17.02.2024 : श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी (SNDT) विश्वविद्यालय का 73 वां वार्षिक दीक्षांत समारोह
श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी (SNDT) विश्वविद्यालय का 73 वां वार्षिक दीक्षांत समारोह। 17 फरवरी 2024
श्री चंद्रकांतदादा पाटील जी, उच्च व तंत्र शिक्षा मंत्री,
प्रो. उज्वला चक्रदेव, कुलपति, श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी विश्वविद्यालय, मुंबई,
प्रो. रुबी ओझा, प्र-कुलपति,
प्रो. विलास नांदवडेकर, कुलसचिव,
श्री संजय नेरकर, निदेशक, परीक्षा एवं मूल्यांकन श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी विश्वविद्यालय, मुंबई,
सिनेट, प्रबंधन परिषद तथा अकादमिक परिषद के सम्मानित सदस्य,
विभिन्न विषयों के अधिष्ठाता तथा उपस्थित शिक्षक गण,
स्नातक छात्राएं और उनके माता-पिता,
सभी को शुभ प्रभात !
श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी विश्वविद्यालय, मुंबई के दीक्षांत समारोह के अवसर पर आज आप सभी के बीच आ कर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।
सर्वप्रथम मै क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले, महात्मा जोतीराव फुले तथा विश्वविद्यालय के संस्थापक भारतरत्न महर्षी कर्वे जी की पावन स्मृति को अभिवादन करता हूं।
केवल उनके कारण ही, इस हॉल में आज हम इतनी बड़ी संख्या में महिला स्नातकों को देख रहे हैं।
देश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित इस महिला विश्वविद्यालय से पदवी प्राप्त करने के लिए आप में से सभी छात्राओं का मैं हार्दिक अभिनंदन करता हूं और बधाई देता हूँ।
आज विशेष रूप से पीएच.डी. तथा विभिन्न शाखाओं में गोल्ड मेडल, सिल्वर मेडल तथा कैश पुरस्कार जितने वाले स्नातको का अभिनंदन करता हूँ।
दीक्षांत समारोह का दिन केवल आप के लिए ही नहीं बल्कि सभी प्राध्यापकों, विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और माता-पिता के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण एवं उल्हास का दिन है।
उन्होंने शिक्षा के हर मोड़ पर आपका साथ दिया है और आपकी सफलता में भागीदार हुए हैं। आज मै उनका भी हार्दिक अभिनंदन करता हूं।
श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी महिला विश्वविद्यालय का गीत मुझे बेहद अच्छा लगता है।
सचमुख ‘संस्कृता स्त्री पराशक्ति’ याने ‘एक प्रबुद्ध महिला अनंत शक्ति का स्रोत होती है’। कितना गहरा अर्थपूर्ण है यह गीत !!
इस विश्वविद्यालय के देश को अनेक बैन्कर्स, अध्यापक, बिजनेस लीडर्स दिये है।
लेकिन इस विश्वविद्यालय की अनूठी विशेषता यह है कि इसने बड़ी संख्या में ऐसी महिला स्नातकों को जन्म दिया जो अपने परिवार में पहली बार स्नातक थीं।
जब आप पहला दीया जलाते हैं, तो वही दीया फिर हजारों अन्य दीयों को प्रज्वलित कर सकता है।
ठीक उसी प्रकार एक महिला स्नातक हजारों अन्य स्नातकों को शिक्षित, संस्कारित करने की शक्ति और क्षमता रखती है, और फिर यह सिलसिला चलता रहता है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय, भारत में महिलाओं की साक्षरता दर मात्र 9 प्रतिशत थी।
वर्तमान में, महिलाओं की साक्षरता दर बढ़कर 77 प्रतिशत हो गई है जबकि भारत की पुरुष साक्षरता दर 84.7% है।
दुर्भाग्य से आज भी उच्च शिक्षा में महिलाओं का प्रतिशत अपेक्षा से कम है।
विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में महिलाओं की उच्च शिक्षा में प्रतिभागिता कम है।
पिछले सप्ताह राजभवन में हमने आदिवासी कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।
मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि कई आदिवासी लड़कियाँ दसवीं कक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए जा नहीं पाती।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें किसी ऐसे कॉलेज या यूनिवर्सिटी में दाखिल होने के लिए घर छोडना पड़ता है जो अक्सर गांव से दूर होता है।
भले ही जनजाति बेटियाँ प्रतिभाशाली हों, लेकिन सुरक्षा और वित्तीय बोझ जैसे मुद्दों के कारण उन्हें शिक्षा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
मैं SNDT महिला विश्वविद्यालय से महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों में रहने वाली ऐसी लड़कियों तक पहुंचने, और उन्हें उच्च शिक्षा धारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित का आह्वान करूंगा।
कम से कम विश्वविद्यालय को यह पता लगाना चाहिए कि ग्रामीण आदिवासी छात्र SSC या HSC के बाद पढ़ाई क्यों छोड़ देते हैं।
