04.04.2024 : भारत के माननीय राष्ट्रपति के करकमलों द्वारा कैंसर के इलाज के लिए भारत की पहली एकीकृत स्वदेशी ‘CAR – T सेल’ थेरपी ‘नेक्स कार 19’ का शुभारंभ
भारत के माननीय राष्ट्रपति के करकमलों द्वारा कैंसर के इलाज के लिए भारत की पहली एकीकृत स्वदेशी ‘CAR – T सेल’ थेरपी ‘नेक्स कार 19’ का शुभारंभ।
महामहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, भारत के माननीय राष्ट्रपति
प्रा. शुभाशिस चौधुरी, निदेशक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई
प्रा. सुदीप गुप्ता, निदेशक, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल
सभी विशिष्ट अतिथि
आयआयटी मुंबई तथा टाटा मेमोरियल सेंटर और हॉस्पिटल के विशेषज्ञ, अध्यापक, शोधकर्मी तथा छात्र छात्राएं,
सबसे पहले मैं भारत के माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का महाराष्ट्र राज्य में हार्दिक स्वागत करता हूं।
आज का दिन, देश के लिए, और विशेष रूप से I I T मुंबई और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है ।
देश के दोनों शीर्ष संस्थानों द्वारा चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अद्भुत पहल का आज शुभारंभ हो रहा है ।
आज हम न केवल एक नई कैंसर ट्रीटमेंट प्रणाली का लोकार्पण कर रहे हैं जो कुछ प्रकार के कैंसर के इलाज में मदद कर सकते है, बल्कि एक यशो गाथा भी दुनिया के सामने ला रहे हैं, जो ‘विकसित भारत’ के हमारे लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम है ।
इस उत्कृष्ट उपलब्धि पर मै I I T बॉम्बे और टाटा मेमोरियल सेंटर को बधाई देता हूं। साथ ही, इस परियोजना में सहयोग के लिए उद्योग भागीदारों को भी बधाई देता हूं।
कुछ महीने पहले, टाटा मेमोरियल अस्पताल के साथ कार्य कर रहे एनजीओ के सदस्य, कैंसर पीड़ित छोटे बच्चों के साथ राजभवन आये थे ।
कैंसर का इलाज करा रहे छोटे-छोटे लड़के-लड़कियों के मासूम चेहरे देखकर मुझे काफी दुख हुआ । जो उम्र खेलने का है, बच्चे बीमारी से जूझ रहे है |
आम तौर पर, तम्बाकू और तम्बाकू से जुडे उत्पादों के सेवन से लोगो को कैंसर होता है, ऐसी हमारी धारणा होती हैं ।
लेकिन इन बच्चों में तो ऐसी कोई आदत नहीं होती । फिर भी वे ब्लड कैंसर जैसे गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं । छोटे बच्चों के साथ उनके माता-पिता को कितने कष्ट होते होंगे इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते।
वर्ष 2025 तक देश में कैंसर के मामले, 15.7 लाख तक पहुंचने का अनुमान है।
CAR – T सेल थेरेपी न केवल बुजुर्ग कैंसर रोगियों के लिए, बल्कि महत्वपूर्ण रूप से बाल कैंसर रोगियों के लिए एक वरदान के रूप में आई है।
हमें इस थेरेपी को जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाना होगा । साथ ही इसे सभी के लिए किफायती बनाने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा ।
नोबेल पुरस्कार विजेता, भारतीय वैज्ञानिक सी वी रमण ने कहा था, “विज्ञान को प्रयोगशाला की चार दीवारों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे हमारे जीवन के सभी पहलुओं में समाहित करना चाहिए।”
आज की उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि भारतीय विज्ञान प्रयोगशाला की दीवारों को तोड़ रहा है।
हाल के वर्षों में, पूरे विश्व ने भारत को दुनिया के टीकाकरण केंद्र के रूप में मान्यता दी है, जिसने डीएनए कोविड वैक्सीन, दुनिया का पहला इंट्रा-नेज़ल कोविड वैक्सीन और भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित वैक्सीन, सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए वैक्सीन और कई अन्य टीके तैयार किए हैं।
हमारे देश में चिकित्सा में नवाचार के कारण लोगों के जीवन काल में वृद्धि हो रही है ।
भारत को ‘अमृत काल’ के दौरान द्विध्रुवीय चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
हमारी 70% से अधिक जनसंख्या 40 वर्ष से कम उम्र की है और दूसरी ओर, हमारे यहां बुजुर्ग आबादी निरंतर बढ़ रही है।
इस प्रकार, हमारे सामने बीमारियों के प्रसार को रोकने के साथ-साथ अक्षमता को रोकने की दोहरी चुनौती है।
किसी भी उन्नत देश में, शिक्षा-उद्योग सहयोग प्रमुख आधारशिला है।
आज भारत दोनों संकेतकों पर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।
विकसित भारत को यह भी ध्यान रखना होगा कि हमारी स्वास्थ्य सेवाएँ दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हों। आने वाले दशकों में स्वास्थ्य सुरक्षा स्वयं नए नवाचारों के साथ एक बड़े बदलाव से गुजरेगा।
हमारे सामने कुछ विशिष्ट चुनौतियां भी है , जिनका हमें समाधान ढूंढना होगा ।
महाराष्ट्र, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ राज्यों में सिकल सेल एनीमिया की समस्या बनी हुई है। ‘सिकल जीन’ विदर्भ में व्यापक रूप से फैला हुआ है, खासकर आदिवासी समुदायों के बीच। हमारी वैज्ञानिक बिरादरी को अनुसंधान और विकास के माध्यम से इस समस्या के लिए एक स्थायी समाधान खोजने पर काम करना चाहिए।
यह प्रसन्नता की बात है कि सेल और जीन थेरेपी, कैंसर के इलाज से लेकर सिकल सेल एनीमिया जैसे आनुवंशिक विकारों और बढ़ती आबादी के साथ आने वाली कई अन्य चुनौतियों का एक महत्वपूर्ण पहलू होगी।
भारत दुनिया की मधुमेह राजधानी के रूप में उभरा है। 2023 में प्रकाशित भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद – भारत मधुमेह (ICMR इंडियाबी) अध्ययन के अनुसार, मधुमेह की व्यापकता 10.1 करोड़ है।
जबकि सरकार बीमारी की रोकथाम और उपचार के पहलुओं पर काम कर रही है, हमें मधुमेह और अन्य जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से निपटने के लिए गहन शोध की आवश्यकता है।
एक पखवाड़े पहले, मेरी भारत के सभी 23 I I T के रजिस्ट्रारों के साथ बैठक हुई थी। अच्छा होगा अगर हर I I T एक इनोवेशन लेकर आए। इससे भारत को 2047 से काफी पहले, विकसित भारत बनने में मदद मिलेगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग में चिकित्सा निदान के क्षेत्र में क्रांति लाने की क्षमता है। मशीन लर्निंग तकनीकों का लाभ उठाकर, A I बीमारियों का निदान करने, फ्रैक्चर, ट्यूमर या अन्य स्थितियों का पता लगाने में मदद कर सकता है, जिससे तेज और अधिक सटीक चिकित्सा निदान होगा ।
आज के इस दिन, I I T मुंबई और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल को ‘CAR – T सेल’ थेरपी के सफल लॉन्च के लिए बधाई देते हुए मैं उनसे कहना चाहता हूं कि हमें आपसे बहुत उम्मीदें हैं।
जय हिंद। जय महाराष्ट्र।
जय विज्ञान। जय अनुसंधान।।