27.11.2023 : श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर द्वारा ‘आत्मकल्याण दिवस’ समारोह का आयोजन
श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर द्वारा ‘आत्मकल्याण दिवस’ समारोह का आयोजन, रॉयल ऑपेरा हाउस, मुंबई, 27 नवंबर 2023
महामहिम श्री जगदीप धनखड़ जी, सम्मानित उपराष्ट्रपती
परम पूज्य गुरुदेव श्री राकेश जी,
श्री मंगल प्रभात लोढा जी, मंत्री, कौशल विकास, नवाचार और उद्यमिता
पूज्य श्री आत्मार्पित नेमी जी
श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर के सभी आत्म प्रेमी
बहनों और भाइयों
सभी को नमस्कार और जय जिनेन्द्र।
सबसे पहले महान संत श्रीमद राजचंद्र जी के जन्म जयंती के अवसर पर उन्हे कोटी कोटी वंदन करता हूं।
आज गुरु नानक देव जी का प्रकाश परब भी है। गुरु नानक जयंती पर उन्हे भी मै नमन और वंदन करता हूं।
पूज्य संत श्रीमद राजचंद्र जी के जन्म दिवस पर आयोजित ‘आत्मकल्याण महापर्व’ में सम्मानित उपराष्ट्रपती तथा पूज्य गुरुदेव श्री राकेश जी की गरिमामयी उपस्थिती में शामिल होना मेरे लिये गौरव का विषय है।
दो महीने पहले ही, पर्युषण पर्व के अवसर पर पूज्य गुरुदेव श्री के अमृत बोल सुनने का, और महान संत श्रीमद राजचंद्र जी के बारे में जानकारी प्राप्त करने का सुअवसर मुझे प्राप्त हुआ था।
संत श्रीमद राजचंद्र एक सफल उद्यमी थे। उन्होने एक समय संसार त्याग कर आत्मकल्याण को ही जीवन का मिशन बना लिया।
पूज्य गुरुदेव श्री राकेश जी के माध्यम से ‘श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर’ पूज्य संत राजचंद्र जी द्वारा दिखाए गए मार्ग पर अनवरत चल रहा है, जिसके लिये मिशन के सभी सदस्य बधाई के पात्र है।
महाराष्ट्र आने के बाद से हमने मुंबई मैराथन से जुड़े दो कार्यक्रमों में भाग लिया था।
इन दोनों आयोजनों में, ‘श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर’ और ‘श्रीमद राजचंद्र लव एंड केयर’ ने अपने मानवीय कार्यों के लिए पुरस्कार जीते थे।
पूज्य गुरुदेव श्री राकेश जी से प्रेरित ‘SRMD योग’ द्वारा इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर राज भवन में अत्यंत सफलता पूर्वक योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इतने सारे स्वयंसेवकों और साधकों को निस्वार्थ सेवा के मार्ग पर प्रेरित करने के लिए मै, पूज्य गुरुदेव श्री राकेश जी को वंदन करता हूँ, और धन्यवाद देता हूं।
बहनों और भाइयों,
महाराष्ट्र यह संतों की भूमि है। राज्य के हर हिस्से में अलग अलग समय पर संतों ने जन्म लिया, अवतरित हुए तथा दूसरे प्रदेश से आकर बसे।
संत ज्ञानेश्वर, तुकाराम, नामदेव, एकनाथ, समर्थ रामदास के पावन अस्तित्व से पुलकित इस प्रदेश में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी पधारे और जीवन के आखिरी कुछ वर्ष बिताये।
मुझे यह जानकर अत्यधिक ख़ुशी हुई कि परम कृपालु महान संत श्रीमद राजचंद्र जी ने इसी मुंबई शहर में मात्र १९ वर्ष की आयु में ‘शतावधान’ चुनौती को सफलता पूर्वक पुरा किया था।
इसी शहर में उनकी महात्मा गांधी जी से मुलाकात हुई थी। महात्मा गांधी के जीवन पर हमेशा श्रीमद राजचंद्र जी के व्यक्तित्व का गहरा प्रभाव रहा।
पूज्य गुरुदेव श्री राकेश जी ने श्रीमद राजचंद्र जी के ज्ञान प्रवाह को अनवरत जारी रखा है।
बहनों और भाइयों,
जैन दर्शन में बताए गए आध्यात्मिकता के महान सिद्धांतों ने दुनिया भर में लोगों की पीढ़ियों को प्रभावित किया है।
अहिंसा की इसकी स्थायी विरासत ने जीवन और प्रकृति के प्रति हमारे दृष्टिकोण को आकार दिया है।
आज विश्व को शांति की जरूरत है।
आज शांति मानव जाति से दूर होती जा रही है। लोग तनावग्रस्त हैं, समुदाय बेचैन हैं, राष्ट्र युद्धरत हैं।
आज, व्यक्तिगत स्तर पर, समाज के भीतर और राष्ट्रों के बीच शांति बहाल करना सबसे बड़ी चुनौती है।
स्थायी शांति के लिए सबसे पहली चीज भाईचारे की भावना है। स्थायी शांति के लिए दूसरी महत्वपूर्ण चीज़ है सेवा की भावना।
सेवा भावना से ही सच्ची शांति संभव है।
दुनिया मे एक वर्ग विलासिता और ऐश्वर्य में रहता हो, और बहुसंख्यक लोग गरीबी और अभाव में रहते हैं, तो कोई भी व्यक्ति शांति और ख़ुशी से नहीं रह सकता।
हमारे पास जो भी कुछ है, उसे दूसरों के साथ साझा करना यही सच्चा धर्म है । हम अपनी कमाई का एक हिस्सा, अभाव ग्रस्त लोगों की सेवा में उपयोग करने के लिए अलग रखें।
हम सभी प्रेम, करुणा और साझा करने की भावना तथा सेवा के माध्यम से शांति प्राप्त कर सकते हैं। यह ईश्वर की प्राप्ति का सबसे तेज़ मार्ग भी है।
स्वतंत्रता के अमृत काल में आत्मज्ञान ही मनुष्य को अमरता और आत्मकल्याण का मार्ग दिखा सकता है। मैं पूज्य गुरुदेव श्री को प्रणाम करता हूं और आत्मकल्याण पर्व के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।
जय हिंद। जय महाराष्ट्र। जय जिनेन्द्र।