23.09.2023: मुंबई विश्वविद्यालय और सहकार भारती द्वारा आयोजित माननीय लक्ष्मणराव इनामदार स्मृति व्याख्यान माला
मुंबई विश्वविद्यालय और सहकार भारती द्वारा आयोजित माननीय लक्ष्मणराव इनामदार स्मृति व्याख्यान माला । स्थान: कन्वोकेशन हॉल, मुंबई । 23 सितंबर 2023. शाम 5 बजे
श्री अमित शाह, माननीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री, भारत सरकार
श्री एकनाथ शिंदे, माननीय मुख्यमंत्री
श्री दिलीप वलसे पाटील, सहकारिता मंत्री, महाराष्ट्र सरकार
श्री मंगल प्रभात लोढा, मंत्री, कौशल विकास और उद्यमिता
श्री चंद्रकांत दादा पाटील, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री
श्री रवींद्र कुलकर्णी, कुलपति, मुंबई विश्वविद्यालय
श्री दीनानाथ ठाकुर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, सहकार भारती
प्राचार्य डॉ. अजय भामरे, प्रो वाइस चांसलर
डॉ. उदय जोशी, राष्ट्रीय महासचिव सहकार भारती
आमंत्रित, देवियो और सज्जनों
दो दिन पहले ही हमारी संसद में ‘नारी शक्ति वंदन अभियान विधेयक’ पारित किया गया है | इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए, मै, माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, और माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी को पुरे महाराष्ट्र की ओर से बधाई देता हूं और अभिनंदन करता हूं।
आज के व्याख्यान के लिये मुंबई पधारे केंद्रीय गृह तथा सहकारिता मंत्री सम्मानित श्री अमित शाह जी का मै महाराष्ट्र में हार्दिक स्वागत करता हूं | मुझे ज्ञात हुआ है कि, गृह मंत्री जी का जन्म मुंबई में ही हुआ है |
सहकारिता के पथ प्रदर्शक, आधार स्तंभ श्री लक्ष्मणराव इनामदार जी के नाम पर शुरू की गई स्मृति व्याख्यान श्रृंखला से जुड़कर मुझे बेहद खुशी हो रही है।
सर्व प्रथम मै, स्वर्गीय लक्ष्मण राव इनामदार जी को शत-शत नमन करता हूं।
लक्ष्मण राव जी का कहना था कि केवल व्यक्तिगत प्रयासों के जरिए समाज के गरीब और कमजोर वर्गों की मुक्ति संभव नहीं है।
समाज में आमूल चूल परिवर्तन लाने के लिए पारस्परिक रूप से मिलजुल कर प्रयास करने की आवश्यकता है। यह सहकारिता से ही संभव है।
सहकारिता एक spirit है | इस spirit के लिए संस्कार आवश्यक है । इसलिए इनामदार जी हमेशा कहते थे ‘बिना संस्कार, नहीं सहकार।‘
भारत का सहकारी आंदोलन विश्व में सबसे बड़ा है। सहकारिता के कारण अन्न उत्पादन में हरित क्रांति, और दूध उत्पादन में श्वेत क्रांति लाकर हम दुनिया में आगे है |सहकारिता के लिए अमूल एक उदाहरण है |
मैं स्वयं भी एक किसान परिवार का बेटा हूं जो एक संयुक्त परिवार है।
मैंने बहुत करीब से ग्रामीण जनजीवन से जुड़ी सहकारिता की पवित्रता का अनुभव किया है।
सहकारिता ही एक ऐसा माध्यम है जो गांव, गरीब और किसान की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
वर्तमान समय में अनेक क्षेत्रों में सहकारिता के माध्यम से कार्य हो रहा है।
शुगर और डेयरी के अलावा नए विषयों को लेकर सहकारिता आंदोलन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
महाराष्ट्र में खादी और ग्रामोद्योग मंडल द्वारा महाबलेश्वर के पास शहद का गाव विकसित किया गया है | मधुमक्खी पालन कर मधु क्रांति के क्षेत्र में नए आयाम सामने आ रहे हैं। इससे किसान की आय दुगुनी हो रही हैं।
स्वतंत्र सहकारिता मंत्रालय का गठन देश की अर्थव्यवस्था को 10 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने में सहायक सिद्ध होगा।
अमृत काल में किए गए सहकारिता के क्षेत्र के यह प्रयास समाज के अंतिम व्यक्ति के विकास में मिल का पत्थर साबित होंगे ऐसा मेरा विश्वास है।
आज भारत सेवा तथा मैनूफेक्चरिंग क्षेत्र में अग्रणी बन गया है। यह दुनिया का एक महान विनिर्माण देश भी है। लेकिन, कृषि क्षेत्र के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता।
कृषि आज भी हमारे 50 प्रतिशत से अधिक लोगों का भरण-पोषण करती है। भारत की समृद्धि की कुंजी हमारे किसानों के लिए कृषि को लाभदायक बनाने में निहित है।
आइए, हम सब एक ऐसे भविष्य का निर्माण करने के लिए, मिलकर काम करें, जहां हमारे महान राष्ट्र का हर किसान फलता-फूलता हो, और जहां कृषि सभी के लिए सतत विकास और समृद्धि के प्रतीक के रूप में खड़ी हो। यह दिवंगत श्री लक्ष्मणराव इनामदार जी को हमारी सबसे सच्ची श्रद्धांजलि होगी।’
एक बार फिर मैं माननीय लक्ष्मणराव इनामदार स्मृति व्याख्यान का आयोजन करने और हमें इस कार्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए मुंबई विश्वविद्यालय और सहकार भारती को बधाई देता हूं।
धन्यवाद।
जय हिंद | जय महाराष्ट्र |