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    12.12.2023 : महाराष्ट्र सरकार के कौशल विकास विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘महापुरुषांचे कौशल विचार’ का विमोचन तथा ‘स्वर्गीय दत्ताजी डिडोलकर शिक्षण सेवा सम्मान’ समारोह

    प्रकाशित तारीख: December 12, 2023

    छत्रपति शिवाजी महाराज के 350 वें राज्याभिषेक वर्ष के अवसर पर महाराष्ट्र सरकार के कौशल विकास विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘महापुरुषांचे कौशल विचार’ का विमोचन। तथा ‘स्वर्गीय दत्ताजी डिडोलकर शिक्षण सेवा सम्मान’ समारोह। राजभवन नागपुर।12 दिसंबर 2023। शाम 6 बजे

    श्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री

    श्री चंद्रकांत दादा पाटील, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री

    श्री मंगल प्रभात लोढ़ा, कौशल, रोजगार, उद्यमिता और नवाचार मंत्री, महाराष्ट्र सरकार

    श्री आशीष कुमार सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव, कौशल विकास विभाग

    डॉ. मुरलीधर चांदेकर, सचिव, स्वर्गीय दत्ताजी डिडोळकर जन्मशताब्दी समारोह समिती

    डॉ. श्रीमती अपूर्वा पालकर, कुलपति, महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय

    आप सभी का नागपुर राजभवन में हार्दिक स्वागत करता हूं।

    ‘महापुरुषांचे कौशल विचार’ पुस्तक के लोकार्पण से जुड़कर खुशी हो रही है।

    आज स्वर्गीय दत्ता जी डिडोलकर शिक्षण सेवा सम्मान से सम्मानित सभी पुरस्कार प्राप्त कर्ताओं का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।

    ‘महापुरुषांचे कौशल विचार’ पुस्तक के संकलन कर्ता तथा संपादक सदस्यों का भी मै हार्दिक अभिनंदन करता हूं।

    जैसा कि बताया गया है कि, पुस्तक में छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा जोतिबा फुले, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, लोकमान्य तिलक, स्वातंत्र्यवीर सावरकर और अन्य जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों के कौशल के संबंध में चिंतन – विचार शामिल किये हैं।

    छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वें वर्ष में ‘महापुरुषांचे कौशल विचार’ जैसी पुस्तक का विमोचन करना, इससे उपयुक्त अवसर और नहीं हो सकता।

    छत्रपती शिवाजी महाराज ने जब साधारण किसानों की मदद से अपनी सेना बनाई, या जब उन्होंने अपनी नौसेना और किलों के निर्माण का कार्य आरंभ किया, तो उनके पास कुशल जनशक्ति का लाभ नहीं था।

    और फिर भी उन्होंने मुगलों की ताकत का मुंहतोड़ जवाब दिया, हिंदवी स्वराज की स्थापना की और भारतीय नौसेना की मजबूत नींव रखी, जिसे पूरी दुनिया में आज सबसे अनुशासित नौसेना माना जाता है।

    महात्मा फुले ने पुरे समाज के पतन का कारण अशिक्षा बताया था।

    वीर सावरकर अपने वैज्ञानिक सोच के लिए जाने जाते थे। सावरकर का मानना था कि किसी राष्ट्र के दर्शन की नींव वैज्ञानिक सोच पर आधारित होनी चाहिए, और यही भारत को एक मजबूत, आधुनिक और विकसित राष्ट्र बनाने की कुंजी है।

    भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर शिक्षा के पुरजोर पक्षधर थे।

    वर्ष 1944 में, वायसराय की कार्यकारी परिषद के श्रम सदस्य के रूप में, भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने टिप्पणी की: “देश के भविष्य के विकास के लिए कोई भी योजना पूर्ण नहीं मानी जा सकती जो तकनीकी एवं वैज्ञानिक प्रशिक्षण प्रदान नहीं करती है। यह मशीन का युग है और केवल वे ही देश, जिनमें तकनीकी और वैज्ञानिक प्रशिक्षण उच्चतम स्तर तक पहुंच गया है, अपने लोगों के लिए सभ्य जीवन स्तर बनाए रखने के लिए जीवित रहेंगे।

    भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार स्किलिंग, रिस्किलिंग और अप-स्किलिंग के मुद्दे को सबसे अधिक वरीयता दी है। इसका एक कारण है, नई पीढ़ी का कौशल विकास एक राष्ट्रीय आवश्यकता है और आत्मनिर्भर भारत की नींव है।

    अभी तक ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ के तहत 1.25 करोड़ से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है।

    आने वाले वर्षों में दुनिया कुशल जनशक्ति की आवश्यकता को पूरा करने के लिए भारत की ओर देखेगी।

    जर्मनी ने पहले ही हर साल 4 लाख कुशल युवाओं की अपनी जरूरत बताई है।

    कौशल विकास देश की बेरोजगारी और अल्प बेरोजगारी को कम कर सकता है, उत्पादकता बढ़ा सकता है और जीवन स्तर में सुधार कर सकता है।

    भविष्य की नौकरियों के लिए लोगों के कौशल को बढ़ाने या फिर से कुशल बनाने में निवेश करना आर्थिक दृष्टि से उचित है।

    भारत में अब उच्च प्रशिक्षित और कुशल शिक्षकों की कमी है। हमारे सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में 50 फीसदी फैकल्टी के पद खाली हैं।

    हमारे पास फैकल्टी के पदों को समयबद्ध तरीके से भरने की योजना होनी चाहिए। अच्छे संकाय सदस्यों के अभाव में, विदेशी विश्वविद्यालय हमारे छात्रों को आकर्षित करेंगे और लुभाएँगे।

    स्किलिंग पर जोर देकर पिछले 30 वर्षों में, चीन ने आय और श्रम उत्पादकता में दस गुना वृद्धि और सकल घरेलू उत्पाद में 13 गुना वृद्धि हासिल की है।

    दक्षिण कोरिया ने पिछले 60 वर्षों में सबसे बडा आर्थिक परिवर्तन देखा है। इसकी शुरुआत 1960 के दशक में कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में हुई थी। 1970 के दशक की शुरुआत से, चार दशकों से अधिक समय से, कोरिया गणराज्य ने मजबूत और न्यायसंगत आर्थिक विकास बनाए रखा है। कौशल विकास से ही यह चमत्कार संभव हुआ है।

    हमें स्टार्टअप्स को भी बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने की जरूरत है।

    स्वर्गीय दत्ता जी डिडोलकर के कार्य को नमन करता हूँ और आज के सभी शिक्षण सेवा सम्मान विजेताओं को हार्दिक बधाई देता हूं।

    मैं इस सुंदर पुस्तक प्रकाशित करने के लिये कौशल विकास विभाग को बधाई देता हूं और मुझे उम्मीद है कि यह देश के सभी छात्रों और युवाओं तक पहुंचेगी।

    धन्यवाद।
    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।