27.02.2024 : ‘बॉम्बे आर्ट सोसाइटी’ द्वारा आयोजित 132 वीं अखिल भारतीय कला प्रदर्शनी का उद्घाटन
‘बॉम्बे आर्ट सोसाइटी’ द्वारा आयोजित 132 वीं अखिल भारतीय कला प्रदर्शनी का उद्घाटन। 27 फरवरी 2024
पद्मश्री मनोज जोशी जी, वरिष्ठ अभिनेता और कलाकार
श्री राजेंद्र पाटील, अध्यक्ष, बॉम्बे आर्ट सोसाइटी, मुंबई
श्री विक्रांत मांजरेकर, शिल्पकार
श्री सुरेन्द्र जगताप,
श्री चंद्रजित यादव जी,
उपस्थित सभी कलाकार, युवा कलाकार, कलाप्रेमी भाइयों और बहनों
जहांगीर आर्ट गैलरी में आयोजित बॉम्बे आर्ट सोसायटी के 132 वे वार्षिक कला प्रदर्शनी को उपस्थित रहकर अत्यधिक हर्ष का अनुभव हो रहा है।
अनेक कार्यक्रम के बीच में मुझे कला प्रदर्शनी देखना बेहद पसंद है।
कलाकारों, चित्रकारों और मूर्तिकारों और अन्य दृश्य कलाकारों की संगति में रहते हुए, मुझे अपने परिवार में आये जैसा महसूस होता है।
हाल ही में इसी जहांगीर आर्ट गैलरी में मै, कला निदेशालय की प्रदर्शनी का उद्घाटन करने आया था। आज एक बार फिर आपके बीच आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।
बेंद्रे – हुसेन स्कॉलरशिप, संगीता जिंदल स्कॉलरशिप, तथा संध्या मिश्रा स्कॉलरशिप के विजेताओ का मै हार्दिक अभिनंदन करता हूं। जानकर ख़ुशी हुई की सोसायटी की ओर से ‘गव्हर्नर एवॉर्ड’ भी दिया जाता है। साथ ही गोल्ड मेडल्स विजेता ओ का भी मै हार्दिक अभिनंदन करता हूं।
ललित कला अकादमी के दिवंगत पूर्व अध्यक्ष डॉ. उत्तम पाचारणे को इस वर्ष का ‘रूप धर’ लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया जा रहा है इस बात की मुझे सबसे अधिक खुशी हो रही है।
डॉ. उत्तम पाचारणे एक महान मूर्तिकार और ललित कला अकादमी के अध्यक्ष थे। यह हमारा बड़ा दुर्भाग्य है कि वे आज हमारे मध्य में मौजूद नही है। ईश्वर ने उन्हें समय से पहले ही याद कर लिया। उन्हे सम्मानित करके हमने रूप धर पुरस्कार की गरिमा बढाई है, ऐसा मै मानता हूं।
डॉ. पाचारणे जी पुणे में ललित कला अकादमी का उपकेंद्र बनाना चाहते थे। दुर्भाग्य से उनकी यह इच्छा उनके जीवनकाल में पूरी नहीं हो सकी।
बॉम्बे आर्ट सोसायटी तथा सभी कला प्रेमियों को आह्वान करुंगा की हम सब ललित कला अकादमी का उपकेंद्र बनाकर डॉ. पाचारणे जी की इच्छा को पूरा करने का प्रयास करेंगे।
आज पुरस्कार स्वीकार करने के लिए उपस्थित दिवंगत डॉ. उत्तम पाचारणे के परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।
बॉम्बे आर्ट सोसाइटी मुंबई का ही नही, अपितु देश का गौरव है। यह 135 वर्षों की विरासत वाला संस्थान है, जिसने देश को एक से एक जाने माने कलाकार दिये है। बॉम्बे आर्ट सोसायटी की कला प्रदर्शनी का भी बडा इतिहास है। इस प्रदर्शनी में भाग लेने देश के विभिन्न राज्यो से कलाकार आते है। आपनी कला कृति इस प्रदर्शनी में लगना अपने आप में गौरव की बात है।
कला शिक्षा स्कूलों में एक सर्वांगीण पाठ्यक्रम का एक महत्वपूर्ण घटक है। जब मैं कला कहता हूं, तो इसका अर्थ है चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, नृत्य और रंगमंच। दुर्भाग्य से, स्कूल और कॉलेज मुख्य विषयों के पक्ष में कला को बहुत कम महत्व दे रहे हैं।
कला को शिक्षा के साथ एकीकृत करने से छात्रों को लीक से हटकर सोचने और नए तरीकों से विषयों का पता लगाने में मदद मिलती है।
यह छात्रों में रचनात्मकता और कल्पनाशीलता का पोषण करता है।
यह बच्चों में समस्या-समाधान, नवीन सोच और कल्पनाशील कौशल विकसित करने में मदद करता है।
कहते है की कोई भी कलाकार अपराधीक नहीं हो सकता। हमेशा उनकी सोच जो होती है वह सकरात्मक होती है।
कला शिक्षा में अक्सर सहयोगात्मक परियोजनाएँ शामिल होती हैं जिनके लिए छात्रों को एक समान लक्ष्य की दिशा में मिलकर काम करने की आवश्यकता होती है।
