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    09.06.2023 : ‘पाथवे टू वर्ल्ड पीस’ (विश्व शांति का मार्ग) ग्रंथ का लोकार्पण समारोह, संत ज्ञानेश्वर सभागृह, एमआयटी, कोथरूड, पुणे

    प्रकाशित तारीख: June 9, 2023

    ‘पाथवे टू वर्ल्ड पीस’ (विश्व शांति का मार्ग) ग्रंथ का लोकार्पण समारोह, संत ज्ञानेश्वर सभागृह, एमआयटी, कोथरूड, पुणे

    डॉ. विश्वनाथ कराड, MIT – विश्व शांति केंद्र के संस्थापक अध्यक्ष

    डॉ. विजय जोशी, ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया

    प्रो. राहुल कराड, कार्यकारी अध्यक्ष MIT – विश्व शांती विश्वविद्यापीठ

    डॉ मंगेश कराड, MIT आर्ट डिझाईन टेक्नोलॉजी युनिवर्सिटी

    ‘पाथवे टू वर्ल्ड पीस’ पुस्तक के विमोचन के लिए निमंत्रित किया जाना मेरे लिये एक बहुत सम्मान की बात है।

    हमारे देश के प्रसिद्ध विचारकों के लेखों और भाषणों से युक्त इस महान ग्रंथ को संकलित करने के लिए मैं प्रोफेसर डॉ. विश्वनाथ कराड जी को हृदयसे बधाई देता हूं।

    इन सभी लेखों का एक कॉमन विषय है – विश्व में शांति कैसे स्थापित करें।

    पुस्तक के प्रारंभ में, काशी में आयोजित, 9 वें वर्ल्ड पार्लियामेंट का उल्लेख है जो ‘कल्चर ऑफ पीस’ को आगे बढ़ाने के लिए की गयी थी।

    इस पुस्तक में, मुझे डॉ कर्ण सिंह, वैज्ञानिक डॉ विजय भटकर, केरल के विद्वान राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष डॉ भूषण पटवर्धन, डॉ इंद्रेश कुमार और अन्य विद्वान वक्ताओं के लेख देखकर प्रसन्नता हुई।

    हम आज हम अशांत दुनिया में रह रहे हैं। विश्व में अशांति है।

    रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चरम पर है।

    दुनिया के कई देश प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से युद्ध से बाधित हुए हैं।

    हर दिन टेलीविजन पर इमारतों और रिहायशी कॉलोनियों को नष्ट किए जाने और महिलाओं और बच्चों को अनाथ होते हुए दिखाया जा रहा है।

    शांति की बात करना आज सबसे अधिक प्रासंगिक है।

    भगवान कृष्ण ने दुनिया को दिखा दिया कि युद्ध के मैदान में भी शांति की बात की जा सकती है।

    भगवद्गीता केवल शांतिकाल मे अध्ययन करने का ग्रंथ नहीं है।

    भगवद गीता और उसका संत ज्ञानेश्वर द्वारा किया गया अनुवाद हमारे भीतर शांति और सद्भाव पैदा करने का मार्गदर्शन है। इससे समाज के भीतर और दुनिया के देशों के बीच शांति और सद्भाव निर्माण हो सकता है।

    गांधी जी कहा करते थे कि कोई शत्रु नहीं होता, केवल विरोधी हो सकते हैं जिन्हें आत्मिक बल से जीता जा सकता है, ना की बल द्वारा।

    गौतम बुद्ध ने अहिंसा और करुणा के संदेश का प्रचार किया।

    सम्राट अशोक ने युद्ध छोड़ने के लिए बुद्ध की शिक्षाओं का पालन किया।

    भगवान महावीर और ईसा मसीह ने भी प्रेम, क्षमा और शांति का संदेश दिया।

    शांति एक प्रासंगिक शब्द है। जिस शांति की तलाश हम दुनियामें करते हैं, उसका रास्ता हमारे दिलों से होकर जाता है।

    सनातन धर्म में हमेशा “वसुधैव कुटुम्बकम” की अवधारणा रही है।

    मतलब पूरा विश्व हमारा परिवार है और हमारी प्रार्थना भी सभी के लिए है।

    विश्व में आज विभिन्न धर्मों के लोग मिश्रित समाजों में रहते हैं।

    हमें धर्म का वृथा अभिमान छोडकर अच्छे इंसानों की तरह रहना चाहिए।

    प्रत्येक बच्चे को स्कूल के दिनों से ही सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाया जाना चाहिए।

    शांति शब्द के जप से शांति नहीं आ सकती।

    गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति संवेदना रखने से शांति आ सकती है।

    यदि तुम्हारे पास एक रोटी हो और तुम अपनी आधी रोटी गरीबों को बांट दो तो उस गरीब की आत्मा को तृप्ति होगी, शांति होगी।

    आज एक दुनिया दिनबदिन और समृद्ध हो रही है। और दूसरी दुनिया गरीब हो रही है।

    यदि अमीर अपने धन को गरीबों के साथ साझा करते हैं, तो समाज में शांति और सद्भाव कायम रहेगा।

    पेट में भूख हो तो मनुष्य शांति – चैन से नहीं रह सकता।

    इसलिए मोदी जी ने नारा दिया है ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’।

    टाइम्स ग्रुप और एमआईटी (MIT) ने “पाथवे टू वर्ल्ड पीस” यह सुंदर पुस्तक प्रकाशित की। इसलिये वे धन्यवाद के पात्र है।

    मैं कामना और आशा करता हूं कि यह पुस्तक विश्व के प्रत्येक नेता के हाथों में पहुंचे।

    मैं टाइम्स ग्रुप से अनुरोध करूंगा कि वह पुस्तक का मराठी और हिंदी में अनुवाद करने पर विचार करे ताकि अधिक से अधिक लोग इसके ज्ञान के मोती से लाभान्वित हो सकें।

    मैं टाइम्स समूह को भी धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने आज की दुनिया में शांति और सद्भाव के महत्व को समझा और इस तरह की पहल में अपना योगदान दिया।

    अंत में, मैं इस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए यहां उपस्थित सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं डॉ. विश्वनाथ कराड और टाइम्स ग्रुप को इस अद्भुत पुस्तक “पाथवे टू वर्ल्ड पीस” के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

    धन्यवाद
    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।