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    28.05.2023 : स्वातंत्र्यवीर सावरकर उद्यान समिति पोयसर जिमखाना द्वारा आयोजित स्वातंत्र्यवीर सावरकर जयंती महोत्सव २०२३ तथा ‘सावरकर जीवनावली प्रदर्शन’

    प्रकाशित तारीख: May 28, 2023

    स्वातंत्र्यवीर सावरकर उद्यान समिति पोयसर जिमखाना द्वारा आयोजित स्वातंत्र्यवीर सावरकर जयंती महोत्सव २०२३ तथा ‘सावरकर जीवनावली प्रदर्शन’

    कार्य सम्राट सांसद श्री गोपाल शेट्टी,

    श्री सुनिल राणे, विधायक

    डॉ. योगेश दुबे

    श्री अजयराज पुरोहित

    सभी सावरकर प्रेमी, बहनों और भाइयों,

    महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की जयंती के उपलक्ष्य में श्री गोपाल शेट्टी द्वारा आयोजित सावरकर के जीवन कार्य पर आधारित प्रदर्शनी के उद्घाटन के अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित रहकर मुझे हर्ष का अनुभव हो रहा है।

    प्रातः स्मरणीय, वंदनीय, पूजनीय महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर जैसे सपूत जिस भूमि ने दिये उस महाराष्ट्र की पावन भूमि को मै वंदन करता हूं।

    यह छत्रपति शिवाजी महाराज, धर्मवीर संभाजी महाराज की पवित्र भूमि है। यह कान्होजी आंग्रे की धरती है। यह गुरु गोबिंद सिंह जी की भी भूमि है।

    यह स्वाभाविक है कि महात्मा फुले, सावित्रीबाई फुले, लोकमान्य तिलक, आगरकर, शाहू महाराज, वीर सावरकर और डॉ बी आर अम्बेडकर जैसे महान देशभक्तों का जन्म महाराष्ट्र की इसी धरती पर हुआ।

    राज्य सरकार ने सावरकर जयंती को ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर गौरव’ दिन मनाने का निर्णय लिया है। आज देश के नये संसद भवन का भी उद्घाटन किया जा रहा है। यह देश और महाराष्ट्र के लिये गर्व की बात है।

    भाईयों और बहनों,

    स्वतंत्रता के पहले युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा किए गए अत्याचारों से क्षुब्ध होकर, वीर सावरकर ने नई तकनीकों का उपयोग करके देश को मुक्त करने का फैसला किया।

    वीर विनायक सावरकर और उनके भाई गणेश सावरकर ने 1899 में नासिक में एक क्रांतिकारी गुप्त समाज, मित्र मेला शुरू किया। यह उस समय महाराष्ट्र में चल रहे ऐसे कई मेलों (क्रांतिकारी समाजों) में से एक था, जो सशस्त्र विद्रोह के माध्यम से ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने में विश्वास करते थे।

    1904 में, महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों के 200 सदस्यों की एक बैठक में, विनायक सावरकर ने ग्यूसेप मेज़िनी के यंग इटली के बाद इसका नाम अभिनव भारत रखा।

    वीर सावरकर हिंदुस्तान की आजादी के संघर्ष में एक महान क्रांतिकारी नायक थे। वह एक महान वक्ता, लेखक, इतिहासकार, कवि, दार्शनिक, विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता थे।

    सावरकर दुनिया के अकेले स्वतंत्रता सेनानी थे जिनको दो बार आजीवन कारावास की सजा मिली थी।

    दिवंगत प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, सावरकर इतिहास के पन्नों में दर्ज स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरित थे लेकिन वे खुद एक प्रेरणा बन गए। मात्र 11 साल की उम्र से ही मातृभूमि के प्रति ऐसी लगन और अपने प्राणों की आहुति देने की इच्छा दिखाने वाला बालक दैवीय शक्तियों के आशीर्वाद के सिवा और कुछ नहीं है। वाजपेई जी ने वीर सावरकर की तुलना तत्व, तर्क, तारुण्य, तेज, त्याग और तप से की है।

