01.02.2024 : राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा आयोजित भारत रंग महोत्सव की 25 वीं वर्षगांठ
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा आयोजित भारत रंग महोत्सव की 25 वीं वर्षगांठ। स्थान: एनसीपीए, मुंबई। शाम 5.30 बजे। 1 फरवरी 2024
श्री परेश रावल, अध्यक्ष, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय
श्री पंकज त्रिपाठी, भारत रंग महोत्सव के ब्रांड एंबेसडर
श्री रघुवीर यादव, जाने माने रंग कर्मी, अभिनेता
श्री चितरंजन त्रिपाठी, निदेशक, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय
रंगमंच से जुड़े सभी कलाकार, निर्माता, रिसर्चर्स, स्कॉलर, दर्शक
देवियों और सज्जनों
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा आयोजित 25 वें भारत रंग महोत्सव – ‘भारंगम’ के उद्घाटन समारोह में शामिल होकर मुझे वास्तव में बहुत खुशी हो रही है।
दुनिया का सबसे बडा थिएटर फेस्टिवल ‘भारंगम’ को भारत में आयोजित करने के लिए मै नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा को हार्दिक बधाई देता हूं।
महोत्सव के लिये देश विदेश से आये सभी रंग प्रेमियों का भी मै महाराष्ट्र में स्वागत करता हूं।
मुझे यह जानकर विशेष रूप से खुशी हुई कि महोत्सव केवल मुंबई – दिल्ली तक सीमित न रहकर, देश के विभिन्न स्थानों की यात्रा करेगा।
‘भारंगम’ के 25 वें संस्करण की शुरुआत मुंबई में हो रही है।
मुंबई भारत की फिल्म राजधानी है।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय का फिल्म जगत में बहुत बड़ा योगदान रहा है, जिसने इसे अनेक महान अभिनेता और फिल्म निर्माता दिए हैं।
वास्तव में, मुंबई में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय का केंद्र होना चाहिये।
मुंबई के लोग रंग भूमि के अच्छे पारखी हैं।
हर दिन मुंबई में सैकड़ों मराठी, हिंदी, गुजराती और अंग्रेजी नाटक चलते रहते हैं।
मुझे खुशी है कि आज से आरंभ हो रहे इस 22 दिवसीय ‘भारत रंग महोत्सव’ में देश के 15 शहरों में 150 से अधिक नाटकों का मंचन हो रहा है। इसके साथ ही, निदेशक के साथ विमर्श सत्र, मास्टरक्लास और रंग दिग्गजों के साथ संवाद, कार्यशालाओं का आयोजन हो रहा है।
मुझे बताया गया है कि, NSD भारत के आदिवासी रंगमंच को प्रदर्शित करने के लिए ‘आदिरंग’ महोत्सव का भी आयोजन करता है। ये वाकई सराहनीय है।
श्री परेश रावल जी, पंकज त्रिपाठी जी, रघुवीर यादव जैसे प्रसिद्ध रंगकर्मियों का इस महोत्सव के आयोजन के साथ जुडना बहुत प्रशंसनीय है।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय देश का गौरव है। इस नाट्य विद्यालय ने देश के कुछ शीर्ष फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं को तैयार किया है, जो आज अपने आप में एक संस्था हैं।
विभिन्न समय पर NSD के निदेशक के रूप में इब्राहीम अल्काझी, बी व्ही कारंथ, रतन थियाम, वामन केन्द्रे जैसे लोगों ने नेतृत्व दिया है।
प्रिय मित्रों
एक रंग प्रेमि के रूप में, मुझे गर्व है कि भारत में रंगमंच का भव्य इतिहास रहा है।
हर राज्य कि अपनी अपनी रंग भूमि है।
तमाशा, यक्षगान, दशावतार, नौटंकी, जत्रा …और न जाने कितनी परंपराएं है हमारे देश में।
इन सभी को विश्व के सामने लाने की आवश्यकता है।
‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के तहत हमने १५ नवंबर को महाराष्ट्र राजभवन में झारखंड राज्य स्थापना दिवस मनाया। महाराष्ट्र आने के पहले मै झारखंड का राज्यपाल भी रहा हू।
