05.07.2023 : गोंडवाना विश्वविद्यालय, गडचिरोली के नए ‘अडपल्ली कॅम्पस’ का शिलान्यास समारोह तथा १० वां दीक्षांत समारोह
गोंडवाना विश्वविद्यालय, गडचिरोली के नए ‘अडपल्ली कॅम्पस’ का शिलान्यास समारोह तथा १० वां दीक्षांत समारोह
भारत की परम आदरणीय राष्ट्रपति महोदया
श्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के माननीय मुख्यमंत्री
श्री देवेन्द्र फड़णवीस, माननीय उपमुख्यमंत्री
श्री अजित पवार, माननीय उपमुख्यमंत्री
श्री सुधीर मुनगंटीवार, सांस्कृतिक कार्य एवं वन मंत्री
सभी मंत्री गण, संसद सदस्य, विधान मंडल सदस्य
गोंडवाना विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रशांत बोकारे,
गणमान्य अतिथि
स्नातक छात्र – छात्राएं, अभिभावक गण, संकाय सदस्य
बहनों और भाइयों
राष्ट्रपति पद स्वीकार करने के पश्चात अपनी पहली महाराष्ट्र यात्रा पर आई माननीया राष्ट्रपति महोदया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का मै गोंडवाना विश्वविद्यालय का कुलाधिपति होने के नाते हार्दिक स्वागत करता हूं।
विश्वविद्यालय के भव्य अडपल्ली कॅम्पस का शिलान्यास, दसवां दीक्षांत समारोह तथा चंद्रपुर जिले के सड़क परिवहन और महामार्ग के लोकार्पण के अवसर पर, गडचिरोली और चंद्रपुर के लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।
गोंडवाना विश्वविद्यालय के इतिहास में आज का यह एक स्वर्णिम दिन है कि भारत के राष्ट्रपति विश्वविद्यालय का दौरा कर रहे हैं।
इस बैच के स्नातक निश्चित ही भाग्यशाली हैं कि भारत के माननीय राष्ट्रपति की गरिमामय उपस्थिति में वे अपनी उपाधि प्राप्त कर रहे हैं।
मुख्य अतिथि महोदया, आपको यह जानकर खुशी होगी कि माननीय मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे जी ने गडचिरोली जिले के संरक्षक मंत्री के रूप में कार्य किया है।
श्री देवेन्द्र फड़णवीस जी वर्तमान में इस जिले के संरक्षक मंत्री है और सदैव गोंडवाना विश्वविद्यालय के शुभचिंतक रहे हैं।
विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर आज तक के सफर में वन मंत्री श्री सुधीर मुनगंटीवार जी की अहम भूमिका रही है।
आज के इस अवसर पर आप सभी को मैं विशेष धन्यवाद देता हूं और आपका आभार प्रकट करता हूं।
कैम्ब्रिज शहर की पहचान सन १२०९ में स्थापित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से है। मुझे विश्वास है कि, गडचिरोली जिले की पहचान आदिवासी संस्कृति के विश्व केंद्र रूप में हो, इस दिशा में प्रयास किये जाएंगे।
भारत के माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आदिवासी कल्याण के लिए काम करना उनके लिए ‘व्यक्तिगत संबंधों और भावनाओं’ का मामला है। उन्हें यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता होगी कि गोंडवाना विश्वविद्यालय १७७ एकड़ जमीन पर, १५०० करोड़ रुपये की लागत से खडा हो रहा है।
विश्वविद्यालय के आज के दीक्षांत समारोह में डिग्री, डिप्लोमा और पीएच.डी. तथा गोल्ड मेडल्स प्राप्त कर रहे है सभी स्नातक छात्र छात्राओं का मैं हार्दिक अभिनंदन करता हूं और उन्हें बधाई देता हूं।
मुझे बेहद खुशी है कि आज स्नातक उपाधि, स्नातकोत्तर उपाधि और स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों में छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक है। मुझे इस बात की और भी खुशी है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के स्नातक छात्रों का अनुपात लगातार बढ़ रहा है।
राष्ट्रपति महोदया,
मैं आपको बताना चाहता हूं कि नागपुर शहर कई वर्षों तक आदिवासी गोंड राजाओं की राजधानी रहा है।
यह क्षेत्र गोंडवाना क्षेत्र के नाम से जाना जाता था।
अंग्रेज शासक खनिज समृद्ध विदर्भ के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करते रहें। अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के कारण हमारे आदिवासी, वनवासी और जनजाति भाई बहन सबसे गरीब और पिछड़े समुदायों में से एक बन गये।
