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    07.07.2023 : एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय का 108 वां स्थापना दिवस समारोह, पाटकर हॉल, न्यू मरीन लाईन्स, मुंबई

    प्रकाशित तारीख: July 7, 2023

    एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय का 108 वां स्थापना दिवस समारोह, पाटकर हॉल, न्यू मरीन लाईन्स, मुंबई

    श्री चंद्रकांत दादा पाटील, मंत्री, उच्च व तंत्र शिक्षा विभाग

    श्री विकास चंद्र रस्तोगी, प्रधान सचिव, उच्च व तंत्र शिक्षा विभाग

    डॉ. उज्वला चक्रदेव, कुलपति, एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय

    प्रो. रुबी ओझा, प्र-कुलगुरु

    प्रो. विलास नंदावडेकर, कुलसचिव

    विश्वविद्यालय की सभी पूर्व छात्राएं

    अध्यापक, कर्मचारी, छात्र-छात्राएं

    भाईयों और बहनों,

    सबसे पहले मैं एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय और आप सभी को 108 वें स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई देता हूं और आपका अभिनंदन करता हूं।

    भारतीय पौराणिक कथाओं और अध्यात्म में 108 अंक का बहुत महत्व है।

    कई मंत्रों का जाप 108 बार किया जाता है और एक माला में 108 मोती होते हैं।

    वैदिक ब्रह्माण्ड विज्ञान के अनुसार, 108 सृष्टि का आधार है, ब्रह्मांड और हमारे पूरे अस्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है।

    कई मायनों में, एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय ब्रह्मांड के शाश्वत मूल्यों को कायम रखता है।

    शिक्षा का उद्देश्य अपने अस्तित्व के उद्देश्य को जानना है। मै कौन हूँ, यह जानना ही तो शिक्षा का मूल उद्देश्य है।

    स्वामी विवेकानन्द का एक बहुत प्रसिद्ध उद्धरण है:”शिक्षा मनुष्य में पहले से ही मौजूद पूर्णता की अभिव्यक्ति है”।

    107 वर्षों की अपनी लंबी और शानदार यात्रा में, एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय ने न केवल महिलाओं को ज्ञान के माध्यम से सशक्त बनाया है, बल्कि लाखों परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को भी ऊंचा उठाया है। शिक्षा के माध्यम से संस्था ने राज्य के विकास में अद्भुत योगदान दिया है।

    स्थापना दिवस विश्वविद्यालय के संस्थापक, भारत रत्न महर्षि कर्वे की दूरदर्शिता और प्रतिबद्धता को कृतज्ञतापूर्वक याद करने का अवसर प्रदान करता है।

    इस दिन, हमें परोपकारी सर विठ्ठलदास ठाकरसी की उदारता को भी याद करना चाहिए जिनके सहायता के बिना विश्वविद्यालय का पौधा एक बड़े बरगद के पेड़ के रूप में विकसित नहीं हो पाता।

    पूर्व न्यायाधीश और विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति सर सीताराम पाटकर ने विश्वविद्यालय की प्रारंभिक समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    विश्वविद्यालय का अस्तित्व कई कुलपतियों और संकाय सदस्यों के कारण विश्वविद्यालय को गौरव प्राप्त हुआ है।

    मुझे यह जानकर आनद हुआ कि वर्ष १९२१ में विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधी प्राप्त करनेवली महिलाओं की संख्या केवल पाँच थी, जब की आज ६०,००० महिलाएँ विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं।

    यह जानकर खुशी हुई कि प्रोफेसर उज्वला चक्रदेव के मार्गदर्शन में, एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय उत्कृष्टता, विस्तार और समावेशन पर जोर देकर महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने का निरंतर प्रयास कर रहा है। हाल ही में विश्वविद्यालय ने सिटी युनिवर्सिटी ऑफ न्यूयोर्क के साथ भी शिक्षा करार किया है, जो सराहनीय बात है।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने वर्ष २०३५ तक उच्च शिक्षा में महिलाओं के लिए सकल नामांकन अनुपात (GER) को मौजूदा २७.९ प्रतिशत से बढ़कर ५० प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है।

    विश्वविद्यालय महिलाओं के लिए व्यावसायिक और कौशल-आधारित विषयों के पाठ्यक्रम पेश करके इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

    विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा से वंचित महिलाओं तक पहुंचने के लिए अपना स्वयं का ओपन और डिस्टेंस लर्निंग विभाग भी शुरू किया है।

