और विदर्भ क्षेत्र खनिज संसाधनों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन मैं, नागपुर को, विभिन्न क्षेत्रों में, नक्षत्रों की खान के रूप में देखता हूं।

    इस विश्वविद्यालय ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी.नरसिम्हा राव दिए है । पूर्व उपराष्ट्रपति जस्टिस एम हिदायतुल्ला, सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस शरद बोबडे, पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित, केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, पूर्व राज्यमंत्री तथा सांसद डॉ. श्रीकांत जिचकार, हिंदुस्थानी शास्त्रीय गायक पंडित उल्हास कशालकर, फिल्म स्टार सोनू सूद, निर्माता राजू हिरानी, पूर्व मंत्री एन के पी सालवे, कवि सुरेश भट, कवि ग्रेस जैसे कई दिग्गज इस भूमि ने दिए हैं |

    विश्वविद्यालय के अनेक पूर्व छात्रोने विभिन्न क्षेत्रो में देश में अनुपम योगदान दिया है । आज आर्मी के चीफ ऑफ स्टाफ, जनरल मनोज पांडे भी नागपूर से है ।

    नागपूर के अनेक पत्रकार आज देश तथा राज्य में अपना अहम योगदान दे रहे है ।

    आप सभी सौभाग्यशाली हैं कि ऐसे अनेक दिग्गज आपके सामने रोल मॉडल के रूप में हैं।

    मित्रो,

    ज्ञान धन है, और यह धन के सभी रूपों में सबसे अच्छा है।

    जैसा कि प्रसिद्ध कहावत है कि इसे चोरों द्वारा चुराया नहीं जा सकता है, राजाओं द्वारा जब्त नहीं किया जा सकता है, इसे भाइयों में विभाजित नहीं किया जा सकता है, और इसे ले जाना भी भारी नहीं है। इसे जितना खर्च किया जाता है, यह उतना ही फलता-फूलता है। इसलिए ज्ञान का धन सभी प्रकार के धन में सबसे महत्वपूर्ण है।

    ज्ञान वह नींव है जिस पर प्रत्येक व्यक्ति का चरित्र निर्मित होता है।

    स्वामी विवेकानंद ने कहा था ‘शिक्षा मनुष्य के भीतर पहले से ही अस्तित्व में है ऐसी पूर्णता की अभिव्यक्ति है’

    शिक्षित युवकों को सही दिशा दी जाए तो वे इतिहास की धारा में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य यही है। नई नीति वर्तमान की उभरती जरूरतों के लिए प्रासंगिक अनुसंधान, कौशल और कौशल के आधार पर एक आधुनिक शिक्षा प्रणाली को लागू करना चाहती है।

    साथ ही, भविष्य के दृष्टिकोण के अनुरूप यह अपने कार्यक्षेत्र में हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी शामिल करेगा।

    यह नीति, नैतिक मूल्यों को विकसित करने और भारतीय संस्कृति की समझ को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। मुझे विश्वास है कि इस नीति के कार्यान्वयन से आधुनिक शिक्षा और शिक्षा के युग का सूत्रपात होगा।

    यह शोधकर्ताओं और विभिन्न पेशेवरों की एक पीढी तैयार करेगा जो हमारे देश को हमारी राष्ट्रीय आकांक्षाओं के अनुरूप विकास की महान ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

    महाराष्ट्र सरकार ने आगामी शैक्षणिक वर्ष से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने का निर्णय लिया है।

    मैं कामना और आशा करता हूं कि राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय इस नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए ऐसे मानक स्थापित करेगा जो अन्य विश्वविद्यालयों के अनुकरण के लिए एक उदाहरण होगा।

    एक शताब्दी पुराने विश्वविद्यालय के रूप में, राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय विभिन्न विभागों में उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है। विश्वविद्यालय ने अपने सदियों पुराने अस्तित्व के दौरान कुछ बेहतरीन विभागों का निर्माण किया है। विधि विभाग, फार्मसी विभाग, पत्रकारिता विभाग, लक्ष्मीनारायण प्रौद्योगिकी संस्थान, एनआईटी उत्कृष्टता के कुछ सबसे प्रसिद्ध केंद्र हैं।

    यदि आपके पास एक समर्पित संस्था प्रमुख और शिक्षक हैं तो किसी भी विभाग को उत्कृष्टता केंद्र में बदला जा सकता है।

    मैं कामना और आशा करता हूं कि विश्वविद्यालय अपने विभिन्न विभागों और महाविद्यालयों की पहचान करेगा, उनका पोषण करेगा और उन्हें उत्कृष्टता केंद्रों में रूपांतरित करेगा।

    दुनिया एक बड़े जनसांख्यिकीय संक्रमण के दौर से गुजर रही है।

    भारत 29 वर्ष की औसत आयु के साथ दुनिया का सबसे युवा देश बनकर उभरा है।

    जापान, जर्मनी, इटली, फ्रांस, रोमानिया, पुर्तगाल जैसे दुनिया के कई देश बूढ़े हो रहे हैं।

    ये देश युवा और कुशल जनशक्ति की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत की ओर देख रहे हैं।

