28.08.2023 : कैवल्याधाम योग संस्था के तत्वावधान में ‘स्वामी कुवल्यानंद योग पुरस्कार’ सम्मान समारोह
कैवल्याधाम योग संस्था के तत्वावधान में ‘स्वामी कुवल्यानंद योग पुरस्कार’ सम्मान समारोह
श्री सुबोध तिवारी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, कैवल्यधाम
डॉ. आर एस भोगल, संयुक्त निदेशक, योग अनुसंधान, कैवल्यधाम
आज के सत्कार मूर्ति स्वामी रित्वन भारती, स्वामी राम साधक ग्राम, हृषिकेश
पद्मश्री डॉ. डी. आर. कार्तिकेयन, पूर्व महानिदेशक, सीबीआई
श्री रवि दीक्षित जी
सभी योग प्रेमी, योग अभ्यासक
भाईयों और बहनों
लोनावाला के इस विशुद्ध और प्रशांत वातावरण में स्थित कैवल्यधाम का दौरा करके मुझे अपार खुशी हुई है। कैवल्यधाम के इस शताब्दी वर्ष में, मुझे यहां आमंत्रित करने के लिए, मैं श्री सुबोध तिवारी जी को धन्यवाद देता हूं।
कैवल्यधाम सिर्फ एक योग संस्थान नहीं है, यह महान योगाचार्य स्वामी कुवल्यानंद द्वारा स्थापित एक अध्यात्म योग विद्या आश्रम है।
इस पवित्र संस्थान से निकलने वाली सकारात्मक तरंगों ने, देश के राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के साथ, दुनिया भर से योग ज्ञान के असंख्य साधकों को आकर्षित किया है।
जानकर खुशी हुई कि संविधान निर्माता भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने, इस स्थल पर स्वास्थ्य प्राप्ति हेतू, कुछ दिन बिताए थे।
कैवल्यधाम की शताब्दी के अवसर पर, मैं स्वामी कुवल्यानंदजी की पावन स्मृति को अभिवादन करता हूं तथा पूरे कैवल्यधाम परिवार को अपनी शुभकामनाएं देता हूं।
‘स्वामी कुवलयानंद योग पुरस्कार’, स्वामी रित्वन भारती और पूर्व सीबीआई निदेशक डॉ. कार्तिकेयन जी को प्रदान करके, कैवल्याधाम ने योग प्रचार प्रसार कार्य को समर्पित, दो महान व्यक्तियों का सम्मान किया है।
स्वामी रितवन भारती जी ने अपना पूरा जीवन योग दर्शन और ध्यान तकनीकों को दुनिया भर में प्रचारित करने में समर्पित कर दिया है।
डॉ. कार्तिकेयन जी ने अपना सफर एक किसान के रूप में शुरू किया, फिर वे वकील बने, फिर IPS अधिकारी बने और आखिरी में सीबीआई निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए।
डॉ. कार्तिकेयन जी ने अपने 60 वर्ष से अधिक के करियर के दौरान मानवाधिकार और सार्वजनिक जीवन कल्याण के क्षेत्र में अनुकरणीय और सराहनीय योगदान दिया है।
स्वामी कुवल्यानंद योग पुरस्कार के लिए मनोनीत किये जाने पर मैं स्वामी रित्वन भारती जी और डॉ. कार्तिकेयन जी को हार्दिक बधाई देता हूं।
स्वामी कुवल्यानंद द्वारा स्थापित कैवल्यधाम, भारत में योग के शुद्धतम रूप में प्रचार-प्रसार, प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए समर्पित प्रमुख संगठनों में से एक रहा है। श्री ओम प्रकाश तिवारी जी और श्री सुबोध तिवारी जी के अथक प्रयासो से यह अंतर्राष्ट्रीय संस्था बन चुकी है।
योग केवल शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शारीरिक व्यायाम नहीं है।
योग, शरीर, मन और आत्मा से जुडी एक महत्वपूर्ण क्रिया है।
यह स्वस्थ जीवन जीने का एक तरीका है। यह ईश्वर से जुड़ने का एक तरीका है।
योग का अंतिम लक्ष्य, आंतरिक शांति, आंतरिक सद्भाव और आत्म-संयम विकसित करना है ताकि कोई व्यक्ति स्वीकार्य सीमा से परे, इंद्रियों के सुख की तलाश में न लगे।
योग के माध्यम से विकसित होने वाला आत्म-संयम और सहनशीलता का यह गुण हमें शांतिपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण समुदाय बनाने में महत्वपूर्ण मदद कर सकता है।
