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    05.12.2023 : महाराष्ट्र शासन के स्कूल शिक्षा एवं खेल विभाग की विभिन्न पहलों का उद्घाटन

    प्रकाशित तारीख: December 5, 2023

    महाराष्ट्र शासन के स्कूल शिक्षा एवं खेल विभाग की विभिन्न पहलों का उद्घाटन। राजभवन मुंबई. 5 दिसंबर 2023

    श्री एकनाथ शिंदे, माननीय मुख्यमंत्री

    श्री मंगल प्रभात लोढ़ा, कौशल विकास मंत्री

    श्री गिरीश महाजन, ग्रामविकास एवं पंचायती राज मंत्री

    श्री दीपक केसरकर, मुंबई शहर के पालक मंत्री और स्कूल शिक्षा मंत्री

    श्री रनजीत सिंह देओल, प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा व क्रीडा विभाग

    श्री प्रदीप कुमार डांगे, परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा

    श्री सुरज मांढरे आयुक्त (शिक्षा)

    स्कूल शिक्षा विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारी

    सभी सम्मानित उद्योगपति

    प्रधानाध्यापक

    अध्यापक

    आमंत्रित अतिथि

    भाईयों और बहनों

    शिक्षा की पहुंच, उपलब्धता और उत्कृष्टता बढ़ाने के उद्देश्य से स्कूल शिक्षा विभाग के विभिन्न योजनाओं के शुभारंभ के साथ जुड़कर मुझे वास्तव में खुशी हो रही है। आप सभी का मै राजभवन में सहर्ष स्वागत करता हू।

    ‘शिक्षा’ विषय को फिर एक बार प्राथमिकता देने के लिये मै महाराष्ट्र सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग को बधाई देता हूं।

    यह शैक्षिक पहल शुरू करने के लिए आज से बेहतर दिन नहीं हो सकता था।

    कल भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर का ६७ वां महापरिनिर्वाण दिवस है।

    डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि, “किसी भी समाज की प्रगति उस समाज में शिक्षा की प्रगति पर निर्भर करती है।”

    भारत में दमित वर्ग को उन्होंने जो पहला मंत्र दिया था, वह था ‘शिक्षा’।

    शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ बच्चे को पढाना-लिखाना इतना ही सीमित नहीं, बल्कि एक अच्छा इंसान बनाना और जीवन के उद्देश्य को समझाना है। आज के युग में शिक्षा के कौशल शिक्षा देना जरुरी हुआ है।

    स्वामी विवेकानन्द चाहते थे कि शिक्षा ‘मनुष्य निर्माण’ करने वाली हो। उन्होंने कहा कि अगर कोई गरीब लड़का शिक्षा के पास नहीं आ सकता है, तो शिक्षा को उसके पास पहुंचना चाहिये।

    पुस्तक पढ़ना चीजों को सीखने का मात्र एक तरीका है; एक मात्र तरीका नहीं है।

    आज बच्चे भले ही किताबें नहीं पढ़ रहे हों, लेकिन वे स्मार्ट फोन पर, इंटरनेट, मीडिया और सोशल मीडिया जैसे विभिन्न स्रोतों के माध्यम से ज्ञान अर्जित कर रहे हैं।

    आज कल बच्चे किताबों से ज्यादा मोबाइल फोन पर पढ़ना पसंद कर रहे हैं। किंडल पर पढते है। इसलिए पुस्तकों के बजाय, हमें छात्रों को संलग्न करने के लिए ऑडियो पुस्तकें, वीडियो पुस्तकें और ई-पुस्तकें तैयार करनी चाहिए।

    बच्चे क्या देख रहे है, या पढ रहे है, इसपर ध्यान देना जरुरी होता है।

    कई विशेषज्ञों का कहना है कि आप जैसे पढ़ते हैं वैसे ही आप बनते जाते हैं।

    मुझे बेहद खुशी है कि सरकार ‘गोष्टींचा शनिवार’ (कहानियोंका शनिवार), ‘आनंददायी वाचन’ तथा ‘माझी शाला सुंदर शाला’ जैसी योजनाएं शुरू कर रही है।

    इंटरनेट की दुनिया बच्चों के लिए वरदान भी है और अभिशाप भी।

    अभिशाप, इसलिये की इंटरनेट पर बहुत सारी ख़राब सामग्री भी है जो बच्चे देख सकते हैं।

