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    07.02.2024 : मुंबई विश्वविद्यालय का वार्षिक दीक्षांत समारोह

    प्रकाशित तारीख: February 7, 2024

    मुंबई विश्वविद्यालय का वार्षिक दीक्षांत समारोह। 7 फरवरी 2024

    श्री चंद्रकांत दादा पाटिल, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री

    प्रोफेसर एम जगदेश कुमार, अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

    प्रोफेसर डॉ. रवींद्र कुलकर्णी, कुलपति, मुंबई विश्वविद्यालय

    प्रोफेसर डॉ. अजय भामरे, प्रो वाइस चांसलर

    डॉ. प्रसाद कारंडे, प्रभारी निदेशक, परीक्षा एवं मूल्यांकन बोर्ड

    सीनेट, प्रबंधन परिषद, अकादमिक परिषद के प्रतिष्ठित सदस्य, विभिन्न विषयों के डीन, संकाय के सदस्य

    स्नातक छात्र और उनके माता-पिता

    सभी को सुप्रभात एवं शुभकामनाएँ।

    मुंबई विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के अवसर पर आज आप सभी के बीच आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।

    देश के सबसे पुराने विश्वविद्यालय में से एक, ऐसे अत्यधिक प्रतिष्ठित मुंबई विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मै बधाई देता हूं।

    आज स्वर्ण पदक पाने वाले विद्यार्थियों को मै विशेष रूप से बधाई देता हूं।

    यह प्रसन्नता की बात है कि डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या निरंतर बढ रही है।

    मेरे अंदाज से लगभग ७० से ८० प्रतिशत स्वर्ण पदक छात्रांओं ने जिते है। मै सभी छात्र और छात्राओं को बधाई देता हुं। पदक विजेता छात्र विशेष बधाई के हकदार है क्योंकि इनसे प्रेरणा लेकर अन्य छात्र छात्राएं भी आगे बढ़ेगी।

    प्यारे विद्यार्थियों, दीक्षांत समारोह का दिन केवल आपके लिए ही नहीं, बल्कि सभी प्राध्यापकों और आपके माता-पिता के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण एवं हर्ष और उल्लास का दिन है।

    मैं आपके माता-पिता और अभिभावकों को भी बधाई देता हूं। उन्होंने जीवन के हर मोड़ पर आपका साथ दिया है और आपकी सफलता में निर्णायक भूमिका निभाई है।

    मैं मुंबई विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों और यहां की पूरी टीम को भी बधाई देता हूं, जिनकी कड़ी मेहनत के फल स्वरुप आज आप अपने लक्ष्य को हासिल कर पाए हैं।

    आज आप सबको विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और उन सभी लोगों के प्रति भी आभार व्यक्त करना चाहिए जिन्होंने आपके लक्ष्य को प्राप्त करने में आपकी मदद की।

    विश्वविद्यालय का इतिहास बताता है कि महान विचारक न्यायमूर्ति महादेव गोविंद रानडे विश्वविद्यालय के पहले स्नातक बने। अन्य एक स्नातक डॉ आर जी भंडारकर महान संस्कृत विद्वान बन गए।

    उत्कृष्टता की इस परंपरा को बाद के स्नातकों द्वारा जारी रखा गया और आगे बढ़ाया गया।

    विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों की सूची बेहद गौरवशाली है।

    राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, सर फिरोजशाह मेहता, गोपाल कृष्ण गोखले, दादाभाई नौरोजी, जमशेदजी टाटा, भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर, देश के जानेमाने वैज्ञानिक डॉ. होमी जे. भाभा, पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, उद्योगपति अजीम प्रेमजी, वैज्ञानिक डॉ. रघुनाथ माशेलकर, डॉ. के कस्तूरीरंगन, ये सभी मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे है।

    मुझे विशेष आनंद हो रहा है कि, इस वर्ष जिन्हें भारतरत्न सम्मान घोषित हुआ है ऐसे देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी जी मुंबई विश्वविद्यालय के भूतपूर्व छात्र रह चुके है।

    विश्वविद्यालय का कुलाधिपति होने के नाते मै आप सभी की ओर से उनका हार्दिक अभिनंदन करता हूँ।

    इस वर्ष जिन्हे पद्मभूषण सम्मान घोषित हुआ है ऐसे उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री राम नाईक जी, जिन्हे पद्मश्री सम्मान घोषित हुआ है ऐसे अंजुमन ए इस्लाम के अध्यक्ष डॉ. झहीर काझी और रोप मल्लखांब के प्रशिक्षक श्री उदय देशपांडे जी का भी मै हार्दिक अभिनंदन करता हूँ।

    मुंबई विश्वविद्यालय का छात्र रुद्रान्क्ष पाटील ने एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। मैं उन्हे भी बधाई देता हूँ।

    देवियों और सज्जनों,

    ज्ञान केवल तथ्यों या सूचनाओं का संग्रह नहीं है; यह वह कुंजी है जो समझ, ज्ञान और प्रगति के द्वार खोलती है।

    यह वह नींव है जिस पर सभ्यताओं का निर्माण होता है, और यह नवाचार और परिवर्तन का उत्प्रेरक है।

    सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि ज्ञान हमें सशक्त बनाता है।

    यह व्यक्तियों को सही निर्णय लेने, अपने आस-पास की दुनिया को समझने और जीवन की जटिलताओं से निपटने का अधिकार देता है।

    तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में, जहां चुनौतियां और अवसर लगातार विकसित हो रहे हैं, नवीनतम ज्ञान जीवन की यात्रा में हमारा मार्गदर्शन करता है।

