08.07.2024 : पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी मुंबई द्वारा आयोजित भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर पुरस्कार 2024 वितरण
पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी मुंबई द्वारा आयोजित भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर पुरस्कार 2024 वितरण। 8 जुलाई 2024
श्री रामदास आठवले, केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री एवं अध्यक्ष, पीपल्स एजुकेशन सोसायटी
श्री चंद्रकांत दादा पाटील, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री
पद्मश्री डॉ. सुखदेव थोरात, उपाध्यक्ष, पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी तथा पूर्व अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
पद्मश्री एडवोकेट उज्ज्वल निकम, ट्रस्टी, पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी
डॉ. वामन आचार्य, सचिव
डॉ. यू. एम. म्हस्के, संयुक्त सचिव
श्री चंद्रशेखर कांबले, कार्यकारी समिति सदस्य
भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर पुरस्कार 2024 के सभी सम्मानित प्राप्तकर्ता
आमंत्रित व्यक्ति
देवियों और सज्जनों
सबसे पहले मैं पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी और सोसाइटी से जुड़े सभी ट्रस्टी और पदाधिकारियों को सोसायटी के 79 वें स्थापना दिवस के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।
पीपल्स एजुकेशन सोसायटी देश की एक अद्वितीय शैक्षणिक संस्थान है जिसकी स्थापना वर्ष 1945 में स्वयं भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने की थी।
विगत 8 दशकों के दौरान, सोसाइटी ने सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों की कई पीढ़ियों को शिक्षित किया है और आत्मनिर्भर बनाया है।
संस्थाने महाराष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
यह बहुत गर्व की बात है कि डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की विरासत को पीपल्स एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्षों और ट्रस्टियों द्वारा निष्ठापूर्वक आगे बढ़ाया जा रहा है।
मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि केंद्रीय मंत्री श्री रामदास आठवले जी, UGC के भूतपूर्व अध्यक्ष डॉ. सुखदेव थोरात जी, पब्लिक प्रोसेक्युटर एडवोकेट उज्वल निकम और अन्य सम्मानित व्यक्ति सोसाइटी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
आप में से प्रत्येक हमारे अभिनंदन के पात्र है।
आज विभिन्न क्षेत्रों के जाने माने लोगों को ‘भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर पुरस्कार’ प्रदान किया जा रहा है। इस सुंदर आयोजन के लिए मै पीपल्स एजुकेशन सोसायटी का अभिनंदन करता हूं।
शिक्षा, साहित्य, सार्वजनिक सेवा, व्यापार, समाज सेवा, कला, मनोरंजन और अन्य क्षेत्रों में अमूल्य सेवा प्रदान कर रहे आज के सभी पुरस्कार प्राप्त लोगों का मैं हार्दिक अभिनंदन करता हूँ।
भारत रत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने 8 जुलाई 1945 को पीपुल्स एजुकेशन सोसायटी की स्थापना की थी।
“पीपल्स एजुकेशन सोसायटी का उद्देश्य केवल शिक्षा देना नहीं है, बल्कि इस तरह की शिक्षा देना है जिससे बौद्धिक, नैतिक और सामाजिक लोकतंत्र को बढ़ावा मिले। आधुनिक भारत को आज इसी की जरूरत है और भारत के सभी शुभचिंतकों को इसी को बढ़ावा देना चाहिए,।” इन शब्दों में डॉ आंबेडकर जी ने संस्था का उद्देश्य जाहीर किया था।
डॉ आंबेडकर जी का दृढ़ विश्वास था कि दलितों के उत्थान के लिए शिक्षा ही एकमात्र प्रभावी साधन है। केवल शिक्षा के माध्यम से ही पीड़ित भारतीय जनमानस को मानव के रूप में अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाया जा सकता है, ऐसा वे मानते थे। उन्होंने अपने लोगों से कहा: ‘मेरी आपके लिए अंतिम सलाह है कि शिक्षित बनो, आंदोलन करो और संगठित हो – एज्युकेट, एजिटेट अँड ऑर्गनाइज !
