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    28.01.2024 : 84th Conference of Presiding Officers of State Legislatures

    Publish Date: January 28, 2024

    84th Conference of Presiding Officers of State Legislatures

    Vice President of India Jagdeep Dhankhar addressed the 84th All India Presiding Officers Conference (AIPOC) and 60th Conference of Secretaries of State Legislative Bodies in India at Maharashtra Vidhan Bhavan Mumbai.

    Maharashtra Governor Ramesh Bais, Lok Sabha Speaker Om Birla, Rajya Sabha Deputy Chairman Harivansh, Deputy Chief Minister of Maharashtra Devendra Fadnavis, Speaker of Maharashtra Legislative Assembly Rahul Narwekar, Deputy Chairperson of Legislative Council Dr Neelam Gorhe, Presiding Officers of various State Legislatures and members of the State Legislature were present. Copy of the Governor’s speech is enclosed.

    84 वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन। महाराष्ट्र विधान भवन, मुंबई । 27 – 29 Jan 2024

    सम्मानित उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़

    लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला,

    श्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री

    श्री राहुल नार्वेकर, विधानसभा अध्यक्ष, महाराष्ट्र

    डॉ निलम गोरहे, उप सभापति, विधान परिषद

    श्री नरहरी झिरवाल, विधान सभा के उपाध्यक्ष

    सभी राज्यों की विधानसभाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, और सभापति, उपसभापति

    पीठासीन अधिकारियों के 84 वें अखिल भारतीय सम्मेलन और राज्य विधान सचिवालयों के सचिवों के 60 वें सम्मेलन के साथ जुडकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई। छत्रपति शिवाजी महाराज की इस वीर भूमि मे आप सभी का स्वागत करता हूं।

    अविभाजित मध्य प्रदेश विधान भवन में सदस्य के रूप में मैंने जीवन के पांच वर्ष बिताये है। उसके उपरांत लोकसभा में, 30 वर्ष से अधिक समय सदस्य के रूप में बिताये है।

    इसलिये इस तीन दिवसीय सम्मेलन के लिये गण तंत्र के इस सदन में उपस्थित रहना मेरे लिये मानो ‘घर वापसी’ है।

    मुझे बताया गया है कि, इस के पहले, महाराष्ट्र में यह सम्मेलन 2003 में मुंबई में आयोजित किया गया था।

    इक्कीस वर्षों के बाद इस सम्मेलन के आयोजन का सौभाग्य महाराष्ट्र राज्य को प्राप्त हुआ है।

    पीठासीन अधिकारियों के इस सम्मेलन के साथ ही इस अवसर पर भारत के विभिन्न राज्यों के विधायी सचिवों का 60 वां सम्मेलन भी संपन्न हो रहा है।

    मैं पीठासीन अधिकारियों और विधायी सचिवों के इस सम्मेलन के आयोजन के लिए महाराष्ट्र विधान भवन को हार्दिक बधाई देता हूं।

    भारत केवल स्वतंत्रता का अमृत काल नहीं मना रहा है, हमारा देश, हमारे संसदीय लोकतंत्र का भी अमृत काल मना रहा है।

    इन वर्षों के दौरान, भारत का संसदीय लोकतंत्र लोगों के विश्वास और भरोसे के साथ सरकार के सबसे प्रामाणिक और प्रतिनिधि स्वरूप के रूप में उभरा है।

    पिछले 77 वर्षों में यदि भारत एक सशक्त राष्ट्र के रूप में उभरा है तो इसका श्रेय भारत के संसदीय लोकतंत्र को जाता है।

    संसदीय लोकतंत्र में पीठासीन अधिकारियों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

    महाराष्ट्र में संसदीय लोकतंत्र की एक महान परंपरा रही है।

    महाराष्ट्र विधान भवन वास्तव में भाग्यशाली है कि उसे कुछ महानतम पुरुष और महिलाएं मिलीं, जिन्होंने सदन के अध्यक्ष के रूप में गरिमामय कार्य किया।

    पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मनोहर जोशी, पूर्व राज्यपाल आर एस गवई, पूर्व राज्यपाल राम नाईक, प्रोफेसर राम कापसे सभी इस सदन के सदस्य या पीठासीन अधिकारी रहे है।

    महाराष्ट्र के पीठासीन अधिकारियों ने अपने काम से मानक स्थापित किये। परिणामस्वरूप, महाराष्ट्र राज्य विधानमंडल की गिनती देश के आदर्श विधान मंडलों में होती है।

    आज, पीठासीन अधिकारियों का काम लगातार कठिन होता जा रहा है। यह बताने के लिए वर्तमान अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से बेहतर कोई व्यक्ति हो नहीं सकता !!

