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    21.02.2024 : ऑनलाईन : पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर सोलापुर विश्वविद्यालय का उन्नीसवा दीक्षांत समारोह

    प्रकाशित तारीख: February 21, 2024

    ऑनलाईन : पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर सोलापुर विश्वविद्यालय का उन्नीसवा दीक्षांत समारोह। 21 फरवरी 2024

    मुख्य अतिथी, जाने माने वैज्ञानिक, पद्म विभूषण प्रो. एम एम शर्मा जी, पूर्व निदेशक, इन्स्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलोजी

    संसद सदस्य डॉ. जयसिध्देश्वर शिवाचार्य महास्वामीजी,

    विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रकाश महानवर,

    प्रति कुलपति प्रो. लक्ष्मीकांत दामा,

    कुलसचिव डॉ. योगिनी घारे,

    परीक्षा एवं मूल्यमापन मंडल के निदेशक डॉ. मलिक रोकडे,

    विभिन्न विद्याशाखाओं के अधिष्ठाता

    विभिन्न प्राधिकरण के सदस्य,

    अध्यापकगण एवं छात्रों,

    सबसे पहले मैं पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर की स्मृति को वंदन करता हूं, जिनका नाम इस विश्वविद्यालय को दिया गया है।

    आज अपनी डिग्री प्राप्त कर रहे हैं, ऐसे सभी स्नातक छात्रों को मै हार्दिक बधाई देता हूं।

    यह प्रसन्नता की बात है कि डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओंकी संख्या निरंतर बढ रही है।

    पदक विजेता छात्र तथा पीएच डी उपाधि प्राप्त कर्ता विशेष बधाई के हकदार है क्योंकि इनसे प्रेरणा लेकर अन्य छात्र छात्राएं भी आगे बढेंगे।

    प्यारे विद्यार्थियों, दीक्षांत समारोह का दिन केवल आपके लिए ही नहीं, बल्कि सभी प्राध्यापकों और आपके माता-पिता के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण एवं हर्ष और उल्लास का दिन है।

    मैं आपके माता-पिता और अभिभावकों को भी बधाई देता हूं। उन्होंने जीवन के हर मोड़ पर आपका साथ दिया है और आपकी सफलता में निर्णायक भूमिका निभाई है।

    मैं अहिल्यादेवी होलकर सोलापूर विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों और यहां की पूरी टीम को भी बधाई देता हूं, जिनकी कड़ी मेहनत के फल स्वरुप आज आप अपने लक्ष्य को हासिल कर पाए हैं।

    आज आप सबको विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और उन सभी लोगों के प्रति भी आभार व्यक्त करना चाहिए जिन्होंने आपके लक्ष्य को प्राप्त करने में आपकी मदद की।

    बीस वर्ष पूर्व केवल एक जिले के लिये इस सोलापुर जैसे ऐतिहासिक नगरी में विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी।

    विगत दो दशकों में विश्वविद्यालय ने सोलापुर जिले के उच्चशिक्षा का आलेख बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

    यह बड़े गर्व और संतुष्टि की बात है कि विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान हैं।

    लेकिन इस यूनिवर्सिटी की सबसे खास बात यह है कि इसने ऐसे ग्रेजुएट तैयार किए हैं जो अपने पूरे परिवार में पहले ग्रेजुएट हैं।

    सोलापुर ने देश को डॉ. द्वारकानाथ कोटनिस जैसे महान डॉक्टर – शोधकर्ता दिये है जो चीन में एक सम्मानित नाम है।

    इस जिले ने देश को सार्वजनिक जीवन, उद्योग, फिल्म और सामाजिक कार्यों में नेता दिए हैं और हमें उन पर वास्तव में गर्व है।

    उत्कृष्टता की इस परंपरा को स्नातकों को निरंतर आगे बढ़ाना होगा।

    देवियों और सज्जनों,

    ज्ञान केवल तथ्यों या सूचनाओं का संग्रह नहीं है; यह वह कुंजी है जो समझ, ज्ञान और प्रगति के द्वार खोलती है।

    यह वह नींव है जिस पर सभ्यताओं का निर्माण होता है, और यह नवाचार और परिवर्तन का उत्प्रेरक है।

    ज्ञान हमें सशक्त बनाता है। यह व्यक्तियों को सही निर्णय लेने, दुनिया को समझने और जीवन की जटिलताओं से निपटने की योग्यता देता है।

    ज्ञान आलोचनात्मक सोच को भी बढ़ावा देता है।

    आलोचनात्मक सोच एक स्वस्थ, संपन्न समाज की रीढ़ है।

    ज्ञान एक ऐसा सेतु है जो अतीत को वर्तमान से और वर्तमान को भविष्य से जोड़ता है।

    आज का दिन दीक्षांत समारोह का है। दीक्षा का अंत हो सकता है; शिक्षा का कोई अंत नही। शिक्षा निरंतर जारी रहनी चाहिये।

    विद्यार्थी मित्रों,

    आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा युवा देश बन कर उभरा है। भारत में पूरी दुनिया को जनशक्ति आपूर्ति करने की क्षमता है।

    हाल ही में सम्माननीय प्रधानमंत्री जी ने युवाओं की क्षमताओं का ध्यान रखते हुए वॉइस ऑफ यूथ @2047 इस कार्यक्रम की घोषणा की है।