योग, देश के लाखो युवाओं के लिए, रोजगार, स्वरोजगार और समृद्धि पैदा करने का जरिया भी बन सकता हैं।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा युवा देश बनकर उभरा है। आज योग एक वैश्विक इवेंट बन गया है। भारत में, पूरी दुनिया के लिए, योग शिक्षक पैदा करने की क्षमता है।
कैवल्यधाम में योग का ‘हार्वर्ड विश्वविद्यालय’ बनने की क्षमता है। योग का ‘ऑक्सफोर्ड’ बनने की योग्यता और क्षमता है।
मैं कैवल्यधाम से, दुनिया के लिए सर्वश्रेष्ठ योग शिक्षक तैयार करने, दुनिया के विभिन्न देशों में अपने केंद्र शुरू करने और योग में अनुसंधान करने के लिए एक समर्पित विश्वविद्यालय बनाने की, अपील करूंगा।
‘योग दिवस’ से आगे चलकर अब हमें ‘योग सप्ताह’ की ओर बढ़ना चाहिए।
हर स्कूल, हर कॉलेज में ‘योग सप्ताह’ मनाने का प्रयास होना चाहिए।
‘योग सप्ताह’ में छात्रों को योग की बेसिक बातें प्रशिक्षित योग शिक्षकों की सहायता से सिखाई जानी चाहिए।
मै स्वयं, एक योगाभ्यासी होने के नाते, दृढ़ता से महसूस करता हूं कि, योग केवल प्रशिक्षित योग शिक्षकों द्वारा ही सिखाया जाना चाहिए।
अब यहाँ महाराष्ट्र में आने के बाद मुझे योग सिखाया गया है तो वह सामने बैठे दीक्षित जी ने।
आज, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ, विशेषकर मधुमेह और उच्च रक्तचाप, हमारे देश में भारी तबाही मचा रही हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती बन रही हैं।
महाविद्यालायों के कई युवा पुरुष और महिलाएं, नशीली पदार्थो की लत का शिकार हो रहे हैं।
योग में, हमारे जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने की जबरदस्त क्षमता है।
भारत जैसे विशाल देश के लिए, योग हमें मृत्यु और बीमारी के बोझ को, कम करने और हमारे लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
व्यापक परिप्रेक्ष्य में, योग हमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और शांति प्रदान करने में, मदद कर सकता है।
यह हमें ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के इच्छित लक्ष्य को साकार करने में मदद कर सकता है।
अंत मे, यह योग जो है, वहा कितना पुराना है। हमारा देश कितना विशाल और कितना महत्त्वपूर्ण देश है। मै सोचता हूँ कि हमारे धर्म और हमारे देश में कितनी पुरानी शिक्षा की पद्धती रही है, स्वास्थ की पद्धती रही है, मै सोचता हूँ दुनिया में कही नहीं ऐसा होगा।
योग के मामले मे, अभी तो जब यह टीव्ही पे आना चालू हुआ। बाबा रामदेव के द्वारा प्रचालित किया गया, लेकिन योग बहुत पुराना है। आज अगर हमे कोई बिमारी होती है, तो नाना प्रकार के डॉक्टर यहा पर है। आज कल मशीन उपलब्ध हो गई है लेकिन पहले की जमाने मे लोग कैसे करते रहे होंगे। आरविन की शिक्षा हमारे देश ने पूरी दुनिया को दियी। मार्टिन जंग ने उसका आविष्कार किया और हार्वड ने उसे पुरे विश्व मे चला रखा है।
ऐसे कही अनेक ऋषीमुनी हुए, अगर कोई कहता है एक्यूब कैसे हो, एक्यूब से जब निकालनेका है तो यहा भी भारत का आविष्कार है। भारत की एक देन है। लोगों को चायना से आया ऐसा महसूल होता है। पहिले अगर कोई बिमार हो जाता था, तो उसे कहा तसदी मे बताने की जरूरत नही होती थी। पहिले नाडी वैद्य होते थे नाडी को छुकर बता देते थे की आपको कौन सी बीमारी है।
