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    26.01.2024 : छत्रपति शिवाजी महाराज पारंपरिक खेल महाकुंभ। महाराष्ट्र सरकार, बृहन् मुंबई महानगर निगम और क्रीड़ा भारती द्वारा आयोजित

    प्रकाशित तारीख: January 26, 2024

    छत्रपति शिवाजी महाराज पारंपरिक खेल महाकुंभ। महाराष्ट्र सरकार, बृहन् मुंबई महानगर निगम और क्रीड़ा भारती द्वारा आयोजित। जाम्बोरी मैदान, वरली, मुंबई। 26 जनवरी 2024

    श्री एकनाथ शिंदे, मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र राज्य

    श्री मंगल प्रभात लोढ़ा, कौशल, रोजगार, नवाचार और उद्यमिता मंत्री

    विधायक तथा जन प्रतिनिधि

    श्रीमती अश्विनी जोशी, प्रभारी महापालिका आयुक्त

    श्री राजेन्द्र भोसले, कलेक्टर, मुंबई

    श्री राजेन्द्र क्षीरसागर, को-कलेक्टर, मुंबई शहर

    पारंपरिक खेल महाकुंभ में सम्मिलित होने राज्य के सभी जिलों से आए खिलाड़ी, खेल प्रशासक, खेल प्रबंधक

    भाइयों और बहनों,

    सबसे पहले मैं गणतंत्र दिवस के हर्षोल्लास पूर्ण अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।

    मुझे यह जानकर खुशी हुई कि महाराष्ट्र सरकार, बृहन मुंबई महा नगर निगम और क्रीड़ा भारती द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज की इस महाराष्ट्र भूमि पर पहली बार ‘छत्रपति शिवाजी महाराज पारंपरिक खेल महाकुंभ’ का आयोजन किया गया है।

    छत्रपती शिवाजी महाराज के राज्यारोहण के ३५० वें वर्ष के उपलक्ष में छत्रपती शिवाजी महाराज पारंपरिक खेल महाकुंभ का आयोजन करने के लिए मै सभी आयोजकों को और विशेष रूप से कौशल, रोजगार मंत्री श्री मंगल प्रभात लोढा जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं।

    प्रति वर्ष, पंजाब, मणिपुर, जैसे अनेक राज्यों के अपने-अपने पारंपरिक खेल महोत्सव होते है।

    पंजाब राज्य में हर साल ‘किला रायपुर खेल महोत्सव’ होता है।

    इसे ‘रूरल ओलंपिक’ के नाम से भी जाना जाता है।

    इसके तहत, लुधियाना के पास किला रायपुर में प्रमुख पंजाबी ग्रामीण खेलों के लिए प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।

    अभी तो ये आंतरराष्ट्रीय इव्हेंट बन चुका है।

    दुनिया के अनेक देशों से लोग पंजाब के ‘रूरल ओलम्पिक’ देखने आते है।

    महाराष्ट्र में भी अनेक पारंपरिक खेल खेले जाते है।

    कबड्डी, खो खो, आट्या पाट्या, चौसर, कुश्ती, बैलगाडी रेस, और अन्य कई !

    महाराष्ट्र में कुश्ती बहुत लोकप्रिय है।

    छत्रपती शिवाजी महाराज स्वयं घुड़सवारी, तलवारबाजी, भाला फेंक तथा अन्य पारंपरिक खेलो में माहिर थे।

    महाराष्ट्र के संत समर्थ रामदास ने देश रक्षा के लिए सशक्त पीढ़ी निर्माण के लिए शारीरिक व्यायाम का मंत्र दिया था।

    राजर्षी छत्रपती शाहू महाराज ने कुश्ती को बढावा दिया था।

    इसी महाराष्ट्र भूमि ने देश को खाशाबा जाधव दिये, जिन्होने १९५२ में हेलसिन्की में हुए ओलम्पिक में भारत को पहला मेडल जिता दिया था।

    महाराष्ट्र में पारंपरिक खेलों की बडी परंपरा है। लेकिन अभी तक हमारे पास इस प्रकार का प्लेटफार्म नहीं था।

    महाराष्ट्र शासन ने यह कमी दूर कर दी है, जिसके लिए महाराष्ट्र शासन, बृहन्मुंबई नगर निगम और क्रीडा भारती हमारे प्रशंसा के पात्र है।

    मुझे बताया गया है कि, इस खेल महाकुंभ में लेझीम, लगोरी, लंगड़ी, कबड्डी, कुश्ती, मल्लखांब, पंजा लड़ाई, दंड बैठक, पावनखिंड दौड़ (मैराथन), जैसे खेलों का आयोजन किया गया है।

    मुझे जानकार ख़ुशी हुई की २६ जनवरी से लेकर १९ फरवरी तक चलने वाले इस महाकुंभ में २ लाख से भी अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे है।

    आज, जब भारत हर पहलू में आत्मनिर्भर बनने की आकांक्षा रखता है, तो हमें मातृभाषा, मातृभूमि के साथ, स्वदेशी खेलों को प्रोत्साहित करना चाहिए।

