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    23.07.2024 : इस्कॉन गोवर्धन इको विलेज का दौरा तथा ‘चेंज मेकर्स’ का सम्मान

    Publish Date: July 23, 2024
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    इस्कॉन गोवर्धन इको विलेज का दौरा तथा ‘चेंज मेकर्स’ का सम्मान। 23 जुलाई 2024

    परम श्रद्धेय राधानाथ स्वामी जी

    श्री सनत कुमार दास, निदेशक, कृषि तथा ग्राम विकास, गोवर्धन इको विलेज

    श्री गौरांग दास प्रभु, निदेशक, स्ट्रॅटेजी और कोलॅबोरेशन्स, गोवर्धन इको विलेज

    श्रीमती मैथिली देसाई, निदेशक, गोवर्धन स्किल सेंटर

    सुश्री रमा सिंह, सलाहकार, सामाजिक पहल

    गोवर्धन इको विलेज के सदस्य,

    श्री चैतन्य हेल्थ एंड केयर ट्रस्ट के सदस्य,

    निवासी और छात्र,

    पालघर जिले के ग्रामस्थ और किसान बहनें और भाई

    हरे कृष्णा !!

    इस्कॉन गोवर्धन इको विलेज में, भगवान श्री कृष्ण भावनामृत से संपोषित, इस शांत वातावरण में, आपके बीच आकर धन्य महसूस कर रहा हूँ।

    आज लोकमान्य तिलक जयंती हैं, जिन्होंने ‘स्वराज’ को जन्मसिद्ध अधिकार घोषित किया था।

    आज गोवर्धन इको विलेज में इस परियोजना के प्रमुख निर्माता परम श्रद्धेय राधानाथ स्वामी जी से मिलकर प्रसन्नता हो रही है।

    वर्ष 1893 में स्वामी विवेकानंद ने मुंबई से शिकागो प्रस्थान किया था। वहां पर उन्होंने विश्व धर्म संसद को संबोधित किया था। उनके भाषण ने दुनिया की भारत के प्रति धारणा को बदल दिया था।

    मुझे खुशी है कि स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरित, तथा परम श्रद्धेय भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की शिक्षा के संवाहक ऐसे, अमेरिका के सुपुत्र, श्रद्धेय राधानाथ स्वामी, आज सनातन धर्म, वेदांत और योग की शिक्षाओं का विश्व में प्रचार प्रसार कर रहे है।

    मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि राधानाथ स्वामी जी ने वर्ष 2003 में गोवर्धन इको विलेज की स्थापना की थी। यह विलेज आज आध्यात्मिकता, सस्टेनेबल डेव्हलपमेंट और सामाजिक आउटरीच के माध्यम से लोगों के सर्वांगीण विकास का केंद्र बन गया है।

    मुझे बताया गया कि गोवर्धन इको व्हिलेज में राधा मदन मोहन मंदिर और गोशाला के अलावा, योग विद्यालय, आयुर्वेद विद्यालय और सस्टेनेबिलिटी विद्यालय भी निर्माण किए गये है, जो सचमुच सराहनीय है।

    मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि राधानाथ स्वामी जी के सपने को सनत कुमार दास, I I T मुंबई से शिक्षित गौरांग दास तथा सुश्री रमा सिंह वास्तविकता में ला रहे है।

    मुझे यह जानकर खुशी हुई कि गोवर्धन इको विलेज पालघर जिले में श्री चैतन्य हेल्थ एंड केयर ट्रस्ट के साथ मिलकर ग्रामीण विकास के क्षेत्र में विभिन्न पहलों को लागू कर रहा है। जिले और उसके लोगों के उत्थान के लिए यह बहुत ज़रूरी पहल है।

    पिछले 10 वर्षों के दौरान केंद्र तथा प्रदेश सरकार ने देश के सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े जिलों और खासकर महाराष्ट्र में बदलाव लाने के लिए कई कदम उठाए हैं।

    महाराष्ट्र राज्य के राज्यपाल के रूप में, मैं महाराष्ट्र में अनुसूचित क्षेत्रों के रूप में परिभाषित आदिवासी क्षेत्रों का संरक्षक हूँ।

    मैंने महाराष्ट्र के कई आदिवासी बहुल जिलों का दौरा किया है और आदिवासी कल्याण के मुद्दे पर वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ मीटिंग भी किए हैं। दो तीन बार पालघर जिले का भी दौरा किया।

