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    03.02.2024 : प्रथम विश्व – राज कपूर सिने रत्न गोल्डन अवार्ड प्रस्तुति समारोह

    प्रकाशित तारीख: February 3, 2024

    प्रथम विश्व – राज कपूर सिने रत्न गोल्डन अवार्ड प्रस्तुति समारोह। एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी। 3 फरवरी 2024

    डॉ. विश्वनाथ कराड, संस्थापक अध्यक्ष, एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, पुणे

    डॉ मंगेश कराड

    श्री किरण शांताराम, फिल्म निर्माता और मुंबई के पूर्व शेरिफ

    श्री गजेन्द्र चौहान

    श्री एन चंद्रा, प्रख्यात लेखक, निर्माता एवं साहित्यकार

    श्री सिद्धार्थ काक

    श्रीमती स्वाती कराड

    श्रीमती ज्योति कराड

    श्री आदिनाथ मंगेशकर, एमआईटी संस्थानों के ट्रस्टी

    प्रबंधन समिति के सदस्य, कर्मचारी और छात्र

    देवियो और सज्जनों

    महान शोमैन राजकपूर जी का बहुत बड़ा प्रशंसक होने के नाते, उन्हें ‘प्रथम विश्व-राजकपूर सिने-रत्न गोल्डन अवॉर्ड’ से सम्मानित करना मै अपना स्वयं का सम्मान मानता हूं। आज उनकी समाधि का दर्शन करके पुरानी यादे जाग गयी।

    राज कपूर जी के जीवन और कार्य को हमेशा के लिये चिरंजीवी रखने के उद्देश्य से उनके नाम पर एक पुरस्कार स्थापित करने से बेहतर दुसरा कोई तरीका नहीं हो सकता था।

    मुझे खुशी है कि श्री राज कपूर के सुपुत्र श्री रणधीर कपूर जी उन्हें दिए गए प्रथम विश्व-राज कपूर सिने-रत्न गोल्डन अवार्ड से नवाजा जा रहा है। लेकिन वे आज इस अवार्ड को स्वीकार करने के लिए हमारे बीच उपस्थित नहीं हो पाए।

    स्वर्गीय श्री राज कपूर की समाधि बनाने के लिए एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी हमारी तहे दिल से बधाई और सराहना की पात्र है।

    यह वाकई महाराष्ट्र और मुंबई का सौभाग्य था कि कपूर परिवार पेशावर से मुंबई आया। श्री पृथ्वीराज कपूर से लेकर परिवार के प्रत्येक सदस्य ने हमारे फिल्म उद्योग में बहुत बड़ा योगदान दिया है। यह बेहद गर्व की बात है कि कपूर खानदान के सदस्य आज भी सिल्वर स्क्रीन पर छाए हुए हैं।

    वर्ष २०१४ में ‘इंडिया टुडे’ में छपी रिपोर्ट में पत्रकार सुनील सेठी लिखते है :

    कपूर परिवार जैसा कोई दूसरा परिवार हमारे बीच नहीं है, जिसने इतने लंबे समय तक मनोरंजन उद्योग पर शासन किया हो, या परिश्रमपूर्वक इसके सबसे दूर के मापदंडों को बढ़ाया हो।

    अनुमान है कि 1929 में पृथ्वीराज कपूर पेशावर से बंबई आगमन के साथ ही पूरे कपूर खानदान, उनके तीन बेटों, उनके बेटों और बहुओं ने मिलकर कम से कम 300 फिल्मों में अभिनय, निर्माण और निर्देशन किया है।

    २०१४ में ३०० फिल्मे बनाई थी। विगत दस साल में कपूर परिवार ने और भी अधिक फिल्मे बनाई है। तो आप अंदाजा लागा सकते है कि इस परिवार का हमारे फिल्म उद्योग में योगदान कितना अहम है।

    मेरी बात सुनकर आप हैरान रह जायेंगे; लेकिन मैं इतना फिल्म प्रेमी था, कि राज कपूर की फिल्म जरूर देखता था। हम पहले जब स्कूल में पढ़ते थे तब हमारे टीम में कुछ लोग थे और हम सबने निश्चय किया था की राज कपूर की फिल्म जिस दिन लगेली उस दिन हमको वह देखना ही है। चाहे वह सुबह 9 बजे की हो, या दोपहर 12 बजे की हो, 3 बजे की हो या चाहे रात 9 बजे की हो। हम सुबह 9 बजे उठकर जाकर उनकी फिल्मे देखते थे। लेकिन उनकी यादें मुझे लगता है की फिल्मी दुनिया के लिए कुछ अलग ही है।

    मैने उनकी ‘मेरा नाम जोकर’, बॉबी, आग, आवारा, श्री ४२०, सत्यम शिवम सुंदरम, प्रेम रोग, राम तेरी गंगा मैली और कई अन्य फिल्मे देखी है।

    दरअसल मैंने उनकी कुछ फिल्में कई बार देखीं।

    आज राज्यपाल के रूप में मुझे प्रोटोकॉल के साथ रहना होता हैं।

    एक समय ऐसा भी था जब एक स्वतंत्र पक्षी के रूप में, मैं सिनेमाघरों में जाता था, कतारों में खड़ा होता था और यहां तक कि फिल्मों के टिकट भी ‘ब्लैक’ में खरीदता था।