    हाल ही में एक जर्मन राजनयिक ने मुझे बताया कि जर्मनी को हर साल कम से कम 4 लाख कुशल युवाओं की आवश्यकता होगी |

    वे नर्सों, इलेक्टरीशियन और यहां तक कि कसाइयों की भारी कमी का सामना कर रहे हैं।

    आज 11.5 करोड़ के उपर की आबादी वाला महाराष्ट्र निश्चित रूप से इन देशों को आवश्यक कुशल मानव संसाधन प्रदान कर सकता है।

    इसलिए यह आवश्यक है कि हमारे युवा स्नातक विभिन्न कौशल से लैस हों।

    हाल ही में राज्य में महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है । राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपूर विश्वविद्यालय इस नए विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम करे और कुशल मानव संसाधन का एक बड़ा पूल बनाए । जो देश और दुनिया की कौशल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार होगा ।

    हमारे देश में एक अजीब स्थिति है। यहां श्रम की गरिमा का अभाव है।

    हमारे देश में शिक्षित वर्ग उन लोगों को हेय दृष्टि से देखता है जो छोटे-मोटे काम करते हैं। ये बेहद गलत है।

    न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, वेस्ट इंडीज़ में कई पूर्व क्रिकेटर कैब ड्राइविंग, किराने की दुकान चलाने आदि जैसे नियमित काम करते देखे जाते हैं।

    लेकिन भारत में छोटे काम के प्रति लोगों का रवैया नकारात्मक है।

    यही कारण है कि कई स्नातक बेरोजगार रहेते हैं। एक ओर पान ठेला चलाने वाला, रिक्शा-तांगा चलाने वाला मेहनत -मजदूरी करके चार पैसा कमाकर अपनी आजीविका सुखपूर्वक चला लेता है, वहीं डिग्री धारी बेरोजगार हैं, यह स्थिति देखकर दुख होता है। हमें कोई भी काम ईमानदारी से, बिना हिचकिचाहट के साथ करना चाहिए ।

    वर्ष 2018 ग्लोबल स्टार्टअप इकोसिस्टम रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइल शहर तेल अवीव में, दुनिया में प्रति व्यक्ति स्टार्टअप की संख्या सबसे अधिक है।

    समय आ गया है कि हमारे स्नातक भारत को फिर से महान बनाने के लिए उद्यमी, धन के निर्माता और स्टार्टअप के निर्माता बनें।

    आज हम सहयोग की दुनिया में रहते हैं।

    महाराष्ट्र में कई विश्वविद्यालय दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के साथ गठजोड़ और साझेदारी कर रहे हैं।

    राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय को सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग करना चाहिए, छात्र-विनिमय, शिक्षक विनिमय और संयुक्त डिग्री को भी बढ़ावा देना चाहिए।

    चांसलर के रूप में मुझे अक्सर छात्रों से डिग्री प्रमाण पत्र देर से मिलने की शिकायतें मिलती हैं।

    कुछ को विदेशी विश्वविद्यालयों में अपने प्रवेश को सुरक्षित करने के लिए अस्थायी डिग्री प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है।

    विश्वविद्यालयों को छात्रों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।

    मैं विश्वविद्यालय से छात्र-केंद्रित होने का आग्रह करता हूं।

    विश्वविद्यालय का प्रशासन छात्र केंद्रित, सहायक और कुशल होना चाहिए।

    फैकल्टी की कमी को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालयों को रचनात्मक समाधान तलाशने चाहिए।

    उद्योग और अनुसंधान संगठनों के लोगों को भी शिक्षण से जोड़ा जाना चाहिए।

    साइबर अपराध हमारे समय की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक बन चुका है।

    लगभग सभी युवा और छात्र शिक्षा, मनोरंजन, मनोरंजन और गेमिंग के लिए टैब, स्मार्ट फोन और इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं।

    यह सभी को साइबर अपराधों के लिए अतिसंवेदनशील बनाता है।

    कॉलेजों और विश्वविद्यालय विभागों को सभी विश्वविद्यालय के छात्रों को साइबर सेफ के बारे में जागरूक करने के लिए अतिथि व्याख्यान और कार्यशालाओं का आयोजन करना चाहिए।

    प्रत्येक छात्र को साइबर योद्धा बनना होगा।

    आज तनाव सभी के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है। उच्च रक्तचाप, मधुमेह जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ बढ़ रही हैं।

    ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ सुनिश्चित करने के लिए ‘कार्यस्थल पर योग’ के अभ्यास को प्रोत्साहित करने का आग्रह करता हू।

    भाईयो और बहेनो,

    ज्ञान मनुष्य को अंधकार से मुक्त करता है | शिक्षा एक व्रत है, एक साधना है। ज्ञानार्जन एक धर्म है। विद्यापीठ एक तीर्थ स्थल है। विद्यार्थी को जीवनभर ज्ञानार्जन हेतु लालायित रहना चाहिए।

    सभी स्नातक छात्रों को बधाई देते हुए, मैं आपसे आजीवन शिक्षार्थी बने रहने की अपील करता हूं।

    अपने समर्पित कार्य के माध्यम से राष्ट्र की सेवा करें और उन लोगों की सहायता करने का प्रयास करें जिन्हें आपकी सहायता और समर्थन की आवश्यकता है।