    मेरे प्यारे युवा मित्रों

    हमारे प्राचीन शास्त्रकारों ने व्यक्ति के समग्र विकास पर बहुत जोर दिया है।

    शास्त्रों ने कभी भी केवल विज्ञान और कला सीखने पर जोर नहीं दिया। उन्होंने खेल-कूद पर समान जोर देने की वकालत की।

    भगवान श्री गणेश की पूजा पूरे देश और यहां तक कि दुनिया के कई अन्य देशों में की जाती है।

    गणेश जी 14 विद्याओं और 64 कलाओं में निपुण थे।

    विद्याओं में केवल वेदों का अध्ययन शामिल नहीं था, बल्कि चित्रकला, अभिनय, भाषा अध्ययन, संगीत, नृत्य, तीरंदाजी, तैराकी, व्यायाम विद्या, आदी भी शामिल थे।

    दुर्भाग्य से विदेशी प्रभुत्व के लंबे दौर में, हमारी अपनी सीखने की प्रणाली को प्रतिस्थापित कर दिया गया। देश में एक ऐसी शिक्षा प्रणाली लागू की गई जो हमें गुलाम बनाने के लिए बनाई गई थी।

    इस वर्ष भारत ने पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति पेश की है।

    यह नीति शिक्षा के भारतीयकरण पर जोर देती है। समय आ गया है कि हमें अपने प्राचीन, पारंपरिक खेलों को भी पुनर्जीवित करना चाहिए, संरक्षित करना चाहिये।

    आज हमारी युवा पीढ़ी शारीरिक रूप से निष्क्रिय होती दिखाई देती है।

    बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक लोग स्मार्टफोन, इंटरनेट या टीव्ही से चिपके रहते हैं।

    महाराष्ट्र राज्य विधानमंडल के हालिया सत्र के दौरान, राज्य में नशीली दवाओं के खतरे पर प्रकाश डाला गया।

    हमें युवाओं में नशा, तंबाकू और गुटखा की लत की बढ़ती प्रवृत्ति पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।

    युवाओं को नशीली दवाओं के खतरे से बचाने का एक तरीका उन्हें खेलों में शामिल करना है।

    महाराष्ट्र में पारंपरिक रूप से एक मजबूत खेल संस्कृति है।

    राज्य में खेल और खिलाड़ियों के विकास की प्रचुर संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में रोजगार के भी बहुत अवसर है।

    राज्य में लगभग 10 प्रतिशत आदिवासी – जनजाति जनसंख्या है, जो कई खेलों, खास कर के, तीरंदाजी और लंबी दूरी की दौड़ में अच्छे हैं। ये सिर्फ दो नाम हैं।

    कुछ साल पहले, चंद्रपुर जिले की आदिवासी लड़कियों ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी।

    हमारे राज्य में ऐसे कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं जिनकी क्षमता का दोहन किया जाना अपेक्षित है।

    हमने देखा है कि उत्तर पूर्वी राज्यों में महिलाओं को खेलने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

    इसलिए इस क्षेत्र ने मैरी कॉम, सनामाचा चानू और अन्य जैसी कई महान महिला खिलाड़ी पैदा किये हैं।

    आधुनिक खेलों में, महाराष्ट्र ने अनेक महान खिलाड़ी पैदा किए हैं, जिन्होंने ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेलों जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारत की जीत में योगदान दिया है।

    मुझे यकीन है कि खेल महाकुंभ जैसे पारंपरिक खेलों के त्योहार पारंपारिक खिलाडीयों को उत्कृष्टता के लिए प्रोत्साहित करेंगे, प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देंगे और एक अच्छा खेल का माहोल निर्माण करेंगे।

    हाल के वर्षों में भारत की खेल संस्कृति काफी विकसित हुई है। खेलो इंडिया जैसी पहल की बदौलत हमारे खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में अधिक पदक जीत रहे हैं। पिछले साल हमने एशियाई खेलों में 100 से अधिक पदक जीते थे ! पैरा ओलंपिक और दिव्यांगों के लिए विशेष ओलंपिक में भी हमारे प्रदर्शन में काफी सुधार हो रहा है।

    विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में, मैं सभी कुलपतियों से अपने कैम्पस में पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए कहूंगा। अंतर विश्वविद्यालय खेल महोत्सव ‘अश्वमेध’ जैसे आयोजनों के माध्यम से भी पारंपारिक खेलों का आयोजन करने के लिये मै कहूंगा।

    मुंबई महानगर में इस पारंपरिक खेलों की विभिन्न जगह पर मेजबानी करने के लिये मै अयोजकों को धन्यवाद देता हूं।

    अगले वर्ष से ऐसे खेल महाकुंभ अलग अलग जिलों में आयोजन करने का आह्वान करता हूं। राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसे एक अंतर्राष्ट्रीय आयोजन बनायें।

    मैं महाराष्ट्र के बच्चों और युवाओं से अपील करूंगा कि वे कम से कम एक खेल सीखें और खेल गतिविधियों में भाग लें। इससे उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा होगी।

    मैं एक बार फिर छत्रपति शिवाजी महाराज खेल महोत्सव के आयोजकों को बधाई देता हूं और प्रतिभागियों को यादगार समारोह की शुभकामनाएं देता हूं।

    धन्यवाद।
    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।
    छत्रपति शिवाजी महाराज की जय।।