    मैं सौभाग्यशाली हूं कि मेरा जन्म उसी वर्ष हुआ जब भारत को स्वतंत्रता मिली। इस प्रकार मैं भारतीय फिल्म उद्योग के ‘स्वर्ण युग’ का गवाह बन सका।

    इस स्वर्णिम युग में, पृथ्वीराज कपूर, दिलीप कुमार, राज कपूर, सुनील दत्त, राज कुमार, मनोज कुमार, बलराज साहनी, देव आनंद, जैसे अनेक श्रेष्ठ अभिनेता; तथा मीना कुमारी, मधुबाला, वहीदा रहमान जैसी महान अभिनेत्रियाँ हुई।

    हम छोटे थे तो एक कहावत थी फिल्मी दुनिया में, मीना की आंखे, मधुबाला के ओंठ यह दोनों फेमस थे।

    कई गायक, संगीतकार और फिल्म लेखकों ने उस युग को स्वर्ण युग बनाया और भारतीय फिल्म उद्योग को वैश्विक स्तर पर ले गये। एस डी बर्मन, आर डी बर्मन, मजरूह सुलतानपुरी, जयदेव, कैफी आजमी, गुलजार जैसे लोगों को कौन भूल सकता है ?

    इन महान अभिनेताओं, निर्देशकों, गीतकारो, संगीतकारों और फिल्म निर्माताओं के लुप्त होने के साथ ही फिल्मों में मेरी रुचि थोडी कम हो गई।

    लेकिन मैं अभी भी राज कपूर जी, देव आनंद जी की फिल्मों के गाने गुनगुनाता हूं।

    देवियों और सज्जनों,

    आज, हम यहां एक सच्चे किंवदंती, और भारतीय फिल्म उद्योग के प्रतीक – एकमात्र, राज कपूर जी की जन्म शताब्दी मना रहे हैं।

    सिनेमा की दुनिया में उनके योगदान ने न केवल लाखों प्रशंसकों के दिलों में बल्कि भारतीय फिल्म के इतिहास में भी एक अमिट छाप छोड़ी है।

    राज साहब ने अपनी आकर्षक स्क्रीन उपस्थिति, करिश्माई व्यक्तित्व और अद्वितीय अभिनय कौशल के साथ अनेक दशकों तक सिल्वर स्क्रीन की शोभा बढ़ाई।

    अपनी सिनेमाई यात्रा के माध्यम से, उन्होंने हमें हँसाया, रुलाया और प्यार में डाल दिया, और साथ ही हमें अपनी अपार प्रतिभा से आश्चर्यचकित कर दिया।

    भारतीय सिनेमा का स्वर्ण युग, एक ऐसा काल जिसमें राज कपूर जैसे दिग्गजों का उदय हुआ, अद्वितीय रचनात्मकता और कलात्मक अभिव्यक्ति का समय था।

    यह एक ऐसा युग था जब भारतीय सिनेमा वास्तव में अपने चरम पर था, ऐसी फिल्मों के साथ जो न केवल मनोरंजन करती थीं बल्कि प्रेरित करती थीं, मानदंडों को चुनौती देती थीं और हमारे देश के बदलते सामाजिक ताने-बाने को प्रतिबिंबित करती थीं।

    इस अवधि के दौरान, भारतीय सिनेमा ने राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    इसने भाषाई और सांस्कृतिक बाधाओं को पार करते हुए विविध पृष्ठभूमि के लोगों को कहानी कहने और मनोरंजन की साझी छतरी के नीचे एकजुट किया।

    राज कपूर जी की फिल्मों ने, अपने सार्वभौमिक विषयों और संबंधित पात्रों के साथ, इस प्रयास में बहुत योगदान दिया।

    उनके पात्र आम आदमी के साथ प्रतिध्वनित होते हैं, उनके स्वयं के संघर्षों, आकांक्षाओं और विजय का प्रतिबिंब प्रस्तुत करते हैं।

    भारतीय फिल्मों और विशेषकर राज कपूर का प्रभाव हमारी सीमाओं तक ही सीमित नहीं है। रशिया, मिस्र, मध्य पूर्व आशिया तथा दक्षिण अमरिका तक उनकी फिल्मे पहुंच चुकी थी।

    मैं जब रशिया गया था, तब स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी के मंत्रिमंडल में मंत्री था। तब मुझे कई देशों का दौरा करने का मौका मिला और जब रशिया गए तब जब इन्ट्रोडकशन हुआ तो बताया गया की, ओ इंडिया का ‘मेरा जूता है जापानी’ गाना रशिया में इतना फेमस है की यह बच्चे बच्चे गुनगुनाते है।

    आज इस महत्वपूर्ण अवसर पर हम राज कपूर जी को उनकी 100वीं जयंती वर्ष के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

    मैं श्री राज कपूर जी के जीवन कार्य की स्मृति कायम करने के लिये आयोजकों का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।

    धन्यवाद, और राज साहब की रोशनी हमारे दिलों में हमेशा चमकती रहे।

    जय हिन्द। जय महाराष्ट्र।।