27.06.2023 : ONLINE : डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय का ६३ वाँ दीक्षांत समारोह
ONLINE : डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय का ६३ वाँ दीक्षांत समारोह
श्रीमती पंकज मित्तल जी, सेक्रेटरी जनरल ए. आय. यु.
डॉ. प्रमोद येवले जी, कुलपति, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय
कार्यकारी परिषद और विद्या परिषद के सदस्य,
आमंत्रित अतिथि गण,
स्नातक छात्र – छात्राएं, और उनके माता – पिता,
शिक्षक और कर्मचारी गण,
प्रबंधन, सीनेट और अकादमिक परिषद के सदस्य
देवियों और सज्जनों,
संतों और कलाकारों की भूमि के रुप में जानी जानेवाली मराठवाड़ा की भूमि में आज यह समारोह संपन्न हो रहा है। महामानव डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के नाम से पहचाने जानेवाले इस विश्वविद्यालय के इस समारोह में सम्मिलित होने पर मुझे बेहद खुशी है। बाबासाहब के चरण स्पर्श से पावन हो चुकी यह ’शिक्षा-भूमि’ है। इस समारोह में उपस्थित सभी मान्यवरों का मैं कुलाधिपति होने के नाते सहर्ष स्वागत करता हूँ।
मराठवाडा ऐतिहासिक और संघर्ष से जन्मी हुई भूमि है। भारत को १५ अगस्त १९४७ को स्वाधीनता मिली लेकिन हैद्राबाद मुक्तिसंग्राम के बाद १७ सितंबर १९४८ को मराठवाडा स्वाधीन हुआ।
विश्व प्रसिद्ध अजंता और एलोरा की गुफाओं के कारण यह नगरी महाराष्ट्र की ‘पर्यटन राजधानी’ के रुप में प्रसिध्द है। ऐसी इस अमृत भूमि में महाराष्ट्र के प्रथम मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण जी ने १९५८ में प्रथम विश्वविद्यालय की स्थापना की। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने विश्वविद्यालय की नींव रखी।
बुद्ध गुफाओं की तलहटी में प्राकृतिक आभा बिखेरता हुआ ७५० एकड़ में यह विश्वविद्यालय बसा हुआ है। हमारे शहर के ‘ऑक्सीजन हब’ के रुप में इसकी पहचान बन चुकी है।
दि. १४ जनवरी १९९४ को ‘डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय’ के रुप में इस विश्वविद्यालय का नामविस्तार किया गया। विगत छह दशकों में विश्वविद्यालय से संलग्न महाविद्यालयों की संख्या ४५० से अधिक और छात्र संख्या चार लाख से अधिक हो चुकी है। जहाँ विश्वविद्यालय में आरंभ में दो विभाग थे वहीं आज पचास से अधिक विभाग हैं। इनमें मुख्य परिक्षेत्र में ४५ और धाराशिव उपपरिक्षेत्र में १० विभाग सम्मिलित हैं।
विश्वविद्यालय कॅंपस में आज चार हजार से अधिक छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, अनुसंधान कर रहे हैं। नॅक का ‘(A)’ ग्रेड प्राप्त कर चुका यह विश्वविद्यालय, श्रमिक, किसान, दलित-वंचित तबके के छात्रों को मुख्य धारा में लाने का कार्य कर रहा है। विगत साठ वर्षों में लाखों छात्र विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण कर देश-विदेश में बड़े-बड़े पदों पर पहुँच चुके हैं।
आज तक विश्वविद्यालय में ६२ दीक्षांत समारोह सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं। डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, यशवंतराव चव्हाण, वैज्ञानिक रघुनाथ माशेलकर, इसी विश्वविद्यालय की पूर्व छात्र डिप्लोमेट निरुपमा राव, न्यायमुर्ति स्वतंत्रकुमार आदि के साथ कई मान्यवर इन समारोहों में उपस्थित रहे हैं। इस वर्ष के समारोह में ‘ए आय यु’ के महासचिव डॉ. पंकज मित्तल भी उपस्थित हैं।
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय की ओर से १८ मान्यवरों को डि.लिट की उपाधी से आजतक सम्मानित किया जा चुका हैं। इन में यशवंतराव चव्हाण, आर. के. लक्ष्मण, डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, डॉ. बाबा आमटे, डॉ. बी. आर. बारवाले, केंद्रीय मंत्री नितीन गड़करी, शरद पवार, विलासराव देशमुख आदि कई मान्यवरों का समावेश हैं। भव्य दीक्षांत समारोह की सुदीर्घ परंपरा इस विश्वविद्यालय को प्राप्त हुई है। विगत पाँच वर्षों में कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले के कार्यकाल में दीक्षांत समारोह अत्यधिक सफलता के साथ संपन्न हुऐ।
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय नॅक द्वारा ‘(A)’ मूल्याकंन प्राप्त राज्य विश्वविद्यालय है। देश में सर्वाधिक नेट-सेट-जेआरफ छात्र, अनुसंधाता, इसी विश्वविद्यालय में हैं। इसके अलावा बार्टी, सारथी, महाज्योति, राजीव गांधी फेलोशिप प्राप्त छात्रों की सर्वाधिक संख्या भी विश्वविद्यालय में है। शिक्षार्जन के समय आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए ‘कमाओ और पढ़ो’ योजना विश्वविद्यालय में चलाई जाती है। करोना महामारी के दौरान इस विश्वविद्यालय ने सामाजिक प्रतिबद्धता निभाई। इसके तहत दो कोविड टेस्टिंग लॅब आरंभ की। ‘व्हायरॉलॉजी’ जैसा बहुत ही महत्त्वपूर्ण पाठ्यक्रम शुरु किया है।
