10.07.2024 : श्री राघवेंद्र स्वामी की पुस्तक ‘श्री कृष्ण चारित्र्य मंजिरी’ के मराठी संस्करण का विमोचन
श्री राघवेंद्र स्वामी की पुस्तक ‘श्री कृष्ण चारित्र्य मंजिरी’ के मराठी संस्करण का विमोचन। 10 जुलै 2024
परम श्रद्धेय श्री सुबुधेन्द्र तीर्थ, श्री राघवेंद्र स्वामी मठ, मंत्रालयम के पीठाधिपति
श्री रामकृष्ण तेरकर, मुंबई विभाग के प्रमुख
श्री अक्षय तेरकर
प्रोफेसर गुरुराज कुलकर्णी, ग्रंथ के अनुवाद कर्ता
सभी सम्मानित अतिथि
सबसे पहले मैं परम श्रद्धेय श्री सुबुधेंद्र तीर्थ स्वामीजी महाराज का महाराष्ट्र राजभवन में हार्दिक स्वागत करता हूँ।
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि महान संत तथा वेद विद्वान श्री राघवेंद्र तीर्थ स्वामी द्वारा 350 वर्ष से भी अधिक समय पहले लिखी गई पवित्र पुस्तक ‘श्री कृष्ण चारित्र्य मंजिरी’ के मराठी अनुवाद का विमोचन महाराष्ट्र राजभवन में किया जा रहा है।
यह राजभवन प्रभू श्री राम के पद स्पर्श से पुनीत बाणगंगा तीर्थ के निकट बसा है। देश की सभी पवित्र नदियाँ जिस महासागर की गोद में समाहित होती हैं, ऐसे ‘सिंधू सागर’ के सानिध्य में इस पावन ग्रंथ का लोकार्पण हो रहा है।
महाराष्ट्र संतों और समाज सुधारकों की भूमि रही है। संत ज्ञानेश्वर, संत नामदेव, संत एकनाथ महाराज, संत तुकाराम, समर्थ रामदास और कई अन्य संत इस भूमि पर आये और मानवता को जीवन जीने की सही राह दिखाई।
सिक्खो के दसवें गुरु गोबिंद सिंह महाराष्ट्र के नांदेड़ आए, जबकि संत नामदेव महाराष्ट्र से भक्ति परंपरा की ध्वजा लेकर पंजाब गए।
हमारे संतों की अपनी यात्रा और प्रवचनों से आध्यात्मिक चेतना जगाई और भक्ति परंपरा को देश के कोने – कोने में पहुंचाया।
मंत्रालयम के श्री राघवेंद्र स्वामी हमारे देश के आध्यात्मिक इतिहास में भक्ति और ज्ञान के प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
अपने लेखन और प्रवचनों के माध्यम से, उन्होंने वेदों का ज्ञान जनता जनार्दन को सरल भाषा में दिया।
मुझे बताया गया है कि ‘श्री कृष्ण चारित्र्य मंजिरी’ एक बहुत छोटी सी पुस्तक है जिसमें केवल 27 श्लोक हैं। लेकिन श्रीमद्भगवद्गीता की तरह इसका अर्थ और महत्व, बहुत गहरा है।
मंत्रालयम पीठाधिपति स्वामी सुबुधेंद्र तीर्थ द्वारा ‘श्री कृष्ण चारित्र्य मंजिरी’ का मराठी में अनुवाद करने का निर्णय इन शिक्षाओं को व्यापक पाठकों तक पहुँचाने के लिए गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इस ग्रंथ निर्माण से श्री राघवेंद्र स्वामी के ज्ञान का सार भाषाई सीमाओं को पार करके लाखो करोडो मराठी भाषिक भाविको तक पहुंचेगा ऐसा मुझे विश्वास है। ऐसे ग्रंथों को हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं में भी अनुवादित किया जाना चाहिए।
भारतीय दर्शन और लोकाचार में, भगवान राम और भगवान कृष्ण एक केंद्रीय स्थान रखते हैं।
भगवान सर्वव्यापी है। मुनीवर नारद जी को भगवान ने कहा था :
हे नारद ! मैं न तो वैकुंठ में ही रहता हूँ और नाही मै योगियों के हृदय में रहता हूं। मैं तो वहीं रहता हूं, जहां मेरे भक्त मेरे नाम का संकीर्तन किया करते हैं।
आज के डिजिटल युग में ऐसे खजानों को ऑडियो बुक के रूप में भी परिवर्तित किया जाना चाहिये। जिससे ग्रंथ का लाभ दिव्यांग व्यक्तियों को भी होगा।
आज, ‘श्री कृष्ण चारित्र्य मंजिरी’ के विमोचन के अवसर पर, फिर एक बार मैं स्वामी सुबुधेंद्र तीर्थ महाराज का स्वागत करता हूँ। अनुवाद कर्ता प्रोफेसर गुरुराज कुलकर्णी को भी मै शुभकामना देता हूँ।
कभी अवसर मिले तो श्री राघवेन्द्र स्वामी जी समाधी दर्शन करने के लिए हम ‘मंत्रालयम्’ आयेंगे और आपसे मिलेंगे।
धन्यवाद।