अपनी व्यापक छत्रछाया में, पीपल्स एजुकेशन सोसायटी मुंबई, नवी मुंबई, पुणे, छत्रपति संभाजीनगर, कोल्हापूर, नांदेड, बंगलोर तथा बिहार में अनेक कॉलेजेस तथा स्कूल्स और होस्टेल्स का संचालन कर रही है, जहां डेढ लाख छात्र – छात्राएं सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं।
मित्रों,
दुनिया के देशों और समाजों के अध्ययन से पता चलता है कि जिन लोगों ने जोखिम उठाया, महासागरों पर विजय प्राप्त की और देशों और महाद्वीपों को लांघकर उद्यमी बने और व्यापार किया, उन्होंने दुनिया पर राज किया।
कई शताब्दियों तक भारत एक महान समुद्री राष्ट्र था, जिसके दुनिया के कई दूर-दराज के देशों के साथ व्यापारिक संबंध थे।
सशक्त नीति मूल्यों पर खड़ा हमारा भारत एक शिक्षा केंद्र के रूप में भी विकसित हुआ। भारत के विश्वविद्यालयों ने दुनिया के कई देशों के विद्वानों को आकर्षित किया।
यूरोप या एशिया के किसी भी देश से भारत कहीं ज़्यादा औद्योगिक और विनिर्माण करने वाला देश था।
हमारे कॉटन, वूलन, लिनन और रेशमी कपड़े दुनिया भर में मशहूर थे।
हमारे रत्न, आभूषण और जेम स्टोन भी दुनिया में मशहूर थे। हर तरह की गुणवत्ता, रंग और सुंदर आकार के चीनी मिट्टी के बर्तन भी मशहूर थे।
अमेरिकी लेखक जे. टी. संडरलैंड के अनुसार, “भारत की वास्तुकला दुनिया के किसी भी देश से सुंदरता में बराबर थी। भारत के पास महान व्यापारी, महान व्यवसायी, महान बैंकर और वित्तदाता थे। भारत न केवल सबसे बड़ा जहाज़ निर्माण करने वाला देश था, बल्कि उसके पास ज़मीन और समुद्र के ज़रिए शानदार वाणिज्य और व्यापार था जो सभी ज्ञात सभ्य देशों तक फैला हुआ था।
अपने अतीत के गौरव को पुनः प्राप्त करने के लिए, भारत को शिक्षा, उच्च शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा और कौशल शिक्षा में भारी निवेश करना होगा।
भारत आज दुनिया का सबसे युवा राष्ट्र बनकर उभरा है। आज दुनिया के कई देश, विशेष रूप से उम्रदराज देश, कुशल जनशक्ति की अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए भारत की ओर देख रहे हैं।
मैं पीपल्स एजुकेशन सोसायटी से उच्च शिक्षा के साथ कौशल शिक्षा को एकीकृत करने का आह्वान करूंगा।
आज के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के युग में, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे छात्र – छात्राएं A I के उपयोग से परिचित हों। हमें इस तथ्य के प्रति सचेत रहना होगा कि A I के आने से कई कौशल अप्रचलित हो सकते हैं। लेकिन, साथ ही, बुनियादी कौशल का ज्ञान होना जरूरी होगा।
पिछले वर्ष, जर्मनी के महावाणिज्यदूत ने मुझे बताया कि जर्मनी को हर साल भारत से 4 लाख स्किल्ड मैनपावर की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उनके देश को इंजीनियरों, नर्सों और यहां तक कि कसाईयों की भी जरूरत है। यह अच्छा होगा यदि हम अपने छात्रों को कौशल के साथ विदेशी भाषाएँ सीखने के लिए भी प्रोत्साहित करें।
डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर महिला सशक्तिकरण के पक्षधर थे। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रबंधन सहित सभी मंचों पर महिलाओं को शामिल करें, उनके सुझावों पर गंभीरतासे विचार करें।
पीपुल्स एजुकेशन सोसायटी की एक महान विरासत है। सोसाइटी द्वारा संचालित कॉलेज जैसे मिलिंद कॉलेज, सिद्धार्थ कॉलेज और अन्य ने समाज के लिए कई महान लोगों को जन्म दिया है।
मैं सोसाइटी से एक स्वायत्त संस्थान बनने का आह्वान करूँगा। हमें पीपल्स एजुकेशन सोसायटी को भारत के सबसे महान शैक्षणिक संस्थानों में से एक बनाने का प्रयास करना चाहिए। यही भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजली होगी।
भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर पुरस्कार के प्राप्तकर्ता समाज में बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। वे विभिन्न क्षेत्रों में प्रेरक नेता हैं। मैं सभी पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को बताना चाहता हूँ कि हमें आपके योगदान और उपलब्धियों पर गर्व है।
मैं सोसाइटी को एक बार फिर स्थापना दिवस पर बधाई देता हूँ और सोसायटी के भविष्य के प्रयासों में सफलता की कामना करता हूँ।
जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।