11.03.2024 : डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय छत्रपती संभाजी नगर द्वारा आयोजित महाराष्ट्र राज्य अंतर विश्वविद्यालय युवा सांस्कृतिक महोत्सव – ‘इंद्रधनुष’ 2023 – 24 का उद्घाटन समारोह
ऑनलाइन : डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय छत्रपती संभाजी नगर द्वारा आयोजित महाराष्ट्र राज्य अंतर विश्वविद्यालय युवा सांस्कृतिक महोत्सव – ‘इंद्रधनुष’ 2023 – 24 का उद्घाटन समारोह। 11 मार्च 2024
डॉ. विजय फुलारी, कुलपति, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय
श्री मनोज लोहिया, पुलिस आयुक्त, छत्रपती संभाजी नगर
डॉ. वाल्मिक सरवदे, प्रति कुलपति
ऑनलाइन से जुड़े विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति,
विश्वविद्यालय के अधिकारी तथा विभिन्न बोर्डों के सदस्य,
गणमान्य अतिथि,
शिक्षक, कर्मचारी,
इंद्रधनुष महोत्सव में सम्मिलित होने विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए हुए सभी छात्र-छात्राएं ‘
देवियो और सज्जनों,
महाराष्ट्र के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी छात्र – छात्राओं की इस युवा सभा को संबोधित करते मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है।
वास्तव में ऑनलाइन उपस्थित रहने के बजाय प्रत्यक्ष रूप से विश्वविद्यालय का दौरा करने की मंशा थी।
लेकिन समयाभाव और अन्य व्यस्तताओं के कारण आज आपसे ऑन लाइन के जरिये ही बात कर रहा हूं।
सर्वप्रथम मै छत्रपती शिवाजी महाराज, धर्मवीर संभाजी महाराज और भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की स्मृति को नमन करता हुं, वंदन करता हुं।
राज्यपाल कार्यालय की अगुवाई से वर्ष 2003 में स्थापित, अंतर – विश्वविद्यालय सांस्कृतिक महोत्सव विगत २१ वर्षो में युवाओं के सबसे लोकप्रिय सांस्कृतिक इवेंट रूप में उभरा है।
‘इंद्रधनुष’ एक ऐसा त्यौहार हुआ है जिसका विश्वविद्यालय के छात्र इंतजार करते है। वर्षों तक इसकी तैयारी करते है।
‘इंद्रधनुष’ या ‘इंटर यूनिवर्सिटी कल्चरल फेस्टिवल’ ने सभी विश्वविद्यालयों के युवाओं के बीच मित्रता को बढ़ावा दिया है और मेरे अनुसार यह महोत्सव की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
मैं इंद्रधनुष महोत्सव की मेजबानी के लिए चयनित किये जाने पर डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय को हार्दिक बधाई देता हूं।
इस भव्य कार्यक्रम के आयोजन में अथक प्रयासों के लिए कुलपति डॉ. विजय फुलारी और आयोजन समिति के सभी सदस्यों की भी मै सराहना करता हूं।
प्रिय मित्रों,
‘इंद्रधनुष’ यह ऐसा सांस्कृतिक महोत्सव है जिसे आप कई वर्षों तक याद रखेंगे।
विश्वविद्यालय छोड़ने के बाद भी आपको वह नाटक याद रहेगा जो आपने यहां प्रस्तुत किया हो।
आपको यहां प्रस्तुत ऑर्केस्ट्रा, यहां पेश की मिमिक्री, यहां गाया हुआ गाना, बरसों तक याद रहेगा।
आपको याद रहेगा यहां दिया गया पहला भाषण। यहां मिलने वाली तालियां और शिक्षकों की प्रशंसा भी आपको जीवन भर याद रहेगी।
ऐसे मंच युवाओं को अपनी प्रतिभा को निखारने, अपने व्यक्तित्व को बेहतर बनाने और नेतृत्व गुणों को विकसित करने में भरपूर मदद करते हैं। इसलिए हमें ऐसे आयोजनों की आवश्यकता है।
मित्रों,
भारत संस्कृति का खजाना है, जो हजारों वर्षों में विकसित हुआ है। हमारी संस्कृति कला, संगीत, ललित कला, साहित्य, रीति – रिवाजों, परंपराओं, भाषाई अभिव्यक्तियों, कलाकृतियों, विरासत स्थलों और बहुत कुछ के रूप में प्रकट हुई है।
