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    31.05.2024 : पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर जयंती त्रिशताब्दी समारोह

    प्रकाशित तारीख: May 31, 2024
    पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर जयंती त्रिशताब्दी समारोह

    पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर जयंती त्रिशताब्दी समारोह। 31 मई 2024

    प्रोफेसर डॉ. रवींद्र कुलकर्णी, कुलपति, मुंबई विश्वविद्यालय

    डॉ. सतीश मोढ, निदेशक, विवेकानंद एजुकेशन सोसाइटी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च

    श्री आशीष कुमार चौहान, सीईओ, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज

    प्राचार्य डॉ. अजय भामरे, प्रो वाइस चांसलर, मुंबई विश्वविद्यालय

    श्री धीरज बोरीकर, कोषाध्यक्ष, समरसता साहित्य परिषद, महाराष्ट्र प्रदेश

    डॉ बलिराम गायकवाड़, रजिस्ट्रार, मुंबई विश्वविद्यालय के अधिकारी,

    अध्यापक, छात्र – छात्राएं,

    समरसता साहित्य परिषद के सभी सम्मानित सदस्य

    भाइयों और बहनों,

    पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर जयंती के त्रि शताब्दी वर्ष समारोह के शुभारंभ के साथ जुड़कर मुझे अत्यधिक प्रसन्नता हो रही है।

    सबसे पहले मैं लोकमाता अहिल्या देवी को वंदन करता हूं, नमन करता हूं।

    पुण्यश्लोक अहिल्या देवी होलकर जयंती त्रिशताब्दी समारोह के संयुक्त आयोजन के लिए मैं मुंबई विश्वविद्यालय और समरसता साहित्य परिषद, महाराष्ट्र प्रदेश को बधाई देता हूं।

    आज ही के दिन वर्ष 1725 में अहिल्या देवी का जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में हुआ था।

    31 मई का आज का दिन, एक और मायने में महत्व का है।

    वर्ष 1893 में आज ही के दिन, भारतीय संस्कृति के विश्व प्रणेता और संवाहक स्वामी विवेकानन्द ने मुम्बई से अपनी शिकागो यात्रा के लिये प्रस्थान किया था।

    स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो में हुए विश्व धर्म संसद को संबोधित किया और पुरी दुनिया के मन में भारत के बारे में धारणा बदल दी।

    देवियो और सज्जनो,

    इतिहास में अलग-अलग समय पर भारत के इस पावन भूमि पर महान पुरुषों और महिलाओं ने जन्म लिया है, जिन्होने समय समय पर अद्भुत कार्य किये।

    हमारा सौभाग्य है कि, महाराष्ट्र की भूमि पर संत ज्ञानेश्वर, विश्व गुरु संत तुकाराम, छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज, लोकमान्य तिलक, वीर सावरकर, भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जैसी महान विभूतियों ने मानवता के लिए, देश के लिए असाधारण कार्य किया।

    इसी भूमि ने पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर, क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले, रानी लक्ष्मीबाई, मैडम भिकाजी कामा और अरुणा आसफ अली जैसी महान महिला नेताओं को जन्म दिया है, जिन्होने देश के विकास में तथा देश के स्वतंत्रता संग्राम में अनुपम योगदान दिया।

    भारत की विरासत, संस्कृति और शक्ति को समृद्ध करने में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जैसा दुसरा उदाहरण नही है।

    अपने लोक कल्याणकारी कदमों की वजह से वे 18वीं सदी की महान विभूति के रूप में जानी जाती हैं।

    अहिल्या देवी होल्कर के जीवन और कार्य से तीन विशिष्ट बातें सामने आती हैं।

    1. सुशासन

    2. धर्म का पुनर्जागरण

    3. महिला सशक्तिकरण

    अपने पति खंडेराव होलकर और ससुर मल्हारराव होलकर के निधन के बाद, अहिल्याबाई ने बडी हिम्मत का परिचय देते हुए होलकर साम्राज्य को दृढ़ता और साहस के साथ संभाला।

    एक दूरदर्शी प्रशासक के रूप में अहिल्याबाई ने भूमि राजस्व प्रबंधन की प्रक्रिया सरल बनाई। उनका प्रशासन निष्पक्षता, न्याय और अपनी प्रजा के प्रति कर्तव्य की गहरी भावना की मिसाल था।

    ऐसे समय में जब महिलाओं की आवाज़ अक्सर दबा दी जाती थी, उन्होंने उनके अधिकारों की वकालत की और उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए रास्ते बनाने की दिशा में काम किया।

