Close

    26.05.2024 : रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन मुंबई का शताब्दी समापन समारोह

    Publish Date: May 26, 2024
    रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन मुंबई का शताब्दी समापन समारोह

    रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन मुंबई का शताब्दी समापन समारोह। स्थान : बालगंधर्व रंगमंदिर, बांद्रा (पश्चिम), मुंबई, रविवार, २६ मई २०२४, दोपहर १२.०० बजे

    परम श्रद्धेय स्वामी दिव्यानंद जी महाराज, उपाध्यक्ष, रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन, बेलूर मठ

    श्रद्धेय स्वामी बलभद्रानंद जी महाराज, सहायक सचिव, बेलूर मठ

    स्वामी सत्यदेवानंद जी महाराज, अध्यक्ष, रामकृष्ण मठ तथा रामकृष्ण मिशन, मुंबई

    श्री सुशीम दत्ता, अध्यक्ष, प्रबंधन समिति, रामकृष्ण मिशन, मुंबई

    रामकृष्ण मठ और मिशन के सभी श्रद्धेय स्वामीजी,

    सभी स्वयंसेवक

    बहनों और भाइयों,

    सबसे पहले, स्वामी रामकृष्ण परमहंस, माँ शारदा और स्वामी विवेकानंद महाराज के पावन चरणों में शत – शत नमन करता हूँ।

    दो महीने पहले रामकृष्ण मिशन के अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद जी महाराज का देवलोक गमन हुआ। उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

    ठीक एक वर्ष पहले, रामकृष्ण मिशन मुंबई के शताब्दी समारोह का उद्घाटन करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ था। आप में से कई भाविक गण उस अवसर पर उपस्थित थे।

    यह हम सभी का सौभाग्य है कि शताब्दी समापन समारोह में उपस्थित रहने का अवसर भी, ठाकूर महाराज जी ने हमें दिया है।

    आप सभी को इस ऐतिहासिक समारोह के साथ जुड़ने के लिए बधाई देता हूं।

    आज के समारोह के लिए बेलूर मठ से आये, उपाध्यक्ष महाराज तथा सहायक सचिव महाराज का मै मुंबई में स्वागत करता हूं।

    देश के विभिन्न रामकृष्ण मिशन शाखाओं से आये सभी श्रद्धेय स्वामीजी का भी मै शताब्दी समापन समारोह में स्वागत करता हूँ।

    बहनों और भाइयों,

    दुनिया में अनेक आध्यात्मिक और सेवा संगठन है, जो ईश्वरीय संदेश के प्रचार प्रसार का कार्य करते है।

    लेकिन, रामकृष्ण मठ और मिशन एक ऐसा संगठन है, जो मनुष्य के आत्मोद्धार के साथ जन हित के लिये समर्पित भाव से कार्य करते आया है।

    स्वामी विवेकानंद जी ने एक बार अपने शिष्य से कहा था: “मैं ऐसे भगवान या धर्म में विश्वास नहीं करता जो विधवा के आँसू नहीं पोंछ सकता या अनाथ के मुँह में रोटी का टुकड़ा नहीं डाल सकता।”

    ‘रामकृष्ण मिशन मुंबई’ स्वामी विवेकानंद द्वारा दिखाये गये उसी राह पर चलता आया है। मुंबई रामकृष्ण मिशन मुंबई, इस महानगर का तथा महाराष्ट्र का गौरव है, जिसके लिये आप सभी हमारे अभिनंदन के पात्र है।

    शताब्दि वर्ष में रामकृष्ण मिशन मुंबई द्वारा माँ शारदा भवन का निर्माण करने का सुंदर कार्य किया गया है। जहां कैंसर और अन्य बीमारियों की इलाज के लिए देश भर से आने वाले मरीजों तथा उनके परिजनों के लिए एक आवासीय सुविधा निर्माण की गयी है।

    मुझे बताया गया है कि रामकृष्ण मिशन अस्पताल में भी नवीनतम उपकरण लाकर अस्पताल का आधुनिकीकरण किया गया है।

    ‘शारदा कृपा निधि’के तहत गरीब मरीजों को कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट के लिये वित्तीय सहायता दी जा रही है, जो वाकई सराहनीय है।