समय की आवश्यकता को समझते हुए विश्वविद्यालय ने नये-नये पाठ्यक्रम आरंभ किये हैं। इनमें फॉरेंसिक साइंस, आर्टिफिशल इंटेलिजन्स, नॅनो टेक्नोलॉजी, इंडस्ट्रीयल ऑटोमेशन, ऑटोमोबाईल, फूड टेक्नोलॉजी, योगशास्त्र, रुरल इकॉनॉमिक्स आदि विषयों का समावेश है। स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तरपर ‘भारतीय संविधान’ विषय बंधनकारक करनेवाला यह पहला विश्वविद्यालय है। इसके साथ ही भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के सपनों का ‘स्कूल ऑफ एन्ट्रेन्स इन पॉलिटिक्स’ विभाग विश्वविद्यालय ने शुरु किया है।
इस शैक्षिक वर्ष में विश्वविद्यालय ने राज्य क्रीडा महोत्सव, अखिल भारतीय वाणिज्य परिषद, पश्चिम विभागीय कुलगुरु परिषद, जी-२० एज्युकेशन कनेक्ट लेक्चर सीरीज आदि अनेक कार्यक्रम सफलतापूर्वक पूर्ण किये। विश्वविद्यालय के परिक्षेत्र में दिनदयाल उपाध्याय कौशल्य केंद्र, बजाज इंक्युबेशन सेंटर, पॉल हर्बर सेंटर फॉर डी. एन. ए. बार कोडिंग, गोपीनाथ मुंडे राष्ट्रीय ग्रामीण विकास अनुसंधान केंद्र, कार्यरत हैं। पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के नाम से साढ़े चार करोड़ रुपये खर्च करके ‘डिजीटल स्टुडिओ’ निर्माण किया गया है। साथ ही, भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इंटरनैशनल सेंटर की लगभग पाँच करोड़ की परियोजना अंतिम पड़ाव पर हैं। नामांतर शहीद स्मारक का कार्य भी प्रगतिपथ पर है। इस प्रकार की ऐतिहासिक परंपरा प्राप्त, इस विश्वविद्यालय में रयत के राजा छत्रपती शिवाजी महाराज, भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, क्रांतीसूर्य महात्मा फुले इन महापुरुषों के भव्य पुतले छात्रों को प्रेरणा देते हैं। इन महापुरुषों के विचारों की विरासत हमारे छात्र सफलतापूर्वक निभाते रहे, मैं इस बात की शुभकामनाए देता हूँ।
भारत की स्वाधीनता के बाद अत्यंत क्रांतिकारी नीति के रुप में विख्यात नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० वर्तमान शैक्षिक वर्ष से लागू की जा चुकी है। प्रधानमंत्री मा. श्री. नरेंद्र मोदी जी ने स्वाधीनता के ७५ वर्ष पूर्व होने के उपलक्ष्य में यह नीति प्रभावी रुप से लागू करने की घोषणा की है। महाराष्ट्र के सभी कुलपतियों की राजभवन में एक बैठक आयोजित की गई जिसमें यह सूचना दी गई कि नये शैक्षिक वर्ष से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रभावी रुप से लागू की जाये।
राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षामंत्री चंद्रकांतदादा पाटील जी ने भी इस संदर्भ में कुलपतियों की बैठक बुलाई थी। मातृभाषा को प्रधानता देनेवाली, छात्र केंद्रित नई शिक्षा नीति, शिक्षा क्षेत्र के लिए युगांतकारी सिध्द होगी इस बात में मुझे कोई संदेह नहीं।
दो दिन पहले ही मै संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय के ३९ वे दीक्षांत समारोह मे सम्मिलित हुआ था। तब वर्धा के सेवाग्राम स्थित, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के बापू कुटी, गांधीजीं का तत्कालीन कार्यालय तथा कस्तुरबा गांधी जहाँ रहती थी उस ‘बा’ कुटी का दर्शन करने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ। मै आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप सभी बापू जी के आश्रम का जरूर दर्शन करे। अंग्रेजी मे कहते है “सिम्पल लिविंग और हाय थिंकिंग” उसका जीता जागता उदाहरण बापूजी का आश्रम है।
आज आप लोग डिग्री पाकर एक नई दुनिया में प्रवेश करने जा रहे हैं। प्रतिस्पर्धा के इस युग में केवल डिग्री के नहीं, ज्ञान और कौशल्य के आधार पर अपना करियर बनाना पड़ेगा। भारत को महासत्ता बनाने का डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का सपना साकार करने की जिम्मेदारी युवाओं पर है।
यह सपना साकार करने के लिए वे एड़ी चोटी का जोर लगा दें, यही मेरी शुभकामनाए है। अपनी वाणी को विराम देते समय मुझे प्रसिध्द कवि हरिवंशराय बच्चन जी की कविता की दो पंक्तियाँ याद आ रही हैं।
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती ।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।।
जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।