    कुछ गेम्स बच्चों को विभिन्न ‘टास्क’ करने को कहते हैं। ऐसे खतरनाक गेम खेलने के दौरान कुछ बच्चों की जान भी जा चुकी है। कुछ बच्चो ने खुद्खुशी तक की है।

    यह सुनिश्चित करने में शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका महत्वपूर्ण है कि बच्चे इंटरनेट के माध्यम से केवल सुरक्षित और अच्छी सामग्री तक पहुँचें।

    हमारे बच्चों को साइबर अपराधों विशेषकर यौन उत्पीड़न से बचाना अत्यंत आवश्यक है। इसका एक तरीका यह हो सकता है कि बच्चों को अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श के बारे में शिक्षित किया जाए। साइबर अपराधों से खुद को कैसे बचाया जाए, इस पर विशेषज्ञ सत्र आयोजित करना भी आवश्यक है।

    कॉरपोरेट्स द्वारा जिला परिषद स्कूलों और नगर निगम स्कूलों को अपनाने को बढ़ावा देने की योजना सराहनीय है।

    मुझे विश्वास है कि हम कॉरपोरेट्स और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से अपने जिला परिषद और अन्य पब्लिक स्कूलों को अच्छी तरह से बदल सकते हैं।

    महाराष्ट्र में सैकड़ों सार्वजनिक ग्रंथालय है। ये ग्रंथालय आज खाली पड़े हैं। ज्यादातर किताबें पुरानी और अप्रचलित हैं। हमें अपने लाईब्ररीज को पुनर्जीवित करना चाहिये, नया साहित्य रखना चाहिये, इंटरनेट सुविधा देनी चाहिये। लाईब्ररीज को गोद लेने की योजना को बढ़ावा देकर हमारे सभी सार्वजनिक पुस्तकालयों का कायाकल्प करने की आवश्यकता है।

    पिछले दिनों मैंने एशियाटिक सोसाइटी लाइब्रेरी के स्थापना दिवस में भाग लिया, जो वास्तव में मुंबई का गौरव है। दुर्भाग्य से पुस्तकालय वित्तीय सहायता के अभाव में संघर्ष कर रहा है।

    मैं व्यावसायिक घरानों और कॉरपोरेट्स से अपील करूंगा कि वे महाराष्ट्र के सार्वजनिक पुस्तकालयों और स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पुस्तकालयों को आधुनिक बनाने में निवेश करें।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति अपनी मातृभाषा में सीखने पर जोर देती है। महाराष्ट्र में सैकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ हैं। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम भाषाओं के साथ-साथ बोलियों में भी पुस्तकें प्रकाशित करें। इससे बच्चों को शिक्षा से जोड़ने में काफी मदद मिलेगी।

    बच्चों को बागवानी और वृक्षारोपण में शामिल करने को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। वार्षिक शिक्षा कार्यक्रम में पिकनिक, शैक्षणिक टूर, फिल्ड व्हिजीट, वृक्षारोपण और अन्य मनोरंजक गतिविधियाँ शामिल करनी चाहिए।

    आज सभी लोगों के नींद के घंटे बदल गए हैं। ‘जल्दी सोना, जल्दी उठना एक आदमी को स्वस्थ और बुद्धिमान बनाता है’ ऐसी एक लोकप्रिय कहावत थी।

    आजकल बच्चे आधी रात के बाद भी देर तक जागते रहते हैं। लेकिन स्कूल के कारण उन्हें जल्दी उठना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप नींद की कमी हो जाती है।

    मैं अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करूंगा कि बच्चों को सुबह अच्छी नींद मिले। इसके लिये स्कूल टायमिंग बदलने पर भी विचार होना चाहिये।

    सीखना बच्चों के लिए एक आनंददायक अनुभव होना चाहिए और इसलिए ‘होम वर्क’ पर कम जोर दिया जाना चाहिए। खेल, कुद और अन्य सह-पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियों पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए।

    मैं महाराष्ट्र के माननीय मुख्यमंत्री, माननीय उपमुख्यमंत्री और माननीय स्कूल शिक्षा मंत्री को पुस्तक पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने, हमारे स्कूलों को साफ-सुथरा रखने और स्कूलों को गोद लेने को बढ़ावा देने के लिए ये अद्भुत पहल करने के लिए बधाई देता हूं।

    मैं युनिसेफ, ‘रीड इंडिया’, ‘प्रथम बुक’ को भी बधाई देता हूं जो इस शिक्षा मिशन में सरकार का समर्थन कर रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग को उसके भविष्य के प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।

    धन्यवाद।
    जय हिन्द। जय महाराष्ट्र।।