    इसके साथ ही, ज्ञान आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देता है।

    यह हमें हमारे समक्ष आने वाली जानकारी पर सवाल उठाने, विश्लेषण करने और मूल्यांकन करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

    आलोचनात्मक सोच एक स्वस्थ, संपन्न समाज की रीढ़ है।

    यह हमें तथ्य और कल्पना के बीच अंतर करने, धारणाओं को चुनौती देने और अच्छी तरह से सूचित विकल्प चुनने की अनुमति देता है।

    ज्ञान एक ऐसा सेतु है जो अतीत को वर्तमान से और वर्तमान को भविष्य से जोड़ता है।

    आप सभी को इस भव्य परंपरा का हिस्सा बनने कि यशस्वी कोशिश करना जरूरी है।

    हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ज्ञान केवल शैक्षिक उपलब्धि के बारे में नहीं है।

    इसमें व्यावहारिक ज्ञान, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और सांस्कृतिक जागरूकता सहित कौशल का एक व्यापक स्पेक्ट्रम शामिल है।

    एक सर्वांगीण व्यक्ति वह है जो विभिन्न रूपों में ज्ञान की तलाश करता है, अध्ययन के विभिन्न क्षेत्रों के अंतर्संबंध और उस समृद्धि को पहचानता है जो विविधता दुनिया की हमारी समझ में लाती है।

    विद्यार्थी मित्रों,

    आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा युवा देश बन रहा है। भारत में पूरी दुनिया को जनशक्ति आपूर्ति करने की क्षमता है।

    हाल ही में सम्माननीय प्रधानमंत्री जी ने युवाओं की क्षमताओं का ध्यान रखते हुए वॉइस ऑफ यूथ @2047 इस कार्यक्रम की घोषणा की है।

    माननीय प्रधान मंत्री ने युवाओं से कहा है कि वे विकसित भारत के बारे में अपने विचार उनके साथ साझा करें। उन्होंने सभी से 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए अगले 24 वर्षों के दौरान हर पल का सर्वोत्तम उपयोग करने की अपील की है।

    आने वाले शैक्षणिक वर्ष से हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का क्रियान्वयन करने जा रहे हैं।

    यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, इक्कीसवीं शताब्दी की पहली शिक्षा नीति है जिसका लक्ष्य हमारे देश के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करना है।

    यह नीति भारत की परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों के आधार को बरकरार रखते हुए, इक्कीसवीं सदी की शिक्षा के लिए आकांक्षात्मक लक्ष्यों, के संयोजन में शिक्षा व्यवस्था, उसके नियमन और गवर्नन्स सहित, सभी पक्षों के सुधार और पुनर्गठन का प्रस्ताव रखती है।

    मैं मुंबई विश्वविद्यालय से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मानक स्थापित करने का आह्वान करूंगा। यह अन्य विश्वविद्यालयों के लिए अनुकरणीय उदाहरण बनेगा।

    देवियों और सज्जनों,

    यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रत्येक व्यक्ति में निहित रचनात्मक क्षमताओं के विकास पर विशेष जोर देती है।

    प्राचीन और सनातन भारतीय ज्ञान और विचार की समृद्ध परंपरा के आलोक में यह नीति तैयार की गयी है।

    ज्ञान, प्रज्ञा और सत्य की खोज को भारतीय विचार परंपरा और दर्शन में सदा सर्वोच्च मानवीय लक्ष्य माना जाता था।

    अब हमें सब को मिलकर अपनी पूर्व गरिमा को प्राप्त करना है।

    कई शिक्षाविदों का यह मानना है कि नई शिक्षा प्रणाली के आधार पर भारत विश्व महाशक्ति बन सकता है।

    इस में मुंबई विश्वविद्यालय की बड़ी भूमिका रहेगी।

    यह उचित है कि इस उत्तरदायित्व की चेतना को वास्तविक क्रियाकलाप के माध्यम से पूर्ण किया जाना चाहिए। यह बहुत अच्छी बात है कि विश्वविद्यालय विभिन्न योजनाओं के साथ-साथ उसके अनुसार क्रियान्वयन के प्रति भी सजग है।

    आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा युवा देश बन रहा है। भारत में पूरी दुनिया को जनशक्ति आपूर्ति करने की क्षमता है। भारत की सांस्कृतिक विविधता, विश्व गुरु बनने की उसकी क्षमता, विश्व का नेतृत्व करने की उसकी शक्ति और विश्व के सबसे युवा देश के रूप में उसकी प्रतिष्ठा सार्वभौमिक है।

    मैं विश्वविद्यालय से अपील करूंगा कि :

    1. ‘विकसित भारत’ उद्देश्य के मद्देनजर, अगले 10 वर्षों में विश्वविद्यालय को भारत के शीर्ष दस विश्वविद्यालयों में पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित करें।

    2. विश्वविद्यालय प्रशासन में आमूलचूल सुधार लाकर छात्रों की शिकायतों को ईमानदारी से दूर करने के लिए एक व्यवस्था बनाएं।

    3. ग्राम गोद लेने की परियोजनाओं के माध्यम से छात्रों को सामाजिक उपक्रमों में शामिल करें।

    4. स्किल यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर काम करें और उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा दें।

    5. पूर्व छात्रों तक पहुंचे और उन्हें विश्वविद्यालय के विकास और विस्तार में शामिल करें।

    मैं एक बार फिर सभी स्नातक छात्रों को बधाई देता हूं और उनसे अपील करता हूं कि वे अपनी उपलब्धियों से विश्वविद्यालय और देश को गौरवान्वित करें।

    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।