कला में संलग्न होने से छात्रों के भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह व्यक्ति को तनाव को अच्छी तरह से प्रबंधित करने में मदद करता है।
दुर्भाग्य से न केवल स्कूल बल्कि समाज भी दृश्य कला को कम महत्व दे रहा है। आज बहुत कम अखबार कार्टून छापते हैं। अख़बार के अनुपूरकों में ज़्यादा कलाकृतियाँ या चित्र नहीं होते हैं।
कला की अज्ञानता उस समाज के स्वाद और गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है जिसमें हम रहते हैं। छात्र तनावग्रस्त हैं, शिक्षक तनावग्रस्त हैं, माता-पिता तनावग्रस्त हैं। छात्र अधिक हिंसक और बेचैन हो जाते हैं, इसके लिए मोबाइल फोन और अन्य गैजेट्स का बढ़ता उपयोग जिम्मेदार है।
हमें तत्काल इस पर एक सिंहावलोकन की आवश्यकता है। मैं सरकार से यह सुनिश्चित करने का आह्वान करूंगा कि स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों को कला शिक्षा से अवगत कराया जाए। उचित रूप से प्रशिक्षित कला शिक्षक होने चाहिए। गणित या इतिहास के शिक्षकों से छात्रों को ‘कला’ पढ़ाने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।
बॉम्बे आर्ट्स सोसाइटी को ऑनलाइन प्रदर्शनियों की मेजबानी करने और कला प्रशंसा कक्षाएं आयोजित करने के लिए प्रौद्योगिकी की शक्ति का उपयोग करना चाहिए। हमें समाज में अच्छी कला के प्रति रुचि विकसित करनी होगी।
मैंने त्रिपुरा के राज्यपाल के रूप में कार्य किया है। एक बार मैं मिज़ोरम सीमा पर एक छोटे से गाँव की यात्रा पर गया। गाँव छोटा है लेकिन सबसे खूबसूरत है। गांव के लोग अपने घरों के बाहर सड़कों की सफाई करते हैं। वे अपने घरों के बाहर फूलों की सजावट भी करते हैं। मुझे लगता है कि हमें महाराष्ट्र के लोगों को अपने ड्राइंग रूम में कम से कम एक कला कृति रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
इस उद्देश्य के लिए हमें कला को किफायती बनाना होगा।
जहांगीर आर्ट गैलरी कलाकारों के लिए एक प्रतिष्ठित गैलरी है। हाल ही में एक कलाकार ने मुझसे मुलाकात की और जहांगीर आर्ट गैलरी में अपनी प्रदर्शनी दिखाने के लिए मुझसे मदद मांगी। मैंने उनसे कहा कि जहांगीर गैलरी कई वर्षों के लिए पूरी तरह बुक है।
क्या हम यहां और अधिक मंजिलें नहीं बना सकते ताकि अधिक कलाकारों को यहां अपनी प्रदर्शनी लगाने का अवसर मिले।
प्रिय मित्रों, मेरा मानना है कि भारत विश्व की कला राजधानी है। हमें अतीत की गहराई में जाने और अपनी कला की महिमा को दुनिया के सामने लाने के लिए और अधिक कला इतिहासकारों की आवश्यकता है।
हमें आर्ट इंटरप्रिटर्स की भी आवश्यकता है जो आम आदमी को कला कृतियों का महत्व समझाये।
बॉम्बे आर्ट सोसाइटी को ऐसी प्रदर्शनियाँ अन्य देशों में भी आयोजित करनी चाहिए, ताकि दुनिया के अधिक से अधिक लोग हमारी कला और विरासत के बारे में जान सकें।
गाव के लोग भी कलाकार होते है, आप देखते होंगे की हम दीपावली के समय गाव में जाते है तो घर की सफाई करके दीवारों पे कना जो रेती से करते है। मैं झारखंड में था तो वह की कला भी अलग है, ट्रायबलों की कला भी अलग है। लेकिन ऐसे कलाकारों को मंच नहीं मिलने के कारण उनकी कला छिपी रहती है। प्रतिष्ठित और जानकार कलाकारों के बारे में सभी जानते है। लेकिन जो अननोन है, जिसको कोई नहीं जनता। अगर ऐसी कोई एक टीम बनाई जाए, जो गाव में जाके घूमे, प्रदेशों मे जाए और ऐसे कलाकारों को छाँट कर एक मंच देकर उनका सम्मान करना चाहिए और उनको भी प्रोत्साहित करना चाहिए।
एक बार फिर, मैं बॉम्बे आर्ट सोसाइटी पुरस्कार और छात्रवृत्ति के सभी प्राप्तकर्ताओं को बधाई देता हूं और सभी प्रतिभागियों, जूरी सदस्यों और बॉम्बे आर्ट सोसाइटी के सदस्यों की भी सराहना करता हूं। मैं प्रदर्शनी की पूर्ण सफलता की कामना करता हूं।
धन्यवाद।
जय हिन्द। जय महाराष्ट्र।।