झारखंड दिवस के अवसर पर दिन झारखंड से आये कलाकारों ने जब अपना अद्भुत ‘छाउ’ नृत्य पेश किया तो लोग दंग रह गये। कितने अद्भुत नृत्य है हमारे पास, कितनी भाषाएं है, कितने व्यंजन है, कितनी बोली भाषाएं है ..यही श्रेष्ठ भारत हमे विश्व के सामने लाना है।
मित्रों,
हर छोटे बच्चे में कोई न कोई कला छिपी होती है। जरुरत है उसे खोजने की, परखने की।
लेकिन, हमारे स्कूलो में रंगमंच को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं होते।
दुर्भाग्य से न तो माता-पिता और न ही शिक्षक, प्रदर्शन कला को उचित महत्व देते हैं।
बच्चों को स्कूल से ही रंगमंच की दुनिया से परिचित कराने की जरूरत है।
थिएटर में भाग लेने से उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा, उनमें नेतृत्व के गुण विकसित होंगे और वे बेहतर इंसान बनेंगे।
राज्यपाल होने के साथ मै राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हू।
लगभग 21 वर्ष पहले, मेरे पूर्ववर्तियों ने महाराष्ट्र में एक अंतर विश्वविद्यालय सांस्कृतिक महोत्सव ‘इंद्र धनुष’ शुरू किया था।
यह महोत्सव छात्र कलाकारों को प्रदर्शन कला के विभिन्न रूपों में अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
ऐसे आयोजनों से हमें कई प्रतिभाशाली कलाकार मिलते हैं।
मेरी धारणा है कि, मुंबई जैसे महानगर में एक बड़ा मंच होना चाहिए, ‘वर्ल्ड फेस्टिवल ऑफ़ थिएटर’।
रंगमंच आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए यह एक वार्षिक कार्यक्रम बनना चाहिए।
न्यूयॉर्क के ‘मेट गाला’ फैशन फेस्टिवल होता है।
उसी तरह, हमें ‘वर्ल्ड फेस्टिवल ऑफ थिएटर’ मनाना चाहिए और उसे एक मेगा इवेंट बनाना चाहिए।
हमारे शहर, राज्य और देश में नाटक थिएटरों को बनाए रखने और उन्नत करने की आवश्यकता है।
साथ ही वे किफायती भी होने चाहिए।
यदि ड्रामा थिएटर का किराया सस्ता होगा, तो शो के टिकट आम लोगों के लिए सस्ते होंगे।
हमें रंगमंच को एक जन आंदोलन बनाने के लिए सभी क्षेत्रीय भाषाओं और यहां तक कि बोलियों में भी रंगमंच को प्रोत्साहित करना होगा।
कभी-कभी समाचार पत्र में वृद्ध अभिनेताओं और तकनीकी व्यक्तियों के उपेक्षित जीवन जीने की खबरें आती हैं।
मेरा मानना है कि सेवानिवृत्त आर्टिस्ट तथा टेक्नीशियन्स को दी जाने वाली पेंशन बढ़ानी चाहिए और उनके चिकित्सा खर्चों का ध्यान रखना चाहिए।
शेक्सपियर ने कहा था कि विश्व एक रंगमंच है, और हम सभी इसके कलाकार है।
भारत में कहानियों का एक विशाल संग्रह है, जिसे बताने और दोबारा सुनाने की जरूरत है।
इस परिदृश्य में, रंगमंच को समावेशी होना होगा।
हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम अपने सामाजिक-आर्थिक जीवन के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे और उसे कुछ मिनटों का भरपूर मनोरंजन प्रदान करें।
हम लोगों के जीवन से दुखों को दूर नहीं कर सकते।
लेकिन रंग कर्मी उन्हें कुछ घंटों के लिए दुख भुलाने में मदद जरूर कर सकते हैं।
यह रंगमंच की देवता द्वारा आप में से प्रत्येक पर डाली हुई जिम्मेदारी है।
मैं थिएटर के प्रति आपके समर्पण और प्रेम के लिए आप सभी को बधाई देता हूं और भारत रंग महोत्सव के शानदार सफलता के लिए राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय को अपनी शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद।
जय हिन्द। जय महाराष्ट्र।।