    हमारी संसद और हमारी विधानसभाएं आम लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करती हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि सदन के प्रत्येक क्षण का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग किया जाए। यदि हम सदन के समय का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं करते हैं, तो लोगों का हमारी संस्थाओं और अंततः लोकतंत्र में विश्वास कम हो जायेगा।

    हमारी संसद और विधानसभाओं को सुचारू रूप से कैसे चलाया जाए, इस पर हमारे देश के राजनीतिक दलों और नेताओं को सामूहिक चिंतन की आवश्यकता है।

    स्वतंत्रता के समय, भारत को गरीबी, अशिक्षा, जातीय और भाषाई विविधता, विविध जातियों और वर्गों, अर्थव्यवस्था के ग्रामीण आधार जैसी स्पष्ट रूप से दुर्गम चुनौतियों का सामना करना पड़ा। आज भी कुछ चुनौतियां है।

    आज, भारत में सशक्त रूप से स्वतंत्र प्रेस, राजनीतिक दलों की एक मजबूत प्रणाली, एक स्वतंत्र और सक्रिय न्यायपालिका, एक अराजनीतिक सेना और एक संपन्न नागरिक समाज है। इन लोकतांत्रिक संस्थाओं की संस्थागत प्रभावकारिता संदेह से परे है।

    29 वर्ष की औसत आयु के साथ भारत दुनिया का सबसे युवा देश बनकर उभरा है। हमारे युवाओं को हमारे राज्य विधानमंडलों से बहुत उम्मीदें हैं। हमें यह ध्यान में रखना होगा कि हमारी विधायिकाएं और सदस्य भावी मतदाताओं की इस युवा पीढ़ी के प्रति जवाबदेह हैं।

    हमें अपने युवा नेताओं के मन में संसदीय लोकतंत्र के प्रति विश्वास पैदा करना होगा और उन्हें अपनी कार्यप्रणाली में हितधारक बनाना होगा।

    भारत में लोगों की आकांक्षाएं लगातार बढ़ रही हैं। इस आकांक्षी भारत के अनुरूप हमारी विधायी संस्थाओं से लेकर प्रशासन तक, हमारी व्यवस्थाओं को विधि और नीति निर्माण से लेकर उनके क्रियान्वयन से ज्यादा गतिशील, उत्तरदायी और लक्ष्योन्मुखी होना अनिवार्य है।

    आज के नए भारत के लिए हमें संस्थाओं को अधिक प्रभावी, कुशल और तकनीकी रूप से समृद्ध करते रहने की आवश्यकता है।

    आज बदलते परिप्रेक्ष्य में सूचना प्रौद्योगिकी का बहुत बड़ा महत्व है। सूचना प्रौद्योगिकी का महत्व होने के कारण अधिकतम विधान सभाओं के अंदर लाइव हो रहा है। देश की जनता सभा की कार्यवाहियों को देखती है।

    यदि विधान सभा या लोक सभा की कार्यवाही दिनभर बंद होती है तो कई करोड़ व्यर्थ हो जाता है। कई आवश्यक बिल पास नहीं हो पाते जिसके कारण देश व प्रदेश का विकास रुक जाता है। मा. सदस्यों को सदन बंद करने के बजाय अपनी बात सदन में रखनी चाहिए। अपनी बातों को जनता तक पहुचाने का यह उचित मंच है।

    उनके मन एवं चिंतन में एक अच्छा प्रभाव पड़े, उनके विचारों में जो हमारी संस्थाएं हैं, उनके प्रति अच्छा प्रभाव पड़े, उनकी गरिमा उनको नजर आए ताकि लोगों का, जनता का और अधिक विश्वास व भरोसा इन लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति बढे।

    जन-विश्वास को बढ़ाना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

    आज भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। मजबूत और गतिशील लोकतंत्र के कारण कई निवेशक चीन की तुलना में भारत को प्राथमिकता दे रहे हैं।

    देश की आजादी का अमृतकाल देशवासियों के लिए एक भव्य व विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि के लिए जी-जान से कार्य करने का कर्तव्य काल है।

    पीठासीन अधिकारियों का यह सम्मेलन, विभिन्न विधायी निकायों के द्वारा की गयी उत्तम पहलों और नवाचारों को परस्पर साझा करने का एक सशक्त मंच है, जिससे सभी को इनका लाभ मिल सकेगा। आशा है कि इस सम्मेलन में कई अहम् विषयों पर सारगर्भित चर्चा हुई होगी।

    सम्मेलन में हिस्सा ले रहे केन्द्रीय व राज्य विधान मंडलों के पीठासीन अधिकारीगण और सचिवों को उनके भविष्य के प्रयासों के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।

    धन्यवाद।
    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।