    कई बार मीटिंग में आदिवासी इलाकों की अच्छी तस्वीर पेश की जाती हैं। लेकिन, जमीनी स्तर पर हकीकत इससे अलग होती है।

    राज्य में आदिवासी आश्रम शालाओं की स्थिति सुधारने तथा जनजाति भाई बहनों का जीवन स्तर उन्नत करने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। हमें पालघर को कुपोषण मुक्त जिला बनाना है।

    एक समय था जब देश के कई हिस्सों में आदिवासी जनजाति के लोग शासक थे। महाराष्ट्र के भी कई हिस्से भी आदिवासी शासक थे। दुर्भाग्यवश, औपनिवेशिक वर्चस्व के लंबे दौर के बाद, आदिवासियों को जल, जमीन और जंगल से वंचित कर दिया गया।

    हमें अपने आदिवासी भाइयों और बहनों को एक शालीन जीवन स्तर प्रदान करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। इसकी शुरुआत हमें स्कूलों और विशेषकर आदिवासी आश्रम शालाओं से करनी होगी।

    हमें अपने आदिवासियों और ग्रामीण समुदायों को सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए एक बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है।

    यदि हम आदिवासियों के लिए उनके गांव में ही रोजगार पैदा करते है तो और रोजगार की तलाश में उनके पलायन को रोका जा सकता है।

    स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि किसी गरीब और भूखे व्यक्ति को आध्यात्मिकता नहीं सिखाई जा सकती। अन्न ही उसके लिए परब्रह्म है।

    इस्कॉन का अपना फूड रिलीफ फाउंडेशन है। फाउंडेशन को आश्रम शालाओं को गोद लेना चाहिए और बच्चों के लिए गर्म और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करना चाहिए।

    मुझे खुशी है कि गोवर्धन इको विलेज किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, 3000 आदिवासी महिलाओं और युवाओं को कौशल प्रदान कर रहा है और जल संसाधनों और सिंचाई सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित कर रहा है।

    हाल ही में, मेरे कहने पर जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी ने राज्य में एकलव्य मॉडल स्कूलों को कम्प्यूटरीकृत और अपग्रेड करने के लिए 3.5 करोड़ रुपये का दान दिया। अपनी CSR निधी से, वे 38 स्कूलों में छात्रों के लिए 1000 कंप्यूटर और शिक्षकों के लिए 76 टैब उपलब्ध करा रहे हैं।

    उच्च शिक्षा में आदिवासी लड़कियों का नामांकन बहुत कम है। ऐसा इसलिए है क्योंकि माता-पिता अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए दूसरे गांव या कस्बे में भेजना नही चाहते। हमें आदिवासी और ग्रामीण लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए छात्रावास बनाने की जरूरत है।

    विविधता भारत की पहचान है। हमारे देश में लगभग 1700 भाषाएँ और बोलियाँ बोली जाती है। हमारे देश में प्रत्येक जनजाति की अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान होती है।

    भारत की जनजातियाँ हमारे स्वदेशी ज्ञान और पारंपरिक प्रथाओं की संरक्षक हैं। उनकी विरासत को उचित तरीके से संरक्षित, बढ़ावा देने और दस्तावेजीकरण करने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए।

    हमें आदिवासी समुदायों के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए कॉरपोरेट्स, सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों और इस्कॉन जैसे महान संस्थानों की भागीदारी की आवश्यकता है, इससे हमें समावेशी और विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

    गोवर्धन इको विलेज ने आश्रम शालाओं में सुधार के लिए अच्छी पहल की है। ऐसे बडे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार और समाज को एक साथ आना जरुरी है। मै आपको विश्वास दिलाता हूं कि, जिला प्रशासन आप के कार्य में पूर्ण सहयोग देगा।

    आज सम्मानित आदिवासी छात्र छात्राएं, महिलाएं और किसानों सहित सभी “चेंज मेकर्स” को उनके अच्छे काम के लिए बधाई देता हूं।

    मैं स्किल सेंटर को सहायता करने वाले सभी दानवीर संगठनों और व्यक्तिगत दानदाताओं का अभिनंदन करता हूं और गोवर्धन इको विलेज समुदाय की सफलता की कामना करता हूं।

    धन्यवाद।
    जय हिन्द। जय महाराष्ट्र।।
    ।।हरे कृष्णा।।