12.09.2023 : क्रांतिवीर चापेकर बंधु स्मारक ‘क्रांति तीर्थ वाडा’ और ‘पुनरुत्थान समरसता गुरुकुलम’ का दौरा, चिंचवड़, पुणे
क्रांतिवीर चापेकर बंधु स्मारक ‘क्रांति तीर्थ वाडा’ और ‘पुनरुत्थान समरसता गुरुकुलम’ का दौरा, चिंचवड़, पुणे, मंगलवार 12 सितंबर 2023
पद्मश्री गिरीश प्रभुणे, अध्यक्ष, पुनरुत्थान समरसता गुरुकुलम और अध्यक्ष, क्रांतिवीर चापेकर स्मारक समिति
श्री शेखर सिंह, आयुक्त, पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम
एडवोकेट सतीश गोराडे, सचिव, चापेकर बंधु राष्ट्रीय संग्रहालय
विशिष्ट आमंत्रित गण,
पुनरुत्थान समरसता गुरुकुलम के छात्र
बहनों और भाइयों,
मैं क्रांतिवीर चापेकर बंधू क्रांति तीर्थ वाडा की पावन भूमि की यात्रा से धन्यता महसूस कर रहा हूं।
क्रांतिवीर चापेकर बंधुओं के स्मारक हमें देश को विदेशी शासन से मुक्त करने के लिये हमारे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान की याद दिलाता है।
प्लेग अफसर वाल्टर रँड की चापेकर बंधु द्वारा की गई हत्या से पुरे मुंबई राज्य में ब्रिटिश साम्राज्य को गहरा धक्का पहुंचा था।
चापेकर बंधू स्मारक का पुनर्निर्माण करके और इसे संरक्षित करके क्रांतिवीर चापेकर स्मारक समिति तथा पिंपरी चिंचवड नगर निगम ने इसे पुरे देश के लिये एक अनुपम प्रेरणा स्थल बनाया है। इसके लिये मै समिति को तथा नगर निगम को हार्दिक बधाई देता हूँ।
समिति के तत्वावधान में शिक्षा, महिला सशक्तिकरण तथा विमुक्त जाती और जनजाति के विकास के लिये पुनरुत्थान समरसता गुरुकुलम के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा।
विशेष कर के यहा पर, पारधी, वडार, कैकाडी, गोसावी, गोंधली, डोम्बारी, लंबडी और अन्य जनजातियों के लोगों के सशक्तिकरण के लिए पद्म श्री गिरीश प्रभुणे जी के मार्गदर्शन में विगत अनेक वर्षो से किया जा रहा कार्य प्रशंसनीय है।
हमारे आदिवासी भाई और जनजाति के लोग अंग्रेजों को चुनौती देने वाले पहले स्वतंत्रता संग्राम सैनिको में से थे। वे भारत के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन रोकना चाहते थे।
अपनी क्रूर शक्ति का प्रयोग करते हुए, अंग्रेजों ने कुछ आदिवासी समुदायों को ‘आपराधिक जनजाति’ करार कर दिया।
यह हमारे आदिवासी और घुमंतू जनजाति स्वतंत्रता सेनानियों को सबक सिखाने का उनका तरीका था।
इस लेबल की वजह से उनकी गतिविधियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।
ऐसे समूहों के वयस्क पुरुष सदस्यों को स्थानिय पुलिस को साप्ताहिक रिपोर्ट करने के लिए मजबूर किया गया।
जनवरी 1947 में, बॉम्बे सरकार ने ‘आपराधिक जनजातियों’ के मामले को देखने के लिए एक समिति का गठन किया, जिसमें बी. जी. खेर, तत्कालीन मुख्यमंत्री मोरारजी देसाई और गुलज़ारीलाल नंदा को नियुक्त किया गया।
इसने अगस्त 1949 में अधिनियम के अंतिम निरसन को गति दी, जिसके परिणामस्वरूप 23,00,000 आदिवासियों को अपराध से मुक्त कर दिया गया।
आज भले ही घुमंतू जनजातियों और अन्य पिछड़े समुदायों के कल्याण के लिए संवैधानिक प्रावधान हैं, फिर भी इन समुदायों के लोगों को शिक्षित करने और उन्हें सम्मानजनक तरीके से अपनी आजीविका कमाने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करने की तत्काल आवश्यकता है।
श्री गिरीश प्रभुणे पिछले पांच दशकों और उससे भी अधिक समय से यह कार्य निष्ठा से कर रहे हैं।
उनके मार्गदर्शन में पुनरुत्थान समरसता गुरुकुलम पारधी समुदायों के 350 बच्चों की देखभाल कर रहा है।
आज, एक ओर, हमने चंद्रयान मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया है। सौर मिशन भी लॉन्च किया है। लेकिन, दूसरी ओर हमारे कमजोर समुदायों के लोग अतीत के ऐतिहासिक अन्यायों से पीड़ित हैं, सम्मान के लिये जूझ रहे है।
यह जानकर बेहद खुशी हो रही है कि पुनरुत्थान समरसता गुरुकुलम ऐसे बच्चों को कंप्यूटर, मिट्टी के बर्तन, मूर्तिकला और अन्य व्यवसायों में निपुणता प्रदान कर रहा है।
आज दुनिया के कई उम्रदराज़ देश कुशल व्यक्तियों की मांग को पूरा करने के लिए भारत की ओर देख रहे हैं। ये भारत के लिए बहुत बड़ा फायदा है। हमें उन्हें रोजगारपरक बनाने के लिए सर्वोत्तम कौशल और भाषा कौशल भी प्रदान करना चाहिए। हमें अपने युवाओं को उद्यमी बनने के लिए भी प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे न केवल वे आत्मनिर्भर बनेंगे, बल्कि उनकी बहनों और भाइयों का जीवन स्तर भी ऊंचा उठेगा।
मैं श्री गिरीश प्रभुणे जी और गुरुकुलम का अभिनंदन करता हूं और उनके भविष्य के प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।
मैं श्री गिरीश प्रभुणे जी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि राजभवन के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले रहेंगे। अगर मैं आपकी कोई मदद कर सकूं तो मुझे सबसे ज्यादा खुशी होगी। चापेकर बंधुओं के स्मारक पर मुझे आमंत्रित करने और पुनरुत्थान समरसता गुरुकुलम का कार्य से अवगत कराने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं।
जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।