    उन दिनो हमारा देश चारों ओर दुश्मनों से घिरा हुआ था।

    अहिल्या देवी ने शिक्षा प्राप्त की और युद्धकला भी सिख ली।

    लोकमाता सक्षम तीरंदाज थीं। उन्होंने ही मालवा आर्मी में महिलाओं की अलग इकाई स्थापित की।

    लोकमाता ने यह सुनिश्चित किया कि महिलाएं सेना का हिस्सा बनें।

    हमारे लिए गर्व की बात है कि, आज महिला सशक्तिकरण के मामले में परिदृश्य काफी बदल रहा है।

    इस साल सिविल सर्विस परीक्षा में पहले 10 टॉपर्स में से छह महिलाएं थीं।

    पुलिस बल में महिलाओं का अनुपात स्पष्ट रूप से बढ रहा है।

    स्थानीय स्वायत्त निकायों में 50 प्रतिशत महिलाएं प्रतिनिधित्व कर रही है।

    आने वाले वर्षों में संसद और राज्य विधानसभाओं में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा।

    एक पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था को चुनौती देकर राज्य का आगे बढ़कर नेतृत्व करने में पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर जैसी महिलाओं द्वारा दिखाए गए साहस को स्वीकार करना होगा।

    हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के प्रति उनका समर्पण वास्तव में सराहनीय है।

    देवी अहिल्याबाई ने अपने जीवनकाल में कई मंदिरों का जीर्णोद्धार तथा पुनर्निर्माण कराया, जो आक्रांताओं और अंग्रेजी शासकों के अत्याचारों के शिकार हुए थे।

    अहिल्याबाई ने 1780 में वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए धन मुहैया कराया।

    उन्होने मणिकर्णिका घाट, दशाश्वमेध घाट, अहिल्या घाट, शीतला घाट सहित घाटों का पुनर्निर्माण किया। कई धर्मशाला और उद्यानों का निर्माण किया।

    ध्वस्त हो चुके सोमनाथ मंदिर के समीप दो मंजिला मंदिर बनवाया।

    अहिल्याबाई होल्कर उत्कृष्ट समाज परिवर्तक भी थी। उन्होने मालवा संस्थान में सती प्रथा के खिलाफ आवाज उठाया।

    कुप्रथाओं को तोड़ते हुए उन्होंने लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने का साहसिक कार्य किया।

    विधवाओं को संपत्ति में हक दिलाया।

    महेश्वर में स्थानीय हथकरघा उद्योग का विकास कर दुनिया को महेश्वर साड़ी की सौगात दी। लोकमाता के शासन काल में सड़क निर्माण व जल संरक्षण के बुनियादी ढांचे पर जोर दिया गया।

    आज, जब हम अहिल्यादेवी की विरासत को याद कर रहे हैं, तो हमें महिलाओं को जीवन के सभी क्षेत्रों में नेतृत्व की स्थिति संभालने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता को भी पहचानना चाहिए।

    जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं को समान भागीदार बनाए बिना हम ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते।

    आज महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए देखकर खुशी होती है।

    लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।

    अहिल्यादेवी होलकर की स्मृति को कायम रखकर, हमें एक अधिक समावेशी और न्यायसंगत समाज बनाना होगा जहां महिलाओं को आगे बढ़ने और नेतृत्व करने का अवसर दिया जाएगा।

    इस संबंध में, मैं विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों से अहिल्यादेवी होलकर की विरासत को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आग्रह करता हूं। मैं प्रदेश के विश्वविद्यालयों से छात्राओं के लिए और अधिक छात्रावास बनाने का आह्वान करूंगा।

    हमें कामकाजी महिलाओं के लिए और अधिक छात्रावास बनाने होंगे।

    हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि वंचित आदिवासी लड़कियां गरीबी के कारण बीच में ही पढ़ाई न छोड़ें।

    महिला स्नातकों में स्वर्ण पदक विजेताओं का प्रतिशत अधिक है। लेकिन कार्य स्थलों पर उनकी भागीदारी उनकी क्षमता की तुलना में कम रहती है।

    हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अधिक महिला उद्यमी तैयार करें। हमें महिलाओं को और अधिक स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।

    हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि महिलाओं को उनके आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से सभी राज्य और केंद्र योजनाओं का लाभ मिले।

    मैं एक ऐसे दिन का सपना देखता हूं जब महिलाएं जीवन के सभी क्षेत्रों में समाज का नेतृत्व करेंगी।

    यह अहिल्यादेवी होलकर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

    त्रि शताब्दी के इस महत्वपूर्ण अवसर पर मै एक बार फिर पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी को नमन करता हूं और आयोजक संस्थाओं का इस सुंदर आयोजन के लिए अभिनंदन करता हूं।

    धन्यवाद।
    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।