और यहा कहा करते थे, हमारे जवानी काल मे पढ़ाथा एक सुजान वैद्य के बारे में। जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मृतित हुआ तब सुजान वैद्य को बुलाया गया। कि इसका इलाज करो। तब सुजान वैद्य ने कहा अब बचने की बहुत कम संभावना है अगर हिमालय पे कोई जाये और संजीवनी ले आए तो लक्ष्मण बच जायेंगे। ऐसे हमारे देश में बूटिया है।
कहते है की जिस प्रदेश मे जो बिमारी जादा होती है उसका इलाज उसी प्रदेश में होता है। आपको एक उदाहरण बताता हूँ, की आप उत्तराखंड चले जाये वहा एक बिच्छू घास होता है, अगर बिच्छू घास हमारे शरीर को छू जाये तो जलन होती है, खुजली होती है, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है जो बिच्छू घास जहा पर पैदा होती है, उसके नीचे एक छोटा घास होता है अगर उस घास को रगड़नेसे जलन और खुजली बंद हो जायेगी। ऐसे अनेक हमारे यहा है जो हमे जानकारी न होने के कारण हम डॉक्टर के पास जाते है और डॉक्टर एक बिमारी को दस बीमारी बताके इलाज के करते है।
अंत मे, मैं तो यह समजता हूँ, आजकल मेडिकल प्रोफेशन सेवा के भाव से नही हो रहा है वो बिजनेस हो गया है। आजकल गरीब आदमी को इलाज करने में बहुत तकलीफ होती है। इतना खर्च होता है, कि पहिले अगर सर्जरी करना हो तो आपको एक्सरे नही निकालने पडते थे, ऑपरेशन थिएटर नही होते थे, कही कमरे मे खुले मे ऑपरेशन करते थे हमारे वैद्य।
लेकिन अब कितने प्रकार के मशीन आ गये है। जहासे डॉक्टर बताते है, लेकिन ऍलोपॅथी जो है वह केमिकल का इलाज करती है पर्मनंट इलाज नही होता। आपको लगता है सर दर्द हो रहा है, आप दवाईया ले लोगे, सर दर्द ठीक हो जायेगा लेकिन मेडिकल डॉक्टर नही बता सकता की वह सर दर्द क्यो हो रहा है। उसको हम कैसे ठीक करे, तो जब तक हम अपने शरीर को संयमीत नही कर सकते और सही सय्यमित होगा, जब हम अपने शरीर की प्रति ध्यान दे। रोज योग करे और वास्तव मे योग ही एक ऐसा साधन है जिसको हर योग हर मनुष्य को जिनको सही सिखायेगा, जिनके लिए हमे संयम की जरुरत होती है, वह सिखाएगा और इसीलिये मे तो हमेशा करता हूँ कि अगर हम स्वस्त रहे तो दुनिया स्वस्थ रहेगी।
अंग्रेजी मे कहते है की ‘क्रिएटिव्ह बिगन टू होम’ हम खडे होके भाषण दे देंगे लेकिन वो काम नही करेंगे। तो इसका कोई असर नही होता।
एक छोटीसी कहानी आपको बताता हु एक गाव मे एक महात्मा थे और एक तलाव के भीतर उनकी कुटी थी। कुछ दिन गाव के लोग वहा जाकर उनके दर्शन लेने लगे, प्रणाम करने लगे कोई खाना पहुचाने लगा। एक किसान था वो अपने बेटे से बहुत परेशान था वो इस ऋषीमुनी के पास जाके कहने लगे। मेरा बेटा गुड बहुत खाता है, मीठा बहुत खाता है। तो ऋषीमुनी से कहा के गुरुदेव यह मेरा बेटा है इसका कुछ इलाज करवा दिजीये। तो गुरुदेव ने बच्चे को देख कर कहा की तुम 15 दिन बाद आजाओ। किसान चला गया बच्चो को लेकर। 15 दिन बाद किसान फिर आया। मुनि ने बच्चे को नजदीक बुलाके बच्चे के कान मे कुछ कहा और किसान को कहा अपने बेटे को मिठाई खिलाये और घर जाने के बाद वास्तव में एक टूकडा दिया वह नही खाया। किसान फिर से ऋषी के पास गया और कहा के गुरुदेव जो बात अपने आज कान में कही वही अगर 15 दिन पहले कह देते तो मेरा बेटा पंधरा दिन पहिले ही मीठा खाना बंद कर देता। तब ऋषी ने कहा जब तुम अपने बेटे को लेके आये थे तब मे भी गुड खाता था जब मैने खाना बंद किया तब आपके बेटे पर उस बात का असर हो रहा है। कहने की बात यह है कि अगर किसी चीज को आप समजकर सिखा दे इस तरीके से तो समज सकता है।
इसी के साथ मैं यहा कैवल्यधाम में आकार सबसे मिल कर और मुझे यहा बुलाया इसके लिए आप सभी का आभारी हूँ।
धन्यवाद।
जय हिंद जय। महाराष्ट्र।।