जब लोग भारत आते हैं, तो वे हमारी कला और सांस्कृतिक विरासत, हस्तशिल्प और हस्तनिर्मित वस्त्र देखना चाहते है। वे हमारा योग और ध्यान सीखना चाहते है। वे भारत के त्योहारों, संगीत और कला और व्यंजनो का आनंद लेना चाहते हैं।
स्वतंत्रता के अमृत काल में प्रस्तुत राष्ट्रीय शिक्षा नीति पहली बार हमारी सांस्कृतिक विविधता के दृष्टीकोन को परिदृश्य में रखती है।
हमारे विश्वविद्यालय न केवल उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए, पाठ्यक्रमों और कार्यक्रमों के निर्माण से संबंधित एक संस्थान है। बल्कि, वह संस्कृति संस्थान भी है जो हमारे युवाओं को देशभक्ति की भावनाओं के साथ भविष्य की चुनौतियों और जिम्मेदारियों को संभालने के लिए तैयार करते है।
छात्रों को न केवल अपनी पढ़ाई में उत्कृष्टता हासिल करने पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि उन्हें यह भी देखना चाहिए कि वे कला, क्रीडा और संस्कृति की माध्यम से समाज और देश में कैसे योगदान दे सकते हैं।
इस संबंध में सांस्कृतिक गतिविधियों और खेल एक भूमिका निभाते हैं।
माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर, देश के सभी राजभवन में, विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्थापना दिवस मनाए जा रहे हैं।
भारत सरकार की ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ पहल के तहत महाराष्ट्र राजभवन में अभी तक 20 विभिन्न राज्यों के राज्य स्थापना दिवस मनाये है।
हम इन समारोहों में राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को शामिल कर रहे हैं।
इसने सभी छात्रों को लोक नृत्य, नाटक, संगीत और अन्य सांस्कृतिक रूपों में अपने कौशल का प्रदर्शन करने के लिए एक और मंच प्रदान किया है। साथ ही दूसरे प्रदेशों की कला, नृत्य, संगीत और संस्कृति जानने का अवसर प्रदान किया है।
मैं ‘इंद्रधनुष’ के अंतिम विजेताओं को राजभवन में प्रदर्शन के लिए आमंत्रित करने के बारे में कुलपतियों से चर्चा करुंगा।
मित्रों,
आप एक बहु सांस्कृतिक और बहु जातीय दुनिया में रहने जा रहे हैं।
इसलिए मैं विद्यार्थियों से सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाने की अपील करूंगा।
स्थानीय छात्रों और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के साथ संपर्क करने के अवसरों का लाभ उठाएँ।
ज्ञान और अनुभवों का यह पारस्परिक आदान-प्रदान आपको भारत की सांस्कृतिक विविधता के प्रति गहरी सराहना विकसित करने में मदद करेगा।
आपके कैम्पस से परे, स्थानीय लोगो, वनवासी, जनजाति समुदायो के साथ भी जुड़ने का प्रयास करें।
यह भागीदारी आपको विभिन्न पृष्ठभूमि के व्यक्तियों के साथ बातचीत करने, उनकी चुनौतियों को समझने और समुदाय में योगदान करने में सहायक सिद्ध होंगी।
भारत इतिहास और विविध सांस्कृतिक विरासत में सबसे समृद्ध है। मैं आपसे महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों और उत्तर पूर्व भारत सहित देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा करने का भी आग्रह करूंगा। इससे राष्ट्रीय एकात्मता की भावना बढेगी।
इन्हीं शब्दों के साथ, मैं आपको अंतर विश्वविद्यालय सांस्कृतिक महोत्सव में भाग लेने के लिए फिर एक बार बधाई देता हूं और आपके यादगार महोत्सव की कामना करता हूं।
मुझे ‘इंद्रधनुष’ महोत्सव के शुभारंभ की घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है।
धन्यवाद।
जय हिन्द। जय महाराष्ट्र।।