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    29.01.2024 : महात्मा महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय का 37 वां दीक्षांत समारोह

    प्रकाशित तारीख: January 29, 2024

    महात्मा महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय का 37 वां दीक्षांत समारोह। सोमवार 29 जनवरी 2024

    श्री राधाकृष्ण विखे पाटील, राजस्व मंत्री तथा अहमदनगर जिले के पालक मंत्री,

    पद्म विभूषण डॉ. राजेंद्र सिंह परोदा, पूर्व महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद,

    कुलपति डॉ. प्रशांत कुमार पाटील,

    डॉ. राजेंद्र बारवाले, अध्यक्ष, महिको,

    श्री विलास शिंदे, अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक, सह्याद्री फार्म्स, नाशिक

    विश्वविद्यालय के कर्मचारी, परिषद् के सदस्यगण,

    विद्या परिषद के सदस्यगण,

    आमंत्रित सभी अतिथिगण, स्नातक छात्र – छात्राएं एवं अभिभावकगण।

    आज विश्वविद्यालय परिसर का दौरा करने और आप से बातचीत करने का मै इच्छुक था।

    दुर्भाग्यवाश,अन्य जरूरी प्रतिबद्धताओं के कारण मुझे राहुरी आना संभव नही हुआ और यही से आप के साथ ऑनलाइन माध्यम से बात करनी पड़ी।

    सर्वप्रथम, मैं आज उपाधि प्राप्त कर रहे सभी छात्रों को उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए और पुरस्कार प्रदान किए जाने पर हार्दिक बधाई देता हूँ।

    मुझे बताया गया कि आज कृषि एवं संबद्ध विज्ञान के कुल 6895 विद्यार्थियों को पदवी प्रदान की जायेगी।

    इस जिले के पालक मंत्री श्री राधाकृष्ण विखे पाटील जी, ‘महिको’ के अध्यक्ष श्री राजेंद्र बारवाले जी तथा सह्याद्री फार्म्स के श्री विलास शिंदे जी का मै ‘डॉक्टर ऑफ साइन्स’ उपाधि के लिए हार्दिक अभिनंदन करता हूँ।

    सन 2030 तक गरीबी उन्मूलन और शून्य भुखमरी जैसे संधारणीय विकास लक्ष्य (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स) के महत्वपूर्ण उद्देश्यों को प्राप्त करना वर्तमान की प्रमुख चुनौतियां हैं।

    राष्ट्रीय स्तर पर 8 प्रतिशत की सतत विकास दर हासिल करने के लिए कृषि विकास की न्यूनतम दर 4 प्रतिशत रखना आवश्यक है।

    कृषि हमारे देश का मुख्य आधार है और 58 प्रतिशत से ज्यादा लोग कृषि से जुडे है।

    इस क्षेत्र के भविष्य को आकार देने में कृषि विश्वविद्यालयों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

    आज पदवी प्राप्त करने वाले स्नातक अपने ज्ञान और कौशल से महाराष्ट्र और देश के कृषि क्षेत्र मे अपना सकारात्मक प्रभाव दिखाएंगे।

    यह विश्वविद्यालय विचारों, अनुसंधान और परिवर्तनकारी शिक्षा का केंद्र रहा है।

    प्राध्यापकों ने अपने समर्पण और कौशल्यता के साथ, न केवल ज्ञान प्रदान किया है बल्कि आपके अंदर निरंतर कृषि, ग्रामीण विकास और खाद्य सुरक्षा के प्रति जिम्मेदारी की भावना भी पैदा की है।

    इस वर्ष से महाराष्ट्र के सभी विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन होने जा रहा है।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य समावेशी और उकृष्टता के दोहरे उददेश्यों को प्राप्त करके सदी की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करना है।

    नयी शिक्षा नीति में बुनियादी सिद्धांतों में तार्किक निर्णय लेने तथा नवाचार को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करने के लिए रचनात्मक और महत्वपूर्ण सोच शामिल है।

    नयी शिक्षा नीति क्रियात्मक सोच और अनुसंधान करने की भावना को प्रोत्साहित करने का प्रयास भी करती है।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य उच्च शिक्षा में नामांकन अनुपात (GER) को वर्ष 2035 तक 50 प्रतिशत तक बढ़ाना है।

    मुझे यह जान कर खुशी हो रही है कि विश्वविद्यालय नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा तैयार की गयी कृषि शिक्षा पद्धति को प्रभावी एवम सुचारू रूप से अमल में लाने की तैयारी कर रहा है।

    इस नीति में 3000 से अधिक छात्र समुदाय के साथ बहु-विषयक विश्वविद्यालयों की परिकल्पना की गई है।

    परंतु यह विश्वविद्यालय तो पहले से ही एक बहु-विषयक विश्वविद्यालय है।

    यहां पर कृषि, बागवानी, कृषि अभियांत्रिकी, जैव प्रौद्योगिकी, खाद्य और कृषि- व्यवसाय प्रबंधन के संकाय है।

    विश्वविद्यालय की छात्र संख्या 25,000 से अधिक है।

    इस तरह राष्ट्रीय शिक्षा नीति की एक परिकल्पना यहां पर साकार होती हुई दिखाई दे रही है।

    नई शिक्षा नीति के उभार के साथ, शिक्षा-उद्योग इंटरफेस को मजबूत करना समय की मांग है।

    उद्योग पर आधारित व्यावसायिक और कौशल पर आधारित पाठ्यक्रमों पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए।

    मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि, इस विश्वविद्यालयने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की पहली सीढी याने की छात्रोंके एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के खाते शुरू किये है।

    वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में, जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी और बाजार की उतार – चढ़ाव जैसी चुनौतियां कृषि के लिए महत्वपूर्ण खतरा पैदा करती हैं।

    कृषि व्यवसायिकों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

    मैं आपसे इन चुनौतियों से निपटने के लिए नवाचार को अपनाने और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने तथा स्थिरता में योगदान करने का आग्रह करता हूं।

    कुलपति से ज्ञात हुआ कि, विश्वविद्यालय ने गन्ना, सोयाबीन, मिलेटस जैसे की, जवार, बाजरा, रागी, जैसे अनेक फ़सलोंकी उन्नत किस्मोंकी निर्मिति की है।

    अनार, सीताफल, अंजीर इत्यादि बागवानी फसलोंकी किस्में निर्मित की है तथा उनके पौधे भारी मात्रा में किसानो तक पहुंचाये है।

    खेती मे दवाईया, खाद की फ़सलो पर छिड़काव हेतु ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। मुझे हर्ष होता हे की यह विश्वविद्यालय ड्रोन पायलट प्रशिक्षण देने में देश में प्रथम स्थान पर है।

    जैसे ही आप इस विश्वविद्यालयके बाहर कदम रखते हैं, याद रखें कि आप सिर्फ स्नातक नहीं हैं; आप परिवर्तन के अग्रदूत हैं।

    यहां आपने जो ज्ञान और कौशल हासिल किया है, वह आपको नेतृत्व करने और नवप्रवर्तन करने, जटिल समस्याओं का समाधान खोजने और कृषि क्षेत्र के विकास में सार्थक योगदान देने में सक्षम बनाता है।

    महाराष्ट्र में एक समृद्ध कृषि विरासत है, और इस विरासत को गर्व और समर्पण के साथ आगे ले जाना आपके हाथ में है।

    आप सभी का आगे का सफर समृद्धी और सफलतासे भरा रहे। आप सभी के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाए।

    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।