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    05.07.2023 : भारत के राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के उपस्थिती में भारतीय विद्या भवन के ‘रामायण सांस्कृतिक केंद्र’ का उद्घाटन

    प्रकाशित तारीख: July 5, 2023

    भारत के राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के उपस्थिती में भारतीय विद्या भवन के ‘रामायण सांस्कृतिक केंद्र’ का उद्घाटन

    माननीय राष्ट्रपति महोदया,

    सभी सम्मानित मंत्री

    सांसद तथा विधान मंडल सदस्य

    श्रीमती अन्नपूर्णी शास्त्री, निदेशक, भारतीय विद्या भवन, नागपुर केंद्र

    विशिष्ट आमंत्रित गण

    भारतीय विद्या भवन के अनूठे ‘रामायण सांस्कृतिक केंद्र’ का राष्ट्रपति महोदया के कर कमलों द्वारा हो रहे उद्घाटन का साक्षी होकर मै अत्यंत हर्ष का अनुभव कर रहा हूं।

    भारतीय विद्या भवन, भारत के सबसे महान सामाजिक -सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थानों में से एक है, जिसकी स्थापना वर्ष १९३८ में स्वर्गीय कुलपति के. एम. मुन्शी ने की थी।

    अत्यंत सराहनीय बात है कि, स्थापना के विगत ८५ वर्षों से भारतीय विद्या भवन, भारतीय संस्कृति और भाषाओं की जननी मानी जाने वाली, संस्कृत भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए अनवरत काम कर रहा है।

    आज भारतीय विद्या भवन का नन्हा पौधा एक विशाल वट वृक्ष बन गया है।

    मुझे खुशी है कि नागपुर में भारतीय विद्या भवन ने छात्रों और युवाओं के बीच संस्कृति और देशभक्ति की भावना पैदा करने के उद्देश्य से और रामायण के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए एक अद्वितीय और शानदार सांस्कृतिक केंद्र बनाया है।

    रामायण, मानवता का एक अमूल्य धरोहर है। यह हमारी संस्कृति, आदर्श और नैतिकता का प्रतीक है। यह एक ऐसी कथा है जिसने न केवल हमारी सोच और भावनाओं को प्रभावित किया है, बल्कि इसने हमें एक सामाजिक और आध्यत्मिक उच्चतमता की ओर प्रेरित भी किया हैं।

    रामायण की कथा सदैव मनोरम है। राम कथा अन्य अनेक भारतीय भाषाओं में भी लिखी गयीं। हिन्दी में कम से कम 11, मराठी में 8, बाङ्ला में 25, तमिल में 12, तेलुगु में 12 तथा उड़िया में 6 रामायणें मिलती हैं।

    तिब्बत, तुर्किस्तान, इंडोनेशिया, इण्डोचायना, म्यांम्मार, थाईलैंड आदी अनेक देशों में भी राम कथा सुनी और गाई जाती है, तथा राम कथा का नाट्यमंचन किया जाता है।

    राम कथा बार बार सुनने और सुनाने की जरूरत है।

    “रामायण दर्शनम हॉल”, मनोरम भित्तिचित्रों और तेल चित्रों के माध्यम से रामायण को दर्शाता है।

    इन उत्कृष्ट कृतियों के साथ अंग्रेजी, हिंदी और मराठी में जानकारीपूर्ण लेख हैं, जो महाकाव्य कहानी की व्यापक समझ सुनिश्चित करते हैं।

    “भारत माता सदनम”, हमारे बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों और रक्षा कर्मियों को एक अनोखी श्रद्धांजलि है, जिसे देशभक्ति की गहरी भावना को अधोरेखित करने वाले डिजाइन से संजोया गया है।

    मुझे विश्वास है कि भारतीय विद्या भवन का सांस्कृतिक केंद्र दुनिया भर के बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों को भी आकर्षित करेगा और भारत में एक महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल बन जाएगा।

    रामायण सांस्कृतिक केंद्र नागपुर, आने वाले सभी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाएगा।

    डिजिटल मीडिया नई पीढ़ी से जुड़ने का एक अच्छा जरिया है। वेबसाईट पर ‘व्हर्चुअल टूर’ उपलब्ध कराके नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति तथा मुल्यों के साथ जोडने का भारतीय विद्या भवन का प्रयास निश्चितही सराहनीय है।

    संगठन के द्वारा इस कार्यक्रम की योजना और आयोजन के लिए धन्यवाद देने के साथ, मैं सभी कलाकारों, निर्माताओं, निर्देशकों, और सभी लोगों का धन्यवाद देना चाहुंगा, जो इस प्रयास में अपना योगदान दे रहे हैं ।

    मैं लोगों से आवाहन करता हूं कि वे रामायण केंद्र का दौरा करे और राष्ट्र के शाश्वत मूल्यों से प्रेरणा प्राप्त करे।

    धन्यवाद
    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।