यह विश्वविद्यालय गडचिरोली के लोगों को एक बार फिर सशक्त बनाने और उन्हें सम्मानजनक जीवन देने का विश्वास दिलाता है।
गोंडवाना विश्वविद्यालय भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में सबसे हरित विश्वविद्यालयों में से एक है। इस जिले का लगभग ३५ प्रतिशत क्षेत्रफल वनों से ढका हैं।
आज दुनिया ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और कार्बन फ़ुटप्रिंट के बारे में बात कर रही है।
यदि आप दुनिया के सभी विश्वविद्यालयों के कार्बन फुटप्रिंट की गणना करते हैं, तो गोंडवाना विश्वविद्यालय सबसे कम कार्बन फुटप्रिंट वाले संस्थान के रूप में शीर्ष पर होगा।
मुझे लगता है कि यह इस यूनिवर्सिटी की यूएसपी हो सकती है।
हालाँकि गोंडवाना विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष २०११ में ही हुई थी, लेकिन पिछले मात्र १२ वर्षों के सार्थक अस्तित्व और सेवा से विश्वविद्यालय ने प्रभावशाली प्रगति की है।
कुलपति डॉ प्रशांत बोकारे के गतिशील नेतृत्व में, विश्वविद्यालय, जिले के लोगों के जीवन को बदलने के लिए समर्पित प्रयास कर रहा है, जहां ३९ प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है।
महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में, राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के प्रति, संविधान की अनुसूची पांच के तहत, मेरी जिम्मेदारी है।
हाल ही में मैंने महाराष्ट्र के पालघर जिले में विवेक ग्रामीण विकास केंद्र का दौरा किया।
केंद्र ने जनजातीय महिलाओं को बांस की राखी, बांस के दिवाली लैंप, फर्नीचर और ऑफिस स्टेशनरी बनाना सिखाया है। इस प्रशिक्षण के कारण महिलाएं आत्मनिर्भर बनी है और उन्हे जीवन यापन करने में मदद हो रही है।
यह विश्वविद्यालय आदिवासी शिक्षा, अध्ययन, अनुसंधान एवं सशक्तिकरण’ के लिये निर्माण किया गया है। मैं विश्वविद्यालय के कुलपति से युवाओं और महिलाओं को बांस के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण देने के लिए एक बहुत बडा केंद्र बनाने के लिए कहूंगा। गडचिरोली में बांस की खेती को और भी बढ़ावा दे सकते हैं।
वन आधारित उत्पाद, जैसे शहद की दुनिया में काफी मांग है। हमें किसानों को शहद बनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। विश्वविद्यालयों से पॅकेजिंग, ब्रॅण्डिंग और मार्केटिंग की मदद मिलती है तो हम गडचिरोली में विश्व का सबसे बड़ा फॉरेस्ट प्रोड्यूस सेंटर निर्माण कर सकते है।
गडचिरोली को इको टूरिजम, औषधी वनस्पती खेती का केंद्र, फॉरेस्ट स्टे डेस्टिनेशन के तौर पर विकसित किया जा सकता है। इससे रोजगार के अवसर निर्माण होंगे और लोगों का शहरों की ओर हो रहा पलायन रुकेगा ।
हमारे आदिवासियों ने सदियों से हमारे जंगलों को संरक्षित और बनाए रखा है। हम उन्हें और उनकी ग्राम सभाओं को जंगलों से निकलने वाले मुनाफे को साझा करने में सक्षम बनाकर उन्हें एक सभ्य जीवन और आजीविका प्रदान करते हैं।
मुझे यह जानकर विशेष खुशी हुई कि विश्वविद्यालय, अपना ग्रॉस एनरोलमेंट को बढ़ाने के लिए ठोस प्रयास कर रहा है। आज की तारीख में गडचिरोली के लगभग 86 प्रतिशत छात्र उच्च शिक्षा प्रणाली से बाहर हैं, जो चिंताजनक है । महाराष्ट्र के सभी विश्वविद्यालयों में इस वर्ष से राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की जा रही है । मैं कुलपति से ग्रॉस एनरोलमेंट, और विशेषकर महिलाओं का एनरोलमेंट में सुधार के लिए सक्रिय कदम उठाने का आग्रह करूंगा।
इन्हीं शब्दों के साथ, मैं गोंडवाना विश्वविद्यालय को उसके नए कॅम्पस के शिलान्यास के अवसर पर हार्दिक बधाई देता हूं।
सभी स्नातक छात्रों को भी मै बधाई देता हूं और समाज और राष्ट्र की सेवा में उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं।
जय हिन्द। जय महाराष्ट्र।।