    पारिवारिक जिम्मेदारियाँ अपनाने के बाद कई महिलाओं को शिक्षा अधूरी रह जाती है।

    मैं विश्वविद्यालय से अपील करूंगा कि वह ऐसे महिलाओं तक अपने उपयुक्त पाठ्यक्रमों के माध्यम से पहुंचे।

    पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयास किए गए हैं।

    स्थानीय स्वायत्त संस्थानों में महिलाओं के लिए ५० प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की अनिवार्य नीति ने सरकार और सरकार के विभिन्न स्तरों पर निर्णय लेने वाले निकायों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ा दी है।

    यह बेहद गर्व की बात है कि इस साल की सिविल सर्विस परीक्षाओं में पहली ४ टॉपर महिलाएं थीं।

    आज पहले की तुलना में अधिक महिलाएं सीए, कंपनी सचिव, प्रबंधन स्नातक और सलाहकार बन रही हैं। अनेक कॉर्पोरेट बोर्ड पर महिला सदस्य नियुक्त किये जा रहे है।

    लेकीन फिर भी, महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अधिक अनुकूल माहौल बनाना आवश्यक है। इसके लिये महिलाओं और महिला स्नातकों में उद्यमिता की भावना पैदा करना आवश्यक है।

    उद्यमिता पर प्रशिक्षण प्रदान करना नए आर्थिक और सामाजिक अवसर पैदा करने की कुंजी है।

    महिला उद्यमियों ने आज हॉस्पिटेलिटी, सौंदर्य, ट्रॅव्हल अँड टुरिझम, स्वच्छता, आईटी, ऑटोमोबाइल और यहां तक कि नवाचार जैसे विविध क्षेत्रों में कदम रखा है।

    भारत सरकार ने महिलाओं के लिए कई ऋण योजनाएं शुरू की हैं। ये योजनाएँ उनकी उद्यमशीलता यात्रा के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्राप्त करने में काफी सहायक होंगी।

    मैं एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय को, महिलाओं के लिए विभिन्न सरकारी ऋण योजनाओं, जैसे महिलाओं के लिए मुद्रा ऋण, अन्नपूर्णा योजना, स्त्री शक्ति योजना, भारतीय महिला बैंक व्यवसाय ऋण, महिला उद्यम निधि योजना, प्रधान मंत्री रोज़गार योजना, इत्यादि के बारे में महिलाओं को शिक्षित करने के लिए एक संस्थागत व्यवस्था करने का अनुरोध करुंगा।

    देवियो और सज्जनों,

    हाल ही में इंफोसिस के सह-संस्थापक श्री नंदन नीलेकणि ने अपने अल्मा मेटर आईआईटी बॉम्बे को ३१५ करोड़ रुपये का दान दिया। अमेरिका और ब्रिटेन में कई विश्वविद्यालयों को उनके पूर्व छात्रों द्वारा भारी डोनेशन दिया जाता है।

    अब समय आ गया है कि हम भी अपने विश्वविद्यालय के विकास के लिए पूर्व छात्रों की क्षमता का उपयोग करें।

    मैं विश्वविद्यालय से सभी पूर्व छात्रों तक पहुंचने और इस विश्वविद्यालय के लिए एक ‘पूर्व छात्र संघ’ (एलम्नाय एसोसिएशन) बनाने का आग्रह करुंगा।

    आजादी के बाद पहली बार देश एक प्रगतिशील राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अपना रहा है। यह नीति भारतीय मूल्यों और संस्कृति को प्रोत्साहित करने, उद्यम और नवाचार को बढ़ावा देने का प्रयास करती है। महाराष्ट्र चालू शैक्षणिक वर्ष से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू करेगा।

    विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी नए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि मान्यता प्राप्त भारतीय विश्वविद्यालयों में सभी स्नातक (यूजी) छात्रों को अनिवार्य रूप से आठ से दस सप्ताह के लिए शोध इंटर्नशिप करनी होगी।

    मैं विश्वविद्यालय से प्रत्येक स्नातक के लिए प्रशिक्षुता और इंटर्नशिप सुनिश्चित करने के लिए उद्योग के साथ साझेदारी और संबंध बनाने का आह्वान करूंगा। इससे उनकी रोजगार क्षमता बढ़ेगी।

    इन्हीं शब्दों के साथ, मैं एक बार फिर विश्वविद्यालय को उसके 108वें स्थापना दिवस पर बधाई देता हूं और आप सभी को आपके भविष्य के प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।

    धन्यवाद
    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।