बंद

    11.12.2023 : विकसित भारत@2047। माननीय प्रधान मंत्री द्वारा सार्वजनिक, निजी और अभिमत विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और संस्थानों के प्रमुखों की बैठक को संबोधन

    प्रकाशित तारीख: December 11, 2023

    विकसित भारत@2047। माननीय प्रधान मंत्री द्वारा सार्वजनिक, निजी और अभिमत विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और संस्थानों के प्रमुखों की बैठक को संबोधन तथा महाराष्ट्र राज्यपाल की अध्यक्षता में विश्वविद्यालयों के साथ संगोष्ठी। स्थान: दरबार हॉल, राजभवन, मुंबई। सोमवार, 11 दिसंबर 2023

    श्री हर्षवर्धन पाटील, पूर्व मंत्री एवं कुलाधिपति पिंपरी चिंचवड विश्वविद्यालय

    सार्वजनिक, निजी और डीम्ड विश्वविद्यालयों के सम्मानित कुलपति और प्रमुख,

    डीन और फैकल्टी सदस्य,

    ऑनलाईन मोड से संगोष्ठी में सम्मिलित हो रहे राज्य के विभिन्न महाविद्यालय के प्राचार्य, शिक्षक और छात्र गण,

    सबसे पहले मैं आज विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा शैक्षणिक संस्थानों के कुलपतियों और प्रमुखों को संबोधित करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को हार्दिक धन्यवाद देता हूं।

    माननीय प्रधान मंत्री की पहल की वजह से आज संभवत: पहली बार, महाराष्ट्र के सभी कुलपति और विश्वविद्यालयों के प्रमुख एक प्लेटफॉर्म पर एकत्र हुए हैं। मै आप सब का महाराष्ट्र राजभवन में हार्दिक स्वागत करता हूं।

    महाराष्ट्र शिक्षा और विशेषकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य रहा है।

    राज्य के पास कई सदियों से चली आ रही ज्ञान और शिक्षा की समृद्ध विरासत है। यह संत ‘ज्ञानेश्वर’ की भूमि है।

    राज्य ने छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति शाहू महाराज, महात्मा फुले, सावित्रीबाई फुले, विठ्ठल रामजी शिंदे, कर्मवीर भाऊराव पाटिल, डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर, जैसे दूरदर्शी नेताओं को जन्म दिया।

    आज महाराष्ट्र शिक्षा का एक अग्रणी केंद्र है, और कई शीर्ष पायदान के विश्वविद्यालयों और उत्कृष्टता केंद्रों का घर है।

    राज्य के 26 सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के अलावा, महाराष्ट्र में आईआईटी बॉम्बे, IIM, इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन स्टडीज, नेशनल केमिकल लेबोरेटरी, ‘नीरी’, ‘भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर’, VJTI जैसे संस्थान उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। मै चाहता हू कि, आपके बीच इस मंच के माध्यम से निरंतर संवाद बना रहे।

    मैं प्रत्येक विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा संस्थान से यह भी अपील करूंगा कि वे समाज और राष्ट्र के लिए आप क्या कर रहे हैं, यह दिखाने के लिए एक सार्वजनिक-उन्मुख वार्षिक उत्सव आयोजित करें।

    हमारे यहां कुछ उत्कृष्ट ललित कला और उपयोजित कला संस्थान हैं जिन्होने अपने सार्वजनिक प्रदर्शन को संस्थागत बना दिया है।

    हम सभी विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा एक समान प्रदर्शनी / उत्सव मनाने पर विचार होना चाहिये।

    स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद लगभग 76 वर्षों तक, हमने एक ऐसी शिक्षा प्रणाली अपनायी थी जिसने नए विचारों, नवीन विचारों, उद्यम और जोखिम लेने को हतोत्साहित करती थी।

    पहली बार, हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की शुरुआत की है जो नए विचारों, नवाचार को बढ़ावा देती है।

    मैं आपसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मॉडल कार्यान्वयन में बेंचमार्क बनाने की अपील करूंगा।

    प्रिय कुलपतियों और संस्थानों के प्रमुखों,

    विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों का राष्ट्र के विकास के साथ सहजीवी संबंध है।

    यह महज संयोग नहीं है कि जिन देशों को विकसित देश माना जाता है, वहां दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालय और शोध संस्थान हैं।

    वास्तव में मैं कहूंगा, वे देश महान राष्ट्र हैं क्योंकि उनके पास शीर्ष श्रेणी के विश्वविद्यालय और गतिशील शोध संस्थान हैं।

    दुनिया के 50 शीर्ष विश्वविद्यालयों में से अकेले अमेरिका में 17 विश्वविद्यालय हैं, जबकि ब्रिटेन में 6, हांगकांग में 4, ऑस्ट्रेलिया में 5 विश्वविद्यालय हैं। फ्रांस, जर्मनी, चीन, कनाडा में भी शीर्ष विश्वविद्यालय है।

    आज ये विश्वविद्यालय सक्रिय रूप से हमारे सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली छात्रों को उत्कृष्ट अवसर और छात्रवृत्ति प्रदान करके अपने परिसरों में आकर्षित कर रहे हैं।

    उन देशों के उद्योग संस्थान हमारे छात्रों को अपने देशों में बनाए रख रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर हमारे देश का ‘प्रतिभा पलायन’ (ब्रेन ड्रेन) हो रहा है।

