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    18.08.2023 : भारत की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव का राज्य स्तरीय समापन समारोह तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘साद सह्याद्रीची, भूमी महाराष्ट्राची’

    प्रकाशित तारीख: August 18, 2023

    भारत की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव का राज्य स्तरीय समापन समारोह तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘साद सह्याद्रीची, भूमी महाराष्ट्राची’

    माननीय मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे

    उप मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस

    उप मुख्यमंत्री श्री अजीत पवार

    श्री सुधीर मुनगंटीवार, संस्कृति, वन और मत्स्य पालन मंत्री

    श्री मंगल प्रभात लोढा, मंत्री, कौशल विकास

    श्री दीपक केसरकर, शिक्षा तथा मराठी भाषा मंत्री

    सम्मानित मंत्री, राज्य मंत्री,

    सम्मानित गणमान्य अतिथि,

    श्री विकास खारगे, प्रधान सचिव, सांस्कृतिक कार्य विभाग,

    श्री अमिताभ सिंह, पोस्ट मास्टर जनरल

    अधिकारी गण

    सभी कलाकार

    नागरिक भाईयों और बहनों,

    ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के राज्य स्तरीय समापन समारोह में उपस्थित आप सभी का, राजभवन में स्वागत करते अत्यंत हर्ष का अनुभव कर रहा हूं।

    आजादी का अमृत महोत्सव के समापन समारोह के तहत सरकार ने ‘मेरी माटी मेरा देश’, ‘मिट्टी को नमन, वीरोंको वंदन’ अभियान शुरू किया है।

    यह अभियान, उन वीरों और वीरांगनाओं को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने देश के लिए, सर्वोच्च बलिदान दिया है।

    हमने 9 अगस्त के दिन भारत को 2047 तक आत्मनिर्भर और विकसित बनाने के सपने को साकार करने की पंचप्रण प्रतिज्ञा भी ली है।

    हमने गुलामी की मानसिकता को, जड़ से उखाड़ फेकने का तथा देश की समृद्ध विरासत पर, गर्व करने का संकल्प भी लिया है।

    राज्य सरकार ने विभिन्न कार्यक्रम एवं समारोह आयोजित कर, स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाया।

    इन समारोहों के शानदार आयोजन के लिए, मैं महाराष्ट्र सरकार को बधाई देता हूं।

    इस वर्ष, महाराष्ट्र ने, हिंदवी स्वराज के संस्थापक, छत्रपति शिवाजी महाराज के, राज्याभिषेक का 350वां वर्ष भी, बडे हर्षोल्लास से मनाया। यह बहुत खुशी की बात है कि आज शाहजी राजे भोसले पर डाक टिकट जारी किया जा रहा है।

    आज भले ही स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव का समापन हो रहा हो, लेकिन वास्तव में स्वतंत्रता के ‘अमृत काल’ का शुभारंभ हो चुका है, जो अगले 25 वर्षों तक चलने वाला है।

    जैसा कि भारत के माननीय प्रधान मंत्री जी ने कल्पना की है, वर्ष 2047 तक, जब भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मना रहा होगा, हमे ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को साकार करना है। इस दिशा में महाराष्ट्र को, सबसे अधिक अग्रणी भूमिका निभानी है।

    महाराष्ट्र ने, स्वतंत्रता आंदोलन में, देश को नेतृत्व प्रदान किया। महाराष्ट्र, न केवल स्वतंत्रता आंदोलन के कई दिग्गजों का जन्मस्थान रहा है, बल्कि हमारे लोकतांत्रिक राष्ट्र की दिशा को आकार देने में भी नेतृत्व प्रदान करता रहा है।

    संसदीय लोकतंत्र, समावेशिता और सामाजिक न्याय के प्रति, हमारे राज्य की प्रतिबद्धता ने, पूरे देश के लिए, एक मार्गदर्शक के रूप में काम किया है।

    उद्योग जगत में, जमशेदजी टाटा, जेआरडी टाटा, रतन टाटा, बिड़ला परिवार, बजाज परिवार, किर्लोस्कर परिवार और कई अन्य व्यापारिक समूहों ने महाराष्ट्र में औद्योगिक विकास की मजबूत नींव रखी।

    जिस तरह हमारे पूर्वजों ने, एक स्वतंत्र और समृद्ध भारत का सपना देखा था, हमें भी एक ऐसे राष्ट्र की कल्पना करनी चाहिए, जो पूरी तरह से विकसित, समावेशी और न्यायसंगत हो।

    हमें आज़ादी के “अमृत काल” में, गरीबी, भूखमरी और सामाजिक असमानताओं को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि हमारी प्रगति टिकाऊ हो और समाज के हर वर्ग को लाभ मिले।

    इस दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए, हमें इनोवेशन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शक्ति का उपयोग करना चाहिए।

    हमें अपने युवाओं में निवेश करना चाहिए, महिलाओं को सशक्त बनाना चाहिए और एक ऐसा पारिस्थितिक तंत्र बनाना चाहिए जो उद्यमिता और रचनात्मकता को बढ़ावा दे। हमारी नई शिक्षा नीति २०२०, इस दिशा में एक प्रभावशाली कदम है।

    मुंबई का इतिहास हमें बताता है कि महारानी विक्टोरिया के राज्यारोहण की स्वर्ण जयंती मनाने के अवसर पर मुंबई में VJTI, जो आज ‘वीर माता जीजाबाई टेक्निकल इंस्टीट्यूट’ है उसकी स्थापना की गई थी। विगत १३५ वर्षो में इस संस्था ने देश के विकास में भरसक योगदान दिया है।

    मुझे लगता है कि महाराष्ट्र को, आजादी का अमृत महोत्सव के समापन के उपलक्ष्य में भी, अपने विभिन्न शिक्षा संस्थानों का निर्माण तथा विकास करना चाहिए। इस अवसर पर मैं अपनी ‘विश लिस्ट’ साझा करना चाहता हूं।

    1. महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय का विकास एवं उन्नयन करना चाहिये। वर्ष 2047 तक महाराष्ट्र को, भारत की कौशल और स्टार्ट-अप राजधानी बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए।

    2. वर्ष 2047 तक छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपती संभाजी महाराज और सरखेल कान्होजी आंग्रे के समय के सभी किलों को पुनर्स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिये।

    3. 2047 तक महाराष्ट्र के कम से कम पांच विश्वविद्यालयों को, दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में बनाने का लक्ष्य रखना चाहिये।

    मैं आह्वान करता हूं कि हर विभाग और हर मंत्रालय, अपने अगले २५ वर्षो के लिये, गोल निर्धारित करे और उनकी प्राप्ति के लिए भरसक प्रयास करें।

    इस अपेक्षा और विश्वास के साथ, मैं उन सभी व्यक्तियों, संगठनों और समुदायों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने इस स्वतंत्रता का ‘अमृत महोत्सव समापन समारोह’ को एक शानदार सफलता बनाने में योगदान दिया है।

    आइए हम देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर एक उज्जवल, विकसित और समृद्ध भारत निर्माण के सपने को साकार करने का दृढ़ संकल्प करें।

    धन्यवाद।
    जय हिन्द ! जय महाराष्ट्र !!