    माननीय प्रधान मंत्री ने युवाओं से कहा है कि वे विकसित भारत के बारे में अपने विचार उनके साथ साझा करें। उन्होंने सभी से 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए अगले 24 वर्षों के दौरान हर पल का सर्वोत्तम उपयोग करने की अपील की है।

    आने वाले शैक्षणिक वर्ष से हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का क्रियान्वयन करने जा रहे हैं।

    यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, इक्कीसवीं शताब्दी की पहली शिक्षा नीति है जिसका लक्ष्य हमारे देश के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करना है।

    यह नीति भारत की परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों के आधार को बरकरार रखते हुए, इक्कीसवीं सदी की शिक्षा के लिए आकांक्षात्मक लक्ष्यों, के संयोजन में शिक्षा व्यवस्था, उसके नियमन और गवर्नन्स सहित, सभी पक्षों के सुधार और पुनर्गठन का प्रस्ताव रखती है।

    मैं अहिल्यादेवी होलकर सोलापूर विश्वविद्यालय से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मानक स्थापित करने का आह्वान करूंगा। यह अन्य विश्वविद्यालयों के लिए अनुकरणीय उदाहरण बनेगा।

    सोलापुर की एक अलग पहचान है। यहां उद्योग और कुटीर उद्योग की संस्कृति है। सोलापुर चादरें पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। सोलापुर वस्त्र उद्योग का बडा केंद्र है। विश्वविद्यालय को ऐसे पाठ्यक्रम डिज़ाइन करने चाहिए जो पूरे देश और उसके बाहर सोलापुर के ब्रांड मूल्य को बढ़ाएँ। हमे ऐसे स्किल्स प्रदान करने चाहिये जो कारागीरो का गुणवत्ता वर्धन करे। उत्पादन का वैल्यू एडिशन करे।

    मैं विश्वविद्यालय से महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम करने की भी अपील करूंगा। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम अपने परिसर से स्नातक होने वाले प्रत्येक छात्र को कौशल आधारित प्रशिक्षण प्रदान करें।

    हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के युग में रह रहे हैं। A I शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन लाने जा रहा है। हमें अपने स्नातकों को A I के लाभों और नुकसानों से परिचित कराना और शिक्षित करना चाहिए।

    सोलापुर भाषाओं का भी संगम है। सोलापुर में हिंदी और मराठी के अलावा तेलुगु और कन्नड़ बोलने वाले भी बहुत से लोग हैं। मैं प्रत्येक छात्र से अपील करूंगा कि अपनी मातृ भाषा के साथ अन्य भाषाएं भी सिखे।

    देवियों और सज्जनों,

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रत्येक व्यक्ति में निहित रचनात्मक क्षमताओं के विकास पर विशेष जोर देती है।

    प्राचीन और सनातन भारतीय ज्ञान और विचार की समृद्ध परंपरा के आलोक में यह नीति तैयार की गयी है।

    भारत वेदों, उपनिषदों, योगों, न्याय शास्त्र – न्यायशास्त्र के प्राचीन ज्ञान का भंडार बना हुआ है। मुझे प्रसिद्ध अमेरिकी इतिहासकार और लेखक विल डुरैंट के शब्द याद आते है। भारत वेदों, उपनिषदों, योगों, न्याय शास्त्र – न्यायशास्त्र के प्राचीन ज्ञान का भंडार है।

    अमेरिकी इतिहासकार और लेखक विल डुरैंट ने भारत को नस्ल की जननी और संस्कृत को यूरोप की भाषाओं की जननी बताया था। उन्होंने भारत को दर्शनशास्त्र, गणित, स्वशासन और लोकतंत्र की जननी बताया।

    अब हमें सब को मिलकर अपनी पूर्व गरिमा को प्राप्त करना है। मुझे विश्वास है कि, नई शिक्षा प्रणाली के आधार पर हम भारत को विश्व महाशक्ति बना सकते है।

    इसमें अहिल्यादेवी होलकर सोलापूर विश्वविद्यालय की बड़ी भूमिका रहेगी।

    मैं विश्वविद्यालय से अपील करूंगा कि :

    1.’विकसित भारत’ उद्देश्य के मद्देनजर, अगले 10 वर्षों में विश्वविद्यालय को भारत के शीर्ष दस विश्वविद्यालयों में पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित करें।

    2.अपने छात्रों को उद्यमी और नवप्रवर्तक बनने के लिए प्रोत्साहित करें।

    3.विश्वविद्यालय प्रशासन में आमूलचूल सुधार लाकर छात्रों की शिकायतों को ईमानदारी से दूर करने के लिए एक व्यवस्था बनाएं।

    4.ग्राम गोद लेने की परियोजनाओं के माध्यम से छात्रों को सामाजिक उपक्रमों में शामिल करें।

    5.सभी पूर्व छात्रों तक पहुंचे और उन्हें विश्वविद्यालय के विकास और विस्तार में शामिल करें।

    मैं एक बार फिर सभी स्नातक छात्रों को बधाई देता हूं और उनसे अपील करता हूं कि वे अपनी उपलब्धियों से विश्वविद्यालय और देश को गौरवान्वित करें।

    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।