16.08.2023 : ‘बाल कल्याण संस्था’, राजभवन परिसर पुणे को भेट
‘बाल कल्याण संस्था’, राजभवन परिसर पुणे को भेट, बुधवार 16 अगस्त 2023
श्रीमती रामबाई बैस, माननीय अध्यक्ष, बाल कल्याण संस्था
श्री प्रतापराव पवार, मानद सचिव, बाल कल्याण संस्था
डॉ संजीव डोले, ट्रस्टी, बालकल्याण संस्था
श्रीमती चारू बापले, ट्रस्टी
श्रीमती पद्मनाभन, ट्रस्टी,
श्री रितेश कुमार, पुलिस आयुक्त, पुणे
सभी ट्रस्टी एवं पदाधिकारीगण
श्रीमती अपर्णा पानसे , प्रबंधक,
आमंत्रित गण,
अभिभावक, और मेरे प्यारे बच्चों!
आज मैं बाल कल्याण संस्थान का दौरा करके बहुत खुश हूं।
आज मुझे मुंबई जाना है। लेकिन, यदि मैं संस्था नहीं आया होता तो मेरी पुणे यात्रा अधूरी रह जाती।
मुझे याद है, स्पेशल ओलंपिक में भाग लेने जाने से पहले आप में से कुछ छात्र श्री प्रताप पवार जी के साथ राजभवन आये थे। मैंने तब बाल कल्याण संस्था का दौरा करने का वादा किया था। आज वादा निभाने का मुझे आनंद हो रहा है।
दिव्यांग व्यक्तियों के मनोरंजन और विकास के लिए संस्थान में दी जाने वाली विभिन्न सुविधाओं को देखकर मुझे खुशी हुई। खासकर सेन्सरी गार्डन या संवेदना उद्यान के बारे में जानकर आनंद हुआ।
दिव्यांग बच्चों को व्यायामशाला, नृत्य-नाटक, तैराकी, इनडोर खेल, आउटडोर खेल, गायन और वाद्य संगीत, कला और शिल्प और कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र देने के लिए, यह संस्था हमारी सराहना की पात्र है।
वर्ष १९७९ में संस्था की स्थापना के बाद से श्री प्रतापराव पवार के कुशल मार्गदर्शन और नेतृत्व में संस्था द्वारा अनवरत किए गए अच्छे कार्यों को देखकर प्रसन्न हुआ।
शुरुआत से ही वे संस्था के साथ जुडे हैं, जो दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और चिंता को दर्शाता है।
आज मैं विशेष ओलंपिक में बाल कल्याण संस्था माध्यम से स्वर्ण पदक जितने वाली गायत्री भालेराव को बधाई देता हूं। उनके कोच श्री अशोक नांगरे जी का भी अभिनंदन करता हूं। मैं आप सभी को बताना चाहता हूं कि हमें वास्तव में आप पर गर्व है।
अपनी स्थापना के बाद से, बाल कल्याण संस्था, पुणे एक अनूठी संस्था के रूप में उभरी है जो सभी प्रकार के दिव्यांगों के कल्याण के लिए सुंदर काम कर रही है।
बाल कल्याण संस्था दिव्यांग बच्चों की क्षमताओं को विकसित करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
आज मुझे यह जानकर बेहद खुशी हुई कि दिव्यांगों के उत्थान के लिए अग्रणी कार्य के लिए बाल कल्याण संस्था को भारत की तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल के हाथों राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
यह जानकर खुशी होती है कि संस्था तीन चरणों में काम करती है:
1. दिव्यांगों की प्राथमिक शिक्षा,
2. मजबूत चरित्र निर्माण और दिव्यांग बच्चों के व्यक्तित्व में आत्मविश्वास पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करना।
3. दिव्यांगों के पुनर्वास और सार्वजनिक, निजी और कॉर्पोरेट क्षेत्रों में उनकी वास्तविक नियुक्ति के लिए स्वतंत्रता की भावना पैदा करना।
मित्रों,
स्वतंत्रता के बाद राज्य सरकार और राजभवन ने पुणे में समाज के लिए सबसे पहला बडा काम किया। वह काम था, पूना विश्वविद्यालय, जिसका नाम अब सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, के लिए 400 हेक्टेयर से अधिक जमीन देना। राज्यपाल का बंगला ही विश्वविद्यालय बन गया।
फिर, राजभवन ने विकास प्रशासन के लिए ‘यशदा’, यशंतराव चव्हाण अकादमी के लिए भी जमीन दी, जहां अधिकारियों को सरकार के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
मेरे प्रतिष्ठित पूर्ववर्तियों द्वारा ‘बाल कल्याण संस्था’ को जमीन देने का निर्णय दिव्यांग बच्चों के जीवन को बदलने में सबसे महत्वपूर्ण था।
पिछले 44 वर्षों के दौरान, बाल कल्याण संस्था ने दिव्यांगों को उनके मनोरंजन और खेल के लिए निःशुल्क सुविधाएं प्रदान की हैं।
मैं समझता हूं कि 85 से अधिक विशेष स्कूलों के 4000 से अधिक छात्रों को संस्था की सुविधाओं से लाभ हुआ है, जो काफी सराहनीय है।
संस्था ने विशेष बच्चों के कल्याण के लिए काम करके, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, हजारों लोगों के जीवन को सशक्त और परिवर्तित किया है।
जब किसी घर में एक दिव्यांग बच्चा पैदा होता है, तो माता-पिता को बहुत अधिक मानसिक और भावनात्मक पीड़ा सहनी पड़ती है।
बाल कल्याण संस्था जैसी संस्थाएं ऐसे अभिभावकों को बड़ी राहत देते हैं।
हमें ऐसी संस्था को सहयोग करना चाहिए और श्री प्रतापराव पवार जैसे लोगों और अन्य ट्रस्टियों के हाथों को भी मजबूत करना चाहिए।
हर बार हमें सरकार से उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि वह दिव्यांगों के लिए सब कुछ करे।
यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम दिव्यांगों को उनकी पूरी क्षमता का विकास कराने और समाज में योगदान देने वाले सदस्य बनने में मदद करें।
हमें ऐसे संगठनों को बनाए रखने और मजबूत करने के लिए लोगों को उदार दान और समर्थन की आवश्यकता है।
मैं उन सभी दानदाताओं को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं जो बाल कल्याण संस्था के साथ खड़े रहे और उसका समर्थन किया।
संसदीय समिति के अध्यक्ष के रूप में, मैंने विभिन्न दिव्यांग व्यक्तियों तथा ट्रान्स जेंडर्स को सशक्त बनाने के विषय पर व्यापक रूप से कार्य किया है।
हमें ऐसे सार्वजनिक स्थान बनाने की आवश्यकता है जो सभी दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सुलभ हों। उदाहरण के तौर पर थिएटर, रेल्वे प्लॅटफॉर्म तथा बस स्टेशन, कॉलेजेस, विश्वविद्यालय, शासकीय कार्यालय आदि ।
टेक्नोलॉजी दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक बड़ा वरदान साबित हुई है।
विशेष ओलंपिक और एबलिम्पिक में भारत ने हर बार बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है। हमें दिव्यांगों के खेल-कूद की क्षमता का दोहन करने की जरूरत है।
अंत में मै बाल कल्याण संस्था से जुडे सभी को हृदय से धन्यवाद देता हूं और संस्था को भविष्य के कार्य के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद
जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।