    आप में से अनेक लोग जानते होंगे, रामकृष्ण मिशन मुंबई द्वारा जव्हार क्षेत्र में बोरवेल और सौर ऊर्जा संचालित पंपों द्वारा पानी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।

    हम सभी के लिए खुशी की बात है कि ठाणे में रामकृष्ण मिशन द्वारा एक नया केंद्र खोलने की योजना बनाई गयी है और मुझे विश्वास है कि जन सहयोग से यह केंद्र निकट भविष्य में शुरू होगा।

    इस भव्य कार्य के लिए मै रामकृष्ण मिशन मुंबई का और आप सभी स्वयंसेवकों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।

    भाइयों और बहनों,

    आज हम एक ऐसी दुनिया देख रहे हैं जहां राष्ट्र युद्धरत हैं। हिंसा, द्वेष और घृणा से मानो लोग अंधे हुए है। निर्दोष लोग, बच्चे और माताओं का खून बहाया जा रहा हैं। हम देखकर भी कुछ नहीं कर पाते।

    समाज में बुराई की विजय तभी होती है जब अच्छे लोग कुछ नहीं करते, बैठे रहते, देखते रहते।

    यह आवश्यक है कि हम गरबो, जरूरतमंदों तथा मानवता के लिए खड़े हो। साथ ही रामकृष्ण मिशन जैसे संगठनों को और भी मजबूत बनाए।

    आम तौर पर, लोग मानते है कि शिक्षा मनुष्य को बुद्धिमान और विचारशील बनने में मदद करती है। लेकिन, अब यह सिद्ध हो गया है कि केवल शिक्षा ही मनुष्य को बुद्धिमान नहीं बनाती।

    शिक्षा को मुल्यो की जोड ना हो तो वह अहंकार बढाती है। इसलिये, शिक्षा के साथ मूल्य, नैतिकता और मानवता के संस्कार होना आवश्यक है। तभी हम एक शांतिपूर्ण समाज का निर्माण कर पाएंगे।

    किसी भी समाज को बदलने की शुरुआत स्कूलों से होनी चाहिए।

    भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि अगर बच्चा स्कूल में मूल्य आधारित शिक्षा से चूक जाता है तो कोई भी सरकार या समाज उसे प्रबुद्ध नागरिक नहीं बना सकता।

    मैं रामकृष्ण मिशन मुंबई से स्कूलों और स्कूली बच्चों के साथ अपने मौजूदा जुड़ाव को संरचित बनाने और व्यापक करने की अपील करूंगा।

    बहनों और भाइयों,

    रामकृष्ण मिशन जैसी महान संस्था की शताब्दी, हमें भविष्य के लिए ठोस योजना बनाने का एक अच्छा अवसर प्रदान करती है।

    मैं रामकृष्ण मिशन से भारत की स्वतंत्रता की शताब्दी के मद्देनजर अपने भविष्य के सेवा कार्य की ‘ब्लू प्रिंट’ तैयार करने का आह्वान करूंगा। विश्व में सबसे अधिक युवा जनसंख्या वाले देश के रूप में, हमें अपने युवाओं के सशक्तिकरण, कौशल विकास, खेल विकास और समग्र व्यक्तित्व विकास के उद्देश्य से विभिन्न पहलों की योजना बनानी चाहिए। हमारी पहल से अभाव ग्रस्त समुदायों को, वरिष्ठ नागरिकों को तथा दिव्यांगों को सशक्त बनाना चाहिए।

    स्वामी विवेकानंद महिला सशक्तिकरण के प्रबल समर्थक थे।

    कुछ वर्ष पहले, मिशन ने गरीब और विशेष रूप से गरीब महिलाओं को शिक्षा, कौशल विकास और सशक्तिकरण में मदद करने के लिए ‘मां शारदा महिला विकास कोष’ लॉन्च किया था।

    क्या हम मुंबई केंद्र को पिछड़ी, वंचित और अभावग्रस्त महिलाओं को कौशल शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाने के लिए इस कार्यक्रम को लागू कर सकते है, इस पर भी हमें चिंतन करना चाहिये।

    पुनः एक बार, मैं रामकृष्ण मिशन मुंबई को शताब्दी समापन के अवसर पर हार्दिक बधाई देता हूं और भविष्य के प्रयासों में मिशन की सफलता की कामना करता हूं।

    धन्यवाद।
    जय हिंद। जय महाराष्ट्र।।