मैं SNDT महिला विश्वविद्यालय से और एक बात पर प्रोफेशनल सलाह लेने का आह्वान करूंगा : अगले कुछ वर्षों के दौरान हमारा विश्वविद्यालय अधिकतम महिलाओं तक कैसे पहुंच सकता है।
हमें ग्रामीण महिलाओं, ड्रॉप आऊटस, सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यक महिलाओं, दिव्यांग महिलाओं और यहां तक कि जेलों में बंद महिला कैदीयों तक भी पहुंचने के तरीके और साधन खोजने होंगे।
आज भारत सूचना प्रौद्योगिकी में अग्रणी है।
हमें ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से अधिकतर महिलाओं तक पहुंचने के लिए प्रौद्योगिकी की शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
ऑनलाइन मोड विश्वविद्यालय तथा कॉलेजेस को हर क्षेत्र के विशेषज्ञों के लेक्चर रखने में सक्षम बनाती है। पारंपरिक शिक्षा के साथ कौशल को जोड़ना जरूरी है। अक्सर रोज़गार सुरक्षित करने या उद्यमी बनने के लिए पारंपरिक शिक्षा पर्याप्त नहीं होती है। कौशल को एकीकृत करना – तकनीकी कौशल और सॉफ्ट स्किल दोनों – हमारे स्नातकों को रोजगार योग्य बनाएगा।
विश्वविद्यालय को अपने क्षेत्राधिकार में महिलाओं को कौशल उन्नयन कार्यक्रम प्रदान करने के लिए महाराष्ट्र कौशल विश्वविद्यालय के साथ गठजोड़ करना चाहिए। आज आर्टिफिशिअल इंटेलिजन्स तथा मशीन लर्निंग का युग है। तो हमें छात्राओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लाभ और नुकसान से अवगत कराना अनिवार्य हो गया है।
प्रिय स्नातक छात्रों,
आज महिलाएं हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं। महिलाओं को लड़ाकू विमानों के पायलट के रूप में शामिल किया गया है। महिला अग्निवीरों का चयन किया जा रहा है। पहले से कई अधिक महिलाएं सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर रही हैं और IAS, IPS बन रही हैं।
अधिक महिलाएं चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंपनी सचिव बन रही हैं। पुलिस बल में भी महिलाएँ अधिक दिखाई दे रही हैं।
स्थानीय स्वायत्त निकायों में महिलाओं के लिए पचास प्रतिशत आरक्षण से यह सुनिश्चित हो गया है कि नगरपालिका निगम, जिला परिषदों, नगर परिषदों और ग्राम पंचायतों में 50 प्रतिशत महिलाएं हैं।
निकट भविष्य में संसद और राज्य विधानमंडलों में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण हो सकता है।
आने वाले वर्षों में, हमें सार्वजनिक मामलों, शासन और प्रशासन में सक्रिय रुचि लेने वाली अधिक महिलाओं की आवश्यकता होगी।
यदि आप अपनी आँखें खुली रखें, तो आप पाएंगे कि भारत महान अवसरों की भूमि है।
मैं विशेष रूप से स्नातक छात्रों से उद्यमी और धन का निर्माता बनने की अपील करूंगा।
भारत सरकार और राज्य सरकार की कई योजनाएं हैं जो उद्यमिता को बढ़ावा देते हैं।
व्यावसायिक नेतृत्व के आखिरी गढ़ को जीतने के लिए आपको सरकार के विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तनों की दिशा में कदम उठाया है।
इस नीति का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में समानता, गुणवत्ता और प्रोत्साहन स्थापित करना है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय शिक्षा प्रणाली को एक नयी और आधुनिक दिशा प्रदान करने का प्रयास कर रही है।
विकसित भारत @2047 के मिशन के अनुरूप, SNDT महिला विश्वविद्यालय यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि देश में कोई भी महिला अपनी पसंद की शिक्षा से वंचित न रहे।
दरअसल, जिस तरह एक रथ के दो पहिए होते हैं, उसी तरह पुरुष और महिलाएं एक राष्ट्र के दो पहिए हैं।
संतुलित तरीके से आगे बढ़कर विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दोनों को समान रूप से मजबूत होना होगा।
अंत में, मैं स्नातक छात्रों से भारत को एक विकसित भारत में बदलने में अपनी भूमिका निभाने का आह्वान करूंगा।
विश्वविद्यालय से, मैं वंचित महिलाओं तक पहुंचने के अपने प्रयासों को दोगुना करने का आह्वान करूंगा।
मैं विशेष रूप से आपसे आदिवासी महिलाओं, सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की महिलाओं, कामकाजी महिलाओं और पढ़ाई छोड़ चुकी महिलाओं तक पहुंचने और उन्हें कौशल उन्मुख शिक्षा प्रदान करने का आह्वान करूंगा।
SNDT महिला विश्वविद्यालय भारत का गौरव है और मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि यह विश्वविद्यालय आने वाले वर्षों में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाएगा।
एक बार फिर सभी स्नातक छात्रों को मेरी हार्दिक बधाई।
जय हिन्द। जय महाराष्ट्र।।