    आप वास्तव तो देखो : दुनिया की शीर्ष अकाउंटिंग फर्म अमेरिकी हैं। दुनिया की टॉप बिजनेस मैनेजमेंट फर्म अमेरिकी हैं। शीर्ष कला और डिजाइन संस्थान या तो यूके, यूएसए या अन्य देशों से हैं।

    इसलिए आप सभी से मेरी पहली अपील है कि हमें अपने संस्थानों का निर्माण करना चाहिये – चाहे वह शैक्षणिक हो, अनुसंधान संस्थान हो, या प्रोफेशनल हो।

    अधिकांश आइवी लीग विश्वविद्यालयों या तो एक विशाल कॉर्पस फंड होता हैं या उनके बडे उद्योग अनुसंधान और विकास के लिए धन की निरंतर आपूर्ति करते हैं।

    इन संस्थानों को बनाए रखने में पूर्व छात्रों – एलुमनाई – का दान भी एक प्रमुख भूमिका निभाता है।

    हमें अपने विश्वविद्यालयों और संस्थानों को आर्थिक रूप से मजबूत और सबसे महत्वपूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है। इसके लिए हमें सभी पूर्व छात्रों को विश्वविद्यालय विकास के साथ जोड़ना होगा।

    विकसित भारत की पूर्व शर्त ‘विकसित विश्वविद्यालय’ तथा ‘विकसित स्कूल्स’ हैं।

    विश्वविद्यालय विकसित नहीं बन सकते, जब तक उनके पास शीर्ष श्रेणी और योग्य फैकल्टी नहीं होंगे।

    आज की तारीख में, हमारे कई विश्वविद्यालय मात्र 50 प्रतिशत संकाय के साथ काम कर रहे हैं, बाकी तदर्थ (एड हॉक) संकाय हैं। हमें रिक्त संकाय पदों को भरने को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।

    छात्रों द्वारा संकाय सदस्यों का मूल्यांकन भी अवश्य होना चाहिये। छात्रों द्वारा संकाय का मूल्यांकन संकाय को छात्रों के प्रति और अधिक जवाबदेह बना देगा।

    भारत जैसे विशाल राष्ट्र का विकास सीधे तौर पर अर्थव्यवस्था के सभी 3 प्रमुख क्षेत्रों के विकास से जुड़ा हुआ है।

    अर्थात् कृषि, विनिर्माण क्षेत्र और सेवा क्षेत्र।

    हमारी लगभग 50 प्रतिशत से अधिक आबादी आज भी आजीविका के लिए कृषि और संबद्ध उद्योगों पर निर्भर है।

    हमारे कृषि विश्वविद्यालयों में हो रहे अनुसंधान को विपणन योग्य उत्पादों और सेवाओं में बदलने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।

    विश्व के सबसे युवा राष्ट्र के रूप में, भारत के पास मानव संसाधनों के विशाल भंडार का उल्लेखनीय लाभ है। डेमोग्राफिक डिव्हिडंड।

    हमारे व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास संस्थानों को मानव संसाधनों के इस विशाल समूह को कुशल बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

    दुनिया के कई देश, विशेष रूप से जर्मनी, जापान, इटली जैसे उम्रदराज हो रहे देश, कुशल जनशक्ति की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत की ओर देख रहे हैं।

    कुशल श्रमिकों की कमी अब उद्योग विशिष्ट नहीं रह गई है।

    जर्मनी में ट्रेन ड्राइवर, रेल ट्राफिक कंट्रोलर, इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर की मांग है। उन्हें शिक्षा कार्यकर्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, प्रीस्कूल शिक्षकों की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ा संकट बुजुर्गों और नर्सिंग देखभाल कर्मियों के अभाव का है।

    जबकि हमारे संस्थानों को उच्च शिक्षा के लिये छात्रों को लक्षित करना चाहिए, हम उच्च शिक्षा प्रणाली से बाहर हैं, ऐसे 70 प्रतिशत से अधिक युवा समुदाय की ओर अनदेखी नहीं कर सकते हैं।

    भारत को 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए अपनी स्वतंत्रता और सार्वभौमता बनाए रखने के लिए ऊर्जा, अन्न और पानी में आत्मनिर्भर बनना होगा।

    विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की शक्ति का उपयोग करके हमारी भूख, बीमारी, गरीबी जैसी पुरानी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। यह समाधान, हमारे विश्वविद्यालयों के कैम्पस के माध्यम से आ सकता है।

    हाल के वर्षों में, हमने एशियाई खेलों में प्रदर्शन, जन धन खाते, कोविड टीकों का विकास, चंद्रयान मिशन, टीबी पर नियंत्रण, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण जैसी कई सफलता की कहानियां लिखी हैं।

    भारत द्वारा जी-20 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी से वैश्विक स्तर पर उसकी छवि बढ़ी। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है।

    जापान, जर्मनी, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने महान राष्ट्र बनने के लिए लंबी छलांग लगाई।

    भारत के लिए सही समय यहां और अभी है।

    मैं सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों से राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने और 2047 तक भारत को एक विकसित भारत बनने में पुरजोर प्रयास करने का आह्वान करूंगा।

    मैं इस विचार-मंथन में भाग लेने के लिए सभी विश्वविद्यालयों और निजी संस्थानों के प्रमुखों को धन्यवाद देता हूं और आने वाले वर्षों में इस तरह की और अधिक गतिविधियों की आशा करता हूं।

    धन्यवाद।
    जय हिन्द। जय महाराष्ट्र।।