    वीर सावरकर में समुद्र के समान पराक्रमी साहस था। उन्होंने अंडमान में सेल्यूलर जेल की महान दीवारों को कभी भी आत्मा में बंद नहीं होने दिया। उन्होंने जेल में अपनी कुछ सबसे शक्तिशाली और सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक कृतियों का निर्माण किया। लगातार देखे जाने और कठोर शारीरिक श्रम करने के बावजूद, उनका साहस और दृढ़ विश्वास कभी नहीं डगमगाया। वे अपने मार्ग से कभी विचलित नहीं हुए और उन्होंने देशभक्ति की लौ जलाए रखी।

    अटल जी के शब्द आज भी कानों में गूंजते है।

    “सावरकर माने तेज, सावरकर माने त्याग, सावरकर माने तप, सावरकर माने तत्व, सावरकर माने तर्क, सावरकर माने तीर, सावरकर माने तलवार, सावरकर माने तितिक्षा, सावरकर माने तीखापन, सावरकर माने तिखट।” इतना सुंदर वर्णन शायद ही कोई और कर सकता है।

    वीर सावरकर संकीर्ण जातीवाद के कड़े विरोधक थे। वे कहते थे “हमारे देश और समाज के माथे पर एक कलंक है – अस्पृश्यता। हिन्दू समाज के, धर्म के, राष्ट्र के करोड़ों हिन्दू बन्धु इससे अभिशप्त हैं। जब तक हम ऐसे बनाए हुए हैं, तब तक हमारे शत्रु हमें परस्पर लड़वाकर, विभाजित करके, सफल होते रहेंगे। इस घातक बुराई को हमें त्यागना ही होगा।”

    वीर सावरकर की जयंती पर हम सब को संकल्प करना चाहिये कि हम देश से जातिवाद की जड़ उखाड़ फेंकेंगे।

    दुर्भाग्य से देश के इतिहास में एक दौर ऐसा आया जब वीर सावरकर समेत हमारे सभी क्रांतिकारी नेताओं के योगदान को नकारा गया, कम समझा गया।

    समय आ गया है कि ऐतिहासिक अन्याय को सुधारा जाए और स्वतंत्रता आंदोलन के सभी क्रांतिकारी नेताओं के योग्य गौरव को बहाल किया जाए।

    यदि आप “स्वातंत्र्यवीर सावरकर” के प्रयास को नकारते हैं, तो आप मातृभूमि की सेवा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले क्रांतीकारकों के, हमारे सैन्य बलों के सभी वीर अधिकारियों और जवानों के बलिदान को नकारते हैं।

    आने वाली पीढ़ियां वीर सावरकर के अमूल्य योगदान को समझें, इसके लिए हमें कई तरह से उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाना होगा। हमें सावरकर जीवन प्रदर्शनी स्थायी रूप से बनाने के लिये प्रयास करना चाहिये। विश्वास है श्री गोपाल शेट्टी जी इसे मूर्त रूप देंगे।

    हमें नासिक जिले के भगुर गांव में वीर सावरकर की जन्मभूमि पर एक भव्य स्मारक बनाने की आवश्यकता है।

    सावरकर की कविताओं, जैसे ‘ने मजसी ने’, और ‘जयो स्तुते’ को स्कूल के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए।

    भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में, राष्ट्र, “स्वातंत्र्यवीर सावरकर” के सपने का भारत साकार करने के लिए कृतसंकल्प बने, इसी अपेक्षा के साथ मै श्री गोपाल शेट्टी जी को वीर सावरकर जीवन प्रदर्शनी आयोजन के लिये धन्यवाद देता हूँ और उनके प्रयास की सराहना करता हूं।

    आइए हम सभी समर्थ भारत, सशक्त भारत, स्वाभिमानी भारत और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने का प्रयास करें।

    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।
    भारत माता की जय।।